घर में ही मिला चुदाई का रास्ता- 2

(Xxx Mouth Fuck Story)

सोनम वर्मा 2025-02-10 Comments

Xxx माउथ फक स्टोरी में मेरे पापा के दोस्त ने मुझे नंगी देखा तो वे मुझे चोदना चाहते थे, मैं भी उनसे चुदना चाहती थी. एक दिन अंकल ने मुझे नंगी करके मेरी चूत चाटी और लंड चुसवाया.

कहानी के पहले भाग
मुझे लंड की जरूरत थी
में आपने पढ़ा कि मेरी जवानी खिल चुकी थी, मुझे अब एक अदद लंड की सख्त जरूरत लगाने लगी थी पर मेरे घरवालों की सख्ती के कारण मैं किसी लड़के से दोस्ती और चुदाई नहीं कर सकती थी.
तभी हमारे घर में पापा के एक दोस्त रहने लगे. मैं उन्हीं से चुदने के सपने देखने लगी.
एक दिन अंकल ने मुझे नंगी देख लिया. तब से उनकी नजर भी बदल गयी.

यह कहानी सुनें.

अब आगे Xxx माउथ फक स्टोरी:

जल्द ही अंकल का हाथ मेरे गर्दन के नीचे से आकर मेरे सीने के ऊपर चलने लगा।
मुझे ऐसा लग रहा था कि कही उनका हाथ मेरे दूध पर न चला जाये.
लेकिन वे बेहद कंट्रोल के साथ अपना हाथ बस गर्दन के नीचे तक ही ला रहे थे।

उसके बाद उन्होंने मुझे झुका दिया और मेरी पीठ को हल्के हल्के दबाने लगे।
मुझे इतना आराम मिल रहा था कि मानो दिनभर की थकान और सर दर्द बिल्कुल शांत हो गया हो।

काफी देर तक उन्होंने मेरी ऐसे ही मालिश की और फिर वे चले गए।

उनके जाने के बाद मैंने दरवाजा बंद किया और फिर से उनको ही याद करते हुए उंगली की।

धीरे धीरे मेरा और अंकल का एक दूसरे को देखने का नजरिया बदल सा गया था।

मुझे ऐसा लगता था मानो अंकल के अंदर भी मेरे प्रति कुछ न कुछ था.
और रही बात मेरी … तो मेरे अंदर तो अंकल के प्रति वासना भरी पड़ी थी।

धीरे धीरे अंकल को हमारे घर पर रहते हुए 8 महीने हो गए थे और मम्मी पापा को उनपर इतना विश्वास था कि उनके साथ मुझे छोड़कर बाहर शादी या किसी भी कार्यक्रम में चले जाते थे।

मैं इतना तो समझ गई थी कि जब से अंकल ने मुझे बिना कपड़ों के देखा था, उनका मेरे प्रति नजरिया बदल गया था.
लेकिन वे कुछ कह नहीं पा रहे थे.
शायद मेरे घर वालों का डर था या कुछ … और लेकिन उनके अंदर कुछ न कुछ तो था।

या शायद उन्हें मेरी तरफ से कुछ इशारे की जरूरत थी।
मेरे अंदर तो उनके लिए बेहद गंदी बातें भरी पड़ी थी क्योंकि रोज ही मैं उनको याद करके ही उंगली करती थी.
लेकिन मेरी इतनी हिम्मत नहीं थी कि उनसे पहले से कुछ कहूँ।

फिर मैंने सोचा कि चलो आज अंकल को आजमाती हूँ कि उनके अंदर कुछ चल रहा है या नहीं।

उस दिन दोपहर को ही मैंने सरदर्द का बहाना बनाकर मम्मी से दवाई मंगवाने के लिए कहा।

घर पर पापा और भाई थे नहीं … तो मम्मी ने अंकल को ही दवाई लेने के लिए भेज दिया।
अब अंकल को पता चल गया था कि मेरे सर में दर्द है।

