मस्त लड़की ने मुझे बनाया अपना शूगर डैडी- 3
(Virgin Pussy Finger Story)
वर्जिन पुसी फिंगर स्टोरी में पढ़ें कि करीब 20 साल की एक जवान लड़की मुझे शूगर डैडी बनाकर होटल के कमरे में सेक्स के लिए आई. हम दोनों ने ओरल सेक्स से शुरुआत की.
दोस्तो, मैं राहुल श्रीवास्तव अपनी सेक्स कहानी के अगले भाग के साथ पुन: हाजिर हूँ.
कहानी के पिछले भाग
कुंवारी लड़की के साथ होटल के कमरे में
में अब तक आपने पढ़ा था कि आज की नई जनरेशन की एक कमसिन लौंडिया होटल के कमरे में मेरे साथ सेक्स के लिए आतुर थी.
मैं आदिरा की तरफ पीठ करके सम्पूर्ण नग्न हो गया था और आदिरा मेरी पीठ से लिपट गई थी.
अब आगे वर्जिन पुसी फिंगर स्टोरी:
उसके हाथ मेरे सीने से चिपट गए और उसकी नर्म चूचियां मेरी पीठ से सट गईं.
उधर का अहसास अभी लूट भी न पाया था कि उसके रसभरे होंठ मेरी पीठ पर निशान छोड़ने लगे.
मैं पूरा नग्न, उसके हाथ मेरे सीने पर थे और बदन पीठ से लिपटा हुआ था.
उसके जिस्म की गर्मी मुझे महसूस हो रही थी.
मैंने उसके दोनों हाथ पकड़े और खुद घूम कर उसको अपनी बांहों में भर लिया.
अब मैं उसकी नर्म चूचियों को अच्छे से महसूस कर पा रहा था.
मेरे हाथ उसके पीठ से होते हुए उसके गोल मांसल व भरे हुए चूतड़ों पर ठहर गए.
हल्के हल्के से उसके चूतड़ों को मसलता हुआ सहलाने लगा.
आदिरा ने भी काम वासना में डूब कर मेरी गर्दन में हाथ डाले और वह मेरी छाती को जगह जगह चूमती हुई किस कर रही थी.
मेरे दोनों निप्पलों को बारी बारी से अपने मुलायम होंठों से कुरेद रही थी.
उसका एक हाथ मेरी कमर से जोर से लिपटा था.
अब उसने अपनी स्थिति सही की और अपने मुँह को ऊपर करके गीले होंठों को आगे बढ़ा दिया.
मैंने भी हल्का सा झुक कर उसके नर्म रसीले होंठों को अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिया.
आदिरा अब पूरे मूड में आ गई थी.
हम दोनों के बीच अब तक जो एक बैरियर था, वह गिर गया था … जो झिझक थी, वह भी ख़त्म हो चुकी थी.
उसने खुद को उठा कर मेरी कमर पर सैट करके अपने पैर बांध लिए.
उसके हाथ वैसे ही मेरी गर्दन में थे और पीछे से उसकी गांड पर मेरे हाथों का आसन था.
इसी के साथ मेरा लंड उसके दोनों चूतड़ के बीच फंसा था.
हम दोनों का किस एक बार भी नहीं टूटा था.
मेरी गोद में आदिरा मुझे किस किए जा रही थी.
उसकी आंखें लाल हो चली थीं और बाल बिखरने लगे थे.
कभी मैं उसके ऊपर के होंठों को चूसता, चूमता … तो कभी नीचे वाले होंठों को.
तभी आदिरा ने अपनी जीभ निकाल कर मेरे मुँह में डाल दी और मैं उसको चूसने लगा.
दोनों के मुँह से लार रिसने लगी.
उसकी जीभ मेरे मुँह के अन्दर तक का जायजा ले रही थी.
मैंने अब उसको उस नर्म गद्दे पर लिटा दिया और उसके अर्धनग्न जिस्म को अच्छे से निहारा.
