मेरे चाचा ने मेरी जवानी का पूरा मजा लिया- 1
(Young School Girl Sex Kahani)
यंग स्कूल गर्ल सेक्स कहानी में पढ़ें कि एक ठरकी चाचा ने अपनी जवान भतीजी की जवानी को कैसे सुलगाया, उसकी कुंवारी बुर में उंगली डाल कर उसकी वासना जगाई.
यह कहानी सुनें.
मेरा नाम आयुषी है. मैं लखनऊ की रहने वाली हूं.
मेरी उम्र 26 साल है. मेरा साइज 36-28-38 का है.
मेरे परिवार में मां पापा, एक 22 साल का छोटा भाई और मैं ही हूं.
मैं बचपन में लखनऊ में रहती थी और अभी दिल्ली में जॉब करती हूं.
बात काफी साल पहले की है. मैं तब जवानी की दहलीज पर कदम रख ही रही थी.
गर्मियों की छुट्टियों में हमको यानि मुझे और मेरे भाई को पापा गांव पर छोड़ आते थे ताकि हम दोनों अपने चाचा के बच्चों के साथ खूब मजे से अपनी छुट्टियां बिता सकें.
हमारा गांव शाहजहांपुर में हैं.
गांव में चाचा चाची और उनके तीन बच्चे रहते हैं.
चाचा जी एक लॉ फर्म में काम करते हैं और चाची का मेकअप पार्लर है.
उनके बच्चे उस टाइम 3 साल 5 साल और 6 साल के थे. चाचा की उम्र शायद 28 की और चाची की 26 रही होगी.
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अब मेरी यंग स्कूल गर्ल सेक्स कहानी का मजा लें.
मैं और मेरा भाई गांव पहुंचे और सब बच्चों की तरह सारा दिन खेलने में मगन हो गए.
गर्मी बहुत होने की वजह से मैं हमेशा फ्रॉक ही पहने रहती थी.
एक दिन चाचा अपने काम से वापस आए तो मैं घर में अकेली थी.
बाकी बच्चे बाहर खेल रहे थे और चाची पार्लर गई थी.
चाचा ने मुझसे कहा- बेटा जरा पानी देना.
मैंने उन्हें पानी दिया.
मैं अभी जवानी की चौखट पर कदम रख ही रही थी तो मेरे अंगूर अब संतरे बनने शुरू हो गए थे.
मेरी चूचियों की ग्रोथ आम तौर पर लड़कियों की ग्रोथ से ज्यादा थी. मेरी चूची हाथों में भरने लायक हो गई थी.
उस वक्त अगर मैं जरा सी भी झुकती थी तो मेरी चूचियां साफ नजर आती थीं.
चूंकि मेरी ब्रा पहनने की उम्र नहीं थी, ऐसा मेरी मम्मी सोचती थीं.
लेकिन लंड को कौन समझाए कि मैं अभी चोदने लायक माल बन रही हूँ … कच्ची कली हूँ.
मेरे चाचा मेरे मम्मों की झलक को नजर भरके देखते रहते थे.
वो मैंने कई बार देखा था.
पानी मांगने के बाद उन्होंने मुझसे कहा- आओ बेटा, मेरे पास बैठो.
मैं उनके पास पास बैठ गई.
उन्होंने मेरी पीठ के पीछे से हाथ डाल कर अपना एक हाथ मेरी एक चूची पर रख दिया और दूसरे हाथ से दूसरी चूची को थाम कर मुझे उठाकर अपनी गोद में बिठा लिया.
वो बोले- ऐसे बैठो.
उनके चूची पकड़ते ही मेरे शरीर में करंट सा दौड़ गया पर मैं एकदम शांत रही क्योंकि मेरे लिए ये एकदम नया अहसास था.
फिर वो मुझसे इधर उधर की बातें करने लगे.
इसी बीच मुझे अहसास हुआ कि मेरी गांड के नीचे कोई मोटी सी डंडे जैसी चीज रखी है.
