गर्लफ्रेंड की अदला बदली करके चुदाई की तमन्ना-2
(Girlfriend Ki Adla Badli Karke Chudai Ki Tamanna- Part 2)
गर्लफ्रेंड की अदला बदली करके चुदाई की तमन्ना-1
मेरी हिन्दी सेक्सी स्टोरी के पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि मेघा का मन मेरे सामने किसी और लंड से चुदने का था तो हम लोग एक डिस्को में गए थे. उधर मनोज और सविता नाम के कपल से हम दोनों ने अदला-बदली की थी. मेघा मनोज के साथ चली गई थी और मैं सविता को रास्ते में चोद रहा था. तभी मनोज का फोन सविता के फोन पर आया.
अब आगे..
‘डार्लिंग वो दूसरे रास्ते पर ट्रैफिक था तो लम्बे रूट से आ रहे हैं.. और सड़क थोड़ी आआअ ख़राब है आआह..’
‘क्या हुआ?’
‘कुछ नहीं खड्डा था.. आआह.. इस्स्स्स..’
‘ओके..’
फ़ोन काट के मैंने उसे तेज-तेज चोदना चालू रखा.
थोड़ी देर में मेघा का कॉल आया, मैं काटने के बहाने उसका कॉल ऑन करके उसको हमारी चुदाई सुनवाने लगा.
‘आआआअह.. समीर तुम मुझे बहुत मस्त चोद रहे हो.. आआहह..’
‘इस्स्स्स.. तेज तेज चोदो.. मेरी चूत फाड़ दो जानू..’
मैंने उसके निप्पल मसलने शुरू कर दिए और एक निप्पल दांतों से काट रहा था.
थोड़ी देर बाद सविता बोली- जानू, मेरा दुबारा होने वाला है.
मैंने कहा- मेरा भी.. ये पानी कहाँ निकालूं?
‘मेरी सूखी चूत में… इतने दिन बाद इसका सावन आया है, अपना रस मेरी चूत में ही निकालना.
थोड़ी देर बाद हम दोनों साथ में झड़ गए.
मैंने कपड़े पहने और सविता को बस ब्रा पेंटी पहनने दी- जानू आज ऐसे ही चलो.. ताकि रास्ते में तुम्हारे दूध पी सकूँ.
‘समीर कोई देख लेगा.’
‘अब कौन देखेगा.. सुनसान शहर में..!’
‘ठीक है..’
हमने कपड़े लिए और गाड़ी में चल दिए. पूरे रास्ते में सविता की चूत सहलाता रहा.. उसके निप्पलों और मम्मों को चूसता रहा.
घर के नीचे की पार्किंग में पहुँच कर सविता ने साड़ी पहनी और हम घर के अन्दर आ गए.
अन्दर जाते ही..
‘डार्लिंग वेयर आर यू.. हम लोग पहुँच गए हैं..!’
‘ओह काफी टाइम लग गया.’
‘हाँ समीर को उलटी होने लगी थी इस कारण देर हो गई.’
‘अब समीर कैसा है?’
‘मैं ठीक हूँ.. बस सर थोड़ा भारी है, सोना चाहता हूँ.’
‘हाँ जानू.. मैं भी सोने जाऊँगी.. बहुत थक गई हूँ.’
‘ओके डार्लिंग आप लोग सो जाइए.. पर मुझे और मेघा को नींद नहीं आ रही तो हम थोड़ा देर से सोएंगे.’
‘ओके मेघा डार्लिंग, बाय तुम आराम से आ जाना.
मैं और सविता अलग-अलग कमरों में चले गए और मनोज और मेघा एक साथ चले गए.
मैंने थोड़ी देर बाद सविता को फ़ोन किया- हैलो जानू सो गई क्या?
‘अभी नहीं.. आपके लंड के सपने देख रही हूँ.’
‘तो फिर इंतजार किसका है.. आ जाओ न.. या मैं आऊं?’
‘अभी मनोज सोए नहीं हैं.. सोने के बाद आ जाऊँगी.’
‘अरे मेघा को बहुत लेट सोने की आदत है.. अभी काफी टाइम है.. तुम आ जाओ.’
‘ठीक है आती हूँ.’
कमरे में सविता आई तो क्या कयामत लग रही थी. उसने ट्रांसपेरेंट नाइटी पहनी थी. नीचे काले रंग की ब्रा पेंटी थी, नाईटी में से उसका दूध जैसा बदन चमक रहा था.