गीले होंठों से बहता रस देख कर मेरा लंड थोड़ा और उत्तेजित अवस्था में आ गया था, पर अभी पूरा पत्थर की तरह सख्त नहीं हुआ था.
पहली बार आदिरा ने मेरे नग्न जिस्म को देखा.
मेरा लंड देख कर उसकी आंखें बड़ी सी हो गईं.
पहली बार उसकी नज़रों के सामने एक परिपक्व लंड था.
मैं झुका और उसकी ड्रेस उतारने लगा.
आदिरा ने अपना जिस्म उठा कर मेरी मदद की.
अब आदिरा सिर्फ ब्रा पैंटी में थी.
आदिरा नर्म स्प्रिंग गद्दे पर पड़ी थी … और सफ़ेद चादर के ऊपर थी, जिस पर उसका गुलाबी बदन खिल सा रहा था.
मैं वासना से वशीभूत अपनी फंतासी को साकार करता हुआ उसके ऊपर छा गया.
उसने भी अपने शुगर डैडी को अपनी बांहों में समेट लिया.
मेरे होंठ उसकी गर्दन पर चुम्बन लेने लगे.
आदिरा ने भी मेरे लिए टांगों को खोल कर मेरे जिस्म को समेटा और मेरी गांड पर अपनी टांगों से कैची बना कर मुझे जकड़ लिया.
ऐसे यौवन के जिस्म की कोमलता शब्दों में बयान नहीं की जा सकती, सिर्फ महसूस की जा सकती है और वह मैं कर रहा था.
आदिरा अपनी कमर हिला कर चूत को मेरे लंड से रगड़ रही थी.
तभी आदिरा मेरे कान में धीमे से बोली- डैडी, काफी वक़्त से इस पल का इंतज़ार था, आज आप रुकना नहीं!
अब समझ में आया कि आदिरा मेरी तरफ मुझसे ज्यादा सेक्सुअली आकर्षित थी.
मैंने भी बिना कुछ बोले, उसके होंठों को चूम लिया.
मेरे नग्न लंड को चूत के पास गीलापन लगा.
मैंने हाथ पीछे ले जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और चूची के ऊपर से से उसकी मुलायम त्वचा को चाटने लगा चूसने लगा.
इसका असर यह हुआ कि उसकी चूचियों पर जगह जगह गहरे लाल निशान दिखने लगे.
मैं हल्के हल्के से उसके कोमल बदन को चाटने लगा.
ढीली होकर लटकी हुई ब्रा को आदिरा ने खुद ही उतार कर फेंक दी.
उफ्फ … गोल ठोस चूचियां … दूध सी गोरी और बिल्कुल छोटे छोटे से गुलाबी निप्पल अन्दर धंसे हुए थे.
निप्पल के चारों तरफ ऐरोला का छोटा सा पिंक घेरा … उफ्फ क्या चूचियां थीं.
मुझे अंदाज़ा तो था, पर इतनी गर्म चूचियां होंगी, ये नहीं सोचा था.
मैंने देर नहीं की और झुक कर उसके एक निप्पल को अभी जीभ की नोक से चाटा ही था कि एक जोर सी आवाज़ आई ‘आआह … अह्हह्ह … डैडी …’
मेरी गर्म जीभ का असर था कि आदिरा के हाथ मेरे सर पर आ गए और उसने अपनी सुडौल चूची पर मेरा सर कस के दबा दिया.
मैंने भी उसके निप्पल को होंठों में दबा लिया और हौले हौले से उसके निप्पल को चूसने लगा.
आदिरा के हाथ मेरे सर को सहलाने लगे.
जैसे जैसे मेरा चूसना बढ़ता गया, उसके बदन में कम्पन बढ़ने लगी.
उसका एक हाथ मेरे सर को और दूसरा मेरी कमर को सहला रहा था.
उसके होंठों से बस ‘उफ्फ आह आहह … आ यस उफ्फ् …’ की आवाज निकल रही थी.
एक कमसिन लौंडिया के मुख से फूटने वाली मादक सिसकारियां किसी भी मर्द में जोश भर देती हैं.
