तीन मर्द दो औरतों की चुत चुदाई की कहानी-1

(Teen Mard Do Aurton Ki Chut Chudai Ki Kahani- Part 1)

सीमा सिंह 2017-07-13 Comments

दोस्तो, मैं आपकी अपनी सेक्सी सीमा सिंह, आज मैं आपको अपने पति, उनके दोस्त और दोस्त की बीवी के साथ हुये बीवी बदल कर चुत चुदाई करने का किस्सा सुनाने जा रही हूँ। अगर आप मेरी सभी कहानियां पढ़ना चाहते हैं तो ऊपर दिए गए मेरे नाम पर क्लिक करें!
अक्सर हम दोनों पति पत्नी एक दूसरे के साथ सेक्स के नए नए तरीके इस्तेमाल करते रहते थे।

एक दिन मेरे पति बोले- यार, हमने सब कुछ करके देख लिया, अब ऐसा क्या करें कि कुछ अलग सा ही मज़ा आए?
मुझे लगा कि यह मौका बहुत अच्छा है, अगर मैं अपने पति को किसी और मर्द को अपने बीच शामिल करने के लिए मना लूँ, तो मुझे अपने पति के सामने ही किसी और लंड से चुदने का मौका मिल जाएगा. बेशक मेरा छोटा देवर भी मुझे कभी कभी मेरे पति की गैर हाजरी में चोदता है, मगर मैं तो एक दम रंडी स्टाइल में चुदाई का मज़ा लेना चाहती थी, जैसे कि जो कोई भी आए, मुझे पकड़े और चोद दे।
मगर अब हिंदुस्तान में ये सब कहाँ संभव है.

पर मेरे पास तो खुद सामने से मेरे पति ने मुझे मौका दिया था तो मैंने कहा- अब तो बस वाईफ स्वेपिंग ही बाकी बची है, चाहो तो आप कर लो या मैं कर लूँ?
‘मतलब?’ मेरे पति ने पूछा।
मैंने कहा- या तो आप कोई और औरत ले आओ, जिसे हम अपनी सेक्स लाइफ में शामिल कर लें, या फिर एक मर्द ले आओ।
मेरे पति बोले- तुम्हारा मतलब है थ्री सम?
मैंने कहा- हाँ, अगर आपके पास कोई और अच्छी ऑप्शन है तो बताइये?
वो बोले- मैं चाहता हूँ कि अगर मैं किसी और औरत के साथ एंजोए करूँ, तो मेरे सामने तुम भी किसी और मर्द की बांहों में हो, मैं चाहता हूँ, कोई कपल मिल जाए, तो मज़ा ही आ जाए!
मैंने कहा- अब कपल तो आप ही ढूंढ सकते हो।

फिर हम दोनों बैठ कर सोचने लगे कि किस कपल को हम अपने साथ जोड़ सकते हैं, पहले तो अपने सभी रिश्तेदार देखे, मेरी बहनें, चचेरी ममेरी और उनके पति। फिर इनके चचेरे ममेरे भाई और उनकी पत्नियाँ।
मगर किसी से भी बात नहीं जम रही थी।
फिर मेरी सहेलियाँ, मगर वहाँ भी कुछ जमा नहीं, तो इनके दोस्त और उनकी पत्नियाँ।
सभी में कुछ न कुछ कमी नज़र आ रही थी, किसी को मैं पसंद न करती तो किसी को ये पसंद न करते।

आखिर में सब के बारे में सोच सोच कर एक नतीजे पर पहुंचे कि मेरे पति के ऑफिस में पहले इनका एक जूनियर है, वो दोनों मियां बीवी बहुत सुंदर हैं, मुझे भी पसंद थे, इनको भी पसंद हैं, तो हमने उनका नाम फ़ाइनल किया।
मगर बात यह कि उनसे बात कैसे की जाए, कैसे किसी दोस्त से कहा जाए कि यार तू मेरी बीवी चोद ले और अपनी बीवी मुझसे चुदवा ले।

मगर जब दिल में बात बस गई थी, तो उसे एक बार ट्राई तो करनी चाहिए। इसी बात को लेकर इन्होंने फोन करके उसे अपने घर डिनर पर आने का न्योता दिया।

