मेरी रूम मेट के पिताजी के साथ- 1

(Nude Aunty Uncle Sex Kahani)

न्यूड आंटी अंकल सेक्स मैंने अपने सामने अपनी आँखों से देखा. वे मेरी रूम मेट के माता पिता थे. एक दिन मैं किसी काम से रूम में लौटी तो देखा कि आंटी एकदम नंगी बिस्तर पर लेटी हुई थी.

कैसे हैं मित्रो, काफी लंबे समय से आप लोगों के लिए कोई कहानी नहीं लिख पाया हूं

जैसा आप सबको मालूम है कि मेरी कोई भी कहानी पूर्णतया काल्पनिक नहीं होती है.
मेरे द्वारा भेजी गई हर कहानी किसी न किसी सत्य कथा से ओतप्रोत होती है.

मेरी पिछली कहानी थी: बढ़ती उम्र में नयी तरंग

वर्तमान कहानी भी मेरे साथ घटित एक ऐसी ही घटना की बानगी है.
कहानी के लिए मैंने अपनी इस कहानी की नायिका को ही लिखने के लिए प्रेरित किया.

शुरू में तो है वह कहानी लिखना ही नहीं चाहती थी पर मेरे द्वारा प्रेरित किए जाने के उपरांत वह इस शर्त पर कहानी लिखने को तैयार हुई किस के प्रकाशन से पूर्व मैं इसमें सभी वांछित संशोधन करके ही प्रकाशन हेतु भेजूँगा।

यहां मैं एक बात और भी बताना उचित समझता हूं कि हो सकता है कुछ पाठकों को यह कहानी में कुछ गंदगी दिखाई दे और वे पाठक उपदेश झाड़ने से भी पीछे नहीं रहेंगे तो ऐसे पाठक कृपया इस कहानी को ना पढ़ें.
यह कहानी सिर्फ उन्हीं पाठकों के लिए है जो यहां कहानी आनंद के लिए पढ़ने आते हैं।

तो मित्रों यह कहानी मेरी इस कहानी की नायिका द्वारा ही लिखी गई है।
मेरे द्वारा इसमें कुछ व्याकरण संबंधी संशोधन मात्र ही किए गए हैं.
आशा है आप न्यूड आंटी अंकल सेक्स कहानी का आनंद लेंगे।

प्रस्तुत है कहानी:

सभी पाठकों को प्रणाम.

ऐसी कहानी या फिर कोई भी कहानी मैं पहली बार ही लिख रही हूं और यह कहानी भी मुझे राजीव जी के कहने पर ही लिखनी पड़ रही है.
कोई भी त्रुटि हो तो माफ कर दे।

यह कहानी सुनें.

मेरा नाम श्रुति गंगवार है.
मैं उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले की रहने वाली हूं.
वर्तमान में मैं पुणे में भारत की एक प्रतिष्ठित कंपनी में कार्यरत हूं.

मेरी कंपनी में इस वर्ष आए नए लोगों में पूर्वी नाम की लड़की भी शामिल थी जो अपने माता-पिता के साथ यहां एक होटल में ठहरी हुई थी और पुणे में ही अपने रहने के लिए कोई आवास ढूंढ रही थी।

ऑफिस में बातचीत के दौरान जब उसने मुझे अपनी आवश्यकता बताई तो मैंने उसे अपने फ्लैट में शिफ्ट होने के लिए कहा क्योंकि मेरे फ्लैट में भी एक कमरा खाली था तय हुआ कि हम दोनों एक एक कमरे में रह लेंगी और फ्लैट का किराया आधा-आधा बांट लेंगी.

उसी दिन शाम को पूर्वी अपने माता पिता के साथ अपना सामान लेकर मेरे फ्लैट में आ गई।

पूर्वी के माता पिता अर्थात राजीव अंकल और शशि आंटी काफी व्यवहारिक और मिलनसार थे.
मैंने उन सभी का स्वागत किया और पूर्वी का कमरा लगाने में भी उसकी मदद की।

पूर्वी ने बताया कि अभी 7 दिन और उसके माता-पिता यहीं उसके साथ रुकेंगे उनकी वापसी की फ्लाइट एक सप्ताह बाद की है।

बस यही एक सप्ताह मेरे जीवन को परिवर्तित कर गया।

सारा दिन मैं और पूर्वी ऑफिस रहती हैं और अंकल आंटी के साथ फ्लैट पर ही रहते थे या कहीं घूमने निकल जाते थे.

