आखिरकार छोटे भाई की बीवी चुद ही गई- 1

(Sister In Law Hot Story)

दीपू सोनी 2024-07-20 Comments

सिस्टर इन लॉ हॉट स्टोरी में मेरे चचेरे भाई की शादी हुई तो उसकी पत्नी बहुत सेक्सी है. मैंने उसे चोदना कहता था खासकर उसकी गांड को. मुझे पता चला कि वह भी चुदाई से खुश नहीं थी.

दोस्तो, मैं आप सबका दीपू एक बार फिर से हाजिर हूँ.
आज मैं आप सबके सामने एक और नई व धमाकेदार स्टोरी लेकर आया हूँ.
माफ़ी चाहूँगा दोस्तो, मुझे इस सिस्टर इन लॉ हॉट स्टोरी लेकर आने में थोड़ा टाइम लगा.

जो भी नए दोस्त इस कहानी के माध्यम से मुझसे मिल रहे है, उन्हें मैं बता दूँ कि मैं हरियाणा का रहने वाला हूँ.
मेरी पिछली कहानी
भाभी अपनी चूत चुदवाने मेरे पास आयी
पर बहुत से दोस्तों के ईमेल भी आए कि आगे स्टोरी लिखो, पर समय का अभाव था तो स्टोरी लिखने का समय नहीं मिला.

चाची और भाभी को चोदने के कुछ समय बाद ही मेरी भी शादी हो गयी थी.

मेरी बीवी का नाम प्रिया (बदला हुआ नाम) है और वह बहुत ही सुंदर और कामुक औरत है.

मुझे प्रिया जैसी पत्नी मिलने के बाद तो मैं मानो धन्य हो गया था क्योंकि उसकी बुर एकदम सीलपैक थी.

मैंने अपनी सुहागरात में प्रिया को 3-4 बार चोदा.
अपनी बीवी के साथ सुहागरात में हुई चुदाई की स्टोरी आपको फिर कभी सुनाऊंगा.

प्रिया मेरा लंड और चुदाई का स्टैमिना देख कर दंग रह गयी थी.
आज भी मैं प्रिया को अमूमन 2 से 3 बार तो चोद ही लेता हूँ.

स्टोरी लिखने से पहले में मेरे नये दोस्तों से रिक्वेस्ट करना चाहूँगा कि जिसने भी मेरी पहली सेक्स स्टोरी नहीं पढ़ी है, वे मेरी पहली सेक्स कहानी
शरीफ चाची को अपना लंड दिखा कर चोदा
जरूर पढ़ें.

दोस्तो, यह मेरे साथ हुई एक सत्य घटना पर आधारित सेक्स कहानी है.

पुरुष दोस्त अपना लंड थाम कर बैठ जाएं, क्योंकि मैं विश्वास दिलाता हूँ कि सेक्स कहानी को पढ़ने वाला मर्द अपनी मुठ मारे बिना नहीं रह पाएगा.
महिला मित्र भी अपनी अपनी बुर में उंगली करने के लिए तैयार हो जाएं. आप भी अपनी अपनी बुर में उंगली किए बिना नहीं रह पाएंगी, एकदम पक्का जानिए.

मैंने अपनी इस कहानी में हर एक बात को विस्तार से लिखा है.
शुरू से ले कर आखिर तक कहानी का एक एक पहलू आप लोगों के सामने रखने का प्रयास किया है.

यह सिस्टर इन लॉ हॉट स्टोरी मेरी और मेरे छोटे भाई की बीवी की चुदाई की है.

छोटा भाई यानि मेरे चाचा का लड़का विकी है और विकी की बीवी का नाम मंजू है.
इन दोनों के नाम बदले हुए हैं.

छोटे भाई की शादी कुछ समय पहले ही हुई है.
उसकी बीवी मंजू बहुत ही सुंदर, सुशील व अच्छी पढ़ी लिखी है.