वो मेरे पास आकर लेट गई- ओह समीर तुमने मेरी प्यास को और बढ़ा दिया है.
‘जानू तुमको देख कर तो मेरी भी प्यास बढ़ गई है.’
‘उम्म्म्म क्या मस्त होंठ हैं यार..’
‘तुम्हारे लिए ही हैं.’
‘उम्म्म मम्म उम्म्म्म..’
मैंने सविता के मम्मों को मसलना शुरू किया साथ ही मैं उसकी नाईटी के ऊपर से ही उसकी जांघें सहला रहा था- जानू, मुझे बच्चे की तरह दूध पिलाओ न!’
‘अच्छा तुम क्या मेरे बच्चे हो?’
‘तो क्या हुआ ऐसे ही समझ कर दूध पिला दो ना..!’
‘ठीक है पर बच्चे तो नंगे होते हैं, जब वो दूध पीते हैं.’
‘तो आकर नंगा कर दो न..’
मुझे नंगा करके सविता बोली- तुम्हारा तो लंड पेंट में परेशान हो रहा था.. देखो इसको नंगा करते ही कितना सुकून मिला है.
‘तो अब दूध पिलाओ न.. नाइटी उतार के नंगी हो जाओ.’
‘लो बाबा उतार दी नाइटी.. खुश! लो ब्रा भी उतार दी..’
‘पेंटी नहीं उतारोगी क्या?
‘पेंटी तो तब उतारूंगी, जब तुमको शरबत पीना होगा.’
‘मेरी गोद में लेट जाओ.’
‘लो.. लेट गया अब निप्पल मुँह में दो.’
मैं कभी एक निप्पल चूस रहा था, कभी दूसरा.. और अपना हाथ उसकी सारी बॉडी पर घुमा रहा था.
‘आयाह.. आआआआह.. समीर इतने प्यार से कभी किसी ने मेरा दूध नहीं पिया.. आह.. सारा दूध पी लो.’
चूचे चूसते-चूसते मैं उसके निप्पल काट भी लेता था और दूसरे हाथ से मसल भी देता था.
‘तुम्हारी जांघें बहुत मस्त हैं जान.. इनको तो मैं खा जाऊंगा.’
‘हाँ समीर, ये चिकन का लेग पीस है.. सिर्फ इसे नहीं सब खा जाना.. आआआह धीरे-धीरे दूध पियो.. काटो मत न..’
‘उम्म्म्म क्या करूँ.. ये हैं ही इतने मस्त कि इनको खाने में ही मजा आ रहा है.’
‘बस दूध ही पीते रहोगे क्या.. मेरी चूत प्यासी है कुछ करो ना..’
मैंने उसे नीचे लिटाया और उसके होंठ चूसने लगा और जाँघों और चूत को पेंटी के ऊपर से सहलाने लगा.
‘आआह.. उम्म्म्म… मेरी चूत गीली हो गई है जान..’
मैंने उसकी गर्दन पर किस करना शुरू किया और धीरे-धीरे नीचे आकर उसकी नाभि को चूसने लगा.. जीभ अन्दर डाल कर नाभि को खूब अच्छे से चूसा- तुम्हारी चूत से मस्त खुशबू आ रही है जान.
मैं चूत के आस-पास किस कर रहा था. पेंटी के ऊपर से और जाँघों पर दांतों से काट रहा था.
‘ये पेंटी उतार क्यों नहीं रहे समीर.. आज मुझे नंगी करके जी भर के चोद दो.’
‘हाँ जान, पहले ये मस्ती भी तो जरूरी है.’
‘मुझसे रहा नहीं जा रहा है प्लीज़ कुछ करो न.’
मैंने सविता की पेंटी निकाल दी और चूत पर किस किया.
‘आआहह.. इस्स्स्स..’
मैंने जीभ उसकी चूत में डाल कर जीभ से सविता की चूत को चोदने लगा.
‘आआह.. स्मीईईईईएर आआहह..अह.. मैं नहीं रुक सकती.. मेरा पानी आने वाला है.’
उसने अपनी चुत का पानी छोड़ दिया. मैं उठा और फिर से उसे किस करने लगा और मम्मों और निप्पलों को चूसने लगा.