तय दिन वो दोनों मियां बीवी और उनका एक छोटा सा बेटा हमारे घर आए।

सबने बड़े प्यार भरे माहौल में एक दूसरे से बातचीत की। हम दोनों लेडीज ने मिल कर खुद सारा खाना बनाया। अब हम दोनों मियां बीवी के दिल में तो बात साफ थी, तो मैंने जानबूझ कर ऐसी झीनी साड़ी और लो कट ब्लाउज़ पहना था, जिससे मेरा अच्छा खासा क्लीवेज दिख रहा था, और मैंने नोटिस भी किया था कि प्रेम भाई साहब (मेरे पति के दोस्त) भी कई बार बड़ी प्यासी नज़रों से मेरे क्लीवेज को निहार चुके थे।

बाद में जैंट्स ने अपना व्हिस्की का प्रोग्राम शुरू कर दिया। मैं भी बीयर पी लेती थी मगर स्नेहा नहीं पीती थी, मगर मेरी देखा देखी और सब के कहने पर उसने भी एक गिलास बीयर ले लिया।
जो ना पीता हो उसको तो नशा भी जल्दी ही चढ़ जाता है।
यही हुआ स्नेहा के साथ, एक गिलास बीयर खत्म होते होते, उसको नशा हो गया मगर फिर भी वो बहुत संभाल रही थी खुद को… मेरे साथ उसने खाना बनवाया, फिर सबने साथ में खाया.

मगर स्नेहा काफी हिल चुकी थी, उसने बहुत थोड़ा खाया, वो सिर्फ सोफ़े पे बैठी रही।
मेरे पति ने मुझे इशारा किया, ये मेरे लिए मौका था कि मैं प्रेम भाई साहब को थोड़ा उतेज्जित करूँ।

इसी लिए मैं बार बार उठ कर अपने हाथों से उनकी प्लेट में खाना डाल रही थी और इसी कोशिश में मैंने जान बूझ कर अपनी साड़ी का पल्लू गिरा कर उनको अपने उन्नत बूब्स के दर्शन करवाए। थोड़ी दारू अंदर गई हो तो मर्द और भी दिलेर हो जाते हैं… वो भी बिना किसी लिहाज के मेरी चुची को घूर कर बोले- भाभी जी, आप बहुत ही सुंदर हो, सच में… कितना स्वादिष्ट खाना बनाया है, और कितने प्यार से परोस रही हो, आप ग्रेट हो, सुंदर, अति सुंदर!
और फिर झीनी साड़ी में से दिख रहे क्लीवेज को देख कर बोले- बहुत ही सुंदर!

उनकी आँखों में वासना की चमक मैं साफ साफ देख रही थी और मेरे पति ने भी इस बात को नोटिस किया.

तभी मेरे पति ने कहा- अरे नहीं यार, ऐसी बात नहीं, स्नेहा भी बहुत लज़ीज़ खाना बनाती है, और खुद भी बहुत सुंदर है।
ये सुन कर प्रेम भाई साहब हंस पड़े- अरे वाह, आपको मेरे पत्नी सुंदर लगती है, और मुझे आपकी!

तभी मेरे पति ने कहा- क्या मजा आ जाए, अगर कभी हमको अपनी पत्नियाँ आपस में बदलने का मौका मिल जाए!
प्रेम जी ने पहले मेरे पति को देखा, फिर मुझे…

मैं उठी और उठ कर प्रेम भाई साहब के लिए गिलास में पानी डालने के बहाने अपना क्लीवेज उनको फिर से दिखाया।
वो मेरी बड़ी बड़ी चुची को घूरते हुये बोले- क्या ये संभव है भाई साहब?
मेरे पति ने कहा- बिल्कुल संभव है, अगर आप दोनों की रजामंदी हो तो, बल्कि मैं और सीमा तो खुद यही चाहते हैं कि कोई ऐसा विश्वास लायक कपल हमें मिले, जिसके साथ हम खुल कर एंजॉय कर सकें।

प्रेम भाई साहब की आँखों में चमक आ गई, अब मैं स्नेहा से लंबाई चौड़ाई दोनों में ज़्यादा थी। मेरा बदन ज़्यादा गदराया हुआ था।

मैं चुपचाप उठ कर खाने की प्लेट्स उठाने लगी और ये दोनों मर्द उठ कर हाथ धोने चले गए।

