पापा की परी उड़ी मेरे लंड पर
(Virgin Girlfriend Sex Kahani)
वर्जिन गर्लफ्रेंड सेक्स कहानी में एक लड़की की मदद की मैंने सड़क पर … उससे मेरी दोस्ती हो गई. उसके बाद मिलना जुलना होता रहा और बात आगे बढ़ गई.
मेरा नाम विक्रम है। मैं उत्तरप्रदेश से हूं।
यह कहानी मेरे कॉलेज के दिनों की है आज से करीब 8 साल पहले!
वर्जिन गर्लफ्रेंड सेक्स कहानी की नायिका का नाम वन्दना है।
क्या मस्त माल थी वो … गदराया बदन, मदमस्त आंखें, घने काले बाल!
5 फीट 4 इंच की हाइट में वह किसी अप्सरा से कम नहीं थी।
आज भी जब उसके बारे में लिख रहा हूं तो हाथ से ज्यादा लंड चलने लग रहा है।
कंटीले हुस्न की वह लाल परी करीब 34-28-36 के मस्त ढांचे में तराशा गया मानो कुदरत का एक नायाब तोहफा थी।
अब मैं अपने बारे में बता दूं.
मैं 6 फीट लंबा हृष्टपुष्ट गबरू जवान हूं।
बचपन से पहलवानी करने के कारण मेरा अपने इलाके में बहुत रुतबा और नाम है।
अपना परिचय यहीं रोकते हुए मैं कहानी पर आता हूं.
जाहिर सी बात है कि आप कहानी के बीच में मेरा इंट्रोडक्शन लेने में तो रुचि लेंगे नहीं।
हम दोनों की मुलाकात कॉलेज के पहले दिन हुई थी।
तब मैं पैदल जा रहा था और वह स्कूटी से कॉलेज आ रही थी।
तभी 1 बाइक सवार के बिना हॉर्न बजाए ओवरटेक करने के कारण उसकी स्कूटी गिर गई।
बाइक वाला तो भाग गया पर लड़की गिर गई।
काले सूट में उसका गोरा बदन साथ में भरा पूरा माल देख कर मैं तुरंत मौके पर पहुंचा।
जाते ही मैंने पहले उसकी स्कूटी उठाई जिसके नीचे उसकी टांग फंसी थी।
फिर मैंने उसको सहारा दिया, उसको उठाते हुए कब मैं उसके हुस्न में खो गया, पता ही नहीं चला।
इतने में वह दर्द में भी एक अलग मुस्कान के साथ बोली- अगर दीदार हो गया हो तो क्या आप मुझे हॉस्पिटल छोड़ देंगे?
बस उसी पल मैं उसका दीवाना हो गया!
अब कुछ नहीं कहता तो मौका चला जाना था.
और ऐसी स्थिति में मुझ जैसा कोई भी हरामी लौंडा ये तो होने नहीं देगा.
मैंने कहा- नहीं।
इस जवाब की ना उसे उम्मीद थी ना ही मुझे।
अब मेरी फटी … क्योंकि बोल तो दिया बिना सोचे … पर अब भीड़ इकट्ठी होने का समय होने वाला था।
उसने बात संभालते हुए हसीं के साथ कहा- बाकी हॉस्पिटल में ताड़ना, अब चलें?
तो मैं बिना किसी बकचोदी के उसको अपने पीछे उसी की स्कूटी पे ले गया।
वहां डॉक्टर को दिखाने के बाद हम दोनों ने कॉफी पी, बातें की और इस तरह हमारी दोस्ती हुई।
बातों बातों में पता चला कि वह भी मेरे ही कॉलेज में पढ़ती है।
बस यही मौका था उसका नंबर लेने का … तो मैंने बहाना बना कर उसका नंबर मांग लिया।
अब हमारी बातें शुरू हुई, धीरे-धीरे नज़दीकियां बढ़ने लगी तो उसने मुझे रास्ते में से अपनी स्कूटी पर लिफ्ट देना शुरू किया।
उसकी स्कूटी के पीछे बैठकर मैं उसकी कमर पकड़ लेता था और पास सटकर बैठता जिससे मेरी गर्म सांसें उसकी गर्दन पर लगती रहें।
अब कुंवारी लड़की को रोज़ इसी तरह धीमी आंच पर पकाया जाएं तो जाहिर सी बात है, उसकी गर्मी अपना खेल दिखाएगी ही!
उसके हावभाव में उसकी गर्मी दिखने को मिल रही थी.
