होली के नशे में
विजय अग्रवाल, दिल्ली
हम पांच दोस्त हैं, सभी शादीशुदा। मैं विजय और मेरी पत्नी मानसी, गपिल और अंशु, विकास और आरुशी, सजल और मनु, अजय और नीतू।
हम सभी के परिवार आपस में दोस्ताना हैं और अक्सर साथ साथ बैठ कर दारू पीते हैं, हमारी बीवियाँ भी दारू पीती हैं।
हम लोग साल में एक बार होली पर मिल कर होली खेलते हैं और रंग लगाने के बहाने से एक दूसरे की बीवियों के अंगों को मसलते हैं।
इसमें एक नियम है कि कोई भी उस दिन अपनी बीवी को बचाने नहीं आएगा। सब लोग मस्त होकर होली खेलते हैं और हमारी बीवियाँ भी इस खेल के खूब मज़े लेती हैं।
होली के बहाने सब लोग एक दूसरे से सेक्स के सीमित मजे ले लेते हैं।
इस बार भी हम लोगों ने होली खेलने का कार्यक्रम बनाया था। होली सजल-मनु के घर पर उनके बगीचे में होती है क्योंकि उनका बगीचा चारों तरफ से दीवारों से बंद है कोई बाहर का आदमी झांक नहीं सकता।
सब लोगों के लए इस बार ड्रेस कोड था, महिलाओं के लिए सफ़ेद साड़ी-ब्लाऊज़ और मर्दों के लिए सफ़ेद कुरता पायजामा।
पर जब सब लोग इकट्ठे हुए तो देखा कि सभी महिलाएँ सलवार-सूट पहन कर आई हैं। सब लोगों के लिए पहले ज़ाम हाज़िर हुए।
जब दो दो पेग सभी ने पी लिए और दारू का नशा सर पर चढ़ने लगा तो गपिल झूमता हुआ खड़ा हुआ और बोला- इस बार सभी महिलाओं के लिए जो ड्रेस कोड तय हुआ था, उसमें क्यों नहीं आई वे?
“अरे गपिल, होली में साड़ी में आते तो कितना अंग-प्रदर्शन होता, इसलिए हम सलवार सूट में आये हैं।” मेरी पत्नी मानसी ने कहा।
‘चलो ठीक है, पर इसकी सजा मिलेगी।” और यह कहते हुए उसने मानसी के चेहरे पर रंग लगा दिया।
मानसी भी कौन सी कम थी, उसने भी गपिल के मुंह पर रंग लगा दिया।
गपिल ने मानसी को पीछे से पकड़ कर उसके कुरते में हाथ डाल कर उसकी चूचियों पर रंग लगा दिया और उसका कुरता जोर से पकड़ कर खींचा, उसी समय मानसी गपिल की पकड़ छुड़ा कर भागी और इस खींचा-तानी में मानसी का पूरा कुरता चर्र से फट गया और पूरा का पूरा गपिल के हाथ में आ गया।
अब मानसी केवल ब्रा में खड़ी थी।
“यह हुई न बात गपिल ! ड्रेस कोड में न आने की सजा है कि इनके कपड़े उतार दो !” विकास बोला।
नियम के मुताबिक मैं आज अपनी पत्नी को बचा नहीं सकता था। पर यह पहली बार हुआ था कि कोई महिला होली पर नंगी हो गई हो।
गपिल ने दोड़ कर मानसी की सलवार में हाथ डाल कर उसके चूतड़ों में रंग लगाया और मानसी उससे बचने का प्रयास कर रही थी पर गपिल ने उसे कस कर पकड़ा हुआ था और मानसी भी चिल्ला रही थी- तुमने मुझे नंगा कर दिया, मैं तुम्हें नहीं छोडूंगी।
दोनों एक दूसरे से गुत्थम-गुत्था थे और इस गुत्थम-गुत्थी में गपिल ने मानसी की सलवार भी फाड़ दी और उधर मानसी ने गपिल का कुर्ता फाड़ दिया, उसके बाद पायजामा।
गपिल अण्डरवीयर पहन कर नहीं आया था तो वो एकदम नंगा हो गया। उसका लण्ड सबके सामने था- खड़ा, तना हुआ !
