बहन की चूत चोद कर बना बहनचोद -9
(Bahan Ki Chut Chod Kar Bana Bahanchod-9)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left बहन की चूत चोद कर बना बहनचोद -8
-
keyboard_arrow_right बहन की चूत चोद कर बना बहनचोद -10
-
View all stories in series
अब तक आपने पढ़ा..
वो अपना हाथ तौलिया के अन्दर ले गया और लगाने लगा। तब तक सोनाली ने अपना तौलिया की गाँठ खोल दी। जब वो पूरी तरह से बाम लगा चुका.. तब तक उसका लंड भी तन कर तंबू हो गया था।
पूरी मालिश करने के बाद उसने पूछा- दर्द कैसा है?
तो सोनाली उठी.. उसका तौलिया बिस्तर पर ही रह गया और नंगी ही सूर्या के गले लग गई।
सूर्या देखता ही रह गया।
अब आगे..
सोनाली- थैंक्स.. तुम्हारे हाथों में तो जादू है।
सूर्या से भी कंट्रोल नहीं हो पाया.. एक सीमा होती है कंट्रोल करने की.. इतनी हॉट लड़की खड़ी हो सामने.. और वो भी पूरी नंगी.. तो किस चूतिया से कंट्रोल होगा।
वो भी उससे चिपक गया और उसके चूतड़ों को दबाने लगा, तब तक सोनाली ने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
अब तक सोनाली उसके लंड पर भी हाथ रख चुकी थी और उसकी पैंट के ऊपर से ही उसके खड़े लौड़े को मसलने लगी।
कुछ देर किस करने के बाद उसको अलग किया।
सूर्या- ये ग़लत है.. तुम मेरे दोस्त की बहन हो.. ये सही नहीं है… सब सुशान्त को पता चलेगा.. तो वो हम दोनों के बारे में क्या सोचेगा?
वो ये बोल कर नीचे चला गया और मुझे फोन किया- कितनी देर में आओगे?
मैं- भाई तेरी बाइक खराब हो गई है.. उसी को ठीक करवा रहा हूँ।
सूर्या- ओह.. बोल.. मैं भी आता हूँ।
मैं- रहने दे.. तू मूवी देख.. मैं ठीक करवा कर तुरंत आता हूँ.. तेरा मन हो रहा है तो आ जा..
सूर्या- नहीं.. वैसी कोई बात नहीं है।
तब तक सोनाली नंगी ही आकर उसकी गोद में बैठ गई।
मैं- सोनाली कहाँ है.. फोन दे तो उसको..
सूर्या- ओके.. लो..
सोनाली- हाँ भैया बोलो?
मैं- उसको भूख लगी होगी.. खाना खिला देना उसको.. मैं कुछ देर में आऊँगा.. समझ गई न?
सोनाली- ओके भैया समझ गई..
सूर्या- ओके भाई.. तू जल्दी आ जाना।
मैं- ओके भाई..
सोनाली- लो भैया अभी नहीं आएंगे.. तुमको भूख लगी है ना.. लो दूध पी लो..
उसने अपनी चूचियों को उसके मुँह के पास कर दिया।
सूर्या- उसको पता चल गया तो?
सोनाली- जो होगा देखा जाएगा।
तो सूर्या ने भी उसके मम्मों को पकड़ लिया और दबाने लगा, तब तक सोनाली ने उसकी पैन्ट को खोल दिया, उसका लहराता हुआ लंड बाहर आ गया, उसका लंड भी कम नहीं था, मेरे बराबर ही था.. या छोटा भी होगा तो बहुत कम ही छोटा होगा।
सोनाली उसको बड़े प्यार से सहला रही थी और सूर्या उसके मम्मों को नोंच रहा था।
तभी सूर्या ने उसकी चूचियों को मुँह में ले लिया। मेरी दया से चूचियों इतनी बड़ी हो गई थीं कि उसके मुँह में तो जा ही नहीं पा रही थीं..
तभी..
सोनाली- मैं इसको मुँह में ले लूँ?
सूर्या- ले लो.. लेकिन मैं चूचियों को अभी नहीं छोड़ने वाला हूँ.. बहुत दिनों से इसको पाना चाह रहा हूँ।
सोनाली- बहुत दिनों से.. मतलब.. कब से?