स्नेहा तो जैसे आधी बेहोश सी सोफ़े पे गिरी पड़ी थी, वो देख सुन सब रही थी, मगर कह कुछ नहीं रही थी।

थोड़ी देर बाद दोनों मर्द ऊपर छत पर चले गए और सिगरेट पीने लगे, मैंने सारे बर्तन वगैरा समेट दिये, और वापिस आकर स्नेहा के पास बैठ गई, मगर वो मुझे बात करने लायक नहीं लगी।

फिर मैंने आइस क्रीम दी सबको खाने को और उसके थोड़ी देर बाद वो दोनों चले गए।

मैंने अपने पति से पूछा- क्या बात हुई?
वो बोले- ये तो तुम्हारा पूरी तरह से दीवाना हो चुका है, मगर जब तक स्नेहा हाँ नहीं करती, कुछ कहना मुश्किल है।
मैं मन मसोस कर सो गई, कहाँ मैं तो सोच रही थी, अगर आज नहीं तो आने वाले एक दो दिन में हम चारों एक साथ सेक्स करेंगे।

मगर अगले दिन जब मेरे पति ऑफिस गए, तो करीब 11 बजे उनका फोन आया। वो बड़े खुश थे, बोले- अरे जानती हो, स्नेहा मान गई है, प्रेम ने बताया कि स्नेहा को इस सब से कोई ऐतराज नहीं है, वो बल्कि खुश हुई, उसके मन में भी बहुत समय से ऐसा ही कुछ करने का विचार था।
मैंने कहा- तो फिर देख लो, बना लो किसी दिन प्रोग्राम?
वो बोले- बना लो क्या, बन गया, अगले शनिवार रात को हम चारों एक साथ होंगे।
मैंने खुशी के मारे कहा- तो क्या अगले शनिवार हमारे घर में ग्रुप सेक्स होगा, चारों के चारों एक साथ सेक्स करेंगे?
मेरे पति बोले- बिल्कुल, बस तुम तैयार रहना!
मैंने कहा- अरे, मैं तो आज अभी भी तैयार हूँ।
पति बोले- साली कमीनी, तेरी चूत में भी हर वक़्त आग लगी रहती है, ज़्यादा जलन है तो ऑफिस से छुट्टी ले कर आ जाऊँ?
मैंने कहा- आ जाओ, सारी दोपहर सेक्स की बारिश करूंगी तुम पर!

चलो बात बन गई, मुझे इसी बात की बहुत खुशी थी। मगर आज तो सोमवार था, शनिवार आने में बहुत दिन थे, बड़ी मुश्किल से एक एक दिन कट रहा था।
बल्कि इसी बीच एक दिन मेरे देवर ने दोपहर को मुझसे प्यार की गुहार लगाई। मैं किचन में काम कर रही थी, तो वो पीछे से आया और मुझे बाहों में भर लिया, बोला- भाभी, कब फ्री होगी?
और वो अपना लंड मेरी गांड पे घिसाने लगा।

मगर मैंने उसे साफ न कर दी कि आज मेरा मूड नहीं है।
वो बेचारा मायूस हो कर चला गया।
बाद में बेड पर लेटी मैं सोच रही थी कि अगर मैं इसको हाँ कर देती तो अब एक मोटा लंड मेरी चूत में घुसा होता, मगर मैंने अपनी सारी ताकत, सारा जोश, शनिवार के लिए संभाल कर रखा था।

चलो जी, शनिवार भी आ गया।
मैंने सुबह उठ कर सारा घर अच्छे से साफ किया, खुद सारे बदन के अनचाहे बाल वीट लगा कर हटा दिये, ब्यूटी पार्लर जाकर आई ब्रो, हाथों पैरों की पूरी वेक्सिंग, अच्छे से बाल सेट करवाए, मेकअप मैंने खुद ही करने का सोचा।
रात के लिए मैंने लॉन्ग शर्ट और पलाजो पहना।

शाम को करीब 4 बजे मेरा देवर बोला- भाभी आज मैं अपने दोस्त के घर सोऊंगा, उसके घर पे कोई नहीं है।
मुझे बड़ी खुशी हुई कि चलो ये बला भी टली।

