मेरी चालू बीवी-10
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इमरान
पहले भी ना जाने कितनी बात सलोनी घर में नंगी ही और काम करती रहती थी मगर मैं उससे कोई रोमांस नहीं करता था और ना मुझे कोई अजीब लगता था। क्युकि हम दोनों यहाँ अकेले ही रहते थे। तो उस आज़ादी का फ़ायदा उठाते थे।
मैं भी ज्यादातर पूरा नंगा ही सोता हूँ और घर पर काफी कम कपड़े ही पहनता हूँ।
मैं जब रसोई में गया तो सलोनी नीचे झुकी हुई कोई सामान निकाल रही थी।
और आज वो ना जाने क्यों इस समय दुनिया की सबसे ज्यादा सेक्सी औरत लग रही थी।
एक पूरी नंगी, मस्त मस्त अंगों वाली नारी जब झुकी हो तो पीछे से उसके नंगे चूतड़ और उसके दोनों भाग से झांकती उसकी सबसे सुन्दर चूत !
क्या बताऊँ दोस्तो, कितना जबर्दस्त दृश्य था।
मैंने अपनी लुंगी वहीं खोली और पीछे से उसको जकड़ लिया।
उसने बड़े आश्चर्य से पीछे घूमकर देखा, क्योंकि ऐसी अवस्था में शायद यह सब काफी समय बाद हुआ था।
शादी के 6 महीने या एक साल तक तो मैं ऐसा सब रोमांस करता भी था मगर तब सलोनी घर पर इस तरह नंगी भी नहीं रहती थी।
मगर जब वो इतना खुली रहने लगी तो मैं अपने बिज़नस में व्यस्त हो गया।
इसीलिए उसने मुझे इस तरह देखा मगर वो इतनी ज्यादा प्यारी है कि उसने कुछ नहीं कहा।
बल्कि मेरे लण्ड पर अपने सेक्सी चूतड़ को हिलाकर कहा- क्या हुआ? आ तो रही हूँ…
मैं- क्या कर रही हो मेरी जान? बहुत देर लगा दी।
सलोनी- बस आपके लिए केसर दूध और कुछ ड्राई फ्रूट तल रही थी।
मैं- वाह जान… मजा आ जायगा, क्या कुछ मीठा भी है घर पर…
मैंने साइड खिड़की को खोलते हुए कहा…
हमारी रसोई की एक तरफ एक छोटी खिड़की है जो बाहर गैलरी में खुलती है।
वहाँ कॉलोनी के पीछे वाले रास्ते की सीढ़ी हैं तो दिन में ही वहाँ आना जाना होता है।
और वो भी बहुत कम !
गर्मी में वो खिड़की खुली ही रहती है, पहले मैं ही बंद कर देता था कि सलोनी रसोई में कुछ कम कपड़ों में काम करती थी तो कोई देखे ना…
मगर आज ना जाने किस बात से प्रेरित हो मैंने ही वो खिड़की खोल दी थी।
और वो भी तब जब मैं और सलोनी दोनों ही रसोई मैं पूरे नंगे थे… दोनों के शरीर पर एक कपड़ा नहीं था..
मैं सलोनी से रोमांस भी कर रहा था… ऐसे में कोई हमको देख लेता तो शायद उसका पजामा गीला हो जाता।
मूत से नहीं बल्कि…हा हा हा…
मेरे खिड़की खोलने पर भी सलोनी ने कुछ नहीं कहा, बल्कि हामी भरी…
सलोनी- अहा… कितनी गर्मी हो गई है ना… अच्छा किया आपने… घुटन कुछ कम होगी…
मैंने उसको अपनी ओर करके उसके लाल रसीले लबों को अपने होठों में दबा लिया…
सलोनी ने भी अपने होंठों को खोलकर और उचककर मेरे चुम्बन का जबाब दिया…
सलोनी की पीठ खिड़की की ओर थी और वो आँखें बंद कर मेरे चुम्बन में व्यस्त थी…
मेरे हाथ उसकी नग्न चिकनी पीठ से फिसलते हुए उसके चूतड़ों तक पहुँच गए…
तभी एक पल के लिए मेरी आँख खुली… वैसे तो बाहर पूरा अँधेरा था… मगर मुझे एक पल को लगा की जैसे कोई वहाँ खड़ा है !
क्योंकि मुझे सिगरेट की चिंगारी जलती नजर आई…
?? कौन है वो..??..
सलोनी मेरी बाहों में एक बेल की तरह लिपटी थी बिल्कुल नंगी, उसका गोरा, संगमरमरी जिस्म रसोई की दूधिया रोशनी में चमक रहा था।
और ये सब हमारी रसोई की खिड़की से कोई बावला देख रहा था।
मुझे नहीं पता कि वो कौन है, हाँ यह निश्चित था कि कोई तो है… मैंने दो तीन बार सिगरेट जलती, बुझती देखी..