थोड़ी देर में अंकल दवाई ले आये और मैं दवाई खाकर कमरे में सोने चली गई।

मैंने सोचा कि अगर अंकल के मन में कुछ होगा तो वे उस दिन की तरह मालिश करने के लिए आएंगे।

मैं काफी देर तक कमरे में लेटी रही लेकिन अंकल नहीं आये और मेरी नींद लग गई।

शाम को जब मैं सोकर उठी तब भी अंकल ने मुझसे कुछ नहीं कहा।
मैं सोचने लगी कि शायद ये सब मेरा वहम ही है और मैं उनके बारे में गलत ही सोच रही हूं।

फिर सभी ने रात का खाना खाया और सभी लोग अपने अपने कमरे में सोने चले गए।

मैं भी अपने बिस्तर पर लेटी हुई थी और मुझे भी नींद नहीं आ रही थी।

रात के 11 बजे अचानक से दरवाजे पर दस्तक हुई और अंकल मेरे कमरे में आ गए।

अंकल आते ही मुझसे पूछने लगे- अब तुम्हारे सर का दर्द कैसा है सविता?
मैंने कहा- कुछ कुछ आराम है अंकल!

अंकल बोले- कहो तो उस दिन की तरह मालिश कर दूँ?
मैं बोली- कर दीजिए अंकल. तब तो सब ठीक हो जाएगा।

अंकल ने आज दरवाजा बंद कर दिया था.
शायद वे इतनी रात में मेरे पास आये थे इसलिए!

लेकिन मैं समझ गई थी कि इनके मन में कुछ तो चल रहा है.
और अगर अंकल कुछ कहेंगे या करेंगे तो मैं मना नहीं करुँगी।

इसके बाद अंकल मेरे पास आये और बिस्तर पर बैठ गए।
मैं लेटी हुई थी और अंकल मेरे सर को दबाने लगे।

कुछ देर बाद अंकल बोले- ऐसे में अच्छे से बन नहीं रहा है तुम उठकर बैठ जाओ।

अब मैं दोनों पैर नीचे झुलाकर पलंग पर बैठ गई और अंकल मेरे पीछे आकर घुटनों के बल बैठ गए।

अंकल ने मेरे बालों को खोल दिया और हल्के हाथों से मालिश करने लगे।

पहले तो अंकल काफी देर तक सर को दबाते रहे और फिर अपने हाथों को गले तक लाकर गले और पीठ की हल्के हल्के मालिश करने लगे।

मैंने गौर किया कि आज अंकल का हाथ गले से कुछ ज्यादा ही नीचे तक जा रहा था लेकिन मेरे दूध तक नहीं जा रहा था.
लेकिन मैंने भी सोच लिया था कि आज अंकल कुछ भी करेंगे मैं चुपचाप बैठी रहूँगी।
मैं दोनों हाथों से बिस्तर को जोर से पकड़े हुए बैठी थी।

अंकल लगातार मेरे पीठ और गर्दन पर मालिश कर रहे थे।

फिर अंकल ने पहली बार अपनी उंगलियों को गले से नीचे तक ले गए और पहली बार उनकी उंगली मेरे कुर्ते के अंदर जाकर मेरे दूध को हल्के से छुआ।

मेरे सारे बदन पर करंट की लहर सी दौड़ गई लेकिन मैं चुपचाप बैठी रही।

अब तो अंकल की उंगलियां इंच इंच करते हुए हर बार कुछ ज्यादा ही अंदर जाने लगी।
और हर बार वे मेरे दूध को छू रहे थे।

उस वक्त अंकल के हाथ बुरी तरह से कांप रहे थे।
अब तो मुझे पूरा विश्वास हो गया था कि अंकल के मन में क्या है।

