लागी लंड की लगन, मैं चुदी सभी के संग-33
(Lagi Lund Ki Lagan Mai Chudi Sabhi Ke Sang- Part 33)
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अब बारी थी अमित और मीना की!
मीना भी बड़ी ही आकर्षित करने वाली लड़की थी, उसकी गदराई जवानी के तूफान में जो एक बार फंस गया तो बचाने वाला फिर तो मालिक ही है और हुआ भी यही!
हालांकि अमित की भी पर्सनैलिटी किसी से कमजोर नहीं थी, पर अनुभव वो तो मीना के पास ज्यादा था। अमित ने मीना को गोदी में उठाया और बेड पर पटक दिया और उसके ऊपर झुककर उसके होंठ चूसने लगा।
पर थोड़ी देर में नजारा ही बदल गया, मीना ने अमित को एक झटके से अपने ऊपर खींचा, अमित अपने को संभाल नहीं पाया और मीना के ऊपर उसका पूरा वजन गिर गया।
मीना ने फिर एक झटका दिया और अमित मीना के बगल में और दूसरे ही पल मीना अमित के ऊपर चढ़ बैठी फिर अमित को एक लड़की की तरह लेटाते हुए उसके होंठ को चूमने लगी।
होंठ चूमने के बाद वो अमित से बोली- देखो आज शुक्रवार की रात का ऑफर है और ऑफर तुम्हारे सामने है, लूट लो।
अमित बोला- मोहतरमा, आप आज मुझे लूटो और अपनी जवानी का जलवा ऐसा दिखाओ कि मैं भूल ना पाऊँ।
‘तो ठीक है अमित मेरी जान, आओ और मेरी जवानी के सागर में गोते लगाओ… और गोते लगाने के बाद मेरे साथ कुश्ती लड़ो।’ कहने के बाद मीना अमित की जांघ पर बैठ गई और अपने दोनों पैरो को उसके मुंह के पास ले गई और उसके लंड को सहलाते हुए बोली- लो मेरे अंग के रस को पीने की शुरूआत मेरे पैरों से करो, तुम मेरे गुलाम हो, जो मैं कहूँगी वो तुम करोगे।
‘हाँ मेरी रानी, मैं तुम्हारा और तुम्हारे हुस्न का गुलाम हूँ।’ कहते हुए अमित उसके पैरों के अंगूठे को कभी अपने मुंह में भरता तो कभी उसके तलवे चाटता।
अमित उसके पैरों के साथ खेल रहा था जबकि मीना उसके लंड को सहला रही थी और अपने अंगूठे का प्रयोग अमित के सुपारे को चेक करने के लिये कर रही थी।
क्योंकि अमित और मीना का नम्बर तो सबसे अंत में था और तीन जोड़ियों की भयानक चुदाई देखकर बर्दाश्त करना मुश्किल ही था।
मेरी नजर सिर्फ मीना के अंगूठे पर थी और जो मैं सोच रही थी वही अब होने जा रहा था।
मीना तुरन्त ही घूमी और अपनी चूत का मुहाना अमित के मुंह के पास ले गई और उसके लंड को अपने मुंह के अन्दर कर लिया। मीना का मुंह लगाना था कि अमित शायद बर्दाश्त नहीं कर पाया क्योंकि जैसे ही मीना ने उसके लंड को अपने मुंह में लिया, वैसे ही अमित का शरीर कुनमुनाने लगा और अमित का जिस्म इस तरह अकड़ रहा था जैसे लग रहा हो कि वो मीना के मुंह में ही झर रहा है।
मीना इस बात को जानती थी तो वो पहले से ही तैयार थी इसलिये मीना अमित के रस के एक एक बूंद को चूस चुकी थी।
इधर मीना का जिस्म कुछ इसी तरह की बात की ओर इशारा कर रहा था, दोनों एक दूसरे के मुंह में अपना रस छोड़ चुके थे।
