मेरी सनसनी भरी कामुक बस यात्रा- 3
(Dirty Xxx Gand Sex Kahani)
डर्टी Xxx गांड सेक्स कहानी में मैंने बस में अपने को केबिन से बाहर निकाल कर नए दोस्त को सेक्स के लिए बुला लिया. मुझे आशा थी कि वह मुझे चोद कर मुझे परमानन्द की अवस्था में पहुंचाएगा.
कहानी के दूसरे भाग
पति हो तो मेरे पति जैसा
में अब तक आपने पढ़ा कि दीपाली जब आदित्य के पास जयपुर से जोधपुर बस द्वारा जा रही होती है तो रास्ते में बैंक मैनेजर आकाश उसे नींदों में ही चोद डालता है। उसके बाद दीपाली, जोधपुर में आदित्य के पास पहुंचकर उसे सब कुछ बताती है। आदित्य उसकी बातों को सुनकर और अधिक जोश में भर जाता है। लौटते में आकाश अपनी पत्नी शिल्पी के साथ आया हुआ होता है, आदित्य की इच्छा होती है कि वह भी आकाश की पत्नी शिल्पी के साथ चुदाई का आनन्द ले।
स्लीपर बस में मैं अपने पति आदित्य से चुद गयी और परम यौन आनन्द को प्राप्त किया.
आदित्य अपना वीर्य का स्टॉक खाली करके मस्ती में डूबा हुआ था।
कुछ ही देर में हम दोनों मीठी नींद की आगोश में खो गए।
अब आगे डर्टी Xxx गांड सेक्स कहानी:
यहाँ कहानी सुनें.
करीब डेढ़ दो घंटे की यात्रा के बाद हमारी नींद तब खुली जब बस कंडक्टर ने आवाज लगाई कि बस यहां चाय पानी के लिए 15 मिनट रुकेगी।
मैंने आदित्य को कहा- जाओ चाय पी लो!
पर आदित्य मेरी चुदाई करके तृप्त, अलसाया हुआ पड़ा था।
उसने कहा- मुझे नहीं पीनी!
मैंने कहा- पीनी पड़ेगी … क्योंकि अब मुझे आकाश से चुदवाना है. तुम बाहर जाओ और उसको भेजो।
आदित्य ने कहा- यार, घंटे भर पहले तो तुझे इतना कस के चोदा है, तेरी चूत फिर गर्म हो गई?
तो मैंने कहा- अजमेर आने के पहले मेरे को एक बार और आकाश से चुदने का मौका मिल रहा है, मैं इस मौके को हाथ से नहीं जाने दूंगी।
फिर आदित्य ने पूछा- अच्छा, लेकिन मैं सोऊंगा कहां?
तो मैंने कहा- तुम्हारे लिए सीट बुक करी हुई है, तुमको मेरी चुदाई होने तक वहां बैठना पड़ेगा।
यह सुनकर आदित्य बेमन से केबिन से बाहर निकल गया।
इसके आगे की कहानी आदित्य के शब्दों में :
जब से मेरी दीपू वैभव से चुदी है, उसकी कामवासना और नए लंड की लालसा अपने शिखर पर है।
ऐसे में मैं उसको आकाश से चुदवाने से कैसे रोक सकता था.
मैं अपनी नए लंड की शौकीन कामुक बीवी की इच्छा पूरी करने के लिए मायूस होकर चाय पीने नीचे उतर गया।
वहां आकाश मिल गया।
आकाश ने मुझे देखा तो बोला- आओ आदित्य, चाय पी लो।
मैं बोला- हां यार, पीनी ही पड़ेगी, दीपा ने जबरदस्ती जो भेजा है।
आकाश मुस्कुराने लगा और पूछा- क्या दीपा ने अब मुझे बुलाया है उसकी चुदाई करने के लिए?
मैं समझ गया कि उन दोनों की पहले से रजामंदी थी कि एक चुदाई के बाद में वह आकाश को अपने केबिन में बुला लेगी।
मैंने कहा- हां यार, पर तुम दोनों मेरे साथ अन्याय कर रहे हो। तुमने जाते हुए भी मेरी बीवी की चुदाई की है और अब फिर जाकर उसको चोदोगे और मैं बाहर सीट पर बैठकर ये इंतजार करूंगा कि कब तुम दीपू को चोद कर बाहर आओ और मैं जाकर अपनी बर्थ पर सोऊं?
आकाश ने पूछा- तो फिर तुम्हारी क्या मर्जी है?
इस पर मैंने भी खुलकर कहा- यार, मुझे भी तो एक बार तुम्हारी बीवी को चखने का मौका मिलना चाहिए। क्या तुम शिल्पी को तैयार नहीं कर सकते कि वह मुझ से चुदवा ले?
