विधवा मम्मी को चाचा ने चोदा
(Bhabhi Devar Xxx Kahani)
भाभी देवर Xxx कहानी मेरी मम्मी और चाचा की चुदाई की है. मैंने उन दोनों को चुदाई करते खुद अपनी आँखों से देखा. जो देखा, वही आपको इस कहानी में बता रही हूँ.
दोस्तो, मैं अजय श्रीवास्तव 38 साल का एक बिज़नेस मैन हूँ. अनिता मेरी वाइफ है, जो हाउस वाइफ है. उसकी उम्र 36 साल है.
इंटरनेट पर एक कामुक बेवसाइट पर हमारे 5 करोड़ से ज्यादा प्रशंसक हैं.
वो लोग काफी दिनों से डिमांड कर रहे थे कि हम अपनी सेक्स लाइफ की मदभरी कहानियों को उनके साथ अन्तर्वासना पर शेयर करें.
उसी क्रम में ये हमारी पहली सेक्स कहानी है.
मैं उम्मीद करता हूँ कि आप लोगों को भाभी देवर Xxx कहानी पसंद आएगी. अगर कोई गलती रह जाए … तो आप अपनी राय जरूर देना.
चूंकि आप लोग जानते ही हैं कि लेडीज फर्स्ट का मामला सभी जगह लागू होता है, इसलिए पहली सेक्स कहानी अनिता की ओर से उसी के शब्दों में आपके सामने पेश है.
यह कहानी सुनें.
हैलो आल, मैं अनीता अन्तर्वासना की एक नियमित पाठिका हूं. इधर बहुत सी कहानियों को पढ़ने के बाद मेरे मन में भी आया कि मैं अपनी सेक्स कहानी आप सभी पाठकों के साथ साझा करूं.
मैं और अजय 10 साल से अपना सुखी विवाहित जीवन जी रहे हैं. आज मेरी उम्र 36 वर्ष है.
शादी से पहले मेरा घर का नाम नेहा था. तो मेरे करीबी लोग मुझे अनीता या नेहा किसी भी नाम से बुलाते हैं.
ये सेक्स कहानी तब से शुरू होती है जब मैं पढ़ती थी.
मेरे पिता जी जल विभाग में कर्मचारी थे, मैं उनकी इकलौती संतान हूँ.
हमारे घर में उनके और मेरी मां के बहुत झगड़े होते थे, जिस कारण पिताजी बहुत ज्यादा शराब पीने लगे थे.
एक दिन नशे की हालत में उनका एक्सीडेंट हो गया और उनकी मृत्यु हो गई.
उस वक़्त मैं कमसिन लड़की थी.
पिता की मृत्यु के बाद मेरी देखभाल करने को सिर्फ मेरी मां मंजुला (मीनू) ही बची थीं.
मेरे पिता जी की नशे की आदत और हॉस्पिटल के खर्चे की वजह से हमारे ऊपर थोड़ा कर्जा भी हो गया था.
पिता जी जल विभाग में थे, तो उधर की राजनीति के चलते मेरी मां को उनकी जगह नौकरी भी नहीं मिल रही थी. बहुत सी परेशानियां हमें घेर चुकी थीं.
मेरे पिता तीन भाई थे. मेरे दो चाचा भी हैं. जिस घर में हम रहते थे, वो हमारे दादा का था … मतलब उसमें चाचा लोगों का भी हिस्सा था.
मगर चाचा लोगों की नौकरी पास के शहरों में थी, इस वजह से उस मकान में सिर्फ मैं और मेरी मम्मी मीनू ही रहती थीं.
जब कहीं से कुछ मदद नहीं मिली, तो मेरे बड़े चाचा सामने आए और मम्मी से बोले कि भाभी आप अपना हिस्सा मुझे बेच दो और पैसे लेकर कहीं और चले जाओ.
मेरी मां बहुत परेशान हो गईं कि कहां जाएं … क्या करें.
तब उन्होंने छोटे चाचा, जिनका नाम निखिल है, उनको फोन लगाया और घर बुला लिया.
निखिल चाचा की कुछ नेताओं से पहचान थी और काफी मेहनत के बाद मम्मी की नौकरी जल निगम में पक्की हो गई.
मगर मुफ्त में कुछ नहीं मिलता है. विधवा पर सारे मर्द गिद्ध दृष्टि जमाए बैठे रहते हैं.
निखिल चाचा भी मम्मी के पुराने आशिक़ थे.
कई बार होली के समय वो बहुत अजीब सी हरकतें भी कर चुके थे, जैसे मम्मी के स्तनों पर रंग लगाते समय उन्हें मसल देना आदि.
इस बार तो उनको पूरा मौका मिल गया था.
नौकरी के अहसान के बदले उन्होंने मम्मी से शारीरिक संबंधों की मांग की.
घर के हालात को ध्यान में रख कर मम्मी ने उनको हां बोल दिया.
मेरी मां और मेरे बीच बहुत अच्छे दोस्ताना रिश्ते हैं … और हम दोनों एक दूसरे से सब कुछ साझा कर लेते हैं.
