क्या माल है मेरी मम्मी-1
(Kya Maal hai Meri Mammi-1)
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मेरी मम्मी दिखने में एकदम माल दिखती थी, पड़ोसी मम्मी को लाइन मारते थे, मम्मी जान बूझकर नाभि से नीचे साड़ी पहनती थी… इस मामले में पापा और मम्मी का अक्सर झगड़ा होता था। मैं छोटा था, समझता नहीं था कि क्या बातें हो रही है पर बड़ होने पर समझा!
बातों के कुछ अंश :
पापा- आज कोई त्यौहार है जो ये कपड़े पहने हैं?
मम्मी- तो क्या त्यौहार को ही अच्छे कपड़े पहनते हैं?
पापा- और यह इतना छोटा ब्लाउज़… इसमें से आधे से ज्यादा चूचे तो दिख रहे हैं?
मम्मी- ब्लाउज दो साल पुराना है… ये ही बड़े हो गए!
पापा- तुम मोटी हो गई हो…
मम्मी – नहीं ये तुमने खींच –खींच कर बड़े किये हैं।
पापा- मैंने?
मम्मी- और नहीं तो क्या मोहल्ले के लोंडों ने?
पापा– मुझे क्या पता? और यह साड़ी इतनी नीचे पहनी है… नाभि से 6 इंच नीचे?
मम्मी- इसमें औरत अच्छी दिखती है… जब कोई पार्टी में दूसरी औरत ऐसे कपड़े पहनती है तो तुम्हारी बड़ी लार गिरती है?
पापा कुछ नहीं बोले क्योंकि बात सच थी…
हमारे पड़ोस में एक अंकल रहते थे, बंगाली थे, बहुत अमीर थे, उनके घर किसी चीज़ की कमी नहीं थी। अंकल लम्पट किस्म के थे और आंटी बहुत ही मादक… माँ अक्सर दोपहर में उनके यहाँ चली जाती थी… वो अंकल और आंटी अक्सर कैरम खेलते थे… मैं और उनकी मेरी हमउम्र बेटी पिंकी दोनों आसपास खेलते थे।
एक दिन खेलते खेलते पिंकी बोली- चलो अपन मम्मी-पापा खेलते हैं…
फिर वो मम्मी की साड़ी पहनकर आई और हम सहज ही खेल रहे थे।
तभी पिंकी बोली- चलो अब सोते हैं…
फिर हम उसके बेड पर सोने चले गए। हम सोने की एक्टिंग करने लगे, पिंकी बोली- चलो अब मुझे किस करो जैसे पापा मम्मी को करते है…
मैंने कहा- मुझे नहीं आता!
पिंकी बोली- मैं सिखाती हूँ।
कह कर मेरे होटों को चूमने लगी।
पहले तो मुझे बुरा लगा पर बाद में मजा आने लगा, मैं भी उसे चूमने लगा, दोनों के होंठ आपस में मिल गए, सांसें एक दूसरे में उलझती गई, मेरे हाथ अपने आप उसके छोटे सन्तरों पर फिरने लगे।
फिर वो बोली- अब चलो मेरी प्यास बुझाओ!
मैंने कहा- मतलब?
वो बोली- अरे तुम एकदम बुद्दू हो… अब मेरी चूत को चोदो ना…
मैंने कहा- ये सब क्या है?
वो बोली- अरे, हर पापा हर मम्मी की रात में प्यास बुझाते है… देखो यह मेरी चूत है, इसमें अपना लंड डालकर मारो मेरी…
कहकर उसने अपनी चूत दिखाई…
एकदम गोरी चूत… हल्के से भूरे बाल… मुझे लगा मेरी लण्ड में करंट आ रहा है…
पिंकी ने झट मेरी पैंट खोली और लण्ड देखकर बोली- अरे अभी तक ढीला है… मेरी चूत में मजा नहीं आयेगा!
उसने मेरे लण्ड को सहलाया वो थोड़ा कड़क हुआ…
पिंकी बोली- तुम रोज मुझसे प्यार किया करो, एक दिन तुम मुझे चोद मारना…
मैंने पूछा- तुम्हें कौन चोदता है?
बोली- किसी को बताना नहीं! मैं और बड़े भैया करते हैं।
मेरा माथा घूम गया… फिर में जल्दी से घर आया और शीशे के सामने खड़ा हो कर अपना लण्ड देखने लगा।
तभी पिंकी दौड़ती हुई आई, बोली- चलो भैया आ गए हैं… मैंने उन्हें बता दिया, वो तुम्हें बुला रहे हैं… मैं पिंकी के बड़े भाई से डरता था… मुन्ना नाम था… वो मोहल्ले में सबका दादा था।
मुन्ना ने मुझे घूरा और बोला- क्यूँ बे, क्या किया तूने पिंकी के साथ?
मैंने डरते हुए सब बता दिया… फिर वो हंसने लगा, बोला- चल सही समय पर मेरी बहन ने तुझे मर्द बना दिया… जा थैंक्स बोल उसे!