बस अंकल को मेरी इजाजत की ही जरूरत थी अब!
और मेरी तरफ से उन्हें पूरी छूट थी; मैं बिल्कुल भी उन्हें नहीं रोकने वाली थी क्योंकि मेरे अंदर पहले से ही उनके लिए गंदगी भरी पड़ी थी।

अब हम दोनों के बीच संकोच की दीवार टूटना बाकी रह गई थी।

मेरे मन में क्या था ये अंकल को पता नहीं था और अंकल को इस बात का संकोच था कि कही मैं गुस्सा होकर किसी को कुछ कह न दूँ।

इसलिए अंकल ये सब बहुत ही सोच-समझ कर कर रहे थे।

धीरे धीरे अंकल की उंगलियां मेरे कुर्ते के ज्यादा ही अंदर तक जाने लगी थी और अब उनकी उंगलियां मेरे दोनों दूध के बीच की लाइन तक पहुँच रही थी।

अब अंकल का हाथ मेरे सर से पूरी तरह से हट गया था और अब वे केवल गर्दन से लेकर मेरे सीने पर ही उंगलियां चला रहे थे।

जल्द ही अंकल को भी शायद ये अहसास होता जा रहा था कि मेरे तरफ से कोई विरोध नहीं होगा.
शायद इसलिए ही उन्होंने अपने चेहरे को मेरे चेहरे से सटा लिया था।

उनकी गर्म गर्म सांसें मेरे गालों पर लग रही थी और मेरी सांसें भी अब तेजी से चल रही थी जिसके कारण मेरे दोनों दूध तेजी से आगे पीछे हो रहे थे।

अब तक अंकल को इतना विश्वास हो गया था कि मेरी तरफ से लाइन बिल्कुल साफ है.
इसलिए उन्होंने अचानक से अपने दोनों हाथों को सीने से नीचे ले गए और कुर्ते के ऊपर से ही उन्होंने मेरे दोनों दूध को जकड़ लिया।

मेरे मुँह से बड़ी ही मादक आवाज निकली- आआ आअ आआह अंकल!

बस मेरा इतना ही कहना था कि हम दोनों के बीच जो संकोच की दीवार थी, वह भी टूट गई.
और अंकल ने मुझे एक झटके में पलटा लिया और अपने सीने से लगा लिया।

मैं भी उनके सीने से चिपक गई और अंकल मेरे गालों को चूमने लगे।

शुरू में मैं थोड़ा दिखावटी विरोध करती रही और कहती रही- आआह अंकल नहीं आ आआ आआ! नहीं अंकल न … मत करिए आआ आह कोई आ जायेगा अंकल!
लेकिन मेरा ये दिखावटी विरोध किसी काम का नहीं था।

अंकल ने मेरे गालों को अपने हाथों में थामा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये।
वे बड़े प्यार से मेरे होंठों को चूमने लगे.
और थोड़ा विरोध दिखाने के बाद मैं भी पूरी तरह से उनका साथ देने लगी।

धीरे धीरे अंकल ने मुझे बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे ऊपर आकर मेरे होंठ को चूमने लगे।

जल्द ही अंकल का एक हाथ मेरे सीने पर चला गया और अंकल कमीज के ऊपर से ही मेरे तने हुए दूध को दबाने लगे।
अंकल लगातार मेरे होंठ चूमते हुए मेरे दोनों दूध को बारी बारी से दबा रहे थे।

जल्द ही अंकल ने अपना हाथ नीचे किया और मेरे कुर्ते को ऊपर उठाने लगे लेकिन मैंने उन्हें रोकते हुए कहा- नहीं अंकल नहीं … पहले लाइट बंद करिए।
अंकल मुस्कुराते हुए उठे और जाकर लाइट बंद कर दी।

अब कमरे में बिल्कुल ही अंधेरा छा गया था.
अंकल ने मेरे पास आकर मुझे बिस्तर पर बैठाया और एक झटके में ही मेरी कुर्ती निकाल फेंकी।

अंकल ब्रा के ऊपर से ही मेरे दूध पर टूट पड़े और बुरी तरह से दोनों दूध को चूमने लगे।
जल्द ही अंकल ने मेरे दूध को ब्रा के बाहर निकाल लिया और मेरे निप्पलों को चूसने लगे।

मैं बहुत जोश में थी और जोर जोर से ‘आआह आआह … ऊऊईई ऊऊईई’ कह रही थी।

अंकल ने मेरा मुँह बंद किया और बोले- आवाज मत करना, चुपचाप रहना!

