वो भीगी-भीगी चूत चुदाई की भीनी-भीनी यादें-3
(Vo Bhigi Chut Chudai Ki Bhini Yaden- Part 3)
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अब तक आपने पढ़ा..
मैं सो रहा था तभी मुझे लगा कि किसी ने मुझे लात मारी है।
अब आगे..
उस वक़्त करीब रात के ढाई बज रहे होंगे। फ़िर मुझे भी नींद नहीं आई और मैं भी खड़ा हो गया। उसे पता नहीं था कि मैं जग चुका हूँ। फ़िर मैं धीरे से उसके करीब गया और उसे पीछे से पकड़ लिया।
पहले तो वो बहुत डर गई, पर फ़िर मैंने उसके गले के पीछे.. मतलब गर्दन पर चुम्बन किया।
इससे उसको बहुत अच्छा लगा।
फ़िर वो मेरी तरफ़ मुड़ी और मेरे होंठों पर चूमने लगी।
हम दोनों ही आँगन में बारिश में भीग रहे थे.. पर हमें कुछ फ़र्क नहीं पड़ रहा था क्योंकि हमारे अन्दर की गर्मी को भी तो शांत करना था।
मैं- रात बहुत हो गई है जान.. सोना नहीं है क्या?
आईशा- तुमने तो अपना वीर्य निकाल दिया और सो गए.. पर मैं तो अभी भी तड़प रही हूँ ना.. मेरी प्यास कौन मिटाएगा? बहुत गंदे हो तुम.. मेरा तो कुछ ख्याल ही नहीं रखते।
मैंने उसके मुँह पर हाथ रख दिया और उसके होंठों को भूखे शेर की तरह चूसने लगा। वो फ़िर से पागल होती जा रही थी और मुझे अपनी ओर खींच रही थी।
मैं उसके चूचों को ज़ोर-ज़ोर से दबा रहा था और उसको गालों पर और सब जगह पर चूम रहा था।
वो बहुत जोश में आ गई थी और उसने मेरा लण्ड अपने हाथों से पकड़ लिया था।
वो मेरे लण्ड को दबा-दबा कर बड़ा कर रही थी।
फ़िर मैंने भी उसकी गाण्ड पर हाथ रखा और उसे ज़ोर-ज़ोर से जकड़ने लगा।
वो और भी गर्म होने लगी और तेज़ सिसकारियाँ लेने लगी।
बारिश से मुझे थोड़ी ठंड भी लग रही थी.. पर उसकी साँसों को मैं महसूस कर पा रहा था।
वो बहुत गर्म होती जा रही थी।
हम दोनों चुम्बन कर रहे थे और एक-दूसरे का रस ले और दे रहे थे, बहुत अच्छा और मीठा लग रहा था।
मैं- मुझे तुम्हें चोदना है.. पर कहाँ चोदूँ.. टॉयलेट में चलेगा?
आईशा- तुम कहीं भी चोदो.. मैं कुछ नहीं जानती.. बस मझे चोद डालो और मेरी प्यास बुझा दो मेरी जान।
फ़िर मैं उसे झट से टॉयलेट में ले गया और दरवाजा बंद कर दिया।
हम दोनों बहुत ज़्यादा जोश में आ गए थे, हम एक-दूसरे को नोंचने लगे और कपड़े उतारने लगे।
मेरा लण्ड फ़िर से एक साँप की तरह फ़नफ़नाने लगा।
वो नीचे बैठ गई और मेरे नाग जैसे फनफनाते हुए लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगी।
उसकी अदाओं से दिख ही रहा था कि वो कितना अच्छा चूसती है और कितनी बड़ी चुदक्कड़ किस्म की है।
‘आअह्ह..’ मेरे मुँह से निकल गया।
वो भी आवाज़ करते-करते मेरा लण्ड चूस रही थी, मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था।
फ़िर मैंने उसको खड़ा किया और उसके नंगे चूचों को चूसने लगा और मैं हल्के से उनको काट भी रहा था। उसे यह बहुत अच्छा लग रहा था- और ज़ोर से चूस मेरे राजा और ज़ोर से काट निप्पल को.. बना ले मुझे अपना.. आज से मैं तेरी ही हूँ और हमेशा तेरी ही रहूँगी।
मैं- हाँ स्वीट-हार्ट.. अब से मैं भी सिर्फ़ तुम्हारा ही हूँ और हमेशा तुम्हारा ही रहूँगा।
फ़िर हम दोनों ने फ़िर से होंठों में होंठ फंसा कर चुम्बन करने लगे।
आईशा- चलो अब मेरी कुँवारी चूत में अपना सॉलिड डंडा डाल दो.. देखो तो कब से तड़प रही है।
