लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-38
(Lagi Lund Ki Lagan Mai Chudi Sabhi Ke Sang- Part 38)
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नाश्ते का दौर खत्म हुआ तो अश्वनी बियर की एक खाली बोतल लेकर आ गया और सब को राउन्ड में बैठने के लिये बोला।
हम सभी लोग राउन्ड में बैठ गये तो अश्वनी ने रूल समझाना शुरू किया कि जिसकी तरफ बियर की बोतल का मुंह होगा वो अपनी एक इच्छा अपने पति या पत्नी से करने के लिये कहेगा और उसका पति या पत्नी उसकी बात मानेगे। हां, यह गेम इस घर के अन्दर तक ही सीमित रहेगा तो ऐसी कोई फरमाईश नहीं मानी जायेगी जो इस घर के बाहर की हो।
सभी अश्वनी की बात से सहमत हो गये।
अब बारी थी बोतल को घुमाने की तो अश्वनी ने बोतल को बीच में रखकर घुमा दिया। बोतल का मुंह नमिता के सामने रूका, सभी उसकी तरफ देखने लगे।
नमिता ने सब की तरफ देखा और फिर अमित के पास आई, बोली- हम सब दूसरे कमरे में जा रहे है और तुम यहां बैठ कर मुठ मारोगे, जब तुम्हारा माल बाहर आ जाये तो हम लोगों को बुलाकर उस माल को हम सबके सामने चाटकर साफ करना है, तुम्हारे वीर्य की एक बूंद भी बचनी नहीं चाहिये।
अमित कुछ देर सोचता रहा और फिर वो जैसा नमिता ने कहा था वैसा करने के लिये तैयार हो गया।
हम सभी लोग दूसरे कमरे में चले गये और वहां से अमित को देखने लगे।
अमित ने अपने सभी कपड़े उतार कर कुर्सी पर बैठ गया और अपने जिस्म से वो खुद खेलने लगा, कभी वो अपने दोनों निप्पल को मसलता तो कभी अपने पेट को सहलाता, कभी अपने लंड को हिलाता लेकिन उसका लंड खड़ा ही नहीं हो रहा था।
वो काफी देर से अपने लंड को हिला रहा था, उसके चमड़े को आगे पीछे करके खोल को खोलने की कोशिश कर रहा था पर लंड था कि तन ही नहीं रहा था।
यहां तक कि अमित अपने लंड को अपनी थूक से गीला भी कर रहा था फिर भी उसका लंड था खड़ा होने का नाम ही नहीं ले रहा था।
कुछ देर तक तो अमित ऐसे ही करता रहा फिर अचानक उसने अपनी आँखें बन्द की, कुर्सी पर टेक लगा लिया और धीरे-धीरे अपने जिस्म को सहलाता हुआ कुछ बड़बड़ाने लगा और बीच-बीच में अपनी जांघ को सहलता था और अपने अंडों से भी खेलता जाता था।
अब धीरे-धीरे उसका लंड खड़ा होना शुरू हो गया।
अमित अपने लंड को धीरे-धीरे हिला रहा था और कुछ बडबड़ाने के साथ ही ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की आवाज भी निकाल रहा था। अब उसकी स्पीड बढ़ती जा रही थी और आवाज भी।
आवाज और स्पीड दोनों और तेज हो गया कि तभी अमित चिल्लाया- आओ, सभी आ जाओ मेरा निकलने वाला है।
हम सभी कमरे में आ गये, तभी अमित के लंड ने एक फव्वारा सा छोड़ा। उसका कुछ वीर्य उसके हाथ में था और कुछ जमीन में दूर तक फैल गया था।
