मौसी मौसा जी की कामुक चुदाई लाइव ब्लू-फिल्म

(Live Sex Secne)

लाइव सेक्स सीन का मजा मैंने तब लिया जब मैं मौसी के घर रहने आई थी. रात को पानी पीने उठी तो मौसी के कमरे से आवाज सुन कर मैं उधर गयी.

यह कहानी सुनें.

नमस्कार दोस्तो,
मैं अन्तर्वासना की एक पुरानी और नियमित पाठिका हूँ.

आज मेरे मन में एक तीव्र इच्छा जागी कि क्यों न मैं भी अपनी कामुक यात्रा की मादक कहानी आपके साथ साझा करूँ, जो मेरे दिल की गहराइयों से निकलकर आपके सामने आए.

सबसे पहले मैं आपको अपने बारे में थोड़ा बता देती हूँ ताकि आप मेरी इस लाइव सेक्स सीन की रसीली दुनिया में खो जाएं.

मैं राजस्थान के एक छोटे से गांव की रहने वाली हूँ.
मेरा नाम काव्या है और मेरी उम्र अभी 29 साल की है.

अब तो मैं एक शादीशुदा औरत हूँ, जिसके जिस्म में आग और नज़रों में मादकता भरी है.

लेकिन यह कहानी उस समय की है जब मैं कॉलेज में पढ़ने शहर में रहने वाली अपनी मौसी के घर गई थी.

मेरा फिगर फिलहाल 34-28-36 है, एकदम गोरा रंग और काले घने बाल जो किसी की भी सांसें थाम लेने का दम रखते हैं.
मेरी हर अदा, हर कर्व पुरुषों के दिलों में हलचल मचाने के लिए काफी है.

ये सेक्स कहानी एकदम सच्ची है और मेरे सेक्स जीवन की शुरुआत का वह पहला कामुक पन्ना है जो आज भी मेरे जिस्म में सिहरन पैदा करता है.

बात उन दिनों की है जब मैंने 12वीं पास की थी.
मेरे सपनों को पंख लगाने के लिए मुझे गांव से शहर की ओर रुख करना पड़ा.

शहर का नाम सुनते ही पापा के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं.
आज के दौर को देखते हुए वे मुझे अकेले भेजने को तैयार नहीं थे.

लेकिन मम्मी ने उनकी हिचक को प्यार से दूर किया.
उन्होंने पापा से मेरी मौसी का हवाला देते हुए कहा कि मेरी छोटी बहन उसी शहर में ही रहती है. आप काव्या को उसके घर छोड़ दें, तो सब ठीक रहेगा.

अपनी साली की बात सुनते ही पापा इस बात पर राज़ी हो गए और शाम को मौसा जी से बात करने का कहकर खेत की ओर निकल गए.

शाम को जब पापा लौटे, हम सबने साथ में खाना खाया और टीवी देखने बैठ गए.

फिर मैंने मम्मी से कहा कि पापा को मौसा जी से बात करने को कहें.

मम्मी ने पापा का मोबाइल लिया और मौसी को कॉल किया.
बातों-बातों में जब मौसी को पता चला कि मैं उनके यहां रहने आ रही हूँ, तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा.

मौसी की तरफ से खुशी जाहीर करने के बाद पापा के मन में रही सही आशंका भी समाप्त हो गई थी और वे अब संतुष्ट लग रहे थे.

उन्होंने मुझसे कहा- बेटा, अपने कपड़े किताबें आदि पैक कर लो.

कुछ दिनों बाद मुझे शहर जाना था.
मैंने अपने लिए कपड़े तैयार किए.

गांव में लड़कियां ज़्यादातर सलवार-सूट ही पहनती हैं, तो मैंने भी कुछ टाइट और आकर्षक सलवार-सूट सिलवाए जो मेरे जिस्म की हर नाज़ुक अदाओं को उभारते थे.

जिस दिन मुझे जाना था, पापा मुझे लेकर सुबह की बस से निकल पड़े क्योंकि उन्हें शाम तक वापस भी आना था.

हम सुबह 11 बजे शहर पहुंचे.
बस से उतरते ही मौसा जी हमें अपनी कार में लेने आए.

उनकी नज़रें मेरे ऊपर ठहर सी गईं और फिर हम कार में बैठकर उनके घर पहुंच गए.

वहां मौसी दरवाज़े पर हमारा इंतज़ार कर रही थीं, उनकी मुस्कान में एक अजीब सा मोहक अंदाज था.

मौसी के परिवार में मौसा-मौसी और उनके दो बच्चे हैं.
बेटी का नाम सजीली और बेटा कार्तिक.

मौसी का नाम कामिनी है, वे मम्मी से 6 साल छोटी हैं.
उनका फिगर 36-30-38 का है और उनका गोरा रंग ऐसा कि किसी भी मर्द के जिस्म में आग लगा दे.
उनके काले बाल और भरी हुई छाती हर किसी को अपनी ओर खींच लेती है.