मानसी के शरीर से चिपकने के कारण और तन गया था।
वो मानसी के शरीर के पीछे छुपने की कोशिश कर रहा था और उसने मानसी की ब्रा की स्ट्रिप पकड़ी हुई थी कि अचानक उसने झटके से स्ट्रिप नीचे करके हुक खोल दिया और मानसी की ब्रा उतार कर फ़ेंक दी।
मानसी की पैन्टी भी उसने खींच कर अलग कर दी। अब वो दोनों एकदम नंगे खड़े थे।
मेरी बीवी एक गैर-मर्द के साथ सब लोगों के सामने नंगी खड़ी थी और मैं उसे बचा भी नहीं सकता था।
ठीक है, मैं उसे नहीं बच सकता था पर बदले में किसी दूसरे की बीवी को नंगा तो कर सकता था।
मुझे याद आया कि गपिल को विकास ने चढ़ाया था इसलिए मैंने उसकी बीवी आरुशी की सलवार में हाथ डाल कर उसका नाड़ा एक झटके में तोड़ दिया और उसकी सलवार नीचे गिर गई।
“प्लीज विजय, मुझे नंगी मत करो !” आरुशी इस अचानक के हमले से चीखी।
पर मैं कहाँ मानने वाला था, अगर मेरी बीवी नंगी हुई है तो सबकी बीवियों को नंगा होना पड़ेगा।
“नियम तो नियम है।” अजय ने मेरी बात का समर्थन किया।
मैंने आरुशी को पकड़ कर उसके वक्ष और निप्प्ल दबाते हुए उसका कुरता बीच से पकड़ कर फाड़ दिया।
उसकी ब्रा मेरे हाथ में थी, उसे दोनों चूचियों के बीच में से झटके से तोड़ कर उसकी चूचियों को आजाद करके एकदम नंगा कर दिया।
आरुशी मुझ से चिपक गई और बोली- तुमने मुझे नंगा क्यों किया? साले, अब देख मैं तेरा क्या हाल करती हूँ। मानसी आज मैं तेरी पति को चोद दूँगी।
उस पर शराब का नशा हावी था और उसका हाथ मेरे लण्ड पर था, मुझे मालूम था अब वो मुझे नंगा करेगी पर मैं उसके गोरे गोरे जिस्म का मजा लेना चाह रहा था। मैंने उसके स्तन पकड़े हुए थे।
उसने मेरे पायजामे का नाड़ा खोल कर मेरा लण्ड सबके सामने उजागर कर दिया और ख़ुशी से बोली- देखो, विजय का लण्ड देखो, मुझसे चिपक कर कितना खड़ा हो गया है।
हम दोनों को देख कर विकास अजय की बीवी नीतू की तरफ बढ़ा और पीछे से हाथ डाल कर अन्दर से उसके दूध दबा दिए।
नीतू गोरे रंग की सुडौल शरीर वाली लड़की है और हम सभी उसे चोदने की फिराक में रहते हैं।
उसने हाथ जोड़ कर कहा- मुझे छोड़ दो !
पर विकास ने तब तक उसका कुरता खींच दिया था, काले रंग की ब्रा उसकी सहेली अंशु ने आकर उतार दी।
“नीतू, तू खेल का मजा ख़राब मत कर, अब हम सभी को नंगा होना पड़ेगा, चल उतार दी सलवार अपनी !” अंशु बोली।
अंशु खुद ही अपने सभी कपड़े उतार कर नंगी होकर सभी के सामने आ गई। उसके दूध सभी में सबसे बड़े थे।
विकास ने नीतू की सलवार में हाथ डाल कर उसकी चूत में उंगली दी तो नीतू चिहुंक पड़ी। उसे मजा आने लगा। शराब का नशा अपना काम कर रहा था।
मजे मजे में विकास ने नीतू भाभी की सलवार खींच दी और पैंटी उसकी रजामंदी से उतार दी।
एकदम गोरे रंग और मांसल शरीर की मालकिन अपनी गोरी गोरी जांघों और मांसल दूधों के साथ नीतू हमारे सामने नंगी खड़ी थी।
उसको देख कर हम सभी के लण्ड तन गए। यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉंम पर पढ़ रहे हैं।
अब सजल की बीवी मनु बची थी।
वो अजय से बोली- ठीक है, मुझे नंगा कर दो पर मेरे को इस तरह नंगा करो कि मेरा कुरता चिंदी चिंदी करके फाड़ दो।
अजय ने उसकी बात मानते हुए पहले उसके कुरते की बांह फाड़ी, फिर एक तरफ़ से छाती के ऊपर का कुरता फाड़ा, फिर पीठ का और फिर ब्रा समेत सारे कपड़े उतार दिए। मनु ने भी उसको सहयोग दिया और नंगी हो गई।
वो भी बेहद गोरी थी और उसके चूचे भी बड़े बड़े थे।