मैंने पूछा- तुम मेरा चूस रही थीं तो मुझे लगा कि तुम पहले भी सेक्स कर चुकी हो।
‘नहीं.. मैंने ब्लू-फिल्मों में देखा है कि कैसे लण्ड चूसा जाता है। तुम मेरे लिए पहले हो।’
वो दीवार से लग कर खड़ी थी और मैं भी उसके पीछे आ गया और मैंने उसको कस कर पकड़ लिया। फ़िर उसका हाथ पीछे ले गया और अपना लौड़ा उसके हाथ में दिया और मैं उसकी चूत को रगड़ने लगा।
शायद मैं उसको बहुत ज़्यादा तड़पा रहा था क्योंकि वो अपनी चूत में मेरा लण्ड डलवाने के लिए बहुत बेताब हो रही थी।
वो फ़िर मेरी तरफ़ मुड़ी और मुझे दीवार की तरफ़ धकेल दिया और मुझसे लिपट गई। उसने मेरा लण्ड पकड़ा और अपनी चूत पर रगड़ने लगी।
उसको भी थोड़ा डर तो लग ही रहा था क्योंकि यह उसका भी पहली बार था। पर उस पर डर से ज़्यादा चुदने का भूत सवार था।
उसने मेरा मोटा लण्ड अपनी चूत पर रखा और उस पर वो धीरे-धीरे बैठने लगी।
मैंने नीचे देखा तो मेरा लण्ड अभी थोड़ा ही अन्दर गया था, फ़िर ऊपर देखा तो उसकी आँखों से आँसू निकल रहे थे।
मैंने अपना लण्ड बाहर निकाल लिया तो वो शायद थोड़ी गुस्सा सी हो गई।
आईशा- प्लीज़ इसे बाहर मत निकालो.. अपने लण्ड को मेरे अन्दर ही रहने दो। तुम्हारे प्यार में मैं सब कुछ सहने के लिए तैयार हूँ। मैं कितना भी रोऊँ या चिल्लाऊँ.. मुझसे वादा करो कि तुम नहीं रुकोगे। तुम बस मुझे चोदते ही रहोगे जब तक मैं बेहोश ना हो जाऊँ।
मैं- ठीक है मेले शोना.. आज मैं तुम्हें एक लड़की से औरत बना दूँगा। अब ले मेरा लौड़ा अपनी नरम चूत में।
आईशा- हाँ दो मेरे राजा.. पेलो अपना मोटा लौड़ा मेरी चूत में।
फ़िर मैंने जैसे ही आधा लण्ड उसकी चूत में डाला तो वो बहुत चिल्लाने लगी- आआह्ह्ह.. मुझे मार डालोगे क्या? जल्दी से अपना लण्ड निकालो मेरी चूत से.. मुझे बहुत दर्द हो रहा है.. प्लीज़ इसे जल्दी से निकालो नहीं तो मैं मर जाऊँगी आशू।
मैंने उसकी एक ना सुनी और पूरा लण्ड उसकी नरम और गरम चूत में डाल दिया। मुझे कुछ गीला-गीला महसूस हुआ मेरे लण्ड पर.. तो मैंने उसे बाहर निकाला। मैंने देखा कि मेरे लण्ड पर उसकी चूत का रस था और उसकी सील टूटने से जो खून निकला था.. वो भी था। फ़िर मैंने उसको ये दिखाया।
उसकी आँखों में आँसू थे तो मैंने उसे पोंछा और उसके पूरे चेहरे को चूमने लगा और कहा- अब तुम पूरी औरत बन गई हो। अब तुम ज़िंदगी भर खुशी से चुद सकती हो। अब तुम्हें रोना नहीं पड़ेगा।
फ़िर मैं उसे खड़े-खड़े ही धीरे-धीरे चोदने लगा, उसे भी हौले-हौले चुदने का नशा चढ़ने लगा, वो चुदने के पूरे सुरूर में आ रही थी और अपना होश खो रही थी।
मैं भी तेज़ होता गया।
आईशा- अह्ह्ह्ह्.. कितना मज़ा आ रहा है आशू.. काश तुम मुझे पहले ही मिल गए होते। तुमने तो मुझे पागल ही कर दिया है जान.. अब से मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारी ही हूँ। मैं और किसी की नहीं होना चाहती।
हम दोनों एक-दूसरे को बस चूमते ही रहे और अपना रस एक-दूसरे को देते रहे।
फ़िर मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया और उसकी पीठ दीवार की तरफ़ कर दी।
मैं खड़ा था और उसके दोनों पैर मैंने अपने दोनों हाथों में पकड़ रखे थे और मेरा लण्ड उसकी चूत को दनादन चोद रहा था।
आईशा- वाह मेरे शेर.. तू तो बहुत बड़ा चुदक्कड़ है रे.. कहाँ से आई ऐसी सोच..