मंजू का शरीर बहुत ही लाजवाब है.
जब वह सामने से निकलती थी, तो पूरे वातावरण में एक अलग ही महक सी छा जाती थी.
पता नहीं वह ऐसा कौन सा परफ्यूम लगाती थी!

दोस्तो, आपको तो पता ही है कि मैं गांड का कितना बड़ा दीवाना हूँ.

जब मंजू मटक कर चलती थी तो उसकी गांड … उफ्फ क्या हिलती थी.
साला कलेजा हलक में आ जाता था.

कभी कभी तो वह इतनी टाइट साड़ी पहनती थी कि उसकी कच्छी का आकार भी एकदम साफ़ साफ़ दिखने लगता था.

उसके शरीर की बनवाट कुछ ऐसी है, चूचे 34 इंच के, कमर 28 व गांड … जिसका मैं दीवाना हूँ, वह 36 इंच की है.

उसके शरीर का साइज मुझे बाद में उसको चोदने के बाद पता चला.

मेरा चाचा जी के घर आना जाना लगा रहता है.
मंजू जब भी मेरे सामने आती थी तो बिल्कुल एक संस्कारी बहू की तरह ही आती थी; सिर पर पल्ला लिए हुई, आंखें नीची किए हुई … और मुँह में तो जैसे आवाज ही ना हो.

मैंने कभी सोचा नहीं था कि ऐसी सुंदर और इतनी मस्त गांड वाली औरत मुझे बिल्कुल नंगी करके चोदने को मिलेगी.

सबसे पहले मैं आपको ये बताना चाहूँगा कि मैंने कैसे मंजू को अपनी तरफ आकर्षित किया और उसको मुझसे चुदने के लिए उकसाया.

प्रिया और मंजू की दोस्ती बहुत जल्दी ही हो गई थी और वह दोनों बहुत ही ज्यादा घुल-मिल गई थीं.
उन दोनों के बीच ऐसा कुछ था ही नहीं कि वे दोनों देवरानी व जेठानी लगें.
वे दोनों तो ऐसी थीं, जैसे दोनों सगी बहने हों.

दोनों मेरे घर में बैठ कर बहुत समय तक बातें करती रहती थीं.
बहुत बार मैंने उनकी बातें चुपके से सुनी भी हैं.
वे दोनों सेक्स की भी बातें कर लेती थीं.

उनकी बातें सुन कर ही मुझे पता चला कि चाचा का लड़का विकी, मंजू की पूरी तरह प्यास नहीं बुझा पाता है … और यही मेरे लिए प्लस पॉइंट साबित हुआ.

एक बार तो मैंने मंजू को प्रिया से ये भी कहते हुए सुना कि विकी उसको फोरप्ले करके तैयार तो कर लेता है, पर ना तो विकी ने कभी उसकी बुर चाटी है और ना ही कभी अपना लंड उसको चुसाया है.

वह जैसे ही उसकी चूत में लंड डालता है, तो कुछ ही झटकों के बाद उसका पानी छूट जाता है और एक तरफ लुढ़क जाता है.
उसके बाद मंजू सारी रात करवटें बदलती हुई निकालती है … या फिर वह कभी कभी अपनी चूत में उंगली करके अपने आप को शांत करती है.

मेरा आधे से ज्यादा काम तो प्रिया ने ही मंजू को ये बताकर कर दिया था कि मैं प्रिया को आधा घंटा से ज्यादा समय तक चोदता हूँ … और फोरप्ले में उसकी चूत और गांड दोनों चाटता हूँ.

मैंने उस समय चुपके से मंजू का मुँह देखा था.
उस समय वह शर्म से बिल्कुल लाल हो गयी थी, उसका मुँह खुला का खुला रह गया था.

इसके बाद तो मंजू जब भी हमारे घर आती थी, तब मैं उसको अमूमन बरमूडे व बनियान में ही मिलता था.
वह मुझे ऐसे देख कर शर्मा जाती थी और उसकी नजर एक बार तो जरूर मेरे लंड की तरफ तो जाती ही थी.

मेरा लंड भी बरमूडे के अन्दर ही फूल कर अपना आकार दिखा देता है.