अमित ने अपनी बंद आँखें खोली और फिर हम सभी को देखते हुए वो अपने हाथ में लगे हुए वीर्य को चाटने लगा और हाथ को चाटने के बाद वो कुत्ते की तरह जमीन पर चलते हुए जहां-जहां भी उसका वीर्य पड़ा था, चाट कर साफ करने लगा।
एक बार फिर सभी केवल नमिता को छोड़ कर राउन्ड में बैठ गये।
बोतल को एक बार फिर घुमाया गया और इस बार बोतल का मुंह अमित के सामने ही रूका।
चूत वाली एक और लंड तीन
अब हम सब की नजर अमित और नमिता की ही तरफ थी। नमिता भी जिज्ञासा से अमित की तरफ देखने लगी कि वो उससे क्या करवाता है।
अमित थोड़ी देर सोचने के बाद बोला कि मैं चाहता हूँ कि रितेश, अश्वनी और टोनी नमिता की चुदाई एक साथ मिलकर करें, तीनों के लंड अमिता के तीनो छेद में एक साथ हों।
नमिता और बाकी तीनों चोदू महाराज पलंग पर आकर इकट्ठे हो गये। अभी सभी ने कपड़े पहने हुए थे, नमिता ने तीनों की कैपरी उतारी और उनके लंड को बारी बारी से चूसने लगी और अपने हाथ से हिलाकर खड़ा करने का प्रयास करने लगी, साथ ही अपने चूत को भी सहलाती जाती थी।
नमिता की कुछ देर की मेहनत के बाद तीनों के लंड खड़े हो गये। उसके बाद टोनी पलंग पर लेट गया और नमिता को उसने अपने ऊपर लेकर अपना लंड नमिता की चूत में पेल दिया।
रितेश नमिता की गांड के पीछे आया और उसकी गांड चाटने के बाद अपने लंड को उसकी गांड में पेल दिया।
उसके बाद अश्वनी भी पलंग पर चढ़ गया और नमिता के मुंह में अपना लंड देकर धक्के लगाने लगाना।
इस समय नमिता के तीनो छेद तीन लंड को संभाले हुए थे। अश्वनी बीच-बीच में उसके होंठों को भी चूमता जा रहा था।
तीनों थोड़ी देर तक उसकी चुदाई करते रहे और फिर उसके बाद तीनों ने अपनी पोजिशन बदल ली और फिर एक बार उसकी चुदाई करनी शुरू कर दी।
इस समय नमिता वास्तव में किसी ब्लू फिल्म कि चुदक्कड़ हिरोइन की तरह लग रही थी, एक तो उसका गोरा और चिकना जिस्म और ऊपर से तीन लंड उसकी चुदाई भी जम कर कर रहे थे।
करीब बीस मिनट तक तीनों लोग बदल बदल कर नमिता की चुदाई कर रहे थे और नमिता भी अपनी ‘आह ओह आह…’ की तेज चीखों से उन तीनों का हौसला अफजाई भी कर रही थी।
इसी बीच मैंने दीपाली और मीना को अपने मन की बात बताई।
पहले तो दोनों राजी न हुई लेकिन बाद में मान गई, हम तीनों के बीच में यह तय हुआ कि जिसके सामने बोतल का मुंह आयेगा वो मेरे प्लान की शुरूआत करेगा।
इधर उन चारों का खेल खत्म होने पर आ गया था, तीनों अपना लंड नमिता के खुले मुंह के पास हिला रहे थे और नमिता ऊँची हील सेन्डिल पहने हुए बैठी थी।
तभी तीनों ने एक साथ अपने वीर्य की फुहार नमिता के चेहरे और मुंह पर डालने लगे।
तीनों के लंड से निकलने वाला जितना भी वीर्य नमिता के मुंह के अन्दर गिरा, उसको तो वो गटक गई और जो उसके चेहरे पर गिरा, उसको उसने क्रीम समझ कर अपने चेहरे पर लगा लिया।
