पापा मम्मी की दूसरी सुहागरात -9

(Papa Mammi Ki Dusri Suhagraat -9)

विशेष 4084 2015-09-26 Comments

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पापा मम्मी के चूचियों से चिपक गए।
अब मेरा ध्यान पापा के पैरों की ओर गया।
पापा मम्मी ऐसे ही बिल्कुल नंगे बिस्तर पर बैठे थे, अब मुझे उनका पापा का ‘वो’ नज़र आया। अब तो वो केवल 3-4 इंच का ही रह गया था… बिल्कुल सिकुड़ा हुआ सा जैसे कोई शरारती बच्चा खूब ऊधम मचाने के बाद अबोध (मासूम) बना चुपचाप सो जाता है।

हमारे घर में सभी लोग दूध पीते है, पापा मम्मी सोते वक़्त दूध पीते हैं, वो कहते हैं कि सोते वक़्त दूध पीने से पेट साफ़ रहता है, पता नहीं उस समय मम्मी को क्या सूझा, वो पापा से बोली- दूध लाऊँ, पियोगे!
पापा बोले- दूध ही तो पी रहा हूँ!
‘ओह… हटो परे… मैं इस दूध की नहीं गिलास वाले दूध की बात कर रही थी।’ मम्मी बोली।
‘ओह… पर मुझे तो यही दूध पसंद है…!’ पापा ने अपनी आँखें नचाई- मैं तो आज यही दूध पियूँगा।

मम्मी शरारती अंदाज़ में बोली- तुम तो ये पियोगे और मैं क्या पीयूँ?
पापा अपने मुन्ने की और इशारा करते हुए बोले- तुम ये पियो आज!
मम्मी बोली- छी! गंदे कही के!

मम्मी ने शायद हँसी में ही पीने वाली बात कही थी पर अब पापा कहाँ मानने वाले थे, अब पापा जल्दी से बिस्तर पर लेट गए और मम्मी से मुन्ने को चूसने को कहा।
मम्मी बोली- क्या तुम भी गन्दी गन्दी चीज़ें कहते करने के लिए… मुझे नहीं आता ये सब, मैंने कभी किया नहीं है, मैं नहीं करूँगी।
पापा बोले- मैं बताता हूँ जी, कैसे करना है, मज़ा आएगा।
मम्मी बोली- नहीं!
पापा बोले- करो न !
‘नहीं!’
पापा बोले- अगर अच्छा न लगे तो मत करना बस!
मम्मी बोली- कैसे करूँ पर!
पापा बोले- अपनी टंग (जीभ) ग्लांस (मुंड) पर चारों ओर घुमाओ और किस करो।

पापा का लिंग जो अब तब सुकड़ा पड़ा था, अब तक कुछ टाइट सा हो चुका था। मम्मी ने जैसे ही अपनी जीभ से पापा के मुन्ने को किस किया वैसे ही वो भिचक गई, वो मुंह बनाने लगी और बोली- मुझसे नहीं होगा अंकित के पापा!
पापा कुछ नाराज हो गए और उखड़े हुए लहज़े में बोले- मैंने तुम्हें खुश करने के लिए इतना कुछ किया और तुम मेरे लिए… मत करो तुम…
पापा का इतना कहना था कि मम्मी एक आदर्श पत्नी की तरह पापा की आज्ञा का पालन करने में जुट गई।

पहले तो मम्मी ने पापा के लिंग को जीभ से हल्के से टच किया जैसे वो उसका स्वाद चेक कर रही हों, कुछ 1 मिनट इस तरह करने के बाद उनकी हिचक जैसे समाप्त सी हो गई और वो पापा के लिंग के चारों ओर जुबान फेरने लगी कभी वो उसको चूमती, तो कभी लिक करती (चूसती), कभी गलांस के टिप पर जवान रगड़ती जिससे पापा काफी उत्तेजित हो चुके थे।

उनकी उत्तेजना का पता तो उनके मुन्ने को देख कर ही लग रहा था जो अब तक एकदम टाइट हो चुका था और किसी नाग की तरह फन उठाये खड़ा था।

मम्मी ने अपने किश का दायरा बढ़ा दिया और अब वो पापा के अंडकोष को भी चूमने लगी वो बीच बीच में उसे(अंडकोष) चूस रही थी जैसे ही मम्मी की जीभ अंडकोष पर आई उनकी (पापा की) सिसकारी ही निकल गई।
अब एक तरफ तो मम्मी अंडकोष पर जीभ साफ़ कर रही थी तो साथ ही उनकी हथेलियाँ पापा के लिंग को अपनी मुट्ठी में लेकर आगे पीछे भी करने लगी जैसे उनकी हथेली उनकी चूत हो और पापा उसे पेल रहे हों।

