घर में भी चूत का मंगल-2

(Ghar Me Bhi Choot Ka Mangal-2)

जब बाबा का लण्ड मेरे अंदर जा कर लगता तो मुझे ऐसे लगता जैसा उनका लण्ड मेरी आंतड़ियों में जा कर लग रहा है, वो मेरे गाल होंठ नाक कान ठोड़ी पूरा चेहरा चाट गए, उनके थूक से मेरे दोनों स्तन भीगे पड़े थे, और उन पर उनके होंठो के चूसने और दाँतो के काटने के निशान भी यहाँ वहाँ बन रहे थे।
मगर बाबा की ताकत का कोई मुकाबला नहीं था, वो तो ऐसे पेल रहे थे जैसे उन्हें बरसों बाद कोई फ़ुद्दी मिली हो।

मैंने पूछा- बाबा यह बताओ, आखरी बार कब किया था?
बाबा बोले- तीन साल से ऊपर हो गए, तुम्हारे जैसी कोई, बेटा मांगने आई थी।
मैंने पूछा- तो दे दिया बेटा।
‘बिल्कुल!’ बाबा बड़े उत्साहित होकर बोले- एक नहीं, दो दो बेटे दिये उसको।

बाबा ने कहा तो पीछे से आवाज़ आई- बाबा मेरे को भी बेटा चाहिए।
हम दोनों एकदम से सन्न रह गए, पीछे कामवाली सोनिया खड़ी थी, तो क्या उसने सब कुछ देख लिया था?
अब मैं तो खुद को छुपा भी नहीं सकती थी।
बाबा बोले- अवश्य बच्चा, पहले यह काम निपटा लूँ, उसके बाद तुमको भी आशीर्वाद देकर जाऊँगा।

मुझे बहुत शर्म आई कि कामवाली सोनिया क्या सोचेगी, मगर अब क्या हो सकता था, सो मैंने बाबा से कहा- बाबा जल्दी से निपटाओ।
उसके बाद तो बाबा ने स्पीड बढ़ाई, करीब 2 मिनट में ही मैं स्खलित हो गई, मैंने बाबा के जिस्म से खुद को चिपका लिया।
‘आह क्या आनन्द था… मैं झड़ रही थी और बाबा मुझे और जोश से ठोक रहे थे… मेरा होने के बाद मैं तो निढाल होकर लेट गई, मगर बाबा तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे।
मैंने बाबा से कहा भी- बाबा मेरा तो हो गया, अब आप भी निपटाओ!

मगर बाबा बोले- बच्चा, अभी तो तुझे 2-3 बार और झड़वाऊँगा।
अब तो बाबा और जोशीले हो गए थे, क्या ग़ज़ब की ताकत थी उनमें… एक दो मिनट तो मुझे थोड़ा मुश्किल सा लगा, मगर बाबा की चुदाई से मेरा फिर से मूड बन गया था, मैंने फिर से बाबा को सहयोग देना शुरू किया और खुद ही बाबा को चूमने चाटने लगी।
अचानक बाबा ने अपना लण्ड बाहर निकाला, उठ कर खड़े हुये और मुझे भी उठाया, जब मैं खड़ी हो गई तो मुझे दूसरी तरफ घुमाया और ज़ोर से बेड पे धक्का दिया, मैं बेड पे गिर पड़ी तो बाबा ने मेरी एक टांग घुटने से मोड़ी और पीछे से अपना लण्ड मेरी चूत में घुसा दिया।
ओहो… हो… क्या पेला बाबा ने मुझे, ऐसा लग रहा था जैसे बाबा तो मेरी चूत से ख़ून निकाल देंगे… मैं तड़प उठी, मुझे दर्द हो रहा था। मैंने कहा भी- बस करो बाबा, अब और नहीं सहा जाता, मुझे दर्द हो रहा है!

मगर मेरी सुनने वाला कौन था, बाबा तो धक्के पे धक्का मार रहे थे, मेरी पीठ पर बाबा ने दोनों हाथों से मुट्ठियाँ भींच ली, मेरी पीठ का मांस बाबा के हाथों में था और मुझे बहुत दर्द हो रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे मेरा दैहिक शोषण हो रहा हो, मैं तड़प रही थी, मेरी आँखों से आँसू निकल रहे थे, और चूत पानी पानी थी।
मैं इस दर्दनाक सुख की आज पहली बार अनुभूति कर रही थी। बाबा ने नीचे से हाथ डाल एक हाथ से मेरा स्तन पकड़ लिया और मेरे निप्पल को अपनी उँगलियों से मसलने लगे और दूसरे हाथ से मेरी चूत का दाना मसलने लगे।

यह तो और भी तकलीफ़देह था क्योंकि वो बहुत ही ज़ोर ज़ोर से मसल रहे थे। बस अब मैं इस आनन्द को नहीं सह सकती थी और मैं नीचे असहाय पड़ी एक बार और सखलित हो गई।
जब मैं स्खलित हुई तो मैंने बाबा से कहा- बाबा, मैं दूसरी बार झड़ गई हूँ, अब और नहीं कर सकती।

बाबा मुझे लेटा छोड़ कर उठ गए मगर मुझमें उठने की भी ताकत नहीं थी।

बाबा ने कामवाली को पुकारा- आओ बच्चा, तुम भी बाबा का आशीर्वाद लो।

मगर वो पहले ही बोली- बाबा, मुझे बस आशीर्वाद ही देना, मैं इतना ज़ोर के सहन नहीं कर पाऊँगी, मैं तो मर ही जाऊँगी।
बाबा मुस्कुराए और उन्होंने ने सोनिया को नीचे कालीन पर ही लिटाया, खुद उसकी साड़ी ऊपर उठाई और अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया।

बाबा ने बड़े आराम से उसके साथ किया, जब उसको भी मज़ा आने लगा तो उसने भी अपना ब्लाउज़ ऊपर उठा कर अपनी चूचियाँ निकाल कर बाबा को दी मगर बाबा ने नहीं पी।
बाबा बोले- चूचियाँ तो तेरी मालकिन की मस्त हैं।

मैं ऊपर लेटी सोनिया की चुदाई देखती रही, वो तो बस दो मिनट में ही स्खलित हो गई, उसके बाद बाबा ने सोनिया से पूछ कर उसकी चूत में वीर्यपात किया।
जब बाबा ने अपना लण्ड बाहर निकाला तो वो तब उतना ही तना हुआ था, बाबा वीर्य, चू कर उसकी चूत से बाहर टपक रहा था।
आज पहली बार था कि एक नौकरानी और मालकिन एक साथ एक दूसरे के सामने चुदी थी और दोनों नंगी लेटी थी।

चुदाई करने के बाद बाबा जब जाने लगे तो बोले- जब मैं तुम्हारे घर में आया था न… तभी मुझे आभास हो गया था कि आज मुझे सम्भोग सुख मिलेगा।
इसके बाद बाबा हर हर कहते चले गए और फिर कभी लौट के नहीं आए।
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