अंकल हम दोनों का बहुत ख्याल रखते थे.
वे जितना स्नेह पूर्वी से करते हैं, उतना ही मुझसे भी।

वैसे तो अंकल और आंटी का यहां रहना हमारे लिए फायदेमंद था क्योंकि वो दिनभर हमारे फ्लैट का ख्याल भी रखते थे और उनके रहने से हमें सुबह शाम ताजा घर का बना खाना भी मिल रहा था।

परंतु फिर भी ना जाने क्यों मुझे उन लोगों के साथ हल्की सी बंदिश महसूस हो रही थी क्योंकि अकेले रहने के कारण मैं थोड़ा सा बिंदास रहती थी.
खुले अथवा अधनंगे कपड़े पहनना मेरी आदत में था परंतु जब से अंकल और आंटी आए थे, मुझे सोच सोच कर कपड़े पहनने पड़ते थे।
फोन पर भी हल्की आवाज में बात करनी पड़ती थी।

हालांकि अंकल और आंटी ने कभी मुझे नहीं टोका था पर फिर भी अंदर से वही फीलिंग होती थी कि उनको बुरा ना लग जाए।

फिर भी आदत अनुसार मैं शाम को ऑफिस से आते ही चेंज करती थी।
अपने सभी वस्त्र उतारने के बाद मैं अक्सर छोटी निक्कर और टॉप पहन लेती है ताकि मुझे खुला खुला महसूस हो।

आप सब लोगों को मालूम है कि पुणे के मौसम में गर्मी ज्यादा होती है.
ऐसे में कम और खुले वस्त्र पहनना ही सेहत के लिए अच्छा होता है।

हालांकि अंकल ने कभी इन सब चीजों को नोटिस नहीं किया और अगर किया भी हो तो मुझे अहसास नहीं होने दिया।

परंतु मुझे खुद अजीब सा महसूस होता था।

अंकल और आंटी अक्सर अपने आप में मस्त रहते थे।
दोनों एक दूसरे के प्रति काफी रोमांटिक थे और छोटी-छोटी बातों पर एक दूसरे से चुहलबाजी करने का और एक दूसरे को छेड़ने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे।

हमारे फ्लैट की तीन चाबियां थी एक चाबी मेरे पास रहती है, दूसरी पूर्वी के पास और तीसरी चाबी हम अंकल को दे जाते हैं ताकि अगर उनको कहीं जाना हो तो फ्लैट को बंद करके जा सकें।

उस दिन सोमवार था, मैं और पूर्वी सुबह सुबह तैयार होकर अपने ऑफिस के लिए निकल गई.

नीचे आकर जब हम ऑटो बुक करने लगी तो बैग में हाथ डालते ही मुझे याद आया कि मैं अपना मोबाइल तो अपने कमरे में चार्जिंग पर लगा कर ही छोड़ आई थी.
मैंने पूर्वी को बोला कि मैं मोबाइल लेकर आती हूं.

और वापस ऊपर अपने फ्लैट पर चली गई.

फ्लैट अंदर से बंद था तो मैंने बैग से चाबी निकालकर फ्लैट का दरवाजा खोला।

जैसे ही दरवाजा खुलने की आवाज हुई, अंदर से आंटी की आवाज आयी- कौन है?
मैंने जवाब में कहा- मैं हूं आंटी!

तब तक मैं तेज़ी से अंदर पहुंची तो देखा आंटी बिल्कुल नंग धड़ंग बिस्तर पर लेटी हुई थी.
मुझे देखते ही उन्होंने अपना बदन चादर से ढक लिया और अंकल बिल्कुल नग्न अवस्था में बाथरूम की तरफ चले गए।

उन दोनों को इस अवस्था में देखते ही मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई।
बाथरूम की तरफ भागते राजीव अंकल से एक सेकंड को मेरी नजरें भी मिली पर एक सेकंड बाद ही वे बाथरूम के अंदर घुस चुके थे।

मैंने भी अपना मोबाइल उठाया और मुस्कुराती हुई तेरी से बाहर आ गई।

ऑफिस पहुंचकर मेरा मन काम में नहीं लग रहा था, बार-बार नजरों के सामने अंकल और आंटी का नग्न बदन आ रहा था।

किसी तरह मैंने आधा दिन ऑफिस में बिताया और फिर पूर्वी को बोली- मेरी तबीयत ठीक नहीं है, मैं घर जा रही हूं.
और ऑटो बुलाकर वहां से घर के लिए निकल गई।

मेरे मन में यही इच्छा थी कि जो दृश्य सुबह देखने को मिला, काश घर पाहुचते ही फिर से वही दृश्य देखने को मिले.
इसीलिए मैंने पहले से घर आने की सूचना अंकल आंटी को भी नहीं दी।

मैं बहुत तेजी से अपनी बिल्डिंग में पहुंची।

लिफ्ट से अपने फ्लैट तक पहुंची और बिना कोई शोर किए बहुत सावधानी से फ्लैट का दरवाजा खोला.