करीब 6 बजे प्रेम और स्नेहा दोनों हमारे घर आए। आज तो स्नेहा भी गजब की सुंदर लग रही थी, आज वो शॉर्ट टॉप और जीन्स में थी।
शायद ब्यूटी पार्लर से तैयार हो कर आई थी।

मैंने स्नेहा को गले लगा कर उसका वेलकम किया तो प्रेम जी भी आगे आ गए, अब बात तो हम सब को पता थी कि आज क्या होने वाला है, तो मैंने भी प्रेम जी को आलिंगन किया, मेरे पति ने स्नेहा को हल्के से गले लगाया।
चारों हम पहले ड्राइंग रूम में बैठे। कोल्ड ड्रिंक्स का दौर और फिर बातों का दौर!

फिर मैं स्नेहा को अपने साथ किचन में ले गई।
मैंने बातों बातों में स्नेहा से कहा- उस दिन तुम एक बीयर के गिलास से ही लुढ़क गई थी, आज अपना होश कायम रखना!
वो मुस्कुरा कर बोली- क्यों आज कुछ खास है क्या?
मैंने कहा- हाँ आज बहुत कुछ खास है, अगर आज तुम होश में न रही तो बहुत कुछ बिना देखे रह जाओगी।
वो बोली- दीदी, आज मैंने सोचा है कि आज मैंने कुछ नहीं पियूँगी, पूरी होश में रह कर सब कुछ करूंगी।

उसकी बात सुन कर हम दोनों हंस दी।

मैंने उसे आँख मार कर पूछा- क्या क्या करोगी?
वो बोली- ऐसा कुछ खास तो नहीं सोचा है, सच कहूँ तो कुछ सोच ही नहीं पाई, मुझे तो अभी भी इतना रोमांच हो रहा है, जैसे न नीचे गीला गीला सा लग रहा है।

मैंने उसके चूतड़ पर हल्की सी चपत लगाई और बोली- अच्छा, बदमाश कहीं की… तुम तो अभी से गर्म हो रही हो!
वो बोली- दीदी, गर्म का तो पूछो ही मत, इस हफ्ते हमने एक बार भी नहीं किया, सारा जोश आज के लिए ही जैसे संभाल कर रखा है।
हम दोनों हंस पड़ी और बातें करते करते खाना बनाने लगी।

वैसे तो मैंने तकरीबन सारा खाना पहले ही बना लिया था, बस थोड़ा बहुत काम बाकी था। सब निबटा कर खाना हॉट केस में रख कर हम भी बाहर आ गई और उन दोनों के साथ जा बैठी।
तब तक वो दोनों 3-4 पेग खींच चुके थे, माहौल में सुरूर भर गया था।

मैंने भी एक बीयर का गिलास ले लिया मगर स्नेहा ने सिर्फ आधा गिलास बीयर का लिया, उसके बाद उसने कोल्ड ड्रिंक ले ली।

अब जब सब के सब इकट्ठे हो चुके थे, तो बात को आगे बढ़ाया गया। मेरे पति ने कहा- आज हम सब यहाँ इकट्ठा हुये हैं, ताकि अपनी बोरिंग सेक्स लाइफ में कुछ नया जादू जगा सकें। मैंने अपने पत्नी सीमा के साथ सब कुछ करके देख लिया, ज़ाहिर है मेरी बीवी है, इसकी चूत तो मरूँगा ही, मगर मैंने इसकी गांड भी मारी है, खूब मारी है, खूब मज़े ले ले कर मेरा लंड चूसती है, मेरा सारा माल खा जाती है। मैं भी इसकी चूत खूब चाटता हूँ। मगर इतना सब कुछ रोज़ रोज़ करके हमारा दिल भर चुका है, इसी लिए आपको बुलाया है कि हम चारों मिल कर एक सेक्स पार्टी करें, आपस में अपने अपने पार्टनर बदल कर सेक्स करें। इसके लिए हमने बहुत से लोगों के बारे में सोचा, और अंत में सिर्फ आप दोनों ही हमारी लिस्ट में खरे उतरे। अब आपके पास अपनी सहमति या इतराज जताने का ये आखरी मौका है। अगर सहमत तो हम सब आगे बढ़ें, और अगर किसी को ऐतराज है, तो कहानी यही खत्म!