धीरे धीरे उसकी पूरी एक चूची मेरे मुँह में समा गई.
मेरी जीभ और दांतों ने उसको मादक सा दर्द देना शुरू कर दिया.
मैं जी भर कर कभी चूची चूसता, तो कभी निप्पल को होंठों में दबा कर चाटता, तो कभी निप्पल को दांत से काट लेता और फिर से चूची चूसने लगता.
उसकी दोनों चूचियां लाल सी हो गई थीं.
मेरे दांतों की चुभन उसको दर्द भरा आनन्द दे रही थी.
आदिरा मेरी गर्दन और कंधों को चूमने लगी, काटने लगी.
इसी दरमियान आदिरा का जिस्म नाचने सा और तड़फने सा लगा था.
‘आ आ अहह उफ्फ़ आह डैडी आह …’
वह जब जब डैडी कहती तो मेरे लंड में और ज्यादा सख्तपन आ जाता.
धीरे धीरे मैं नीचे आने लगा.
आदिरा ने अपनी टांगों को और खोला और मुझे अपनी दोनों टांगों के बीच में अच्छे से जकड़ लिया.
‘आह डैडी … और करो आह्ह्ह … बस ऐसे ही हां … हां …’
मैंने उसके गोरे गोरे गुलाबी बदन को चूमता हुआ सपाट पेट को दांतों से दबा लिया.
आदिरा- आह्ह्ह ह्ह्ह … स्स्स्स् … डैडी ई ई … उफ्फ्फ़ आप में जादू है डैडी आह आह यस आआह!
मेरी जीभ उसकी छोटी सी नाभि को चूमने लगी.
उसके बदन की थिरकन बता रही थी कि वह उस पल के आनन्द में डूबी हुई है.
आदिरा थोड़ी सी उठ कर मेरे कंधों को चाटने लगी.
वह मेरी गर्दन में अपने गर्म होंठों से मुझे पिघला रही थी.
उसकी गर्म सांसें … उफ्फ्फ़..
कभी वह मेरे कंधों पर या गर्दन में अपने सफ़ेद मोती जैसे दांतों से काट लेती, तो मेरी हल्की सी चीख निकल जाती.
‘आउच … ई..ई..ई.’
पर इस दर्द में अपना एक अलग ही मज़ा था.
आदिरा की दोनों टांगें हवा में उठी हुई और दोनों दिशाओं में फैली हुई थीं.
उसकी दोनों टांगों के बीच में बने त्रिभुज में उसकी चूत को झलकाती पैंटी, अपने अन्दर छुपाए हुए एक फूली सी कचौड़ी सा उभार लिए हुई थी.
यह स्थान एक मर्द का सबसे पसंदीदा स्थान होता है.
मेरे होंठ उस त्रिभुज के उभार को चूमने लगे.
पैंटी का गीलापन आदिरा की उतेज़ना को दर्शा रहा था.
आदिरा ने अपने पैर मेरे कंधों पर रख कर थोड़ा दबाया तो मेरे होंठ उसकी चूत के ऊपर जा रुके.
पैंटी के ऊपर से ही मैं उसकी कचौड़ी सी चूत को चाटने लगा.
‘ईस ईस्स ई सीसी … डैडी.’
मैं पैंटी के ऊपर से ही रिसती हुई चूत को चटखारे लेकर चाटने लगा.
आदिरा की कराह फ़ूट पड़ी- अहह सस्स सीस इ उईई … उफ्फ़.
मैं धीरे धीरे उसकी पैंटी को दांतों से पकड़ कर नीचे को सरकाने लगा.
जैसे जैसे पैंटी सरक रही थी, आदिरा के चूतड़ उठते जा रहे थे.
मुझे उसकी नर्म और मख़मली चूत के दीदार होने लगे थे.
उफ्फ एक अनछुई चूत … जो शायद ही किसी मर्द के सामने आई होगी.
ये कामुक नज़ारा किसी भी मर्द के लिए किसी ख़ज़ाने से कम नहीं होता.