अंदर का दृश्य देखकर मैं हैरान थी।

लॉबी में ही फर्श पर अंकल बिल्कुल आदमजात नग्न अवस्था में लेटे हुए थे और आंटी उनके ऊपर बैठी हुई जोर-जोर से कूद रही थी साथ ही हांफ भी रही थी।

वह दृश्य देखकर मैं हतप्रभ थी.

बहुत हल्के से बिना कोई आवाज किये ही मैंने फ्लैट का दरवाजा फिर बंद किया और कुछ देर बाहर ही खड़ी रही।
मैं सोचती रही कि क्या करूं … मुझे अंदर जाना चाहिए या नहीं?

2 मिनट सोचने के बाद मैंने निर्णय लिया और अपनी चाबी से फ्लैट का दरवाजा खोलने की बजाय फ्लैट की घंटी बजाई।

तीन बार घंटी बजाने के बाद भी जब दरवाजा नहीं खोला तो मैंने बैग से अपनी चाबी द्वारा निकाली।

तभी अंदर से फ्लैट का दरवाजा खुला और आंटी ने मुस्कुराते हुए मेरा स्वागत किया.

मैंने देखा कि आंटी ने नाइट गाउन पहना हुआ था।

“अरे श्रुति बेटा, अचानक कैसे, तबीयत तो ठीक है?“ आंटी ने पूछा।
“नहीं आंटी, कुछ अजीब अजीब सा महसूस हो रहा है, सिर में भारीपन है, काम नहीं हो रहा था इसलिए मैं घर वापस आ गई।“ बोलती हुई मैं लेट के अंदर आई और सीधे अपने कमरे में आ गई।

करीब 5 मिनट बाद बिल्कुल साधारण वस्त्रों में अंकल और आंटी मेरे सामने खड़े थे।
दोनों काफी स्नेह पूर्वक व्यवहार कर रहे थे।

आंटी ने बैठकर मेरा सिर दबाना शुरू कर दिया.

अंकल ने मुझसे पूछा- बेटी, क्या तकलीफ है मुझे बताओ, मैं तुम्हारे लिए दवाई ले जाता हूं।
मैंने कहा- नहीं अंकल, ऐसी कोई बात नहीं है।

फिर भी अंकल नहीं माने और मेरी तकलीफ पूछ कर मेरे यह दवाई लेने चले गए।
आंटी मेरे लिए चाय बनाने लगी।

10 मिनट बाद अंकल मेरे लिए दवाई लेकर आए।
आंटी ने चाय दी, मैंने चाय के साथ एक खुराक खा ली।

अंकल और आंटी मेरे कमरे में ही बैठे रहे।
उन्हें मेरी चिंता थी।

परंतु मैंने कहा- आप दोनों अपने कमरे में आराम कीजिए। मैं भी थोड़ी देर आराम करना चाहती हूं।

मेरे ऐसा कहने पर वे दोनों पूर्वी के कमरे में चले गए।
उनके जाते ही मैंने अपना कमरा अंदर से बंद किया और अपने बिस्तर पर आ गई.

मेरे सिर में भयंकर भारीपन था।
पूरे शरीर में अजीब से गर्मी महसूस हो रही थी और मुझे बार-बार अंकल और आंटी का नंगा बदन दिखाई दे रहा था।

मैं सोने की कोशिश कर रही थी पर नींद तो शायद मुझ से कोसों दूर थी।

मुझे इतनी गर्मी लग रही थी कि ऐसा लगा जैसे मेरा पूरा बदन उसमें झुलस जाएगा।

मैं बिस्तर से उठी और नहाने के लिए अपने बाथरूम की तरफ बढ़ गई।

बाथरूम में जाते ही मैंने अपने सारे कपड़े उतार फेंके और शावर चला दिया।

मैं बिल्कुल आदमजात नंगी शावर के ठंडे पानी के नीचे खड़ी थी.
मुझे फिर भी अपने बदन में से आग निकलती महसूस हो रही थी।

शावर के नीचे खड़े खड़े मुझे पता ही नहीं चला कि कब मेरे खुद के हाथ मेरे बदन पर चलने लगे और अपने एक हाथ से मैं अपनी चूचियों और दूसरे हाथ से अपनी टांगों के बीच में अपनी गीली हो चुकी मुनिया को सहलाने लगी।
वैसे तो खाली समय में मैं अक्सर अपने मोबाइल पर ब्लू फिल्म देखा करती थी इसलिए मेरे लिए यह सब नया नहीं था.
परंतु अपने इतने करीब अपने किसी जानकार को इस तरह नग्न अवस्था में कामुक गतिविधि करते हुए मैंने अपनी 21 साल के जीवन में पहली बार देखा था।