इस समय चाहता तो मैं उसे प्रपोज करके बिस्तर तक बड़े आराम से पहुंचा सकता था।
कुंवारी लड़कियों की यही खास बात है, उनकी कमज़ोरी उन्ही की चूत बन जाती है।
मेरे सारे लेखक मित्र इस बात को जानते तो हैं, पर बताते नहीं।
खैर अब कहानी पर आते हैं.
मुझे चाहिए था एक परमानेंट माल, जो जब भी मर्जी हो चोदा जा सके।
अब एक बार चोद कर अगली बार उसे फिर मनाता फिरूं, इससे बढ़िया है कि उसे ऐसा पेलूं कि मेरे 1 इशारे पर चुदने को तैयार रहे।
इसके लिए जरूरी था कि उसको इतना गर्म करूं कि प्रपोज वह करे जो किसी कुंवारी लड़की से कराना बहुत मुश्किल हो जाता है।
अब मैं उसकी पतली कमर पर अपने हाथों की पकड़ मजबूत करने लगा।
शुरुआत में मैंने देखा कि वह हल्के से कांप जाती थी.
पर क्योंकि मजा दोनों को ही आ रहा था और आग दोनों ओर ही बराबर लगी थी तो उसने कभी कुछ कहा नहीं।
इससे मेरी हिम्मत बहुत बढ़ गई।
आते जाते उसकी स्कूटी पर पीछे बैठा मैं अब उसकी कमर पर हाथ चलाने लगा था।
उसने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
अब मैं उसके साथ थोड़ी बहुत छेड़खानी कर लेता था पर इससे ज्यादा कुछ भी नहीं।
जब हमारी बातें कम होने लगी, मैं समझ गया कि अब सही समय आ गया है।
मैंने एकदम से उससे बातें करना और साथ में जाना छोड़ दिया।
इससे थोड़े दिन उसने मुंह चढ़ाया, बात बंद की लेकिन जब कोई हल नहीं मिला तो एक दिन वह मेरे पास आ ही गई।
उसने स्कूटी मेरे सामने पार्क की और मुझसे झगड़ने लगी।
थोड़ी देर तक यहा वहां की बातें करने के बाद उसने आख़िर खुद से प्रपोज कर ही दिया।
थोड़ी देर तक नौटंकी करने के बाद मैंने भी उसे ‘आई लव यू’ कह दिया।
उसकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा!
उसे लगा कि उसने बाज़ी मार ली है!
अपनी हंसी को दबाते हुए मैंने उस से कहा- चाहता तो मैं भी तुम्हे बहुत हूं, पर तुम्हारी दोस्ती भी ना खो दूँ, इस डर से कभी कहने की हिम्मत कर नहीं सका।
इसके बाद तो वह मुझसे लिपट कर बुरी तरह रोने लगी।
अब हमारी बातें होने लगी, बातें प्यार मोहब्बत से चलते हुए आगे सेक्स तक जल्दी ही पहुंच गई।
हम दोनों को ही बराबर आग लगी थी।
एक दिन मैंने उसको फोन पर पूछा- मूवी नाइट के बारे में क्या ख्याल है?
वह मेरा इशारा समझ गई और मना करने लगी- पापा नहीं मानेंगे।
मैंने तुरंत फोन काट दिया।
मेरे 1 घंटे तक फोन ना करने के बाद उसका फोन आया और बोली- ग्रुप स्टडी के नाम पर पापा मान गए हैं।
मैंने दोस्त से उसके घर की चाबी ली, उसे अच्छी तरह फूलों से सजाया और मेडिकल स्टोर से दर्दनिवारक और गर्भनिरोधक लाकर लॉकर में रख दिए।
क्योंकि यह उसके साथ मेरा भी फर्स्ट टाइम था, तो मैं कॉन्डम का प्रयोग करके हम दोनों का ही मजा खराब नहीं होने दे सकता था।
अब बस इंतजार था उस हुस्न की मल्लिका का जिसको बिस्तर पर लाने के लिए इतने पापड़ बेले।
शाम को 5 बजे वह बताए गए पते पर अपनी एक सहेली के साथ पहुंच गई।
उसने काले रंग का सूट पहना था, काले रंग के स्लीवलेस कमीज में उसका गोरा मक्खन जैसा बदन उस दिन मानो कयामत ढा रहा था।
ऊपर से नीचे तक फुल फिटिंग वाला उसका शर्ट उसके उभारों को बहुत अच्छे से दर्शा रहा था।
उसकी सहेली भी दिखने में उस से किसी भी तरह से कम नहीं थी।
टू पीस ड्रेस में पतली कमर, भरा पूरा फिगर, लंबी टांगें … दिखने में किसी मॉडल से कम नहीं।
उसके बारे में बता दूं.