मुझे खुद पर या खुद से रश्क होने लगा कि मेरी जिंदगी में इतनी हसीन चूत है, जिसका कोरापन कमाल का था.
मेरे सामने आदिरा की झांट रहित चूत के होंठ बिल्कुल बंद थे.
हां मानता हूँ कि उसकी चूत के होंठों के पास थोड़ा सांवलापन था, जो स्वाभाविक था.
मैंने झुक कर चूत को चूम लिया.
आदिरा- आह डैडी …
उसने हल्की सी आह निकाल कर अपनी चूत व गांड दोनों हवा में उठा दिए.
मैंने चूत के होंठों को अपने होंठों से पकड़ कर बाहर को खींचा और झट से अपनी जीभ को लम्बी सी निकाल कर उस दरार में फेरने लगा.
आदिरा- अआआ … ह्हह … मर गइ ईई … डैडी श्श्शश!
वह अपनी गांड को उछालती हुई मेरे बाल पकड़ कर अपनी चूत में दबाने लगी.
यह शुरुआत थी, पर वह इतने में ही अपनी चरम सीमा पर पहुंचने लगी थी.
मैं मानता हूँ कि इतनी हॉट लड़की ने पहले जरूर हस्तमैथुन के समय अपनी उंगली को चूत में करके या अपने एक्स के साथ इस अहसास को महसूस किया होगा … पर जो आज मेरे साथ वह अनुभव कर रही थी, वह उसने कभी नहीं किया था.
दो जिस्म नग्न एक दूसरे के सामने एक ही मकसद से लगे थे कि एक दूसरे को खुश करना है.
मेरी जीभ जैसे जैसे आदिरा की चूत को चाट रही थी … वैसे वैसे आदिरा के बदन का थिरकना, उसका मचलना, उसकी मादक सिसकारियां और उसकी चूत से बहता रस तेज़ होता जा रहा था.
“उफ्फ डैडी ईई आअह्ह डैडी … हां ऐसे ही हुफ्फ हुफ्फ … बस बस मेरा निकल रहा है आह सब घूम रहा है डैडी … आह मैं हवा में उड़ रही हूँ.”
मेरी जीभ सपर सपर करके आदिरा की चूत को चाटने में लगी थी.
उसकी चूत का खट्टा सा पानी मैं पीता जा रहा था.
कभी दांतों से चूत के होंठों को काट लेता, तो आदिरा उछल सी जाती.
‘आई ईईईईई नहींई उफ्फ्फ़ डैडी … ओओह लगती है उफ्फ्फ़ …’
आदिरा का जिस्म कड़ा सा हो गया और उसका बदन एक बारगी उछल कर शांत हो गया.
वह अपने चरम चरम पर पहुंच गई थी.
मेरा मुँह नाक होंठों सब चूत के कामरस में भीगने लगे थे.
आदिरा निढाल सी पड़ी अपनी सांसें व्यवस्थित कर रही थी.
उसकी चूचियां हर सांस में ऊपर नीचे हो रही थी.
मैं भी उसके बगल में जाकर लेट गया.
वैसे ही आदिरा मुझसे लिपट गई और उसने मेरे सने हुए होंठों को चूम लिया.
वह अपनी चूत के रस को चाटने लगी.
कुछ समय तक हम दोनों ही शांत पड़े रहे.
जब शरीर की गर्माहट कम हुई, तो आदिरा मुझसे लिपटी हुई बोली- डैडी, आपको अच्छा लगा ना!
मैं- यस ऐसा सुख मुझको कभी नहीं मिला.
आदिरा- बहुत दिन से मैं चाह रही थी कि आप मेरे साथ कुछ करो … मेरे बदन के साथ खेलो … मुझे इस सुख से परिचित कराओ … पर कह नहीं पा रही थी … और आप समझ कर भी कुछ नहीं कर रहे थे.
यही सब बातें करती हुई वह मेरे लंड को सहलाने लगी.
उसके हाथ में लंड लेते ही मुझको थोड़ा आश्चर्य भी हुआ.