आकाश हंस पड़ा और बोला- तो यार ऐसा कहो ना … मुंह क्यों लटका रखा है? तुम भी क्या याद रखोगे, जाओ और जाकर चख लो मेरी बीवी को!
मैं एकदम प्रसन्न हो कर बोला- सच कह रहे हो? कहीं तुम मेरे साथ मजाक तो नहीं कर रहे?
वह बोला- नहीं यार, मेरी बीवी की रसभरी इंतजार कर रही है तुम्हारी जुबान का, जाओ और जाकर दोबारा से मेरे स्वादिष्ट वीर्य का आनन्द लो।
मैंने पूछा- दोबारा? मैं समझा नहीं!
उसने कहा- क्यों, जब दीपा जोधपुर जाते समय बस में मुझ से चुद कर होटल गई थी तब उसने मेरी मेरे वीर्य से भरी चूत तुमको नहीं चटवाई थी क्या?
मैं समझ गया कि सुबह उसके फील्ड में जाने के बाद, दीपू और आकाश के बीच खुलकर खुली बातें हुई हैं और उसी ने आकाश को यह भी बताया है कि उसने आकाश के वीर्य से भरी हुई चूत मुझे चटवाई है।
आकाश की बातों से मेरा लंड धीरे-धीरे तनाव में आने लगा था।
हम दोनों ने साथ में चाय पी, उसके बाद आकाश ने कहा- अब तुम मेरे वाले केबिन में जाओ, शिल्पी वहां पूरी नंगी सोई हुई है। जाओ … जाकर मज़े करो। तुम जब उसकी चूत चाटना शुरू करोगे तो वो समझेगी कि मैं हूं क्योंकि मैं भी तुम्हारी तरह चूत चाटने का शौकीन हूं। जब उसे यह महसूस होगा कि मैं पहली बार उसकी वीर्य भरी चूत चाट रहा हूं तो वह और भी मस्त हो जाएगी।
मैंने पूछा- भड़क गई तो?
इस पर आकाश ने कहा- अंधेरे में चूत चाटते हुए तुम्हारा चेहरा उसको दिखेगा नहीं! और जब तुम उसकी चूत में लंड डाल दोगे तो वो कुछ नहीं कर पाएगी, जैसे दीपा कुछ नहीं कर पाई थी। उसके बाद भी यदि कुछ होता है तो मैं हूं ना! तुम निश्चिंत होकर मेरी बीवी की नई चूत का मजा लो।
कैसा विचित्र संयोग था कि आकाश भी वैभव की तरह निकला जो दूसरे की बीवी को चोदने के बाद अपनी बीवी उससे चुदवाने के लिए राजी-खुशी तैयार था।
मेरा दिल नई चूत का आनन्द लेने के लिए मचल रहा था.
कुछ समय पहले की मायूसी अब वासना भरी उमंग में बदल चुकी थी।
मैं तेजी से आकाश के केबिन में पहुंचा जहां एक नई चूत से मेरे लंड का, एक नए जिस्म से मेरे जिस्म का, मिलन होने वाला था।
आगे की कहानी दीपाली के शब्दों में :
मैं आदित्य को बाहर भेज कर अब आकाश का इंतजार कर रही थी.
पिछली बार तो उसने सीधे ही मेरी चूत में अपना लंड घुसेड़ दिया था पर इस बार मैंने ठान रखा था कि पहले उसको अपनी चूत से आदित्य का वीर्य चटवाने का आनन्द ज़रूर लूंगी।
मैंने अपनी चूत पर नैपकिन लगा रखा था और पैर घुटनों से मोड़ रखे थे जिससे कि वीर्य बाहर न बह जाए।
आकाश जब केबिन में आया तो वह अपनी बीवी को चोद कर आया था इसलिए उसका लंड अभी पूरी तरह कड़क नहीं था।
मैंने सोचा यदि ऐसी स्थिति में उसको चूत चाटने के लिए बोलूंगी तो वो हरगिज तैयार नहीं होगा, उसके लिए जरूरी है कि उसकी वासना भड़काई जाए और उसके लंड में तनाव भरा जाए।
आकाश तो आते ही कपड़े उतार कर पूरा नंगा हो गया और जैसे कि हर मर्द औरत को लंड चुसवाना चाहता है, वह मेरी छाती पर चढ़कर मेरे मुंह में अपना लंड देने लगा.