अब हम सभी लोग नंगे थे और एक दूसरे से चिपक चिपक कर रंग लगा रहे थे।
मानसी को विकास और गपिल ने पकड़ा हुआ था, गपिल उसकी चूत में उंगल दे रहा था तो विकास उसके दूध चूस रहा था।
आरुशी मेरा लण्ड चूस रही ही और मैं नीतू के दूध सहला रहा था।
अंशु के दूध अजय के हाथ में थे।
मनु विकास का लण्ड चूस रही थी।
फिर तय हुआ कि अब एक एक पेग शराब का और हो जाए।
महिलाओं ने कहा की वे चाहती हैं कि सभी मर्द अपना लण्ड शराब के गिलास में डुबो डुबो कर रखें और हम लण्ड चूस चूस कर शराब पियेंगी।
उनकी यह इच्छा पूरी की गई।
मेरा लण्ड शराब में डुबो डुबो कर चूसा आरुशी ने और नीतू ने, गपिल का लण्ड चूसा मानसी ने, सजल का लण्ड चूसा अंशु ने, विकास का लण्ड चूसा मनु ने और अजय का लण्ड चूसा मानसी ने।
मर्दों की ख्वाहिश थी लड़कियों के चुचूकों से शराब पी जाए।
उनकी यह ख्वाहिश भी पूरी हुई।
मुझे मिला नीतू के दूध की शराब। निप्प्ल चूस चूस कर शराब पीने का मजा ही कुछ और था। नीचे से लण्ड चूत में टकरा रहा था।
विकास ने मनु के दूध पिए, गपिल ने आरुशी को चूसा, अजय ने मानसी को चूसा और सजल ने अंशु के दूध से टपकी हुई शराब पी।
इसके बाद तीन पैग हो चुके थे और सभी सेक्स की लिए मस्त हो रहे थे।
मैंने आरुशी को लिटा कर उसकी टांगें खोल दी और बोला- विकास, साले देख ले तेरी बीवी को चोदने जा रहा हूँ।
“चोद ले भाई, चोद ले, मैं भी तेरी बीवी मानसी को अपने लण्ड का मजा दे रहा हूँ।”
मानसी की चूत में विकास का लण्ड घुसा हुआ था और वो खूब मजे से चुदवा रही थी,”विजय इसका लण्ड तो बड़ा कड़क है, मजा आ गया ! प्लीज़, महीने में एक बार इससे चुदवा दिया करो मुझे !” मानसी बड़बड़ा रही थी।
“तुम उधर मत देखो, मेरी चूत में डालो।” आरुशी लण्ड अपनी चूत में घुसवाते हुए बोली।
आरुशी की चूत बहुत कसी हुई थी।
“विकास, तेरी बीवी की चूत बहुत कसी हुई है यार ! कुछ दिन इसे मेरे पास छोड़ दे चोदने के लिए।”
गपिल नीतू को चोद रहा था और सजल अंशु को, अजय मनु को चोद रहा था।
चारों तरफ से सीत्कारें सुनाई दे रही थी।
“साले गपिल, तुझे एकदम गोरी चूत मिली है।” मैंने कहा।
“जल क्यों रहा है बे? तुझे भी तो सबसे हसीन और कसी हुई चूत मिली है।” गपिल बोला।
“और विकास को मानसी की परफेक्ट चूत और बूब्स।” नीता हंस कर बोली।
“मेरी बीवी अंशु तो देखो कैसे चूतड़ ऊपर करके सजल से चुदा रही है।” गपिल बोला।
अजय और मनु भी खूब हंस हंस कर चुदाई कर रहे थे।
चारों तरफ से लड़कियों की आवाज़ आ रही थी।
चोदो ! और चोदो ! अन्दर तक डाल दो। दूध कस कर पकड़ो।
मादरचोदो, इस मौके को फिसलने न दो, मन भर कर चोद लो।
देर शाम तक हम लोग चुदाई के कार्यक्रम में ही लगे रहे।
सभी को दूसरे की बीवी को चोदने में बड़ा मजा आया, बीवियों को भी नया लण्ड लेकर बहुत संतुष्टि हुई।
अंत में यह तय हुआ कि अब महीने में एक बार बीवी बदलने का कार्यक्रम रखा जायेगा। इस सेक्स में अगर इतना मजा आता है तो इसे बार बार करने में क्या हर्ज़ है।
बस उस दिन के बाद से हम लोग हर महीने बीवी बदल लेते है। कभी कभी तो एक दूसरे की बीवी को बाहर घुमाने ले जाते हैं।
अबकी बार यह सुझाव आया है कि एक एक महीने को बीवी बदल कर रख ले इस तरह से हमारी बीवी पांच महीने के बाद हमारे पास वापस आएगी। तब वो नया माल लगेगी और उससे सेक्स करने में भी नयापन लगेगा।
देखो इस सुझाव को सभी मानते है या नहीं।
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