सूर्या- पिछली बार जब तुमको सुशान्त के साथ स्टेशन पर देखा था.. तब से ही मैं इनके साथ खेलना चाहता था और आज सुबह से जब से आधी चूची को खुला देखा है.. तब से मैं इसको पाने के लिए मचल रहा हूँ।
सोनाली- और मैं तुमको पाने के सपने पिछले 3 साल से देख रही हूँ।
सूर्या- सच.. तो बताया क्यों नहीं?
सोनाली- मैंने बहुत कोशिश की लेकिन तुमने कभी ध्यान ही नहीं दिया और अभी भी ज़बरदस्ती नहीं करती तो क्या तुम मानते?
सूर्या- सुशान्त मुझे भाई बोलता है ना.. उसे पता चलेगा तो बुरा सोचेगा.. ये सोच कर मैं चुप था.. लेकिन अब मैं तुमसे दूर नहीं रहने वाला हूँ..
सोनाली- अब तो लंड मुझे चूसने के लिए दे दो.. तीन साल से तड़फ रही हूँ.. इसकी याद करके..
सूर्या- लो.. मैं भी तो देखूँ.. तुम्हारी चूत कैसी है!
वे दोनों 69 की अवस्था में आ गए, सोनाली लंड को बहुत अच्छे से चूस रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे खा जाएगी।
उधर सूर्या भी चूत को आसानी से नहीं छोड़ रहा था.. साला पूरा जीभ अन्दर डाल रहा था.. दोनों सिसकारियाँ ले रहे थे।
मैंने सोचा रंग में भंग डालने का यही सही टाइम है।
मैं सामने से घूम कर अन्दर आ गया.. अभी भी वो दोनों अपने चूसने के काम में लगे हुए थे।
मैं- हे.. ये क्या कर रहे हो तुम दोनों?
मुझे देखते ही दोनों अलग हुए और सोनाली भाग कर अपने कमरे में चली गई और सूर्या अपने लंड को छिपाते हुए खड़ा हो गया।
मैं चिल्लाता हुआ बोला- कपड़े पहनो अपने.. पहले कपड़े पहनो..
सूर्या- सॉरी भाई ग़लती हो गई..
मैं- मैं तुमको भाई बोलता था.. और तुम मेरी बहन के साथ ऐसा कैसे कर सकते हो यार?
सूर्या- पता नहीं यार कैसे हो गया… मैं खुद ही दिल से बुरा महसूस कर रहा हूँ।
मैं- तुम्हारे महसूस करने से क्या सब ठीक हो जाएगा..
और भी ना जाने मैंने क्या-क्या बोल दिया और वो चुपचाप सुनता रहा।
सूर्या- मैं इससे शादी करने को रेडी हूँ।
मैं- क्या.. तुम अब क्या ये बात मम्मी-पापा को भी बताना चाहते हो.. वो तुम दोनों को मार देंगे..
सूर्या- तो क्या करूँ.. तुम ही बताओ?
मैं- मेरी बात ध्यान से सुनो.. तुम मेरे दोस्त हो.. सो मैंने तो माफ़ कर दे रहा हूँ लेकिन एक कहावत तो सुनी होगी.. आँख के बदले आँख.. कान के बदले कान.. तो बहन के बदले बहन..
सूर्या- मतलब.. मैं कुछ समझा नहीं?
मैं- तुमने मेरी बहन के साथ ये सब किया.. बदले में तुम अपनी बहन को मेरे लिए रेडी करोगे।
सूर्या- नहीं.. ये नहीं हो सकता..
मैं- क्यों नहीं हो सकता.. ओके ठीक है मैं पापा को फोन करके सब बता देता हूँ.. बाकी तू समझ लेना।
सूर्या- ओके ओके.. मैं रेडी हूँ अपनी बहन को पटाने में मैं तुम्हारी मदद करूँगा लेकिन किस बहन को.. बड़ी को या छोटी को?
मैं- तुम्हारी दोनों में से कोई भी चलेगी..
सूर्या- सोनिया नहीं.. तुम सुहाना पर ट्राई करना..
मैं- ओके जिस दिन मैं तुम्हारी दोनों बहनों में से किसी एक को चोदूँगा.. उस दिन मैं सोनाली को तेरे पास पहुँचा दूँगा.. अब जा..
सूर्या- ओके..
मैं- लेकिन ज्यादा टाइम नहीं है तुम्हारे पास.. आज शाम को मैं तुम्हारे घर आ रहा हूँ..
सूर्या- ओके आ जा भाई..