कुछ दिनों बाद मम्मी ने मुझे बताया कि निखिल चाचा को हां बोलने के पीछे दो वजहें थीं.
एक वो मेरी नौकरी लगवा रहा था और आगे भी हमारा ध्यान रखता. दूसरी मुझको भी शारीरिक जरूरतें थीं.
मेरे पिता मेरी मां की शारीरिक जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते थे इसीलिए घर में झगड़े होते थे.
तो निखिल और मम्मी के बीच में शारीरिक संबंध बनना शुरू हुआ.
मुझे आज भी याद है वो रात, जब इन दोनों ने पहली बार संभोग किया था.
वो सर्दियों का समय था. दिसंबर का महीना था … शाम के 7 बजे होंगे. मुझे मम्मी ने जल्दी खाना खिला कर सुला दिया था. मगर मैं समझ गई थी कि कुछ न कुछ गड़बड़ है … तो मैं सोने का नाटक करती रही.
निखिल कमरे में बैठ कर शराब की बोतल को सजा रहा था, तीन बोतलें थीं जिनमें एक वोडका, एक व्हिस्की और एक रेड वाइन की बोतल थी.
तभी मम्मी एक ट्रे में ऑमलेट, भजिया और कुछ खाने का सामान लेकर अन्दर पहुंच गईं.
निखिल चाचा ने लोअर और शर्ट पहनी थी, ऊपर से जैकेट डाल रखा था.
मम्मी से प्रिंटेड साड़ी पहनी थी और ऊपर से कार्डिगन डाला हुआ था. मम्मी ने ट्रे को पास पड़ी टेबल पर रखा और उधर ही बैठ गईं.
ये सब मैं आंगन की खिड़की से देख रही थी.
मैं उधर से कमरे के अन्दर का सारा नजारा देख सकती थी मगर कमरे के अन्दर से खिड़की के बाहर का कुछ नहीं दिखता था क्योंकि बाहर सर्द रात का अंधेरा था.
निखिल- मीनू मेरी जान, जब से तू शादी करके यहां आई है … तब से मैं तेरे लिए तड़प रहा हूं.
मम्मी- निखिल, मैं भी तड़प रही थी एक मर्द के लिए, तेरे भैया तो 4-5 मिनट में ही फुस्स हो जाते थे.
निखिल- मेरी जान मीनू, अब चिंता मत कर तुझे वो सुख दूंगा कि तू पुराने सब दुःख भूल जाएगी.
फिर निखिल ने मम्मी को अपनी गोद में खींचा और उनके होंठों को अपने होंठों से चिपका लिया.
तकरीबन 10 मिनट तक दोनों एक दूसरे के होंठों का रस चूसते रहे.
निखिल- मेरी जान बहुत रसीली है तू … बड़ा रस भरा है तेरे इन होंठों में.
मेरी मम्मी ने इठलाते हुए कहा- आज तक कोई रस चूसने वाला मिला ही नहीं.
मैं यहां पाठकों को बताना चाहती हूं कि मम्मी की शादी कम उम्र में हो गई थी. उनकी सारी परवरिश गांव में हुई थी, इसीलिए वो ज्यादा पढ़ी-लिखी नहीं हैं.
फिर 18 की उम्र में वो मां बन गई थीं … यानि मैं पैदा हो गई थी. फिर 30 साल में वो विधवा हो गईं.
उनकी जवानी इस समय मस्त दिख रही थी. तने हुए दूध मम्मी को मादक बना रहे थे.
निखिल- मेरी जान अब मैं आ गया हूं, तुम किसी भी बात की चिंता मत करना.
चाचा ने मम्मी के कपड़े उतारने शुरू किए. सबसे पहले स्वेटर उतारा, उसके बाद साड़ी का पल्लू हटाया.
पल्लू हटते ही निखिल की आंखों में चमक आ गई- मेरी जान, तेरे चुचे तो बड़े मस्त हैं. क्या साइज है मेरी जान की ब्रा का?
मम्मी ने शर्माते हुए बताया- जी 36B है.
निखिल- ओह मेरी जान.
ये कहते हुए निखिल में मम्मी के ब्लाउज के आगे के भाग को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर फाड़ डाला.
उसके बाद उनका ब्लाउज पूरा उतार दिया. व्हाइट कलर की ब्रा में मम्मी का गदराया हुआ जिस्म अब दिखने लगा था.
बिना किसी देरी के निखिल ने मम्मी की ब्रा भी उतार दी और उन पर झपट पड़ा.
लगभग 20 मिनट तक मेरी मम्मी के चुचे चूसने के बाद निखिल उठा और उनकी बची खुची साड़ी भी उतार फैंकी.
उसके बाद मम्मी का पेटीकोट गिर गया.
अब मम्मी सिर्फ ब्लैक रंग की पैंटी में थीं.
निखिल ने बिना वक़्त गंवाए अपने कपड़े भी उतार दिए.
दोस्तो पहली बार मैंने किसी पुरुष का लंड देखा था. क्या बताऊं निखिल चाचा का लंड 8 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा तो होगा ही.