मैं- तुम्हें क्या पता.. मैं तुम्हें चोदने के लिए कब से तड़प रहा था। जब से तुम्हें पहली बार देखा तब से दिल में कुछ-कुछ हो रहा था। मैं तुमसे बहुत प्यार करने लगा हूँ आईशा।
आईशा- हाँ मुझे पता है। तुम जिस तरह से मुझे पहली बार देख रहे थे.. मैं समझ गई थी कि तुम मुझे चाहते हो। मैं भी तुम्हें हद से ज़्यादा चाहती हूँ।
फ़िर मैंने अपने लण्ड से उसे हल्के से झटका दिया। वो शर्मा गई और बोली- हाँ मेरे चोदू राजा.. अब ये चूत तुम्हारी ही है। इसे जब चाहे जैसे चाहे चोदते रहना। बस हमेशा मुझे चोदते ही रहना.. कभी रुकना मत।
मैं उसको बहुत तेज़ी से चोदने लगा.. एकदम शेर की तरह।
मैं उसकी चूत को एक तरह से रौंद रहा था.. उसे बिल्कुल खूँखार कुत्ते की तरह भकाभक चोदते ही जा रहा था।
वो बहुत चिल्ला रही थी और मज़े भी ले रही थी- हाँ चोद मुझे और ज़ोर से चोद.. फ़ाड़ डाल मेरी चूत को आज। मैं आज से तेरी बहन नहीं हूँ.. मैं आज से तेरी पत्नी हूँ.. मैं तेरी रंडी बन गई हूँ। चोद साले हरामी.. पेल दे अपना मूसल लौड़ा मेरी छोटी टाईट चूत में.. और मुझे तब तक चोदते रह.. जब तक मैं बेहोश ना हो जाऊँ।
मैं- हाँ मेरी राण्ड.. मैं तुझे एक कुत्ते की तरह चोदूँगा। मैं तुझे कुतिया बना कर चोदूँगा। चुद ले मेरी राण्ड अपने मजनू से.. ऐसा पल फ़िर नहीं मिलेगा। आह्ह्ह्ह.. ले खा ले मेरा लौड़ा। अपनी चूत में डाल के नाच मेरी बुलबुल.. आह्ह्ह्ह.. आह्ह्ह्ह..
पूरे टॉयलेट में सिर्फ़ हमारे चुदने की ही आवाज़ गूंज रही थी।
मैं- अब मैं कंट्रोल नहीं कर सकता आईशा.. मुझे अपना वीर्य निकालना है। बाहर निकाल लूँ क्या?
आईशा- साले बहनचोद.. एक तो इतने दिनों से तड़पाया और ऊपर से तू मेरे अमृत को फ़ेंकने के लिए बोल रहा है। साले पूरा वीर्य मेरी चूत में डाल.. अगर एक बूंद भी बाहर निकली… तो मैं तुझे मार डालूँगी।
उसकी गालियाँ सुनकर मुझे और भी जोश आ गया और मैं उसे ज़ोरों-शोरों से ठोकने लगा। मेरा लौड़ा उसकी चूत में फ़चाफ़च अन्दर बाहर हो रहा था।
वो भी बहुत मस्ती में थी और मेरे लण्ड को अपने अन्दर ले रही थी। उसे स्वर्ग जैसा मजा मिल रहा था।
फ़िर मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में निकाल दिया। उसके बाद उसने मुझे थोड़ा दूर किया और अपनी दो उंगलियाँ अपने चूत में डालीं.. और उसे चाट लिया।
यह सब देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा और मैं उसके होंठों को चूमने लगा और उसकी जीभ को चूसने लगा।
हम दोनों बहुत खुश थे और बहुत संतुष्ट भी। फ़िर हम दोनों ने खुद को साफ़ किया और बिस्तर पर सोने चले गए।
तब करीब सुबह के पाँच बज रहे होंगे.. पर बारिश होने की वजह से समय का पता ही नहीं चल रहा था।
पापा ने मुझे 7 बजे उठाया और कहा- हमें गुजरात के लिए निकलना है। मुझे बहुत दु:ख हुआ कि ये सब कितनी जल्दी हो गया।
हमने सब कुछ कर लिया था.. पर फ़िर भी मन नहीं भरा था। मैं वापिस नहीं जाना चाहता था, मैं आईशा के पास ही रहना चाहता था.. पर सबको कैसे बताऊँ।
उस वक़्त आईशा भी वहाँ मौजूद नहीं थी। मेरी आँखों में आँसू थे और मुझे पता है कि वो भी कहीं ना कहीं किसी कोने में रो रही होगी।
हम सब लोग फ़टाफ़ट तैयार हो गए और रेल्वे स्टेशन के लिए रवाना हो गए.. पर मुझे वो कहीं नज़र नहीं आई।
उस दिन से आज तक मैं उससे मिल नहीं पाया।
ये कैसा प्यार है!
तो दोस्तो, ये थी मेरी अधूरी भीगी-भीगी यादें जो चाहकर भी अब वापिस नहीं आ सकतीं।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी आप मुझे यहाँ बता सकते हैं।
[email protected]..
उम्मीद करता हूँ कि आपको मेरी ये कहानी पसंद आई होगी। अगली बार फ़िर हाज़िर होऊँगा एक नई सच्ची कहानी के साथ.. तब तक के लिए नमस्कार।
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