अब इस खेल से अमित और नमिता दोनों ही बाहर थे। अमित ने नमिता को अपनी गोद में बैठा लिया और उसको चूमने लगा।
इधर हम लोगों का खेल शुरू होने वाला था, उधर अमित उसके गालो को चूमते हुए उसके चूचियों के साथ भी खेल रहा था।
बोतल एक बार फिर घूमी और इस बार मेरे बॉस यानि कि अभय पर रूकी। वो थोड़ी देर तक चुप रहे, फिर दीपाली की तरफ देखते हुए बोले- मैं जो तुमसे करवाना चाहता हूँ शायद तुम्हें अच्छा नहीं लगे, पर आज जब मैं और तुम इनके साथ सेक्स का खेल खेल रहे हैं तो मैंने भी सोचा कि इसको उच्चतम सीमा तक ले जायें। इसलिये मैं चाहता हूँ कि यहां पर जितने मर्द हैं वो॰॰॰
कहकर रूक गये।
तभी नमिता बोल उठी- अरे वाह, अमित ने तो मुझे केवल तीन लंडों से चुदवाया और देखो अभय को… वो तुमको एक साथ पांच पांच लंड दे रहा है।
दीपाली बोली- मैं तो रात में ही सभी पांच मर्दों से चुद चुकी हूँ। अब यह फर्क नहीं पड़ता कि मेरी चूत में किसी एक का लंड जाये या फिर सभी पांच मुझे मिलकर चोद दें।
एक बार फिर सभी अभय सर की तरफ देखने लगे, वो बड़े झिझकते हुए बोले- मैं चाहता हूँ कि दीपाली हम पांचों मर्दों का मूत पीये। जल्दी से इतना बोलकर अभय सर चुप हो गये।
हमारे ग्रुप में दीपाली को छोड़ कर अभी ने इसका भी स्वाद लिया है। दीपाली अभय की तरफ टकटकी लगा कर देखती रही, जैसे कह रही हो कि अपना निर्णय बदल लो, मुझे ये अच्छा नहीं लगता।
लेकिन जब दो मिनट हो गये तो हम सभी ने दीपाली की तरफ देखने लगे। लेकिन जब अभय सर ने अपना निर्णय नहीं बदला तो दीपाली उकड़ू होकर बैठ गई और अपने हाथ पीछे करके जमीन से टिका दिए और मुंह खोलकर आगे की होने वाली घटना का इंतजार करने लगी।
शुरूआत अभय सर ने ही की, वो दीपाली के मुंह के पास जाकर अपने लंड की धार धीरे धीरे गिराने लगे। शुरू में दीपाली का मुंह तो बना, लेकिन फिर उसने अपने को एडजस्ट कर लिया और एक एक करके सभी मर्द उसके पास आते गये और उसके मुंह में मूतते गये और वो पीती गई।
जब सभी मर्द निपट गये तो एक बार हम फिर राउन्ड बना कर बैठ गये।
इस बार अभय सर बाहर थे।
एक बार फिर बोतल को घुमाया गया और इस बार बोतल अश्वनी की तरफ आकर रूकी। बोतल रूकते ही अश्वनी सुहाना की ओर देखने लगा और फिर सुहाना के पास आकर उसके हाथों को अपने हाथों में लिया और सुहाना को खड़ा करते हुए बोला- मैं चाहता हूँ कि सुहाना खुद ही कहे कि उसे इस समय क्या करना पसंद है।
पर सुहाना बोली- जब मेरी बारी आयेगी तो मैं बताऊँगी कि मुझे क्या पसंद है और तब तुम मेरी पसंद का करना। इस समय तुम अपनी पसंद बोलो?
तो अश्वनी बोला- मैं चाहता हूँ कि तुम डांस करो!
सब एक साथ बोले- क्या केवल डांस?