एक बार क्या हुआ कि मैं मंजू के घर गया था.
वह दोपहर का समय था.

उस वक्त वह अपनी सास से कह रही थी- मैं प्रिया दीदी के घर जाकर आ रही हूँ.

मेरे मन में एक आईडिया आया और मैं उसी समय अपने घर की तरफ हो लिया.
अपने घर में जाते ही मैं अपनी बीवी प्रिया से लिपट गया.

वह उस समय बाथरूम से नहा कर बाहर आयी थी और ब्लाउज और पेटीकोट पहन रही थी.
उस समय हमारे घर पर कोई नहीं था.

मैंने अन्दर आते हुए बाहर का गेट हल्का सा बंद कर दिया था और कुण्डी नहीं लगायी थी क्योंकि मुझे पता था कि मंजू आने वाली है.
मैं उसको अपनी और प्रिया की चुदाई दिखाना चाहता था.

जैसे ही मंजू अन्दर आयी तो मुझे गेट लगने की हल्की सी आवाज आयी।
मुझे पता चल गया था कि मंजू अन्दर आ चुकी है.

तब तक मैं प्रिया को बेड पर लेटा कर किस करने लगा और उसकी गर्दन चाटने लगा था.

प्रिया बोली- अभी अचानक आपको क्या हो गया है … क्यों मुझ नहायी हुई को गंदी कर रहे हो?
मैंने कहा- आज तो मेरा तुम्हें दिन में ही चोदने का दिल कर रहा था. बहुत दिन हो गए तुम्हें दिन में चोदे हुए … और आज तो घर में भी कोई नहीं है.

ये बातें मैंने थोड़ी जोर से कहीं, ताकि मंजू को लगे कि हम बेडरूम में हैं और वह प्रिया को आवाज ना लगाए.
हुआ भी वही.

मैंने प्रिया का ब्लाउज खोल दिया और उसकी ब्रा के ऊपर से ही चूचों को दबाने और पीने लगा.
अपना एक हाथ नीचे ले जाकर मैं प्रिया की चूत को रगड़ने लगा.

प्रिया जल्द ही गर्म हो गयी और मेरा साथ देने लगी क्योंकि एक दिन पहले ही प्रिया की डेट गयी थी, तो वह भी जल्द ही चुदने के लिए तैयार हो गयी.

मेरे बेड के पास ड्रेसिंग टेबल है, जिसके आईने में से बाहर का सब कुछ दिख रहा था.

मैंने हल्की सी गर्दन उठा कर शीशे की तरफ देखा तो मैंने देखा कि मंजू गेट के पास खड़ी एकटक हम दोनों को देख रही थी.

यह देखते ही मुझमें और जोश आ गया और मैं पूरे जोश के साथ चूचों को रगड़ने लगा, पीने लगा और जोर जोर से प्रिया की चूत को मसलने लगा.

प्रिया तो जैसे पागल होने को हो गयी थी … वह जोर जोर से सिसकारियां लेने लगी- ऊऊ ऊऊह आआह ऊफ़्फ़ ओहह … ओह दीपू ऐसे ही आह बेबी ऐसे ही जोर जोर से करो … बहुत दिन हो गए हैं मुझे तुमसे चुदे हुए … ऐसे ही चाटो प्लीज … बहुत मजा आ रहा है … आज तो तुम पूरे जोश में हो!

मैं उसके चूचों को छोड़ कर नीचे आ गया और प्रिया की कच्छी नीचे कर दी.

उसकी चूत बिल्कुल साफ़ थी, जैसे आज ही साफ की हो.
मैं सीधा चूत पर टूट पड़ा और पूरी जीभ प्रिया की चूत में डाल कर जीभ से चूत का दाना रगड़ने लगा.

प्रिया बुरी तरह से तिलमिलाने लगी.
वह लगातार जोर जोर से सिसकारियां निकाल रही थी ‘आहह ओहहह यस उम्म आईएह.’