मेरे पति की बात सुन कर प्रेमजी बोले- भाई, आप वाला सब काम हम भी कर चुके हैं। दरअसल उस दिन जब हम आए थे, तब भी हमें लगा था कि कोई बात है जो आप हमसे करना चाहते हो, मगर जब आपने छत पर मुझसे पूछा था न कि तुम सीमा की छातियाँ बड़े गौर से देख रहे थे, पियोगे क्या? तब मैं सच में खुश हो गया था, तभी मैंने हाँ कही थी।

हम दोनों औरतें बैठी बस मुस्कुरा रही थी, मैंने पूछा- तो खाना लगाऊँ क्या?
मेरे पति बोले- यार अभी तो सिर्फ 9 बजे हैं, खाना तो बाद में भी खा लेंगे, अभी एक एक शॉट लगा लें तो क्या ख्याल है।

सबकी आँखों में चमक बढ़ गई।

मेरे पति उठे और उठ कर स्नेहा के पास बैठ गए- अगर मैं आपको छू कर देखूँ तो आपको बुरा तो नहीं लगेगा?
स्नेहा ने सेक्सी स्माइल देते हुये कहा- जी नहीं।

मगर ये क्या… मेरे पति ने एकदम से उसे दबोच लिया, उसके दोनों बूब्स पकड़ लिए, उसे सोफ़े पर ही अधलेटी करके उसके ऊपर चढ़ गए और उसके दोनों होंठ अपने होंठों में ले लिए और लगे चूसने!
मैंने उन्हें कहा भी- अरे आराम से… ये कहीं भागी तो नहीं जा रही है।
मगर वो बोले- तुम्हें क्या पता, इतनी देर से कैसे मैंने खुद को रोक रखा है।

इतने में प्रेम जी भी उठ कर मेरे पास आ गए, सबसे पहले उन्होंने मेरे टॉप का गला थोड़ा आगे को खींचा और अंदर निगाह मारी।
टॉप के अंदर दो बड़े नागपुरी संतरे, ब्रा में कैद थे, मैंने प्रेम जी की तरफ देखा, मगर उन्होंने मुझसे नज़र नहीं मिलाई, उनका पूरा ध्यान मेरे बूब्स पर ही था। अच्छी तरह से मेरे बूब्स को निहार कर, वो मेरे पास बैठ गए, मेरे चेहरे पे गिरी मेरी बालों की लट को संवारा, मेरे गाल से अपनी एक उंगली को घुमाते हुये वो जबड़े के साथ साथ मेरी ठोड़ी तक लाये।
बहुत ही नाज़ुक तरीके से वो मुझे हैंडल कर रहे थे, जैसे मैं काँच की गुड़िया हूँ।
उनका ये मासूम सा स्पर्श मेरे अंदर सरसराहट ही जगा रहा था। सच कहूँ तो मैं बेचैन हो रही थी कि वो जल्दी से मेरे और भी अंगो को छू कर दबा कर देखें.

मगर प्रेमजी बहुत ही आराम से मेरे बदन को अपनी आँखों से निहार रहे थे, जैसे मेरे हुस्न को अपनी आँखों से पी रहे हों। मेरे दोनों हाथ पकड़ कर देखे, मेरे दोनों बाजू, कंधे, गले को उन्होंने अपने हाथों से छू कर देखा।

अब जब तो वो मेरे किसी गुप्त अंग को नहीं छूते, तब तक मैं भी उनके लंड को नहीं छू सकती थी, चाहे मैं उनका तना हुआ लंड उनकी पैंट में से देख सकती थी। मेरी जांघों पे उन्होंने बड़े नर्म हाथों से सहलाया, अपने हाथों से मेरे दोनों सैंडल उतारे, मेरा प्लाजो ऊपर घुटने तक उठा दिया और मेरी गोरी, चिकनी नंगी टांग पे कई जगह कई बार चूमा, मेरी टांग को सहला कर देखा।
उनके हर स्पर्श से जैसे मेरी अंदर से पानी की एक बूंद टपक जाती थी, मुझे लग रहा था के अगर ये ऐसे ही मेरे से खेलते रहे, तो या तो मैं खुद अपने से कंट्रोल खो दूँगी, या फिर मेरी पेंटी तो पक्का भीग जाएगी, और अपने पिछवाड़े में मुझे गीला दाग देखना बहुत गंदा लगता है, मगर क्या करती मैं खुद पहल नहीं करना चाहती थी।