पापा अचानक हिले और बोले- ऐ जी, रुको!
मम्मी बोली- क्या हुआ अब!
‘ऊपर आओ तुम अब!’ पापा बोले।
शायद वो मम्मी के मुख में झड़कर उनका जी (मन) ख़राब करना नहीं चाहते थे क्योंकि ऐसा करने पर उनकी सुहागरात ख़राब हो सकती थी।

मम्मी ने अब पापा के पैरों को हल्का सटाया जिससे पापा के दोनों पैर मम्मी के दोनों पैरों के बीच में आ गये और मम्मी अब उन पर (पापा के पैरों पर) उकड़ू बैठ गई और फिर पापा के मुन्ने को अपने हाथ में लेकर अपनी मुनिया से सटाया और फिर वो पापा के मुन्ने पर पूरी तरह से बैठ गई, फिर दो तीन बार उचक उचक कर ऊपर नीचे बैठी, फिर बोली- एक तो शरीर अब भारी हो गया है और तुम नए नए तरीके से करने को कहते हो! मुझसे नहीं हो रहा है जी, मेरे पैर दुख रहे हैं।

पापा बोले- सुरभि, मेरे कन्धों या बिस्तर पर अपनी हथेलियाँ टिकाओ और तब करो, बहुत मज़ा आएगा।
मम्मी ने अपनी हथेलियाँ पापा के बाँहों के बगल बिस्तर से टिकाई और फिर फिर वो अपने शरीर को ऊपर नीचे करने लगी, कभी वो पापा के उस पर (मुन्ने पर) बैठ जाती, तो कभी हल्का सा उठती और फिर बैठ जाती।
मम्मी उकड़ू बैठ कर ऊपर नीचे हल्के हल्के से उठ बैठ रही थी।

शुरू शुरू में तो उन्हें कुछ तकलीफ हुई, क्योंकि पहले शायद कभी किया नहीं था इस तरह से इसलिये, पर कुछ देर करने के बाद जब से उन्होंने अपने हाथ बिस्तर पर टिकाये थे तब से काफी अच्छा करने लगी थी।
मम्मी अपने शरीर को पापा के शरीर की ओर झुकाये हुए थी और शायद चाहती ही थी की अब पापा उनके शरीर के साथ कुछ शरारत करे।

पापा भी उनकी इंटेंशन (इच्छा) को समझ चुके थे और शायद इसीलिए अभी भी शरारत करने से बाज़ नहीं आ रहे थे, उनके हाथ मम्मी के मम्मों (चूचियों या उरोज़ों) पर चल रहे थे। मम्मी इस बार जैसे ही बैठी पापा ने अपना सर उचका कर मम्मी की निप्पल को मुँह में भर लिया।
मम्मी बोली- अच्छा सुधरोगे नहीं न तुम कभी!
और मुस्कुराने लगी, फिर चुपचाप पापा के लिंग पर बैठ गई और बोली- अब मैं भी नहीं करुँगी, जाओ।
बनावटी गुस्सा दिखाते हुए मम्मी बोली- तुम मुझे परेशान करते हो न! अब चखाती हूँ तुम्हें मज़ा।

पापा ने मम्मी के स्तनों को चूसना छोड़ा और बोले- करो न सुरभि प्लीज प्लीज कर न…
मम्मी बोली- एक शर्त पर करूँगी।
पापा बोले- क्या?
मम्मी बोली- अब इसके बाद कोई शैतानी नहीं चलेगी। यह आखिरी बार है, आज रात इसके बाद सुहागरात का सेलिब्रेशन ख़त्म!
पापा बोले- हाँ हाँ ठीक है, पहले यह राउंड तो ख़त्म करो, फिर आगे देखेंगे।