अमूमन कोई भी लड़की इतनी जल्दी लंड हाथ में नहीं लेती, पर ये तो आज की जेनरेशन थी.
मैंने कुछ भी रियेक्ट नहीं किया.
उफ्फ्फ़ उसकी मुलायम मखमली हथेलियों में मेरा लंड अपनी असली औकात में आने लगा.
आदिरा ने भी यह महसूस कर लिया था.
वह उठ कर मेरे सीने पर मेरे मुँह की तरफ पीठ करके बैठ गई और उसने झुक कर मेरे सुपारे को चाट लिया.
‘आह्ह्ह आह्हः उम्म्म्म!’
जैसे वह झुकी, उसकी गहरी गुलाबी चूत और मखमली गांड का छोटा सा किशमिशी छेद मेरी आंखों के सामने था.
मुझसे रहा नहीं गया … मैंने उठ कर चूत से गांड तक पूरा इलाका अपनी जीभ को लंबा निकाल कर चाट लिया और उसकी गांड के पास जीभ को नुकीला करके हल्का हल्का सहलाने सा लगा.
आदिरा की गांड भी मचलने लगी.
उधर आदिरा पूरे दिल से मेरे लंड को चूस रही थी, मेरा लंड तेरे धीरे जवान होकर और कड़क होने लगा था.
उफ्फ्फ़ … उसका चूसना मेरे शरीर में करेंट सा दौड़ा रहा था.
कभी मैं उसकी पीठ को सहलाता तो कभी चूत चाटता.
फिर आदिरा उठ कर मेरी तरफ मुँह करके हो गई और मेरा लंड चूसने लगी.
इस बार वह मेरी आंखों में देखती हुई लंड चूस रही थी.
उसकी जीभ लंड के चारों तरफ लिपट सी जाती, तो कभी वह लंड के सुपारे को जीभ से सहलाती.
मैं भी उतेज़ना के सागर में डूबने लगा.
मुँह से थूक बह रही थी. मेरा लंड गीला हो रहा था.
मैं उठा और उसके सर पर हाथ रख कर कसके दबा दिया.
मेरा पूरा लंड आदिरा के हलक तक घुस गया.
गों गों की आवाज़ के साथ उसकी आंखों से पानी निकल गया.
फिर उसका सर पीछे खींच कर उसी तेज़ी से वापस लंड पर दबा दिया.
मैंने ऐसा कई बार किया तो आदिरा को भी इस तरह मेरा हावी होकर लंड चूसना पसंद आने लगा.
वह लंड को और अन्दर तक लेकर चूसने लगी.
उसकी आंखों से पानी आने लगा, पर उसने एक बार भी मना नहीं किया.
मुझको लगा कि अब मैं रुक नहीं पाऊंगा और लंड से माल निकाल दूंगा.
मैं अपना लंड उसके मुँह से निकालने लगा, तो उसने मेरी तरफ देखा.
शायद वह समझ गई थी कि मैं डिस्चार्ज होने वाला हूँ.
तो वह मुँह से लंड निकाल कर उसे अपनी हथेली में भर कर सहलाने लगी और लंड को जोर जोर से मुठ मारने वाले अंदाज में हिलाने लगी.
कुछ ही पलों में मेरे वीर्य की लम्बी धार उसके चेहरे और बदन में जा गिरी.
वह खुश हो गई और किसी बच्चे की तरह किलकारी मारने लगी.
आदिरा के हाथों ने और ज्यादा फुर्ती से मेरे लंड को मसल कर उसमें से एक एक बूंद निचोड़ ली.
मैं भी निढाल सा होकर बिस्तर पर गिर पड़ा.
दोस्तो, वर्जिन पुसी फिंगर स्टोरी का रस अभी शेष है.
आपके कमेंट्स मुझे उत्साहित करते हैं, प्लीज जरूर करें.
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वर्जिन पुसी फिंगर स्टोरी का अगला भाग: मस्त लड़की ने मुझे बनाया अपना शूगर डैडी- 4
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