फिर उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरा टॉप उतार दिया। मुझे ब्रा और जीन्स में देखा तो बोले- पर्फेक्ट, देखो स्नेहा, क्या शानदार फिगर है, भाभी जी का, जैसे कोई अप्सरा, क्या शानदार कद, क्या खूबसूरत चूचे, क्या कमर, और क्या शानदार गोल गांड और जांघें!
कह कर वो थोड़ा पीछे हटे, और थोड़ा दूर से मुझे देखा- ज़रा घूमो!
वो बोले.
तो मैंने उनकी तरफ पीठ कर ली।

वो पीछे से आए और मुझे बाहों में भर लिया। सच में पराए मर्द के स्पर्श की अपनी ही एक अलग अनुभूति है। मेरे पेट को सहलाया, और फिर मेरे दोनों बूब्स को दबा कर देखा- लाजवाब, तुम बहुत सेक्सी हो, जिस दिन आपकी शादी में आपको देखा था, उस दिन सोचा था, अगर कभी आपसे सेक्स करने को मिला तो ज़िंदगी भर के लिए आपका गुलाम बन जाऊँगा, और देखो वो दिन आ गया।
मैंने महसूस किया कि उनका तना हुआ लंड मेरी पीठ से लगा हुआ है। मैंने कहा- भाई साहब, इसे भी हवा लगाओगे, या अंदर ही कैद रखोगे?
वो बोले- बहन जी, हवा क्या इसे पानी भी लगवाऊंगा, बस थोड़ा सा इंतज़ार करो।

वो पीछे से मेरी गर्दन, कंधों को चूमते, मेरे सारे बदन को सहलाते रहे, मुझे भी बहुत मजा आ रहा था, मैंने अपने हाथ पीछे किए और उनकी पैंट के ऊपर से ही उनका लंड पकड़ लिया।
कोई 6-7 इंच का होगा… मुझे अच्छा लगा कि चलो बढ़िया है, मजा आएगा।

मगर इतनी सी देर में ही मेरे पति ने स्नेहा को बिल्कुल नंगी कर दिया था और खुद अपने कपड़े उतार रहे थे।

मैंने अपने पति से कहा- आप बहुत जल्दी जल्दी सब कर रहे हो, प्रेमजी को देखो कितने प्यार और आराम से कर रहे हैं।

मगर मेरे पति सिर्फ मुस्कुरा दिए, नंगे होते ही उन्होंने अपना लंड स्नेहा के मुँह में डाल दिया और वो चूसने लगी।

प्रेम जी मुझे अपनी गोद में बैठा लिया और मेरे ब्रा के ऊपर से ही मेरे बूब्स को प्यार से छूकर चूम कर, दबा कर देखा, फिर ब्रा के दोनों स्ट्रैप मेरे कंधों से उतार दिये तो मैंने पीछे से ब्रा की हुक खोल दी।
मेरे दोनों बूब्स प्रेमजी के सामने प्रकट हो गए। मेरे एक बूब को उन्होंने हाथ में पकड़ कर देखा- तुम्हारे बूब्स स्नेहा से ज़्यादा सॉलिड हैं.
वो धीरे से मेरे कान में बोले।

मैंने अपनी बाहें उनके गले में डाल कर कहा- तो मज़ा लीजिये सरकार।
प्रेमजी ने मेरे दोनों बूब्स को चूसा, मेरे निप्पल और सख्त हो गए।

मैंने कहा- सिर्फ चूसो मत प्रेम, इनको काटो, खा जाओ।
तो प्रेम जी बहुत बार मेरी नर्म नर्म चूचियों को अपने सख्त दाँतों से काटा, ऐसा काटा कि निशान पड़ गए।