उसका नाम कोमल है, वन्दना की बेस्टफ्रेंड!
इसके बारे में पूरी जानकारी मेरी अगली कहानी में मिल जायेगी।
वन्दना ने मेरा और कोमल का परिचय कराया और हम तीनों ही मेरे दोस्त के घर पर पहुंच गए।
मैंने होटल से खाना मंगाया, हम तीनों ने साथ में खाया और हम कोमल को हॉल में छोड़ अंदर रूम में आ गए।
रूम में आते ही मैंने वन्दना को कमर से पकड़ा और उसे एक झटके के साथ अपनी ओर खींचा।
इतने दिनों जो बातें केवल फोन पर हुई, आज वो सब हकीकत में करने का मौका मिल गया।
हम दोनों एक दूसरे को बुरी तरह चूमने लगे।
मेरे होंठ उसके होंठों के साथ जबरदस्त मुठभेड़ में लगे थे।
हम दोनों ने एक एक करके अपने कपड़े उतारे।
मैं केवल कच्छे में था, उसका भी ब्रा पेंटी के अलावा कुछ नहीं बचा था।
उसके मोटे चूचे देखकर मैं ब्रा के ऊपर से ही उसके बड़े बड़े गदराए दूध पर टूट पड़ा.
वन्दना मेरे सर को अपने वक्ष पर दबाने लगी।
मैंने उसकी ब्रा अलग की और उसके दूध से सफेद मुलायम उरोजों को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा और उसके मुँह से ‘आह आह ऊईईई …’ की आवाजें निकलने लगी।
उसकी मादक सीत्कारों से मैं अपना होश खोता जा रहा था।
वह भी कच्छे के ऊपर से मेरा लन्ड मसले जा रही थी।
मैंने अब अपना मुंह उसकी पतली नाजुक कमर पर रखा और अपने होंठों को उसकी कमर पर चलाना शुरू किया।
वह ‘अ आह आह … आह’ की आवाज़ों से मेरा सर नीचे की ओर ले जाने लगी।
तभी मेरा हाथ उसकी चूत पर जा लगा तो पता चला कि वह नीचे से बुरी तरह पानी बहाए जा रही थी।
मौके को भांपते हुए मैंने तुरंत एक झटके में उसकी पेंटी उतार दी।
वह भी कह रही थी- जान, अब और ना तड़पाओ, आज मुझे पूरी तरह से अपनी बना लो।
इतना सुनते ही मैंने अपना कच्छा उतारा, मेरा लंबा लन्ड देख कर उसका मुंह खुला रह गया।
वह कहने लगी- ये कैसे जायेगा मेरी चूत के अंदर? मुझे डर लग रहा है … मुझसे नहीं होगा!
कह कर वह उठने लगी।
मैंने उसे समझाया, प्यार से सहलाया और कहा- एक बार तुम मुंह में लेकर इसे चिकना तो करो मेरी जान, बाकी सब मैं संभाल लूंगा।
उसने बड़े नखरे करके आखिर मेरा लन्ड अपने मुंह में लिया तो … पर थोड़ा बहुत चूस कर छोड़ दिया।
अपने गुस्से को मन में दबाए मैंने सोचा कि चलो जो मिल रहा है उसको लेकर काम चलाते हैं, चुसाई आज नहीं तो फिर कभी सही!
देर ना करते हुए मैंने उसकी दोनों टांगें चौड़ी की और चूतड़ों के नीचे तकिया लगाकर उसकी चूत का मुंह खोला और उसके ऊपर आ गया।
लंड को चूत के मुंह पर रखकर सबसे पहले मैंने उसके हाथ पकड़े और उसे पूरी तरह दबोच लिया।
चूंकि अन्तर्वासना पर कहानी पढ़ते हुए मैं जान गया था कि मेरा एक बार में लन्ड पूरा जाएगा नहीं … और वर्जिन चूत में पूरा घुसाना इतना आसान नहीं … खासकर जब लड़की छुड़ाने की कोशिश में लगे।
पूरी तरह से वन्दना पर पकड़ जमाने के बाद मैंने एक जोर का झटका मारा.
जिससे मेरे लन्ड का सुपारा उसकी चूत चीरता हुआ अंदर पहुंच गया।
वन्दना दर्द में जोर से चिल्लाई- आआ आह … उई माआ आआ … मार दिया … साले हरामी … छोड़ दे!