उसने मुझे लिटाया और मेरा लंड मुँह मैंने लेकर चूसने लगी. मैं उसके निप्पलों और चूत को सहला रहा था. वो मेरे लंड की गोटियों को भी चूसती जा रही थी, कभी पूरा मुँह में लेती.. कभी आगे से टोपा चूसती.. वो बहुत प्यासी लग रही थी.
फिर मैंने उसे खड़ा किया और उसका एक पैर बेड पर रेखा और उसकी चूत में लंड लगाने लगा. सविता ने खुद ही लंड चूत पर सैट किया और मैंने धक्का देकर उसकी चूत में लंड पेल दिया. अब मैं उसे चोदने लगा. मैं उसके निप्पलों को भी मसल रहा था और होंठ भी चूस रहा था. थोड़ी देर बाद मैंने उसे बिस्तर पर लेटा दिया और उसके ऊपर आकर उसे चोदने लगा.
‘सविता तुमने पीछे कभी नहीं लिया क्या?’
‘नहीं समीर.. और प्लीज़ पीछे कुछ मत करना.’
‘ठीक है.. पर एक उंगली तो डाल सकता हूँ..?’
‘नहीं समीर दर्द होगा.’
‘अगर दर्द हो तो बता देना.. मैं निकाल लूँगा.’
‘ठीक है.’
मैंने उसकी चूत के रस से उंगली गीली की और उसके पीछे धीरे-धीरे डालने लगा.
उसे थोड़ा दर्द हुआ पर उंगली अन्दर चली गई. अब मैं उसे आगे लंड से पर पीछे उंगली से चोद रहा था. सविता इस दोहरे मजे से पागल हो रही थी. उसने अपनी गांड को काफी ढीला कर दिया था.
मैं उसे उल्टा लिटा कर उसकी गांड मैं धीरे-धीरे लंड डालने लगा.
उसे बहुत दर्द हो रहा था- आआहह.. उई.. निकालो दर्द हो रहा है..’
‘अभी होगा.. फिर मजा आएगा..’
मैंने एक झटका मारा तो लंड अन्दर चला गया.
‘आआह.. ओह.. मर गई रे.. आआआ.. निकालो..’
मैं थोड़ी देर रुक कर पीछे मुँह करके उसके होंठ चूसने लगा.. और थोड़ी देर बाद धीरे-धीरे गांड को चोदना शुरू किया.
अब सविता भी गांड उठा कर साथ दे रही थी- आआआह.. समीर अब मजा आ रहा है..
मैंने दो उंगलियां उसकी चूत में डालकर चूत को उंगली से भी चोदना चालू रखा.
थोड़ी देर बाद सविता का शरीर अकड़ने लगा और उसका पानी फिर से निकल गया. पर मैंने अब उसकी चूत में पीछे से लंड डाल कर चोदना चालू रखा. थोड़ी देर बाद सविता फिर से झड़ने लगी और मैं भी झड़ने को हो गया.
सविता ने कहा- अबकी बार ये पानी मेरे मुँह में छोड़ना.. मुझे ये अमृत पीना है.
मैंने उसके मुँह में लंड डाल दिया.. लंड से पिचकारियाँ छूटीं तो वो लंड का पूरा पानी पी गई.
हम ऐसे ही नंगे ही एक-दूसरे की बांहों में पड़े रहे.
‘ओह समीर तुमने आज तक का सबसे बढ़िया सेक्स किया है.. मुझे पहले किसी ने ऐसे नहीं चोदा.’
‘अच्छा तो आज तक कितनों से चुद चुकी हो?’
‘कॉलोनी के ही 5 पड़ोसी हैं, दोपहर को जब मेरा मन होता है.. तो आ जाते हैं.’
‘अच्छा अगर दुबारा मेरा मन किया तो क्या मैं दुबारा आ सकता हूँ?’
‘मैं खुद ही बुला लूँगी और जब तुम्हारा मन हो मुझे कॉल कर देना. मैं हमारे मिलने का इंतजाम कर लूँगी.’
थोड़ी देर बाद वो अपने कमरे में नंगी ही चली गई और सो गई.
मैंने जाकर देखा कि मेघा क्या कर रही है तो उसके अन्दर का माहौल भी गर्म था. वो भी चुद रही थी, उसने अपना फोन टेबल पर गुलदान से टिका कर रखा हुआ था. मैं समझ गया कि ये चुदाई की वीडियो बना रही है.
मैं वापिस आकर सो गया कि कल घर जाकर इसके मोबाइल पर चुदाई की रिकॉर्डिंग देख लूँगा.
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