उसके लंड से वीर्य और चूत रस की मिली जुली महक आ रही थी।
मैंने मुंह खोला और उसने मेरा मुख-चोदन प्रारंभ कर दिया।
आप सब को ध्यान दिला दूं कि जोधपुर जाते समय जब मैंने आकाश का वीर्य, अपनी चूत से आदित्य को चटवाया था, तब उसने आकाश का थोड़ा वीर्य मेरे मुंह में भी धकेला था।
इस प्रकार … अन्तर्वासना की हजारों कहानियों के 20 वर्ष के इतिहास में संभवतः यह पहला अवसर था जब किसी औरत ने पराए मर्द के वीर्य का स्वाद तो पहले ले लिया लेकिन उसका लंड बाद में मुंह में लिया हो।
पहली बार तो मैं विशेष परिस्थिति में पहली बार किसी पराए मर्द के पास चुदने पहुंची थी लेकिन इस बार जोधपुर की यात्रा में प्रकृति ने विशेष कृपा न केवल मुझ पर की है बल्कि आदित्य को भी नई चूत उपलब्ध करवाई है।
मैं यदि जागी हुई होती तो हो सकता है मैं आकाश की ओर आकर्षित नहीं होती और ना उसकी किसी कामुक चेष्टा को स्वीकार करते हुए उसे आगे बढ़ने का मौका देती.
पर जब चूत की किस्मत में नया लंड लिखा हो तो घटनाएं अपने आप इस तरह घटती हैं कि उन पर इन्सान का नियंत्रण नहीं रह पाता।
इसलिए मेरे सभी काम प्रेमी पाठक पाठिकाओं से आग्रह है कि जब भी उनके जीवन में कभी ऐसी घटना घटे तो उसके कारण मन में ग्लानि या पश्चाताप की भावना ना पनपने दें बल्कि समय के प्रवाह में स्वयं को बहने के लिए स्वतंत्र छोड़ दें और हर पल, हर अवसर का आनन्द लें।
मेरी विचार शृंखला अनवरत जारी थी.
लेकिन मुझे इतना ध्यान था कि कहीं आकाश लंड चुसवाते हुए चरम पर ना पहुंच जाए.
इसलिए जब उसका लंड पर्याप्त कड़क हो गया तो मैंने उसे कहा- अब जरा मुझे भी मजे लेने दो और मेरी रसभरी को चाटो।
आकाश ने कहा- अभी आदित्य तुमको चोद कर गया है तो उसका वीर्य भरा होगा या तुमने चूत साफ कर ली?
मैंने कहा- नहीं, मेरी चूत में आदित्य का वीर्य भरा हुआ है और चुदाई से पहले मुझे वही तुम्हारी जीभ से चटवाना है।
आकाश ने कहा- अच्छा यह बात है? तुम इस तरह से शर्त रखोगी तो फिर मेरी भी एक शर्त है!
मैंने पूछा- क्या?
तो वह बोला- तुम्हारी चूत में लंड तो मैं जाते समय डाल चुका हूं, अब मुझे तुम्हारी गांड मारनी है।
मैंने एक पल के लिए सोचा कि उसे गांड मारने दूं या मना कर दूं?
लेकिन नया लंड आखिर नया होता है।
आदित्य और वैभव दोनों कई बार मेरी गांड मार ही चुके थे, अतः मैंने गांड मरवाने की हामी भर ली।
उसने खुश होकर मेरी चूत में मुंह दे दिया और कुत्ते की तरह लप-लप करता हुआ आदित्य का वीर्य चाटने लगा।
आकाश के चाटने से मेरी तृप्त चूत की कामवासना पुनः मुझे बेचैन करने लगी।
मैंने उसे कहा- बीच-बीच में क्लीटोरिस को भी जुबान से छेड़!
उसकी जुबान द्वारा क्लीटोरिस को छेड़ने पर मेरी काम ऊर्जा अचानक तेजी से प्रवाहित होने लगी और मुझे चरमसुख की ओर ले जाने लगी।
जब मुझे लगा कि अब मैं झड़ने ही वाली हूं, तब मैंने आकाश को कहा- अब क्लिटोरिस को चू..स प्लीज क्लिटोरिस को चू..स।
मेरी आवाज में अब कंपन आने लगा था, मेरी रग रग में वासना नृत्य कर रही थी।
आकाश समझ गया कि मैं झड़ने वाली हूं.