तो अश्वनी हंसने लगा और फिर बोला- यार पूरी बात तो सुनो। मैं चाहता हूँ कि सुहाना डांस करते हुए अपने एक-एक कपड़े उतारे और फिर मर्द उसकी गांड में अपना लंड डालकर उसकी गांड को चोदे और औरतें उसकी गांड चाटें।
सुहाना तैयार तो हो गई लेकिन समस्या बताते हुए बोली कि मुझे ऐसा डांस करना आता नहीं है।
टोनी उठा और कम्प्यूटर पर एक भोजपुरी द्विअर्थी गाना चला दिया। हम सभी ने उस गाने को देख कर और हिरोईन का डांस देखकर सुहाना से वैसा ही डांस करने के लिये बोला, बस फर्क इतना था कि सुहाना को इस गाने में डांस करने के साथ-साथ अपने कपड़े भी उतारने थे।
फिर गाना शुरू हुआ और सुहाना की कमर मटकने लगी। हम सभी एक सीध में थोड़ा सा दूरी बनाते हुए बैठ गये।
सुहाना की गांड हम लोगों के सामने थी, वो अपनी गांड और कमर को एक साथ बहुत ही सेक्सी अंदाज में मटका रही थी।
फिर अपनी छाती पर हाथ चलाते हुए उसने अपनी कमीज के दो बटनों को खोला और झुककर अपनी छाती दिखाते हुए फिर ढक ली, अपनी पीठ को हमारी तरफ करके अपने बेलबॉटम को कमर से केवल इतना नीचे किया कि उसके उठे हुए कूल्हे केवल दिखाई दिए। फिर वो हम लोगों की तरफ घूमी और कमीज को पूरी तरह से उतार कर उसे अश्वनी की तरफ उछाल दिया और अपने दोनों हाथों से अपने चूचे पकड़ कर एक दूसरे से जोड़ दिए, हम सबके पास आकर अपने निप्पल को बारी बारी हमारे होंठों से टच करने लगी।
हम सब में सबसे हरामी उस समय मेरा बॉस अभय ही निकला, जैसे ही सुहाना ने अपने निप्पल को अभय सर के मुंह के पास ले गई उसने बड़ी फुर्ती दिखाते हुए उसके निप्पल को काट लिया।
‘उईईई मां…’ करके सुहाना पीछे हट गई और फिर तेज कदमों से अभय सर की तरफ आई और उसके गालों पर एक तमाचा रसीद करते हुए उसके सिर को पकड़ कर अपनी चूत से जो इस समय उसके बेलबॉटम से ढकी हुई थी अभय सर के मुंह से रगड़ने लगी।
फिर डांस करते हुए सुहाना ने अपनी बेलबॉटम को उतार दिया।
सुहाना पूर्ण रूप से नंगी हो चुकी थी।
इधर सभी मर्दों ने भी अपने लंड को बाहर निकाल लिया था। गाना का एंड भी लगभग आ गया था और सुहाना भी अपनी गांड को खोलकर कर दिखाते हुए बारी-बारी से एक मर्द के पास आती और झटके के साथ उसके लंड पर बैठ जाती और दो तीन बार उछलने के बाद उसके पास से हट कर दूसरे मर्द के पास आ जाती और फिर झटके से उसके ऊपर बैठ जाती और इस तरह से वो एक मर्द के लंड की सवारी करने के बाद एक औरत की तरफ जाती और उसके होंठों से अपनी गांड को रगड़ती और वो औरत अपनी जीभ से उसकी गांड को चाटती।
इस तरह से वो एक मर्द और एक औरत दोनों को डांस करते-करते अपनी गांड का मजा दे रही थी।
गाना समाप्त होने के बाद अश्वनी ने सुहाना को अपनी बांहों में भर लिया और उसके बाद एक एक करके सभी उसके डांस की प्रशंसा करके अपनी बाहों में भरने लगे।
अब अश्वनी की भी पारी खत्म हो चुकी थी, अब दस में से चार बाहर हो चुके थे।
दोपहर के दो भी बजने लगे थे तो सभी ने इस प्रोग्राम को रोक दिया और खाना खाने के लिये एकत्र हो गये।
कहानी जारी रहेगी।
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