मैंने पिंकी को थैंक्स बोला…
फिर मुन्ना ने कहा- पैंट उतार…
मैंने मना किया तो गुस्से में बोला- निकाल निकाल मादरचोद नहीं तो दूंगा एक…
मैंने तुरंत पैंट उतार दी…
फिर बोला -अरे यार पिंकी, इसकी लुल्ली तो वाकई ठंडी है, इसे कड़क बनाया जाए… क्योंकि मैं अपनी बहन को रांड बनाना चाहता हूँ… हाई सोसाइटी की रांड… फिर अपने बाप से भी ज्यादा कमाऊँगा! मेरे एक दोस्त की दोनों बहनें सुपर रांड हैं… साला एक से एक मोबाइल, कपड़े लाता है… चल साले मेरी बहन पर चढ़ जा!
तब तक पिंकी नंगी हो चुकी थी… क्या कश्मीरी बदन था पिंकी का?
पर मेरे लण्ड में तनाव नहीं था…
पिंकी की जवानी देख कर मुन्ना का लौड़ा तन्ना गया था… 7 इंची लंड बड़ा शान से चूत की ओर देख रहा था… पिंकी धीरे धीरे चलकर आई और लिपट गई मुन्ना से, बोली- हाई मेरे राजा चोद दे अपनी बहन इसके सामने!
मुन्ना- हां मेरी रांड, बहन आज पहली बार तू दो लौड़ों से चुदेगी!
पिंकी- कहाँ दो से? देखो ना भैया मेरी लबरेज जवानी भी इसका लंड खड़ा नहीं कर पाई!
मुन्ना– उसका इंतज़ाम है मेरे पास… चल, ‘माँ-बाप और वो’ का खेल शुरू हो गया होगा, देखें और दिखाएँ इसे…
मैं समझा नहीं पर दोनों भाई-बहन ने धीरे से दरवाजे की एक साइड की प्लेट हटाई… सामने बड़े कमरे में तीनों कैरम खेल रहे थे… बीच बीच में जोर जोर से हंस रहे थे।
मुन्ना बोला- आ राजू देख, मेरा बाप कैसे तेरी माँ में लंड डालता है…
मैं सन्न रह गया, मुझे कुछ समझ नहीं आया… गुस्सा इतना आया मुन्ना पर कि अभी इसका जबड़ा तोड़ दूँ पर मैं उससे कमजोर था।
फिर मैं दरवाज़े के छेद से देखने लगा… तीनो हंसी मज़ाक के बीच एक दूसरे को छू रहे थे… जब माँ और आंटी एक दूसरे को छूती थी, तो कुछ नहीं पर जब अंकल माँ के गालों को सहलाते या जांघों पर हाथ फेरते तो मैं रोमांचित हो उठता…
दस मिनट बाद अंकल ने कुछ पीछे से बोतल में डाला और पी गए…
मुन्ना बोला– देख मेरे बाप ने एक पैग पी लिया है… बस तीसरे पैग में मेरे बाप का टैंक तेरी माँ के इलाके पर हमला कर देगा…
मेरी तो समझ में कुछ नहीं आ रहा था… बस मेरा दिमाग ही काम करना बंद कर दिया था… फिर मैंने उन तीनों की बातें सुनना शुरू किया…
अंकल- कल क्यों नहीं आई तू?
माँ- कल मैं शौपिंग पर गई थी!
अंकल- क्या खरीदा? सब्जी भाजी?
माँ- नहीं, आपको खुश करने का सामान… पैंटी–ब्रा… और परफ्यूम!
अंकल- क्या पहन कर आई है? दिखा तो ज़रा…
फिर अंकल ने माँ को गोद में बैठा लिया और चूमने लगे…
माँ पीली साड़ी और लो कट ब्लाउज में एकदम हुस्न की देवी लग रही थी…
फिर आंटी में दूसरा पैग बनाकर दिया…
अब अंकल माँ के गोरे गोरे उरोज ब्लाउज से ऊपर दबाने लगे… आंटी ने अंकल की लुंगी की गाँठ में खोल दी… फिर मस्ती में आकर खुद भी कपड़े उतारने लगी…
माँ के आधे चूचे बाहर आ चुके थे… यह तो में रोज देखता था… काम करते करते कभी कभी तो निप्पल भी दिख जाता था…
फिर एक धमाका हुआ… आंटी ने एक झटके में पूरे कपड़े – घागरा–चोली उतार फैंकी… पर उनकी चूत दिखाई नहीं दे रही थी, अलबत्ता गांड काफी सुंदर थी पर मोटी थी- दोनों वजनदार चूचियाँ लटक रही थी…
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फिर अंकल ने तीसरा पैग पीया…
मुन्ना बोला- अब साले का लवडा, लवड़े से लंड बन जाएगा और पीस कर रख देगा तेरी माँ–छिनाल को…
मुझे मुन्ना के शब्द बहुत अच्छे लग रहे थे…
तभी अंकल खड़े हुए… उनका लटकता लंड 6 इन्च लंबा था… सबसे पहले उन्होंने माँ के रसीले होंठ चूमे, फिर ब्रा सहित ऊपर से नंगी कर दिया…
माँ का हुस्न देख मैं बौरा गया…
कहानी जारी रहेगी।
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