उस वक्त तक मुझे लंड से चुदाई आदि के बारे में कुछ नहीं पता था. मगर मेरी बुर में खुजली सी होने लगी थी. मुझे लगने लगा था कि मैं अपनी बुर में कुछ घुसा लूं.
कुछ देर बार चाची आ गईं और हम सब खाना खाकर सोने चले गए.
अब चाचा मुझे छूने और बहलाने फुसलाने के रोज नए नए तरीके ढूंढते रहते थे.
उनके छूने से मुझे भी अच्छा लगता था तो मैं भी कुछ नहीं कहती थी बल्कि चाचा के हाथ लगाते ही मैं उनके ऊपर ही फ़ैल जाती थी.
अगले दिन फिर से मैं अन्दर थी और बाकी बच्चे बाहर खेल रहे थे.
चाचा ने कहा- यहां आओ बेटा, मैं तुम्हें एक चीज दिखाता हूं.
मैं उनके पास चली गई.
वो मुझे अपने रूम में ले गए और कुंडी लगा ली.
चाचा ने अपने कपड़े चेंज करके लोअर पहन लिया.
फिर मैं जहां बैठी थी, वहां आकर बैठ गए.
वो अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए बोले- बेटा देखो, मुझे यहां पर दर्द हो रहा है.
मुझे कुछ समझ नहीं आया, तो मैंने कुछ भी ही नहीं कहा.
फिर उन्होंने कहा- तुम्हारे हाथ मुलायम हैं न, तो तुम मेरे यहां पर सहला दोगी तो ठीक हो जाएगा.
मैंने कहा- ठीक है चाचा जी. मैं सहला देती हूँ.
मैं सहलाने लगी तो उन्होंने कहा- इस तरह से नहीं बेटा, अन्दर से हाथ डालकर करो, तभी तो दर्द बंद होगा.
ये कहकर उन्होंने अपना लंड लोअर से बाहर निकाल दिया.
उन्हें पता था कि चाची अगले डेढ़ दो घंटे तक नहीं आएंगी.
मैंने जैसे ही उनका लंड देखा, तो मैंने कहा- आपके सूसू में सूजन है क्या?
मैं उस समय लंड को सूसू ही कहती थी. मुझे मालूम नहीं था कि उसे लंड कहते हैं.
उन्होंने पूछा- क्यों?
मैंने कहा- करन (मेरा छोटा भाई) का छोटा सा सूसू है और आपका शायद चोट लगने से सूज गया है.
वो बोले- छोटे बच्चों का छोटा सूसू होता है और बड़े लोगों का बड़ा.
उन्होंने मौके का फायदा उठाकर मुझसे कहा- अच्छा तुम अपनी सूसू दिखाओ तुम्हारी सूसू कितनी बड़ी है?
मैंने कहा- मेरी सूसू ऐसी नहीं है.
तो वो बोले- अच्छा तो फिर कैसी है?
मैंने कहा- वहां पर कुछ नहीं है, बस छोटा सा छेद है.
वो बोले- मैं नहीं मानता, ऐसा थोड़े होता है.
मैंने झट से अपनी पैंटी उतारी और फ्रॉक ऊपर कर दी.
फिर उन्होंने मुझे सोफे पर बिठाया और मेरी टांगें खोल कर मेरी बुर देखने लगे.
मैंने कहा- देखा, मैंने कहा था ना … बस एक छेद है.
उन्होंने कहा- मुझे तो छेद भी नहीं दिख रहा है. बस एक दरार सी है, दो होंठों के बीच में.
मैंने उनसे कहा- अरे है चाचा … आप देखो नीचे की तरफ. वो होंठ के नीचे छुपा है.
उन्होंने फिर से मौके पर चौका मारा और मेरी बुर फैला कर उसमें एक उंगली डाल कर बोले- क्या इस छेद के बारे में कह रही हो?
मैंने तनिक उचकते हुए कहा- हां.