मगर मुझे इन निशानों की आदत थी, मुझे कोई दर्द नहीं हुआ।

अब मैंने खुद प्रेमजी का लंड उनकी पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया।
‘चाहिए क्या?’ उन्होंने पूछा।
मैंने कहा- हाँ, बहुत ज़रूरत महसूस हो रही है।
‘ओ के!’ वो बोले- मगर कहाँ चाहिए?
मैंने कहा- जहां आपका दिल करे, बस मेरे जिस्म के अंदर चाहिए।
वो बोले- अगर तेरी गांड में डाल दूँ तो?
मैंने कहा- नो प्रोब्लेम, ले लूँगी, पर डालो तब न?
वो बोले- बहुत तड़प रही है।
मैंने कहा- मर रही हूँ।

उन्होंने मुझे उठाया, खुद उठे और अपने कपड़े उतारने लगे, मैंने भी अपना प्लाजो और पेंटी उतार दी।

करीब 7 इंच का गहरे भूरे रंग का एकदम सीधा लंड, मगर मेरे पति के लंड से भी पतला।

मैं खुद ही नीचे बैठ गई और उनका लंड पकड़ा बिना उनके कुछ कहे अपने मुँह में ले लिया। मेरे पसंदीदा नमकीन स्वाद मेरे मुँह में आ गया। उन्होंने दोनों हाथों से मेरे सर के बाल पकड़े और बालों को खींच कर ही मेरा सर आगे पीछे करने लगे, जिससे उनका लंड मेरे मुँह में आगे पीछे होने लगा।
बेशक इसमे थोड़ा दर्द था, मगर मैं सह लेती हूँ।

थोड़ी देर लंड चुसवा कर प्रेमजी नीचे लेट गए- सीमा, तुम मेरे ऊपर आ जाओ!
वो बोले।
मैं उनके ऊपर 69 की पोजीशन में आ गई।
यह हिंदी चुत चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

जैसे ही मैंने उनका लंड अपने मुँह में लिया, उन्होंने भी अपना मुँह मेरी चूत से लगा दिया। वो भी मज़े ले लेकर अपनी पत्नी की चूत चाटते होंगे, इसी लिए बहुत स्वाद ले कर वो मेरी चूत चाट कर मुझे स्वाद दे भी रहे थे।
उधर मेरे पति और स्नेहा भी हमारे वाली पोजीशन में थे, मगर स्नेहा नीचे लेटी थी और मेरे पति ऊपर, और ऊपर से वो स्नेहा के मुँह ऐसे चोद रहे थे, जैसे वो उसका मुँह नहीं उसी चूत हो, और स्नेहा भी नीचे आराम से लेटी उनके पूरे लंड को निगल रही थी।

चूत चटवा कर मैं तो पानी पानी हुये जा रही थी, क्योंकि पानी तो काफी देर से छोड़ रही थी, मैंने प्रेमजी से कहा- प्रेमजी, अब आप ऊपर आ जाओ।
उन्होंने मेरी चूत से अपना मुँह हटाया और घूम कर मेरे ऊपर आ गए।
मैंने अपनी टांगें फैला कर उनको अपना अंदर लिया, उनका लंड पकड़ा और अपनी चूत पर रख लिया। बस हल्के से प्रैशर से ही उनका लंड फिसलता हुआ उम्म्ह… अहह… हय… याह… मेरी चूत की गहराई में समा गया।
आनन्द में मैंने अपनी आँखें बंद कर ली, सच में ऐसा भरा भरा सा एहसास हुआ जैसे किसी ने मुझे अंदर तक परिपूर्ण कर दिया हो।

प्रेमजी ने मेरे दोनों बूब्स पकड़े और मेरे बूब्स चूसते चूसते वो मेरी चुदाई करने लगे।

ये हर मर्द की आदत होती है कि औरत को चुदाई में पहले हल्के हल्के झटके ही लगाता है, जैसे ये जाताना चाह रहा हो कि मैं तुम्हारा बहुत ख्याल रखता हूँ। मगर बाद में जब जोश बढ़ जाता है तो ऐसे चोदता है जैसे वो औरत नहीं कोई रंडी हो।

मैंने आँखें खोल कर देखा, स्नेहा मेरे पति के ऊपर बैठ कर खुद चुदवा रही थी।

चारों जब हम वासना की नदी में गोते लगा रहे थे… तभी दरवाजा खुला और…

पति के दोस्त के साथ बीवी की अदला बदली करके चुत चुदाई की कहानी कैसी लग रही है, मुझे मेल करें!
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तीन मर्द दो औरतों की चुत चुदाई की कहानी-2

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