फिर जैसे ही मैंने मुँह शीशे की तरफ किया तो मैंने देखा मंजू अपनी साड़ी के ऊपर से ही अपनी चूत रगड़ रही थी.

मैं और जोश के साथ प्रिया की चूत चाटने लगा.

आज मुझ में एक अलग ही भूत सवार था क्योंकि मेरा मंजू को हमारी चुदाई दिखने का प्लान कामयाब हो गया था.

प्रिया अपने हाथों से बेड की चादर को खींचने लगी और वह मेरे सिर को अपनी चूत पर रगड़ने लगी.

मुझे पता चल गया था कि अब प्रिया का काम होने वाला है.
तो मैं उठ गया.

मैंने शीशे की तरफ मुँह करके अपने बरमूडा को अंडरवियर के साथ ही निकाल दिया.
जैसे ही मेरा लंड 7 इंच का लंड बाहर आया तो मैंने देखा कि मंजू का मुँह खुला का खुला रह गया.

मैंने अपना लंड शीशे में देखते हुए 2-3 ऊपर नीचे किया.
मेरा लंड मंजू को देख कर पूरी अकड़ में आ गया था.

मंजू एकटक मेरे लंड को देखे जा रही थी.
उसका ध्यान ही नहीं गया कि मैं उसको शीशे में से देख रहा हूँ.

फिर मैंने अपना लंड सीधा प्रिया की चूत में डाल दिया और जोर जोर झटके मारने लगा.
साथ ही प्रिया के चूचों के निप्पल को होंठों में लेकर रगड़ने लगा.

फिर मैंने सिर ऊपर कर के शीशे की तरफ देखा तो मेरे तो होश ही उड़ गए.
मैं अन्दर तक हिल गया.
मैंने देखा कि मंजू ने साड़ी ऊपर करके कच्छी में हाथ डाला हुआ है और वह अपनी चूत रगड़ रही है.

उसे ऐसा करता देख मेरे झटकों की स्पीड बढ़ गयी.

उस समय मैंने प्रिया को आधा घंटा से ज्यादा चोदा होगा और साथ साथ मंजू के मनोभाव भी देख रहा था.

मैंने प्रिया को कभी घोड़ी बना कर चोदा, तो कभी मेरे लंड पर बैठा कर चोदा.

फिर जैसे ही मेरा हुआ, तब तक प्रिया का दो बार हो चुका था.

मैंने अपना लंड बाहर निकाल कर प्रिया के चूचों पर अपना माल छोड़ दिया.

जब हमारा खेल खत्म हुआ, तब मैंने शीशे में देखा तो मंजू वहां से जा चुकी थी.
दोस्तो, इस तरह से मेरा प्लान मंजू को हमारी चुदाई दिखाने का कामयाब रहा.

मैंने मंजू को अपनी चुदाई दिखा कर ये तो साबित कर दिया था कि मैं विकी के मुकाबले कितनी अच्छी चुदाई कर लेता हूँ.
साथ ही प्रिया की कही हुई बात मंजू को दिखा कर भी सही साबित कर दी.

बस अब बारी थी उसको मेरे लंड के नीचे लाने की … और इसके लिए मुझे जल्द ही एक आशा की किरण नजर आने लगी थी.

अब मंजू का मुझे देखने का नजरिया बदल गया था.
वह मुझे बड़ी कामुक नजरों से देखती थी और अब तो वह मुझे देख कर कभी कभी कातिलाना मुस्कान से देखने लगी थी.

मुझे भी लगने लगा था कि मंजू भी मुझसे जल्द ही चुदना चाहती है.

इसका परिणाम ये रहा कि मंजू ने प्रिया से बात की कि मुझे कोई काम करना है, सारा दिन घर पर बैठे बैठे बोर हो जाती हूँ.
चूंकि वह पढ़ी लिखी तो थी ही, इसलिए काम करने के बहाने से उसने मेरी बीवी से मुझ तक पहुंचने की बात छेड़ी थी.