इसके बाद अंकल ने मेरी सलवार भी निकाल दी और मैं केवल ब्रा पैन्टी में रह गई।

अंकल ने भी अपनी बनियान और पैन्ट निकाल दी और केवल चड्डी में रह गए।

अब उन्होंने मुझे बुरी तरह से अपने सीने से चिपका लिया और बुरी तरह से सभी जगह चूमने लगे।
जल्द ही उन्होंने मेरी ब्रा भी निकाल दी और मुझे लेटा कर मेरे दूध को बुरी तरह से चूसने लगे।

मेरी चूत ने जमकर पानी छोड़ना शुरू कर दिया था और लगातार पानी निकलने से मेरी पैन्टी गीली हो गई थी।

जल्द ही अंकल मुझे चूमते हुए मेरी पैन्टी तक जा पहुँचे और मेरी पैन्टी भी निकाल फेंकी।

अब मैं पूरी तरह से नंगी हो गई थी और अंकल ने मेरे दोनों पैरों को फैला दिया।

पहले उन्होंने मेरी चूत को हाथों से छुआ और फिर अपना मुंह मेरी चूत में लगा दिया।

अंकल अपनी जीभ निकालकर मेरी चूत को चाटने लगे और फिर मेरी चूत को मुँह में भरकर बुरी तरह से चूसने लगे।

मैं किसी तरह से अपने आप को रोक रही थी कि मुँह से आवाज न निकले और बुरी तरह से बिस्तर पर मचल रही थी।

कमरे में चारों तरफ अंधेरा था, कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था.
बस अंकल और मैं एक दूसरे के अंगों को महसूस कर रहे थे।

अंकल बिना रुके मेरी चूत को चाट रहे थे और मैं बिस्तर पर इधर उधर मचल रही थी।

काफी देर तक अंकल मेरी चूत को चाटते रहे और मैं ज्यादा देर तक Xxx माउथ फक बर्दाश्त नहीं कर पाई और झड़ गई।

मेरी चूत से गर्म पानी की धार फूट पड़ी और अंकल उस पानी को भी चाटते चले गए।
जल्द ही अंकल ने मेरी चूत का एक एक बूंद पानी चाट कर साफ कर दिया।

मैं निढाल होकर बिस्तर पर लेट गईं।

इसके बाद भी अंकल नहीं रुके और मुझे दुबारा गर्म करने की कोशिश करते हुए लगातार मेरी चूत को चाटते रहे।

कुछ ही देर में मेरे बदन में वासना की आग दुबारा से भड़क उठी और एक बार फिर से मैं गर्म हो गई।

अब अंकल ने भी अपनी चड्डी निकाल दी और जल्दी से मेरे ऊपर आकर मेरे गालों को चूमते हुए मेरे होंठों को चूमने लगे।
अंकल ने मेरी दोनों जांघों को फैला दिया और और अपने लंड से मेरी चूत को मसलने लगे।
पहली बार मुझे उनके लंड का अनुभव हुआ लेकिन अभी मैंने अंकल का लंड देखा नहीं था।

अंकल के लंड का आकार काफी मोटा लग रहा था और काफी गर्म भी था।
वे लंड को मेरी चूत के छेद पर ऊपर नीचे रगड़ रहे थे और लगातार मेरे होंठों को चूम रहे थे।