मैं जानता था.. सोनाली की चूत का रस पीकर वो उसे चोदे बिना नहीं रह सकता है। मेरा काम जल्दी ही हो जाएगा और मैं सोनाली के कमरे चला गया। वो नंगी ही बिस्तर पर बैठी थी।
सोनाली- क्या यार.. थोड़ी देर और नहीं रुक सकता था..
मैं- हाह.. हहहाहा.. चिंता मत करो.. तेरा वो अपनी बहन को मेरे से जल्द ही चुदवा देगा।
सोनाली- इतनी देर तुम कहाँ रह गए थे?
मैं- घर में और कहाँ?
मैंने उसको सारी बात बताई।
सोनाली- मतलब सब कुछ देख लिया..
मैं- हाँ सब कुछ..
सोनाली- कैसी लगी मेरी एक्टिंग?
मैं- जबरदस्त.. तुमको तो बॉलीवुड में होना चाहिए था.. यहाँ क्या कर रही हो।
वो मुझे मारने के लिए दौड़ी.. तो मैं उसको ले कर बिस्तर पर आ गया। मैं नीचे था और वो मेरे ऊपर.. मैं उसकी पीठ सहलाते हुए बोला।
मैं- सूर्या तो चला गया.. अब हमारा एक राउंड हो जाए।
सोनाली- हाँ क्यों नहीं.. मैं तो रेडी ही हूँ.. कपड़े तुमने ही पहन रखे हो.. उतारो..
तो मैं कौन सा देर करने वाला था। सारे कपड़े उतार कर चोदने के लिए तैयार हो गया।
मैं- लो मैंने भी उतार दिए।
वो मुझसे लिपट गई.. तब हम दोनों ने 2 राउंड हचक कर चुदाई की.. फिर घड़ी देखी तो 5 बजने वाले थे।
हमने मिल कर पूरे घर को साफ़ किया और पढ़ने बैठ गए। मम्मी-पापा आ गए.. उनको कुछ भी पता नहीं चला।
शाम को हम छत पर बैठे हुए थे।
सोनाली- सूर्या का फोन आया?
मैं- नहीं क्यों?
सोनाली- वैसे ही कहा.. कहाँ तक बात पहुँची जरा पूछो?
मैं- ओके.. मैं फोन करता हूँ..
सोनाली- ओके.. करो जल्दी..
मैं- क्या बात है बड़ी जल्दी है तुमको?
सोनाली- हा हा हा हा..
मैं- कैसा है भाई.. काम का कुछ हुआ कि नहीं?
सूर्या- हाँ पता कर लिया.. दोनों में से किसी का कोई ब्वॉय-फ्रेंड नहीं है.. तुम ट्राइ कर सकते हो.. लेकिन अभी घर पर सोनिया ही है.. सुहाना तो दिल्ली गई है।
मैं- दिल्ली क्यों बे?
सूर्या- वो वहीं रहेगी अब.. आगे पढ़ने के लिए..
मैं- सोनिया है ना अभी घर पर.. उसी से काम चला लूँगा।
सूर्या- ठीक है।
मैं- तो बोल घर कब आऊँ?
सूर्या- अभी आ जा.. मिल लो.. लेकिन दिन में आओगे तो मम्मी-पापा नहीं रहते हैं।
मैं- ओके कल ही आता हूँ।
सोनाली- क्या हुआ.. क्या बोला?
मैं- अपने घर बुलाया है कल दिन में।
सोनाली- अरे वॉऊ.. तब तो वो जल्द ही तुम्हारी बाँहों में होगी।
मैंने आँख मारते हुए कहा- कोशिश तो यही रहेगी.. अब तेरे लिए सूर्या के लौड़े का इंतजाम भी तो करना ही है न..
दोस्तो.. मेरी यह कहानी आपको वासना के उस गहरे दरिया में डुबो देगी जो आपने हो सकता है कभी अपने हसीन सपनों में देखा हो.. इस लम्बी धारावाहिक कहानी में आप सभी का प्रोत्साहन चाहूँगा।
आपको मेरी कहानी में मजा आ रहा या नहीं.. मुझे ईमेल करके मेरा उत्साहवर्धन अवश्य कीजिएगा।
कहानी जारी है।
मेरी फेसबुक आईडी के लिए मुझे एड करें
https://www.facebook.com/profile.php?id=100010396984039&fref=ts
What did you think of this story??
Comments