उसकी बात पर प्रिया ने उससे कहा कि तुम अपने भाई साहब का ऑफिस (यानि मेरा ऑफिस) क्यों नहीं ज्वाइन कर लेतीं!

मैंने एक्सपोर्ट इम्पोर्ट का ऑफिस सैट किया हुआ है.
जब मेरी बीवी प्रिया ने मंजू से कहा कि अगर तुम चाहो, तो मैं अपने पति से बात कर सकती हूँ.
तो मंजू ने हामी भर दी.

उसके बाद शाम को प्रिया ने मुझसे बात की- आप मंजू को भी अपने साथ काम पर लगा लो, क्योंकि वह घर पर सारा दिन बैठी बैठी बोर हो जाती है.

दोस्तो, मुझे तो चाहिए ही ये था … पर मैंने सीधा हां नहीं कहा.
मैंने कहा- यार, मेरा काम तो बाहर का ज्यादा रहता है, ऐसे में मंजू कहां मेरे साथ घूमेगी?
प्रिया ने कहा- मैं मंजू से बात कर लूँगी.

मैंने कहा- अगर वह हां करती है तो कर लेगी, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है.

सीधा मैंने इसलिए हां नहीं कहा क्योंकि प्रिया को शक हो सकता था कि मैं तो मंजू को अपने साथ काम पर ले जाने के लिए तैयार बैठा हूँ!

अगले दिन प्रिया ने मंजू से बात की तो मंजू ने हां कर दी कि मुझे बाहर का काम करने में भी कोई प्रॉब्लम नहीं है.
फिर मंजू ने अपने घर पर भी बात की तो सभी ने हां कह दिया था क्योंकि मेरी घर पर अच्छी रेपुटेशन है.

अब किसी को कोई दिक्क़त नहीं हुई और मंजू मेरे साथ मेरे ऑफिस जाने लगी.

हमारी धीरे धीरे बातें भी होने लगीं और कभी कभी हम ऑफिस के काम से क्लाइंट से मिलने भी बाहर जाने लगे.

कभी कभी तो ऐसा होता कि हमें 1-2 दिन बाहर भी रुकना पड़ता था.
पर अब घर वालों को कोई दिक्कत नहीं थी.

उनको हमारे काम के बारे में पता था, मंजू की क़ाबलियत की वजह से और मेहनत की वजह से हमारा काम और क्लाइंट बढ़ने लगे थे.

हम सब बहुत खुश थे और सबसे ज्यादा तो मैं खुश था क्योंकि मुझे मंजू के पास रुकने का ज्यादा से ज्याद समय मिल रहा था.

जितना समय हम साथ बिताते, उतना ही उसको चोदने के चांस बढ़ते जा रहे थे.

इन दिनों हम बहुत नजदीक आ गए थे.
अक्सर हमें होटल में एक ही रूम शेयर करना पड़ता था.

एक दो बार तो ऐसा हुआ कि हम साथ में होटल में थे और जब मैं नहा कर सिर्फ टॉवल में बाहर आता, तो मंजू मुझे खा जाने वाली नजरों से देखती थी.

उसकी ऐसी नजरों को देख कर कभी कभी तो मेरा दिल करता था कि अभी इसको बेड पर ले जाऊं और दिल लगा कर चोद दूं.

पर मैं पहल नहीं करना चाहता था और कुछ हमारा रिश्ता भी ऐसा था कि मुझे पहल करने से रोक रहा था.

मुझे इतना तो पक्का हो गया था कि अब मंजू मुझसे चुदे बिना नहीं रह सकती.

ऐसे ही हमें एक ऐसा दिन मिल ही गया जब हमारे दो जिस्म एक हो गए.

हुआ ये कि उस दिन मैं और मंजू बाहर टूर पर गए हुए थे.
वापस आते समय बहुत जोर से बारिश आ गयी और हमें रास्ता बिल्कुल नहीं दिख रहा था.

मेरी गाड़ी अचानक एक गड्डे में लगी.
कुछ दूरी पर जाने के बाद हमारी गाड़ी झटके मारने लगी और रुक गयी.

