गर्लफ्रेंड के बिना उसकी सहेलियों संग थ्री-सम –2
(Girl-Friend Ke Bina Uski Saheliyon Sang Threesome- Part 2)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left गर्लफ्रेंड के बिना उसकी सहेलियों संग थ्री-सम -1
-
keyboard_arrow_right गर्लफ्रेंड के बिना उसकी सहेलियों संग थ्री-सम –3
-
View all stories in series
अब तक आपने पढ़ा..
प्रियंका ने सुरभि को बताया- जब मुझसे उन दोनों की गरम चुदाई देख कर कंट्रोल नहीं हुआ.. तो इसी वीडियो को दिखाकर उनको ब्लैकमेल करके थ्री-सम कर लिया।
सुरभि- क्या सच में.. तूने मजे ले लिए.. कमीनी.. एक बार भी बताना नहीं हुआ तुझसे? मैं उस दिन से वो नजारा याद करके रोज अपनी चूत में दो उंगली पेलती हूँ.. और तू यहाँ कमीनी.. उसको अपना जीजू बना कर चुद भी गई..सुरभि प्रियंका के ऊपर चढ़ते हुए.. उसका गला दबाते हुए.. मम्मों को दबाने लगी।
‘कमीनी कैसे चोदा तुझको उसने.. अपने लम्बे मोटे सीधे लण्ड से.. हम्म बता पूरी बात..’
प्रियंका ने सारी वारदात अपनी मुँह जुबानी सुना दिया, दोनों की ही चूत गीली हो उठीं।
अब आगे..
सुरभि- यार मेरा भी कुछ करवा दे.. अपने जीजू से.. मैं भी तो उसकी साली लगूंगी न..
सुरभि का कोई बॉयफ्रेंड कभी नहीं था.. वो पढ़ाकू लड़की थी.. लेकिन अपनी अन्तर्वासना को शांत करने के लिए अक्सर अपनी चूत में उंगलियाँ डालने और कभी-कभी पेन-पेंसिल डालने में खूब आगे थी।
प्रियंका- अरे जानेमन.. तरस मत.. कुछ करती हूँ.. तेरी चूत का भी कुछ जुगाड़ लगाती हूँ..।
वो दोनों लोग खूब सोचने लगे.. और एक फिर एक प्लान बनाया।
प्रियंका ने मुझको कॉल किया.. और कहा- जीजू चुदने का मन कर रहा है.. आ जाओ न चोदने?
मैं बोला- यार मन तो मेरा भी उस दिन से तुमको चोदने का बहुत करता है।
प्रियंका- तो एक आईडिया है.. मैं मकान-मालकिन को बोलती हूँ.. कि आयशा का भाई सामान देने आ रहा है.. ट्रेन से.. मकान-मालकिन जानती है.. घर में मेरे अलावा और कोई नहीं है.. जो उससे सामान लेकर आयशा को दे दे।
मैं- हाँ देखो.. शायद बात बन जाए और जरूरत पड़ी.. तो मैं उस औरत से फिर बात करवा दूँगा..
प्रियंका- ओके जीजू.. अपने लण्ड को तैयार रखो.. देर तक चुदाई करनी है.. रात भर.. तो मालिश-वालिश कर लो मेरे लण्ड की.. और मजबूत हथियार बना लो.. एकदम बढ़िया चोदने वाला केला..
मैं- रात भर.. मतलब?
प्रियंका- अरे जीजू आपको मालूम है न कि मेरे कमरे में अनामिका भी रहती है.. तो रात में इसलिए.. क्योंकि मैं कुछ जुगाड़ कर उसको दूसरे कमरे में भेज दूँगी.. आप यह सब छोड़ो.. और अगर बात बन जाए तो शाम को 7 बजे तक आना.. ताकि वो मकान-मालकिन खुद ही बोल दे कि बेटा अब कल सुबह चले जाना।
मैं- ओके..
प्रियंका ने मकान-मालकिन से सारी बात की.. और इस बार उनको इतना विश्वास था कि.. वो बात करवाने को भी नहीं बोली।
तय प्लान के अनुसार मैं शाम को ढेर सारा सामान लेकर हॉस्टल पहुँच गया और मकान-मालकिन से मिल कर उन्हें नमस्ते आदि की.. और फिर प्रियंका के कमरे में पहुँच गया।
प्रियंका और सुरभि ने यह पहले ही प्लान तय किया था.. कि अनामिका को वो सुरभि मैम के कमरे में भेज देंगे.. तो अनामिका.. सुरभि मैम के कमरे में पहुँच गई.. और सुरभि मैम.. प्रियंका के बाथरूम में थी.. जो कि कमरे के अन्दर ही था।
यह मुझको बाद में पता चला था।
प्रियंका के कमरे में एक ही दीवान था क्योंकि अनामिका अभी नई-नई रूम-मेट बनी थी.. तो मकान-मालकिन ने बोला था कि इस महीने एडजस्ट कर लो.. अगले महीने अनामिका का भी दीवान आ जाएगा.. और उनके कमरे में कूलर लगा हुआ था.. ठीक दीवान के ऊपर खिड़की पर..