फिर अंकल ने छेद पर लंड लगाया और मुझे जोर से जकड़ लिया और लंड को चूत में डालने की कोशिश करने लगे।

काफी प्रयास के बाद भी उनका लंड चूत में नहीं जा पाया क्योंकि मेरी चूत उनके लंड के हिसाब से छोटी ही थी।

भले मेरा बदन भरा हुआ और गदराया हुआ था लेकिन उस वक्त मैं केवल 19 साल की ही थी और अभी तक मुझे किसी ने छुआ तक नहीं था।

उनका लंड इतना मोटा था कि वह बार बार फिसलकर कही मेरी जांघ पर चला जाता था तो कभी मेरे पेट की तरफ चला जाता था।

एक बार लंड थोड़ा सा ही अंदर जा पाया था कि मैं जोर से उछल पड़ी.
तब अंकल ने कहा- लगता है कि अभी तुम्हारे साथ ये सब करना ठीक नहीं रहेगा।

इसके बाद अंकल ने मेरी दोनों जांघों को सटा लिया और अपने लंड को जांघ के बीच फंसा लिया और ऐसे ही आगे पीछे करने लगे।

काफी देर तक ऐसा करने के बाद अंकल अंकल ने अपना लंड मेरे हाथों में थमा दिया और उसे हिलाने के लिए बोले।

मैंने पहली बार किसी लंड को अपने हाथों से पकड़ा था.
उनका लंड काफी लंबा और मोटा था।

मैं उस वक्त सोच रही थी कि अच्छा ही हुआ कि अंकल ने ये लंड मेरी चूत में नहीं डाला. वरना पता नहीं मेरी क्या हालत होती।

इसके बाद मैंने उनके लंड को आगे पीछे करते हुए हिलाने लगी.
और अंकल मेरे दूध को सहलाते हुए ‘आआह आआह’ करते हुए बोल रहे थे- और जोर से हिलाओ … और जोर से!

जल्द ही अंकल के लंड से पिचकारी छूट गई और मेरे हाथों पर उनका गाढ़ा गाढ़ा वीर्य निकलने लगा.
मुझे काफी गन्दा लग रहा था तो मैं लंड को छोड़ने लगी.

लेकिन अंकल ने मेरा हाथ पकड़ लिया और हिलाते रहने के लिए बोले।
मैं लंड हिलाती रही और उनका वीर्य उनके ही लंड पर चारों तरफ लग गया।

यह सब करने में मुझे बेहद गंदा लग रहा था लेकिन फिर भी मैंने लंड को आखिर तक हिलाया और अंकल को शांत किया।

तब अंकल और मैं वैसे ही नंगे बदन चिपककर काफी देर तक लेटे रहे और सुबह 4 बजे अंकल अपने कपड़े पहनकर अपने कमरे में चले गए।

इसके बाद तो मैं और अंकल आये दिन रात में ये सब करने लगे.
रात में जब सब सो जाते थे तो अंकल चुपके से मेरे कमरे में आ जाते थे और हम दोनों नंगे होकर एक दूसरे को ऐसे ही मजा देते थे.

लेकिन अंकल ने अभी भी मुझे चोदा नहीं था.
वे जानते थे कि अगर मैं चुदाई को सह नहीं सकी तो कुछ भी दिक्कत हो सकती थी।

दोस्तो, इसके बाद अगले भाग में आप लोग पढ़िए की किस तरह से मुझे और अंकल को मौका मिल गया और अंकल ने मेरी चुदाई की।
कैसे अंकल ने मुझे पहली बार चोदा और लगतार चार दिनों तक हम दोनों के बीच चुदाई का दौर चलता रहा।

ये सब पढ़िए आप कहानी के अगले भाग में!
Xxx माउथ फक स्टोरी के इस भाग पर आप अपनी राय बताइए.
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Xxx माउथ फक स्टोरी का अगला भाग: घर में ही मिला चुदाई का रास्ता- 3

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