उनकी उंगली का स्पर्श मुझे बड़ा मजा दे गया था.
फिर वो बोले- अरे, ये तो अन्दर से बहुत गंदा है. तुम नहाते टाइम इसे साफ नहीं करती हो क्या?
मैंने कहा- करती तो हूँ, पर नीचे तो दिखाई नहीं देता है न … इसलिए शायद मैल रह गया होगा.
वो बोले- चलो कोई बात नहीं, मैं साफ कर देता हूँ.
ये कहकर वो अपनी उंगली मेरी बुर में घुसाने लगे और अन्दर बाहर करने लगे.
मेरे साथ ऐसा पहली बार हो रहा था पर वो इतने आराम से कर रहे थे कि मुझे बिल्कुल दर्द नहीं हो रहा था; ऊपर से मजा आ रहा था.
मेरी बुर से थोड़ा थोड़ा पानी निकलना शुरू हो गया था.
चाचा बोले- देखो बेटा, इसके साफ होने की यही पहचान होती है कि इससे पानी आना शुरू हो जाता है.
मैं कुछ नहीं बोली. मुझे बेहद सनसनी हो रही थी और मजा आ रहा था.
चाचा आगे बोले- मेरी उंगली ज्यादा अन्दर तक जा नहीं पा रही, मैं बाद में तुम्हारी सूसू को और साफ कर दूंगा. अभी तुम मेरी सूसू सहला दो.
फिर उन्होंने मुझे पैंटी पहनाई और अपने लंड के पास मुझे बैठा लिया और अपना लंड मेरे हाथ में पकड़ा कर ऊपर नीचे करवाने लगे.
फिर चाचा बोले- हां बेटा, ऐसे ही करती रहो, जब दर्द ठीक हो जाएगा तो यहां से मलाई निकलेगी.
मैंने हैरानी से पूछा- चाचा जी, मलाई क्यों निकलेगी?
वो बोले- अरे पागल, तुमको दर्द ठीक करने का इनाम भी तो मिलेगा.
उन्हें पता था कि मुझे दूध दही मलाई मक्खन बहुत पसंद था.
मैं खुश हो गई और उनके लंड को पकड़ कर मुट्ठी मारने लगी.
कुछ मिनट तक लंड को हिलाने के बाद वो झड़ने वाले थे.
वो बोले- बेटा, अब तुम नीचे बैठ जाओ मेरा दर्द ठीक हो गया है, बस मलाई आने वाली है. जल्दी से अपना मुँह खोलो, फिर तुम्हें ढेर सारी मलाई मिलेगी.
उन्होंने मुझे नीचे बैठाया और जोर जोर से अपने लंड की मुठ मारने लगे और अपना बहुत सारा लंड रस मेरे मुँह में भर दिया.
मैंने पी लिया और बोली- चाचा जी, इसका स्वाद वैसी मलाई जैसा नहीं है.
चाचा बोले- बेटा, ये नेचुरल मलाई है … एकदम प्योर. इसका स्वाद ऐसा ही होता है, तुम्हें पसंद नहीं आया क्या?
मुझे झांट कुछ भी समझ नहीं आया कि क्या बोलूं.
मैंने कह दिया- नहीं चाचा जी, अच्छी थी मलाई.
वो बोले- अरे देखो, मेरी सूसू पर तो थोड़ी सी लगी रह गई है, इसको भी चाट कर खा लो.
मैंने कहा- इसको कैसे खाऊं चाचा जी?
वो बोले- अरे जैसे लॉलीपॉप चूसती हो न … वैसे ही चूस लो.
तो मैंने उनका लंड पकड़ा और लॉलीपॉप की तरह उसे चूस चूस कर जो लंड रस बचा था वो भी पी गई.
फिर वो मुझसे बोले- बेटा, ये सब अपनी चाची को या किसी और को मत बताना क्योंकि मेरे पास इतनी मलाई नहीं है कि मैं सबको दूँ. तुमको जब चाहिए हो तब मुझे बता दिया करना, मैं तुम्हें दे दूंगा.