मम्मी- ओह निखिल … कितना मस्त लिंग है तुम्हारा.
निखिल- मेरी जान इसको लंड कहते हैं. ये लिंग-फिंग कहना छोड़ो और लंड लंड बोलो.
निखिल ने अपने तने हुए लंड को मम्मी के हाथ में दे दिया.
मम्मी उसे अपनी मुट्ठी में भरने लगीं.
तब निखिल ने रेड वाइन की बॉटल खोली और मम्मी की छाती पर धीरे धीरे वाइन डालनी शुरू की.
आधी बोतल रेड वाइन मीनू के जिस्म को छूकर उनके स्तनों को नहलाने लगी थी.
तभी निखिल ने मम्मी के स्तनों को चूसना चाटना शुरू कर दिया. वो सारी वाइन चाट चाट कर पीने लगा.
ये सब देख कर मुझे भी कुछ कुछ होने लगा. मेरे जिस्म में एक अजीब सी सिरहन उठी.
अभी मेरी कमसिन उम्र ही थी मगर आज इस चुदाई के नजारे ने मुझे मस्त बना दिया था.
सारा कमरा मेरी मम्मी की सिसकारियों से गूंज रहा था.
वो बार बार यही बोलती जा रही थीं- आह आह उई आह … मेरी जान मुझे अपना बना ले. आह उह आह अब तक क्यों नहीं मिले थे तुम.
अब निखिल ने मम्मी की पैंटी उतार फैंकी और और उन्हें पूरी तरह से नंगी कर दिया. इस समय मम्मी का शरीर उत्तेजना के मारे चमक रहा था.
निखिल मेरी मम्मी की चूत को देखते ही उछल पड़ा- मेरी जान, तेरी चूत तो एकदम चिकनी है और ये तो बिल्कुल भी खुली नहीं है. क्या बात है.
मीनू- खुलेगी कैसे आज तक इसको खोलने लायक कोई मिला ही नहीं … और हां आज ही सारे बाल साफ़ किए हैं. अब और ना तड़पाओ इसको. निखिल मेरी जान मेरी प्यास बुझा दो.
ये सुनकर निखिल ने धीरे धीरे मीनू की चूत में एक उंगली डाल दी और इसी के साथ मेरी मम्मी की मादक सिसकारियां बढ़ने लगीं.
थोड़ी देर तक मम्मी की चुत में उंगली अन्दर बाहर करने के बाद निखिल ने अपनी जीभ से उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया.
मेरी मम्मी उत्तेजना से भर गईं और उन्होंने निखिल के बालों को पकड़ लिया.
वो जोर जोर से मादक सिसकारियां लेने लगीं.
उनके मुँह से जोश में निकल रहा था- आह निखिल … अब मत तड़पा … चोद दे मुझे … फाड़ दे मेरी चूत … आह बना ले मुझे अपनी रखैल. चोद ना बहनचोद.
मम्मी के मुँह से गाली सुनकर निखिल और जोश में आ गया और उसने अपना 8 इंच लम्बा लंड मेरी मम्मी की गर्म गर्म चूत में डाल दिया.
आधा लंड अन्दर जाते ही मेरी मम्मी जोर से चिल्ला दीं- आह मर गई मैं … आह मादरचोद धीरे कर … आह फट गई मेरी.
मगर निखिल ने बिना रहम दिखाए पूरा लंड मेरी मम्मी की चूत में पेल दिया.
मम्मी बुरी तरह से चिल्ला पड़ीं.
ये सब देखकर मेरी हालत भी खराब हो चली थी.
निखिल ने एक झटके से अपना लंड मेरी मम्मी की चूत में डाला था और वो अचानक से मूसल जैसे लवड़े को अपनी चुत में पेल देने से चिल्ला पड़ी थीं.
फिर निखिल धीरे धीरे अपना लंड चुत में अन्दर बाहर करने लगा. मेरी मम्मी की आंखों में दर्द के मारे आंसू आ गए थे.
थोड़ी देर बाद मम्मी का दर्द सिसकारियों में बदलने लगा. मैं समझ चुकी थी कि अब मम्मी भी चुदाई के मजे लेने लगी हैं.
मम्मी- आह आह उई अम्म आह निखिल … आज मजा आया मेरी जान … और जोर से पेल … आह उह!
इसी तरह 30 मिनट तक ये चुदाई का खेल चलता रहा.
मैं भाभी देवर Xxx देखती रही.
पूरे 30 मिनट बाद निखिल चाचा अपने चरम पर आने लगा था- मेरी जान, मेरा माल निकलने वाला है … कहां निकालूं?
मम्मी- मेरे अन्दर ही निकाल दो जान.
उसके बाद निखिल ने 20-25 जोरदार धक्के मारे और वो मेरी मम्मी के अन्दर ही स्खलित हो गया.
झड़ने के बाद दोनों चित होकर बिस्तर पर गिर गए और चिपक कर लेट गए.
दोस्तो, ये था मेरा पहला चुदाई देखने का का अहसास … कृपया बताएं आपको ये भाभी देवर Xxx कहानी कैसी लगी?
अपनी राय इस मेल पर दें.
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