मेरे कमरे में पहुँचते ही.. प्रियंका ने मेरे हाथ से बैग घसीट कर किनारे रख दिया और वहीं मुझसे लिपट कर खूब तेज-तेज स्मूच करने लगी।
प्रियंका (34c-28- 34) और सुरभि (36d- 30- 36).. प्रियंका ने स्कर्ट पहनी हुई थी.. जो घुटने से ऊपर तक थी.. और ऊपर एक टी-शर्ट डाली हुई थी। प्रियंका मुझको बेतहाशा चूमने-चूसने लगी.. और मेरे कार्गो पैन्ट के ऊपर से मेरे लण्ड को सहलाने लगी।
मैं भी उसका साथ देते हुए.. उसकी स्कर्ट के नीचे से हाथ डालते हुए.. उसकी गाण्ड को सहलाते हुए.. उसको चुम्बन कर रहा था।
प्रियंका इस कदर पागल हो उठी.. जैसे सुरभि मैम को दिखाने के लिए जानबूझ कर ऐसा कर रही हो।
प्रियंका ने मेरी टी-शर्ट में हाथ डाल दिया.. और मेरे निप्पल्स को अपने दोनों अंगूठे से मींजने लगी.. उसकी इस हरकत से मैं पगला गया। मैं उसकी गाण्ड पर पीछे से चांटे मारने लगा।
प्रियंका- ओह्ह.. जीजू.. आराम से… मेरे चूतड़ लाल कर दोगे क्या?
मैं- तो निप्पल्स भी तो तेरे ही हैं.. अब आराम से मसल न..
प्रियंका मेरी टी-शर्ट के अन्दर जबरदस्ती अपना मुँह घुसेड़ने लगी.. और मेरे निप्पल्स को चूसने और काटने लगी।
कुछ मिनट बाद मेरी घुंडियों को चूसते हुए.. मेरे कार्गो की ज़िप खोलने लगी.. और अपना हाथ डालकर मेरी चड्डी के बीच के छेद से मेरा लण्ड निकाल लिया.. जो खड़ा हो चुका था।
उसने मेरे खड़े लौड़े को गप्प से अपने मुँह में अन्दर डाल लिया और जानबूझ कर आवाज निकाल-निकाल कर ‘आहें..’ भरते हुए चूसने लगी।
प्रियंका- आह.. जीजू.. क्या मस्त गुलाबी टोपा है आपका.. सुर्ख गुलाबी.. कितना टाइट है आपका लण्ड.. कितना लम्बा और कितना मोटा लण्ड है आपका.. आह्ह..
मैं थोड़ा हैरान सा था कि इतनी तेज क्यों बोल रही है पर मुझे क्या.. मैंने कहा- हाँ.. चूस लो मेरी साली.. अब तो आपका भी इसमें हक़ बनता है.. आह्ह चूस साली..
मैंने अपनी कार्गो का बटन खोल दिया.. जिससे कार्गो खुद खिसक कर.. नीचे हो गई।
अब प्रियंका अपने एक हाथ से मेरा लण्ड पकड़ कर चूस रही थी.. और दूसरे से मेरे पीछे अपने हाथ से मेरी गाण्ड को सहलाते हुए अपनी तरफ को आगे धकेलने लगी.. और मेरा लण्ड वो पूरा लेने की कोशिश करने लगी.. लेकिन ले नहीं पाती है.. बड़ा है न..
प्रियंका मेरा लौड़ा ऐसे चूस रही थी.. जैसे मानो.. कुल्फी चूस रही हो.. लपलप की आवाज के साथ..
अन्दर बाथरूम में सुरभि भी अपनी चूत सहला रही थी उसकी चूत भी हम दोनों की चुसाई से गनगना उठी थी।
मैं अब प्रियंका के बाल पकड़ कर उसका मुँह अपने लण्ड पर जबरदस्ती ही घुसेड़ने लगा.. उसकी सांस अटक गई।
मैंने उसके बाल पकड़ कर ऊपर उठाया.. और दीवान पर धकेल दिया.. और उसके ऊपर वैसे ही चढ़ गया। मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर उठाकर उसकी सफ़ेद ब्रा से उसके मम्मों निकाल लिया और चूचे दबाते हुए चूसने लगा..