कहकर वह बुरी तरह से रोने और मुझे गालियां देने लगी।
मैंने अपने होंठों को उसके होंठों पर रखकर उसकी आवाज दबा दी और एक जोरदार ठोकर के साथ मेरा आधा लंड उसकी चूत चीरता हुआ अंदर तक चला गया।
उसकी आंखों से बुरी तरह आंसू और मुंह से दबी हुई चीखें निकलते देख मैं एकदम से घबरा गया और वहीं उसी तरह रुक गया।
फिर मैं उसके चेहरे पर चूमता हुआ उसके स्तनों को मसलने लगा जिससे वह फिर से गर्म होने लगी।
मैंने नोटिस किया कि जब भी मैं उसके मुलायम दूधों को जोर से चूसने लगता, उसकी गर्मी और अधिक बढ़ने लगती।
अब उसने नीचे से कमर हिलाना शुरू किया तो कुछ राहत पाकर मैंने भी उतने ही घुसे लन्ड से उसकी चुदाई शुरू की।
उसकी “अ आआह … आआआह … ऊ … ऊऊऊह …” की आवाज़ें अब पूरे कमरे में गूंज रही थी।
उसने अपनी चूत के पानी से मेरा पूरा लन्ड भीगा डाला था।
मौका अच्छा देख मैंने उसके मुंह पर हाथ रखा और अपना बचा हुआ आधा लंड एक ही झटके में उसकी चूत में जड़ तक उतार दिया।
जब मेरा लन्ड उसकी चूत के अंत में जा टकराया, उसकी ‘उह … उह …’ की दबी हुई आवाज भी मेरे कानों में बड़ी जोर से पड़ी।
मैंने घबरा कर नीचे देखा तो पूरी चादर खून से सनी हुई थी और वन्दना बेहोशी की हालत में मेरे नीचे कांप रही थी।
उसकी हालत इतनी खराब हो गई थी कि अब उसकी चीखें भी निकलना बंद हो गई थी।
पास में पड़े पानी के ग्लास मैंने उसके मुंह पर पानी मारा और उसको हिला कर किसी तरह से इसको जगाए रखा।
जब वन्दना को थोड़ा होश आया तो मैंने उसको खुशी के मारे बेतहाशा चूमा और उसको गर्म किया।
उस समय मैं समझ गया था कि अगर अब इसकी ढंग से चूत नहीं मारी गई तो इसकी चुदाई मेरा सिर्फ ख्वाब ही बन के रह जायेगी।
मैंने आव देखा न ताव … उसके एक दूध को अपने हाथ से मसलने लगा और दूसरे को चूसने लगा।
उसकी कमज़ोरी को मैं इतने अच्छे से समझ गया था.
अब वह अपना दर्द भुला कर मज़े से ‘ऊऊयी आआआह … आ आआआ आअह …’ की आवाज़ निकाल कर मेरा सर अपने दूध में जोरों से दबा रही थी।
उसने नीचे से अपनी कमर चलाना शुरू किया तो मेरी जान में जान आई।
मेरा पूरा लंड उसकी चूत ने निगल लिया था तो मैंने उसकी चूत बजाना शुरू किया।
मेरे हर झटके में जब भी मेरा लन्ड उसकी चूत की दीवार से टकराता उसकी निकलती ‘आ आआ आआह हा ह्हाहा …’ उसके मजे और दर्द दोनों का बयान कर रही थी।
उसके पानी और खून से पूरी चादर भीग चुकी थी।
हम दोनों ही पसीने से तर हुए एक दूसरे के धक्कों का जवाब दिए जा रहे थे।
मेरा हाथ उसके उरोजों को मसल रहा था, उसकी जीभ मेरे मुंह में अंदर तक घुसी जा रही थी।
हम दोनों को ही चुदाई में इतना मजा आ रहा था कि हमारी आवाजें कहाँ तक पहुंच रही हैं, इसकी हमें अब परवाह ही नहीं रही।
उसकी चूत से पानी बिना रुके निकलता ही जा रहा था।
लगभग एक घंटे से ज्यादा इसी पोजीशन में चुदते हुए उसके पैर अकड़ गए थे तो मैंने उसको बेड के किनारे पर लाकर घोड़ी बना दिया।
उसका मोटा पिछवाड़ा देख मेरा हाथ अपने आप ही उसके चूतड़ों पर जा लगा।
उसकी हल्की आह … के साथ मेरा जोश बढ़ने लगा।
मैंने उसकी चूत पर पीछे से लन्ड लगाया, उसकी कमर पकड़ी और एक जोरदार धक्का लगाकर पूरा लन्ड एक बार में उसकी चुदाई से सूजी हुई चूत में घुसा डाला।
वह तिलमिला कर जोर की ‘आ आआ आआ आआ आआआह …’ के साथ आगे की तरफ जाने लगी।
मैंने भी तपाक से एक और झटके के साथ अपना बचा हुआ लन्ड उसकी चूत में घुसा दिया और उसके ऊपर लेट गया।
वह बेड पर गिरी और मैं उसके ऊपर!