मैंने बहुत कोशिश की, पर गाड़ी स्टार्ट नहीं हुई.
गाड़ी से बाहर आ कर मैंने गाड़ी को चेक किया पर मुझे कुछ समझ नहीं आया.

मैंने मंजू से कहा- गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही है मंजू!
तो मंजू ने कहा- अब क्या करें?

मैंने देखा तो कुछ दूरी पर लाइट जलती हुई दिखी.
तो मैंने कहा- वहां पास ही कोई मक़ान वगैरह दिख रहा है, शायद कुछ मदद मिल जाए. तुम यहीं रुको, मैं देख कर आता हूँ!
उसने कहा- नहीं, मुझे अकेली रहने में डर लगता है. मैं यहां अकेली नहीं रहूँगी. मैं भी आपके साथ आती हूँ.

मैंने कहा- बारिश बहुत तेज है तुम गीली हो जाओगी!
तो उसने कहा- वह तो मैं बहुत दिनों से हो रही हूँ!
मैंने कहा- क्या?
उसने कहा- कुछ नहीं!

पर मैं समझ गया था कि यह डबल मीनिंग में बात कर रही है.

उसके बाद हम दोनों बारिश में उस घर की तरफ निकल पड़े.

वह घर हमारी गाड़ी से कोई आधा किलोमीटर दूर था तो हम वह पहुंचते पहुंचते पूरे गीले हो गए थे.

वहां जाकर पता चला वह एक अस्तबल था, जहां घोड़े और घोड़ियां बंधी हुई थीं.
वहां पर एक बूढ़ा व्यक्ति था जो वहां उनकी देख-भाल कर रहा था.

मैंने उस व्यक्ति से बात की- हमारी गाड़ी खराब हो गयी है, जब तक बारिश रुक नहीं जाती … तब हम यहां आराम कर सकते हैं क्या?
उसने कहा- कोई बात नहीं बेटा, तुम लोग जब तक चाहो, आराम कर सकते हो!

मैंने उससे कहा- बाबा, हमें बहुत तेज भूख भी लगी है, तो क्या कुछ खाने को मिलेगा?
उसने कहा- अभी तो खाने नहीं बचा हुआ है!

फिर वह यह कह कर बाहर चला गया कि मैं तुम दोनों के लिए कुछ खाने का बंदोबस्त करता हूँ. पर मुझे थोड़ा समय लग जाएगा खाना लाने में … क्योंकि एक तो बारिश हो रही थी और एक ढाबा यहां से कोई 2 से 3 किलोमीटर दूर है!

मैंने मंजू से कहा- घर फ़ोन कर देते हैं कि हमारी गाड़ी ख़राब हो गई है और बारिश भी आ रही है. हम सुबह तक आएंगे. मेरा फ़ोन गाड़ी में ही रह गया है. तुम मुझे अपना फ़ोन दो!

उसने कहा- मेरा फ़ोन भी तो गाड़ी में ही रह गया है.

मैंने अपनी शर्ट निकाली जो पानी में पूरी गीली हो गयी थी.
फिर मैंने जैसे ही पलट कर मंजू की तरफ देखा, तो वह अपनी साड़ी का पल्लू अपने सीने से हटा कर निचोड़ रही थी.

दोस्तो, आप लोग यकीन नहीं करोगे कि मंजू के चूचों की लाइन और उसके चूचों का उभार इतना मस्त था कि मैं तो देखता रह गया.

इस सिस्टर इन लॉ हॉट स्टोरी के अगले भाग में वह सब होने वाला है जो आप पढ़ना चाह रहे हैं.
जी हां मेरे भाई की वधू अपने जेठ के लंड के नीचे आएगी और आपके लौड़े भी उसकी चुदती जवानी का रस भोगेंगे.

आपके कमेंट्स का इंतजार है.
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सिस्टर इन लॉ हॉट स्टोरी का अगला भाग: आखिरकार छोटे भाई की बीवी चुद ही गई- 2

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