मौसा जी का नाम राहुल है.
वे भी कम नहीं हैं, एकदम हैंडसम, लंबे-चौड़े और मार्केटिंग के काम से अक्सर बाहर रहते हैं.
उनकी आंखों में एक चमक थी, जो कुछ कहती थी.

मौसा जी ने हमारा सामान अन्दर रखा और हम सब बातों में मशगूल हो गए.

बात करते-करते खाना खाया और पता ही न चला कि कब 3 बज गए.
फिर मौसा जी पापा को बस स्टैंड छोड़ने गए और मैं, मौसी व उनके बच्चों के साथ बातें करती रही.

मौसी ने कहा कि मेरा सामान सजीली और कार्तिक के कमरे में रख दूँ.

हम तीनों भाई-बहनों ने मिलकर सामान सैट किया.
उस कमरे में एक डबल बेड था और हमें तीनों को उसी पर सोना था.

रात को खाना खाकर हम बातें करने लगे.
मौसा जी बोले कि कल मेरा कॉलेज में एडमिशन करवा देंगे.

फिर हम तीनों अपने कमरे में सोने चले गए.
कमरा ऊपर था, हवा में एक अजीब सी गर्मी थी.

मैं बेड के एक कोने पर लेट गई, सजीली बीच में और कार्तिक दूसरी तरफ.

पहली रात थी, नींद देर से आई और मेरा मन कुछ बेचैन सा रहा.

सुबह जल्दी उठकर मैं नहाने चली गई.
गर्म पानी मेरे जिस्म पर गिरा तो एक अजीब सी सिहरन हुई.

नीचे आकर मैंने मौसी की रसोई में मदद की.
फिर मौसा जी मुझे कार में कॉलेज ले गए.

उनकी नज़रें बार-बार मुझ पर ठहर रही थीं. उनकी नजरों से मुझे असहजता सी महसूस हो रही थी.

कॉलेज में एडमिशन के बाद हम दोनों एक साथ घर लौटे, खाना खाया और मौसा जी अपने काम पर निकल गए.

कुछ दिन सब सामान्य रहा.
कॉलेज में मेरी सहेलियां बन गईं और मैं शहर की ज़िंदगी में रमने लगी.

फिर एक रात कुछ ऐसा हुआ कि मेरी दुनिया बदल गई.

उस रात मेरी नींद खुल गई और वापस सोने का मन ही न हुआ.
मैंने सोचा कि किचन में जाकर कुछ खा लूँ.

सीढ़ियां उतरते हुए मैंने देखा कि मौसी के कमरे की लाइट जल रही थी और दरवाज़ा हल्का सा खुला था.

उत्सुकता ने मुझे खींचा और मैंने झाँककर देखा.
जो नज़ारा सामने था, उसने मेरे होश उड़ा दिए.

मौसी और मौसा जी दोनों नंगे थे, उनके जिस्म पर एक भी कपड़ा नहीं.
मौसी की गोरी चमकती त्वचा और मौसा जी का मर्दाना शरीर एक-दूसरे से लिपटे हुए थे.

वे दोनों एक-दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे, मौसा जी मौसी की भरी हुई छातियों को मसल रहे थे और मौसी उनकी मर्दानगी को अपने नाज़ुक हाथों से सहला रही थीं.

मौसा जी का लंड करीब 7 इंच का, मोटा और सख्त, ऐसा कि देखते ही जिस्म में आग लग जाए.

कुछ देर चूमने के बाद मौसा जी ने अपने लौड़े को मौसी के मुँह में डाल दिया.

मौसी लंड चूसने लगीं, उनकी आंखों में वासना नाच रही थी.

मौसा जी उनकी चूत में उंगलियां डालकर उन्हें और गर्म कर रहे थे, साथ ही उनके मुँह को अपने लंड से चोद रहे थे.

वह दृश्य इतना कामुक था कि मेरे पैर काँपने लगे और मेरे जिस्म में एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी.
कुछ देर इस हरकत को अंजाम देने के बाद मौसा जी ने मौसी को पीठ के बल लिटा दिया और उनकी रसीली टांगों को अपने मजबूत कंधों पर चढ़ा लिया.

फिर उन्होंने अपने तनतनाते और लौह दंड से खड़े लंड को मौसी की नम चूत पर धीरे-धीरे रगड़ना शुरू किया जिससे मौसी की सिसकारियां छूटने लगीं.

फिर अचानक से एक जोरदार झटके के साथ मौसा जी ने अपना लंड मौसी की चूत की गहराई में उतार दिया.

मौसी के कंठ से एक मीठी सी आह निकली- आह मादरचोद … धीरे चोद न!
मौसा जी- साली रंडी, लंड खाने में रोज ड्रामा करती है!

वे दोनों गालियों से अपनी चुदाई को आगे बढ़ाने लगे थे.
जैसे-जैसे मौसा जी के धक्कों की रफ्तार बढ़ती गई, मौसी के मुँह से ‘आआ ह्हह … आआ ह्ह्हह’ की मादक आवाजें कमरे में गूंजने लगीं.