मैं खुश होकर बोली- ठीक है चाचा जी.
बस मैं कूदती हुई रूम से बाहर चली गई.
अब लंड रस का स्वाद मेरी जबान पर चढ़ गया था और बुर में उंगली जाने का नया नया अहसास भी मुझे मजे दे रहा था.
अब मैं खुद भी चाचा को अकेले ढूंढने लगी थी पर ज्यादातर घर में कोई न कोई होता ही था.
फिर एक दिन रात में सब बच्चे रूम में सो रहे थे और मैं अचानक से जग गई थी.
शायद कोई बुरे सपने की वजह से ऐसा हुआ था.
मुझे डर लग रहा था तो मैं उठी और चाचा चाची के कमरे में चली गई.
कमरा अन्दर से खुला था. चाचा और चाची दोनों सोए हुए थे.
चाचा और चाची पूरे नंगे थे.
चाची मस्त चूचियां सीधे लेटी होने की वजह से दोनों तरफ लटक रही थीं.
मैं चाचा के पास गई, उन्हें उठाया और उनसे धीरे से कहा- मुझे उस कमरे में डर लग रहा है.
वो धीमे से बोले- मेरे पास आ जाओ, यहीं लेट जाओ.
उन्होंने मुझे अपने पास में लिटा लिया.
थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरी चूची पर धीरे धीरे हाथ फेरना शुरू किया. फिर उन्होंने मुझसे धीरे से कान में कहा- बेटा, तुझे गर्मी लग रही होगी. लाओ मैं तुम्हारी फ्रॉक उतार देता हूँ.
मुझे उनका हाथ फेरने से मजा आ रहा था तो मैंने उन्हें मना नहीं किया.
उन्होंने मेरी फ्रॉक उतार दी.
दूसरी तरफ चाची मस्त सोई पड़ी थीं और उनके पति देव अपनी ही भतीजी के मजे ले रहे थे.
मेरी फ्रॉक उतरने के बाद चाचा जी मेरी चूची पकड़ कर धीरे धीरे मसल रहे थे.
मैंने पूछा- चाचा जी, ये क्या कर रहे हो?
वो बोले- बेटा, इससे तुम्हारी सारी थकान उतर जाएगी, तुम दिन भर तो खेलती हो न!
फिर चूची मसलते मसलते वो बोले- अरे आज तो तुमने अपनी सूसू साफ ही नहीं करवाई और न ही मलाई खाई?
मैंने कहा- आप आज देर में आए थे न और चाची भी घर आ गई थीं. तब आपने कहा था न कि किसी को बताना नहीं है, नहीं तो सब मलाई मांगेंगे.
तो वो हंसे और बोले- अच्छा हां, ये तो बात सही है. सारी मलाई तो मेरी प्यारी सी आयुषी की है.
फिर वो बोले- आज मैंने तुम्हारी सूसू को साफ करने के लिए बड़ी चीज ढूंढ ली है, उससे सूसू अन्दर तक साफ हो जाया करेगी.
मैं खुश होकर बोली- ये बहुत अच्छा है चाचा जी.
फिर वो बोले- चलो, दूसरे कमरे में तुम्हारी सूसू भी साफ कर देते हैं और तुम्हें मलाई भी देते हैं वरना यहां अगर तुम्हारी चाची जाग गईं तो वो सारी मलाई ले लेंगी और तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा.
मैंने कहा- नहीं, मलाई सिर्फ मुझे चाहिए.
वो फिर से मुस्कुराए और मुझे गोद में उठाकर दूसरे रूम में ले गए.
दोस्तो, मैं अपने चाचा के लंड से पहली बार चुदने जा रही थी.
आप सब मेरे साथ जुड़े रहें और यंग स्कूल गर्ल सेक्स कहानी का मजा लेते रहें. मुझे मेल व कमेंट्स से बताएं कि सेक्स कहानी कैसी लग रही है.
आपकी आयुषी
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