इस समय उसने सिगरेट अपने हाथों के पीछे की हुई थी… और वो साइड में होकर… झुककर देख रहा था।
सलोनी ने होने होंठ अब मेरे गर्दन पर रगड़ते हुए मेरे कानों के निचले भाग पर पहुँचने की कोशिश की…
वाकई सेक्स के मामले में वो जबरदस्त थी, उसकी इस कोशिश से मेरा लण्ड पूरा खड़ा होकर उसकी चूत पर टकराने लगा।
बहुत गरम और मस्त अहसास था… मेरा लण्ड ज्यादा बड़ा तो नहीं, परन्तु 5.5 से 6 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा होगा। खड़ा होने पर उसकी आगे की खाल खुद ऊपर हो जाती है और मोटा सुपारा बाहर आ जाता था, वो इस समय सलोनी की कसी हुई प्यारी चूत को छू रहा था।
तभी मेरे मन ने सोचा कि क्या सलोनी को इस आदमी के बारे में बताया जाये…
मेरे दिल ने कहा- अरे… यही तो मौका है उसके दिल में खुद को सेक्स के मामले में बड़ा दिखाने का और आगे खुलकर मस्ती करने का…
बस मैंने सलोनी को और कसकर अपनी बाहों में जकड़ा और अपना सीधा हाथ से उसका सर और बाएं हाथ से चूतड़ सहलाते हुए मैं बहुत धीरे से उसके कान में फुसफुसाया- जान… मुझे लग रहा है कि खिड़की से कोई हमको देख रहा है।
अचानक सलोनी ने कसमसाकर मेरी बाहों से निकलने की कोशिश करने लगी… उसकी हरकतों से साफ़ लगा कि वो अपने नग्न जिस्म को छुपाना चाह रही है..
मैं फिर फुसफुसाते हुए- शांत रहो जान, मुझे देखने दो कि वो कौन है…
सलोनी- पर मैं नंगी हूँ…
वो मुझसे भी धीमी आवाज में मेरे कान में बोली।
‘हाँ’ आश्चर्य रूप से उसका बदन शांत हो गया था अब उसमें खुद को छुपाने की जल्दबाजी नहीं थी।
मैंने वैसे ही उसको चिपकाये हुए उसको कहा- तो क्या हुआ जान, उसने तो हमको देख ही लिया है… अब जरा मैं भी तो देखूँ कि यह साला है कौन… तुम ऐसा करो वैसे ही प्यार करते हुए थोड़ा खिड़की के पास को खिसको… वो शायद थोड़ा साइड में है… और ऐसे जाहिर करना कि हमको कुछ नहीं पता…
मुझे कुछ अंदेशा सा था… मगर मेरी सारी आशाओं से विपरीत सलोनी पहले से भी ज्यादा कामुक तरीके से मेरे से लिपट गई…
और उसने मेरी गर्दन में दांतों को गड़ाते हुए अपनी चूत को और भी तेजी से मेरे लण्ड पर लगड़ा और खिसकते हुए अपनी पतली सेक्सी कमर घुमाते हुए बहुत धीरे धीरे… खिड़की की ओर बढ़ने लगी…
मैं भी उसके साथ लिपटा हुआ आगे हो रहा था… उसकी इस अदा मैं कुर्बान हो गया था…
ओह माय गॉड… यह क्या… मेरे लण्ड के टॉप ने सलोनी के चूत का गीलापन तो पहले ही पता चल रहा था मगर एक बार खिसकने में…मेरा लण्ड उसकी चूत के गर्म छेद से टिक गया…
और तभी उसके सुपाड़े पर सलोनी की चूत का ढेर सारा पानी गिर गया…
यह क्या ! जो मेरी जान कई धक्कों के बाद और कभी कभी तो मेरे झड़ने के बाद भी अशांत रहती थी..
आज मेरे लण्ड को घुसाये बिना… केवल लण्ड के छुअन से ही धराशायी हो गई थी…
यह उसका आज का पारस का प्यार… या मेरा ऐसा प्यार करने का तरीका तो नहीं हो सकता…
यह जरूर एक ऐसा एहसास था कि कोई उसको नंगी अवस्था में ऐसे चुदाई करते देख रहा है…
वाह… दोस्तो… इस तरह के सेक्स ने यहाँ हमारे जीवन में अचानक ही एक नया मोड़ ला दिया था…
सलोनी के चूत के पानी ने मेरे लण्ड को और भी जोश में ला दिया था…
मगर आश्चय यह था कि झड़ने के बाद भी सलोनी के जोश में रत्ती भर भी कमी नहीं आई थी…
अब हम खिड़की के काफी निकट थे…
कहानी जारी रहेगी।
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