मेरे बदन की आग मुझे झुलसाने लगी।

शावर का पानी भी मेरे ऊपर गिरने के बाद शायद गर्म हो रहा था।

मैं पागलों की तरह अपने दोनों हाथों से अपने शरीर को, अपने बदन को सहला रही थी।
मुझे याद नहीं कि मैं कितनी देर शावर के नीचे अपने ही नंगे बदन के साथ खेलती रही और कुछ देर बाद जब मेरी प्यारी मुनिया की गुदगुदी शांत हुई और उसमें से कुछ गीला गीला सा निकलने लगा।

अब मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे शरीर का सारा बोझ निकल गया हो।
मुझे बदन में हल्कापन महसूस होने लगा।

तब मैंने तौलिए से अपना शरीर पौंछा और उसी नग्न अवस्था में अपने बिस्तर पर सोने चली गई।
कुछ ही पलों में मुझे नींद आ गई।

नींद भी इतनी गहरी जैसे मैं आज कई वर्षों बाद सोई हूं।

शाम को जब पूर्वी ऑफिस से आई तो उसने मेरा दरवाजा खटखटाया।

अचानक मेरी खुली और मुझे आभास हुआ कि मैंने तो एक भी कपड़ा नहीं पहना है.
मैंने तुरंत रोज की तरह अपनी वह निक्कर और एक सैंडो पहनी।

मैं कमरे से बाहर निकली।

आंटी खाना बना चुकी थी.
हम चारों ने एक साथ बैठकर खाना खाया.

पर पता नहीं क्यों, आज अंकल के प्रति मेरी नजर बदल चुकी थी।

मैं जैसे ही अंकल की तरफ देखती, उनके पहने हुए कपड़ों के अंदर का बदन मुझे दिखाई देता।
अंकल के प्रति एक अजीब सा आकर्षण मुझे महसूस हो रहा था।

हालांकि अंकल मुझे बिल्कुल बच्चों की तरह ही व्यवहार कर रहे थे परंतु मेरी नजरें अंकल के प्रति बदल चुकी थी.
मैं बार-बार अंकल को ही घूर रही थी।

मैंने तेज़ी से खाना खाया और अपने कमरे में जाने लगी।

पूर्वी ने मुझसे पूछा- दीदी, आप की तबीयत ठीक नहीं है क्या? कहो तो डॉक्टर को बुला दूँ?

मैंने कहा- नहीं, बस मुझे आराम करना है।
ऐसा बोलकर मैं अपने कमरे में आई और दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।

पता नहीं क्यों, मुझे फिर से अपने बदन मैं वही गर्मी महसूस होने लगी, एक अजीब सा परंतु बहुत मीठा मीठा सा दर्द मुझे अपने बदन में महसूस हो रहा था।

मैंने तुरंत ए सी चलाया।
फिर भी गर्मी के मारे बुरा हाल था।

मैंने अपनी सैंडो और निक्कर उतार दी।
मैं फिर से नंगी हो गई और जाकर अपने बिस्तर पर लेट गई.

मुझे बार-बार अंकल के नंगे बदन पर बैठे आंटी कूदती हुई नजर आ रही थी।

मैंने उस तरफ से ध्यान हटाने के लिए अपने हाथ में मोबाइल उठा लिया पर मेरा ध्यान तो बार-बार वहीं जा रहा था।

मैं मोबाइल में कोई ब्लू फिल्म ढूंढने लगी.

तभी मेरे सामने एक ब्लू फिल्म खुली जिसमें बिल्कुल वही दृश्य था जो मैंने आज दिन में देखा था।
एक पुरुष फर्श पर लेटा हुआ था और उसकी महिला साथी बहुत प्यार से उसके मोटे काले लिंग को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी मुनिया के मुहाने पर लगा कर उस पुरुष के ऊपर बैठ गई और जोर-जोर से कूदने लगी.

मुझे ऐसा लगा जैसे ये दोनों वही अंकल और आंटी हैं।
बार-बार उस ब्लू फिल्म में मुझे अंकल और आंटी की दिखाई देने लगे।

अचानक से मुझे महसूस हुआ कि मेरे चूचुक बहुत कड़े हो गए हैं.
मैंने एक हाथ से अपने एक निप्पल को सहलाया।
“आहह ह ह …” कितना मीठा अहसास था।

सच में मजा आ गया और मुझे पता ही नहीं चला कि तब मैं ब्लू फिल्म देखते देखते अपने ही बदन के साथ खेलने लगी।

कुछ देर बाद मुझे महसूस हुआ कि मेरी मुनिया में से कुछ गीला गीला चिकना सा पदार्थ टपक रहा है और मेरा शरीर अपने आप ही ढीला हो गया।
ऐसा लगा जैसे जीवन के सबसे बड़े सुख की प्राप्ति हो गई हो।

कहने के आगे के भागों में आपको और ज्यादा मजा आएगा.
अपने विचार मुझे बताएं इस न्यूड आंटी अंकल सेक्स कहानी पर!
[email protected]

न्यूड आंटी अंकल सेक्स कहानी का अगला भाग:

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top