उसके बाद मीना के कहने पर अमित आधा बिस्तर के बाहर आ गया और मीना उसकी टांगों के बीच आ कर उसके सीने के बालों से खेलने लगी।
वो अमित के सीने के बालों के बीच में अपनी उंगलियाँ फंसाती और फिर उनको उमेठती और अमित के निप्पल को बारी-बारी से चूसती।
अमित ने अपने दोनों हाथों को अपने सिर के नीचे कर लिया था, मानो उसने मीना को खुली इजाजत दे रखी थी कि मीना जो कुछ भी उसके साथ करना चाहे वो करे।
हाँ बीच-बीच में अमित जरूर मीना के निप्पल को अंगूठे के बीच दबा देता था।
नजारा बिल्कुल अलग था, अमित के मुंह से आह-ओह की आवाज आ रही थी, अमित का लंड मुरझा चुका था और मीना बड़े ही लगन के साथ उसके मुरझाये लंड को खड़ा कर रही थी।
वो बीच-बीच में लंड को छोड़कर अमित के होंठ को चूमती, बदले में अमित उसकी पीठ या गांड सहला देता। फिर मीना अमित के दोनों निप्पल को चूसती उसके बाद फिर नीचे बढ़ती और उसकी नाभि के अन्दर अपनी जीभ चलाती और फिर उसी जीभ को उस मुरझाये हुए लंड पर फिराती।
बहुत ही धीमे और कलात्मक तरीके से वो अमित के जिस्म के एक एक हिस्से को चूम रही थी।
फिर वो और नीचे आई अमित के दोनों पैरों को पलंग से टिकाया और फिर उसके टट्टे को चाटने के साथ साथ उसकी गांड को भी चाटने लगी।
थोड़ी देर यही प्रक्रिया चली, उसके बाद मीना एक बार फिर 69 की पोजिशन में आ गई और अपनी चूत को अमित के मुंह के पास ले गई।
जिस प्यार से अभी तक मीना अमित के लंड से खेल रही थी, उसी प्यार के साथ अमित मीना की चूत और गांड के साथ खेल रहे थे। दोनों में कोई जल्दी बाजी नहीं थी, दोनों ही मस्त होकर अपने खेल में व्यस्त थे।
अमित मीना चूत चाटने में मस्त था और मीना उसके लंड को वापस खड़ा करने की जतन कर रही थी।
अन्त में वो मुरझाया हुए लंड को मीना के प्यार के सामने हार माननी पड़ी और एक बार फिर वो किला फतेह करने के लिये तन कर खड़ा हो गया।
इधर जहां तक मैं समझ रही थी कि मीना की गुफा में हलचल हो रही थी कि लंड आकर वहां हलचल मचाये, इसीलिये मीना तुरन्त ही उठी और अमित के लंड के ऊपर अपनी चूत को सेट किया और नीचे की ओर सरकने लगी।
उत्तेजना में ही दोनों की आँखें बन्द थी।
एक ही प्रयास में मीना की चूत के अन्दर अमित का लंड था।
लंड को अपनी चूत के अन्दर लेने के बाद मीना ने अपने हाथ का पूरा वजन अमित के सीने पर दिया और आगे-पीछे होने लगी।
अमित के हाथ मीना की चूचियों से खेल रहे थे, उसकी दोनों हथेलियाँ जोर जोर से मीना की चूचियों को मसल रही थी।
दोनों के मुख से म्यूजिकल आवाजें आना शुरू ही हुई थी कि दरवाजे की घण्टी बजी।
सभी के कान दरवाजे की तरफ लग गये। मीना का शरीर हिलना-डुलना बंद हो गया, अमित के हाथ जो इस समय मीना की चूचियों को दबा रहे थे, वो स्वतः रूक गये।
एक बार फिर घंटी बजी… फिर एक बार… इस तरह कई बार घंटी बज चुकी थी।
अन्त में मैं उठी और दरवाजे के पास जा कर पूछा- कौन है?
कहानी जारी रहेगी।
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