प्रियंका ने अपने पैरों से मेरे पैर से मेरा कार्गो उतार दिया.. अब मैं नीचे से पूरा नंगा था और मैं उधर उसके 34c नाप के रसीले चूचे चूसते हुए दबाने लगा.. मसलने लगा।
मैंने कहा- साली.. आज तेरी जवानी निचोड़ दूँगा.. तेरी चुदास की तड़प खत्म कर दूँगा.. इतना पेलूँगा न.. कि तू सोचती रहेगी.. हाय जीजू ने क्या चुदाई की थी।
मैंने उसके निप्पल चूसते हुए एक हाथ उसकी स्कर्ट के नीचे डाल दिया और चूत में उंगली करने लगा। मैंने देखा कि साली प्रियंका की पैंटी में बीचों-बीच में एक छेद है.. तो उसी छेद से सीधे मेरी उंगली उसकी गीली चूत में सट से घुसती चली गई।
‘क्यों साली रंडी प्रियंका.. तू तो खुद पैंटी फाड़ कर बैठी है?’
प्रियंका ने कहा- अरे जीजू.. जबसे मेरी मुनिया ने आपका लण्ड चखा है न.. तब से गीली ही रहती है.. तो उंगली करने के लिए छेद ही बन लिया… अब जब भी मन करता है.. तो तुरंत दो उंगली पेल लेती हूँ.. और आपके नाम का पानी निकाल लेती हूँ।
यह सुनते ही मैंने जोश में उसकी चूत में अपनी दूसरी उंगली घुसेड़ दी.. और तेजी से आगे-पीछे करने लगा।
वो मेरा नाम लेकर.. कभी हाय विवान.. कभी हाय जीजू.. करके ‘आहें..’ भरने लगी- आह जीजू.. उंगली नहीं.. अपना लण्ड पेल दो.. मेरी चूत की भूख मिटा दो आज.. आज रात भर इस नागोरी चूत में अपना मस्त लण्ड डाल कर रखो.. आह्ह…
मैं उंगली से उसकी चुदाई करते हुए.. उसकी पैंटी निकाल कर बाथरूम के पास अनजाने में फेंक बैठा। प्रियंका ने तुरंत मेरी टी-शर्ट ऊपर से उतार कर जानबूझ कर बाथरूम के पास फेंक दिया।
बाथरूम जो थोड़ा खुला हुआ था और अन्दर अँधेरा था।
वहाँ सुरभि यह सब देख कर अपनी चूत में उंगली पेल रही थी।
मैंने भी उसकी टी-शर्ट को ब्रा के साथ उतार कर कर फेंक दिया.. और उसके चूचों पर झपट पड़ा। उसके दोनों चूचों को मिलाकर दोनों अंगूरों को एक साथ चूसने लगा.. काटने लगा।
उसके गोरे-गोरे चूचों के ऊपर ‘लव बाइट’ बनाने लगा, वो पगला गई और खुद ही अपनी स्कर्ट उतार कर बाथरूम की तरफ फेंक दी।
अब हम दोनों पूरे नंगे हो चुके थे, एक-दूसरे को चूमने-चूसने लगे थे।
उसी अवस्था में वो मेरे लण्ड को अपनी गीली चूत पर रगड़ने लगी.. और हल्का उठ कर खुद ही.. मेरे चूतड़ों को पकड़ कर पीछे से झटके मारने लगी.. जिससे मेरा लण्ड उसकी गीली चूत में आधा घुस गया।
वो तेजी से सिसयाई- आह.. आह.. जीजू.. पूरा घुसेड़ दो.. अब नहीं रहा जाता..
मैंने भी उसको स्मूच करते हुए एक तेज झटके के साथ अपना पूरा लण्ड उसकी चूत में पेल दिया।
वो- आह जीजू.. चोद दो.. साली की चूत को.. खूब तंग किया ना.. चोदो आज जम कर.. मेरी चूत में अपना खड़ा लण्ड का झंडा गाड़ दो.. आह्ह..
मैं उसको तेज-तेज चोदने लगा..
‘फच-फच..’ की आवाज गूंजने लगी.. इसी बीच हल्की सी आहट की आवाज हुई.. शायद सुरभि भी अपनी गीली चूत में उंगली तेज-तेज पेल रही थी.. जो मैंने अनसुना कर दिया।
दोस्तो, इस कहानी में रस भरा पड़ा हुआ है इसको मैं पूरी सत्यता से आपके सामने लिख रहा हूँ.. आप अन्तर्वासना से जुड़े रह कर इस कहानी का आनन्द लीजिए और मुझे अपने ईमेल जरूर भेजते रहिए।
आपका विवान
[email protected]
What did you think of this story??
Comments