वह क्लीटोरिस को अपने होठों में जकड़ते हुए तेजी से उसे चूसने लगा।
मैं अपनी चूत के तट से टकराती, मस्ती की लहरों से खेलती हुई, अपने चरम सुख के लक्ष्य की ओर बढ़ रही थी।
मेरे शरीर की नस नस खिंचने लगी और कुछ ही पलों में मैंने चरमसुख के उस क्षण को प्राप्त कर लिया जब कोई भी औरत पूरी दुनिया को भूल जाती है।
जब मैं कुछ मिनट के बाद सामान्य हुई तब मैंने कहा- आकाश, अब मेरी गदराई हुई गांड तुम्हारे हवाले है, मैं तो सो रही हूं, तुम्हें जितनी देर मेरी गांड मारनी है मार लो।
उसने कहा- नहीं यार, ऐसे मजा थोड़ी न आएगा। मुझे जीती जागती, गर्म औरत की गांड मारनी है किसी बेजान गुड़िया की नहीं।
मैंने उसे कहा- जब तुमने चूत में लंड डाला था तब भी तो मैं बेजान डॉल जैसी ही पड़ी थी।
उसने कहा- हां, वह तो मैं अपने आप पर नियंत्रण नहीं कर पाया था इसलिए हिम्मत करके तुम्हारी चूत में लंड घुसेड़ दिया था लेकिन उसके बाद चुदाई तो तुमने जाग कर और पूरे मजे लेते हुए करवाई थी।
उसका जवाब सुनकर मैंने उसे अपनी सहमति दे दी और कमर के निचले हिस्से यानि चूतड़ों को पीछे की ओर निकालते हुए गांड मरवाने की पोजीशन में आ गई।
उसने ढेर सारा थूक मेरी गांड और अपने लंड पर पर लगाया और अपने लंड को प्रवेश कराने के लिए दम लगाया।
उसका लंड आदित्य के लंड से चूंकि कम मोटा था और मैं अब तक गांड मरवाने की अभ्यस्त हो चुकी थी इसलिए मुझे कोई पीड़ा नहीं हुई बल्कि उसके लंड का गांड के प्रवेश द्वार को रगड़ते हुए अंदर जाना अच्छा लगा।
आकाश ने कुछ पल पराई औरत की नई नवेली गांड में लंड के प्रवेश करने का आनन्द लिया और फिर धीरे-धीरे धक्के लगाने लगा.
बीच-बीच में जब उसका चरम आने वाला होता तो वह रुक जाता और तीन चार लंबी लंबी सांसें ले कर फिर से रगड़े लगाने लगता।
जब उसका दिमाग़ स्खलन के लिए लालायित हो उठा, तब उसके धक्कों घस्सों में तेज़ी आने लगी और मुंह से अश्लील शब्दों के फूल झरने लगे।
मैंने भी अपनी गांड के संकुचन और विमोचन के जरिए आकाश को अतिरिक्त आनन्द पहुंचाना शुरू कर दिया।
वह बड़बड़ाने लगा- यार दीपा, सच में बहुत मजा आ रहा है यार! तुम्हारी गांड जैसे मस्ती का गोदाम है। मेरी बीवी गांड मरवाने में तुम जैसी एक्सपर्ट नहीं है। आज मैंने सोच रखा था कि पिछली बार की कसर इस बार निकाल लूंगा, तुम्हारे मुंह में भी लंड दूंगा और तुम्हारी गांड भी मारूंगा। सच में आज तो मेरी सारी अभिलाषायें पूरी हो गईं।
तो मैंने कहा- लेकिन कमीने, मैं तो न उस दिन तुम्हारे लंड से झड़ी न आज!
उसने कहा- आज तुम को जीभ से तो झड़वाया न? अब भविष्य में कहीं प्रोग्राम बनाकर चलेंगे वहां अच्छे से तुम्हारी चुदाई करूंगा, तब तुम भी अपनी कसर पूरी कर लेना।
डर्टी Xxx गांड सेक्स के मजे लेते हुए धक्के लगाते लगाते आकाश अधीर होने लगा और ‘दीपा … दीपा’ कहते हुए अपने लंड का सारा तनाव मेरी गांड में निकाल दिया।
उसका लंड जड़ तक समाया हुआ था और मेरी गांड की गहराई में अपना वीर्य उगल रहा था।
मैं उस समय यही सोच रही थी कि पराये मर्द के नए लंड से औरत को भले चरम सुख मिले या ना मिले लेकिन नए स्वाद का सुखद अहसास जरूर मिलता है।
अगले अंतिम भाग में देखते हैं कि आदित्य जब शिल्पी के केबिन में गया तो वहां क्या हुआ?
डर्टी Xxx गांड सेक्स कहानी के बारे में पाठक अपनी राय भेज सकते हैं।
मैं जवाब दूंगी लेकिन बार-बार कहने के बाद भी कुछ पाठक बहुत बेहूदे मेल करते हैं।
सभी से निवेदन है कि कृपया कहानी पर कमेंट तक ही सीमित रहें।
मेरी मेल आईडी है
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कहानी का अगला भाग: मेरी सनसनी भरी कामुक बस यात्रा- 4
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