मम्मी अब हल्के हल्के धक्के लगाते लगाते आगे झुकी और पापा के सीने से चिपक गई, पापा के होंठो को चूसने लगी और बीच बीच में बाईट भी किये जा रही थी।
पापा बोले- थोड़ा तेज़ तो कर न!
मम्मी हल्के हल्के पापा की जांघो के ऊपर बैठी उछल रही थी।
पापा बोले- चल ना!
मम्मी- क्या चल?
पापा- कर न!
मम्मी- क्या कर न?
पापा- मूव कर। (ऊपर नीचे होने के लिए)
मम्मी- मुझसे नहीं हो रहा।
पापा- क्यों? क्यों नहीं हो रहा?
मम्मी- मेरी कमर में दर्द है! जो इतनी देर मेरे ऊपर चढ़े थे इसलिए!
पापा- तो क्या हुआ चलो, मै अभी तेल लगा दूंगा।
मम्मी हँस कर बोली- मेरी डाँड (गाँड) ही नहीं मुड़ रही।
पापा हँसे और कहा- डांड नहीं गाँड। चल न! मज़ा तो दे… क्या कर रही हो?
मम्मी- हू…
पापा- क्या हूँ?
मैं अब समझ गया था कि मम्मी अब पापा के साथ मस्ती कर रही हैं और उन्हें छेड़ रही हैं।
पापा बोले- मैं आऊँ फिर ऊपर?
मम्मी बोली- नहीं!
क्योंकि वो जानती थी कि अगर पापा ऊपर आये तो मम्मी की बैंड बजा देंगे।
पापा: तो?
मम्मी- तो बस यही कि मैं नहीं!

मम्मी अपनी बात पूरी भी नहीँ कर पाई थी कि पापा ने उन्हें बेड पर लेटे लेटे ही दो तीन झटके लगाए और मम्मी से बोले- सुरभि थोड़ा चार्ज तो कर!
पापा के अचानक धक्के लगाने से मम्मी चौंक सी गई क्योंकि उन्हें शायद ऐसी उम्मीद नहीँ थी और पापा की ओर देखते हुए अचम्भे से
उनके मुंह से निकला- हैंऐ…

उस दिन मैंने जाना कि मेरे पापा में बहुत ताकत है क्योंकि बेड पर लेटे लेटे ही धक्के लगाना कोई मामूली बात नहीं वो भी तब जब कोई औरत किसी के शरीर पर बैठी हो।
पापा- कर न!
मम्मी मुस्कुराते हुए बोली- मुश्किल है!
पापा- क्या बकवास है यार?

मम्मी पापा के मुन्ने पर ऊपर नीचे हो रही थी पर शायद इतने धक्के से पापा के मुन्ने पे कोई असर नहीं हो रहा था!
पापा के हाथ मम्मी की चूचियों पर थे और उन्हें हल्के हल्के दबा रहे थे।

मम्मी ने अपना चेहरा ऊपर कर रखा था और उनकी ऑंखें बंद थी। धीरे धीरे करने से उन्हें मज़ा तो जरूर आ रहा था इतना तो पक्का था और शायद दर्द भी नहीं हो रहा था जैसे कि पापा के तेज़ करने पर होता था। मम्मी के धक्के लगाने पर उनके स्तन लगातार हिल रहे थे।
पापा- ऐ जी!
मम्मी- हुम्म?
पापा- जरा तेज़ किक कर न डिस्चार्ज करा न!
मम्मी- डिस्चार्ज कैसे करूँ, बताओ फिर तुम्ही? कर तो रही हूँ।
पापा- कर न!
मम्मी- कर तो रही हूँ।
पापा- सही से कर!
मम्मी- सही से तो कर रही हूँ!
मम्मी मुँह बनाते हुए बोली।

मम्मी अब आगे की ओर झुकी और पापा के सीने को अपने कोमल हाथों से सहलाने लगी, पापा भी अपने हाथों से मम्मी के गोल गोल चूचों को दबा रहे थे और उनके भूरे भूरे बटनों को अपनी ऊँगली और अगूठे से मसल रहे थे।
मम्मी के स्तन किसी गेंद के भाँति फूल कर कुप्पा हो चुके थे और एकदम टाइट से मध्यम आकार के से थे जैसे किसी 22 या 23 साल की युवती के स्तन हों।
मम्मी के स्तन एकदम लाल से चमक से रहे थे जैसे उनकी सम्पूर्ण छाती पर किसी ने अनार का रस मल दिया हो।
मम्मी के स्तनों को देखकर एक अनाड़ी भी बता सकता था कि उनकी वासना और उत्तेजना अपने शिखर पर है।

पापा बोले- टू गुड (बहुत अच्छा) हूँ न!
मम्मी हँसने लगी और मुंह बिचकाते हुए इठलाते हुए किसी छोटे बच्चे की तरह तुतलाते हुए बोली- मुझे नहीं पता!
इतना कह कर वो पापा के सीने से चिपक गई।

पापा भी इतराते हुए बोले- अगर मेरी जान को नहीं पता तो किस को पता है?
मम्मी फिर बोली- मुझे नहीं पता !
और फिर दोनों चुम्बन करने लगे।
कहानी जारी रहेगी…
मेरी कहानी आपको कैसी लगी, मुझे जरूर बतायें, मुझे ढेर सारे मेल्स करें।
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