मौसी के रसभरे गोल-मटोल बड़े बड़े दूध मौसा जी के हर झटके के साथ लय में उछल रहे थे, मानो कोई ब्लूफिल्म का कामुक नजारा सामने लाइव चल रहा हो.

काफी देर तक उन दोनों का ये कामुक खेल चलता रहा.
वे दोनों एक दूसरे से मानो हारना ही नहीं चाहते थे.

पूरे कमरे में ‘ऊऊऊ … आह.’ की सिसकारियां गूंजती रहीं.
उन दोनों की कामुक आवाजें मेरे दिल की धड़कनों को और तेज कर रही थीं.

इधर मेरी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि मेरे जिस्म में एक अजीब-सी गर्मी दौड़ रही थी.

फिर कुछ देर बाद मौसा जी ने अपना लंड बाहर निकाला और उसे मौसी के रसीले होंठों के बीच ले जाकर उनके मुँह में डाल दिया.
मौसी ने लौड़े को हाथ से पकड़ कर मुँह में जोर-जोर से लेते हुए अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.

मौसी की हरकत से मौसा जी ‘आह्हह’ की सिसकारी भरते हुए आनन्द में डूब गए.

आखिरकार उन्होंने अपने लंड से गर्म पिचकारी मौसी के मुँह में छोड़ दी.
जिसे मौसी ने बड़े चाव से स्वीकार कर लिया.

वे मौसा जी के लौड़े से निकली वीर्य की हर बूंद को चूसती रहीं और गटकती गईं.
उनके मुँह पर आने वाले भाव यह साफ बता रहे थे कि मौसी जी को लंड से निकली रबड़ी खाना कितनी ज्यादा पसंद थी.

ये सब तमाशा खत्म होने के बाद दोनों नंगे ही बिस्तर पर पड़े रहे, उनके जिस्म पसीने से तरबतर थे और सांसें तेज थीं.

लाइव सेक्स सीन का मजा लेने के बाद मैं चुपचाप वहां से अपने कमरे में लौट आई.
लेकिन मेरा मन और तन दोनों बेकाबू हो चुके थे.

नींद मेरी आंखों से कोसों दूर थी.

मैंने अपनी चुत को अपनी दो उंगलियों से सहलाना शुरू कर दिया.
मेरी चुत के इर्द गिर्द नर्म मुलायम रेशमी झांटों का जंगल है.

आज मुझे अपनी चुत पर झांटों की मौजूदगी खल रही थी और मैंने पक्का कर लिया था कि कल चुत की दीवाली मनाऊंगी; झांटों की सफाई कर ही लूँगी.

कुछ देर बाद मेरी एक उंगली चुत के अन्दर घुस गई और उसी वक्त मुझे कामिनी मौसी की गाली याद आ गई.
‘आह मादरचोद धीरे चोद न!’

वह गाली इतनी ज्यादा उत्तेजक लगी कि उसी वक्त उंगली चुत की गहराई में सरकती चली गई.

एक मीठी सी आह निकल गई और मैंने मौसा जी की गाली को याद कर लिया.
‘साली रंडी, लंड खाने में रोज ड्रामा करती है!’

उसी वक्त मेरी चुत ने रस छोड़ दिया क्योंकि काफी देर से चुत रस से भरी हुई थी.

उसे बाहर निकालने वाली मौसा जी की गाली ‘साली रंडी …’ ने सटीक काम कर दिया था.

चुत से रस झड़ जाने के बाद मैं शिथिल हो गई.
फिर काफी देर तक करवटें बदलने के बाद आखिरकार मैं सो गई.

सुबह उठी तो सब कुछ सामान्य सा लग रहा था.
लेकिन मेरा दिमाग उस रात के नशीले मंजर में उलझा हुआ था.

मैंने ठान लिया कि अब हर रात उनकी इस चुदाई का लाइव नजारा देखूंगी.

इसके लिए मैं कार्तिक और सजीली के सोने तक पढ़ाई का बहाना बनाकर जागती रहती थी.

उनके सो जाने के बाद मैं धीरे-धीरे, दबे पांव नीचे जाती.
अगर कमरे की लाइट जल रही होती, तो समझ जाती कि उनका कामुक खेल शुरू हो चुका है.

अब ये मेरा रोज का शौक बन गया था.
मैं उनकी चुदाई को चुपके से देखती, अपने जिस्म में उठती गर्मी को महसूस करती और फिर कमरे में लौटकर सो जाती.

मेरे अपने सेक्स जीवन की शुरुआत कैसे हुई, वह मैं अपनी अगली कहानी में बताऊंगी.

तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी ये पहली आंखों देखी चूत चुदाई की कहानी?
मुझे लाइव सेक्स सीन पर अपनी राय जरूर मेल करें, आपके जवाब का इंतजार रहेगा!
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