थोड़ी देर हल्के हल्के झटके मारने के बाद वन्दना कुछ शांत हुई तो मैंने उसे फिर घोड़ी बनाया और उसकी नाज़ुक कमर अपने हाथों में मजबूती के साथ पकड़कर तेज झटकों से चुदाई शुरू की।
इस ताबड़तोड़ चुदाई से उसे मज़ा बहुत आ रहा था और उसकी दर्द मिश्रित मज़ेदार आहों से मुझे एक अलग ही आनन्द की अनुभूति हो रही थी।
अब वह भी पूरी तरह से मज़े लेने लगी थी और ‘आआ आह्न्ह … ह्ह्ह्ह … ऊऊहू …’ की आवाज निकालते हुए अपने चिकने चूतड़ों को मेरी तरफ मारे जा रही थी।
मैं भी जवाब में उसी गति के साथ उसकी चूत की जड़ तक लन्ड मारे जा रहा था।
मजा दर्द पर हावी होने के कारण उसको अब अपने दर्द की कोई परवाह भी नहीं दिख रही थी।
तभी मैंने देखा कि दरवाजे की आड़ में से कोमल हम दोनों को देखे जा रही है और अपनी टांगों के बीच जोर जोर से सहलाने लग रही है।
उसकी आंखें मजे के कारण बंद थी तो मैंने भी अपनी नजर वापस वन्दना की तरफ घुमा ली।
दोस्तो, जब चुदाई जोरों पर चल रही हो तो ध्यान भटकने से मजा खराब हो जाता है.
इसलिए मैंने सोचा कि इसको बाद में देख लेंगे, अभी जो माल हाथ में है इसी पर अपनी भड़ास निकाल ली जाए।
कोमल के देखने की बात जानकर ना जाने मुझे क्या हो गया।
मैंने अपना बायां हाथ उठा कर वन्दना के चूतड़ पर जोर से थप्पड़ जड़ दिया।
उस समय मारा गया वह थप्पड़ वन्दना को दर्द के साथ एक अलग मजा दे गया.
वह फिर से करने को कहने लगी।
अब मैं अपने बाएं हाथ से उसके चूतड़ पर थप्पड़ जड़ रहा था और दाएं हाथ से उसकी कमर को पकड़ कर अपनी ओर ज़ोर से खींच रहा था और मेरा लन्ड उसके अंदर तक जा कर अपना अलग खेल दिखा रहा था।
मेरा लन्ड उसकी चूत के पानी से लबालब नहा रहा था।
इस सीन से वन्दना मानो पागल हो उठी थी।
उसकी ‘ऊऊऊह आआ आहह हाय …’ जैसे पूरे घर में गूंज रही थी।
इसी तरह कुछ देर और चुदाई चलने के बाद वह बोली- मेरा होने वाला है, अब इस से ज्यादा उम्मीद मत रखना।
मैंने भी सुनते ही उसके घुटने बेड पर रखवा दिए और कमर पकड़कर जोरदार धक्कमपेल शुरू कर दी।
वह बोली- साले अह्ह … कुत्ते … और कितना घुसाने वाला है? अह्ह् हाआ अ!
उसके शांत होने के लगभग दस मिनट बाद मेरा भी पानी निकलने वाला था।
मैं अपना पानी उसकी चूत में ही छोड़कर उसके बगल में लेट गया।
वन्दना इतनी बुरी तरह थककर चूर हो गई थी कि वहीं पर उसी तरह सो गई।
कोमल को देखा तो वह दरवाजे पर ही घुटनों के बल बैठे हुए सो गई थी।
मैंने वन्दना को बिस्तर पर लिटाया, उसे उठाकर पेनकिलर और गर्भनिरोधक दी।
फिर मैं उसको बाथरूम में सहारा देकर ले गया, वहां हम दोनों नहाकर बाहर निकले।
तब तक कोमल वापस जा चुकी थी।
हम दोनों बिस्तर पर लेटकर एक दूसरे की बाहों में सो गए।
सुबह 6 बजे के करीब जब मेरी आंख खुली तो वन्दना मुझे ही देख रही थी।
उसने मुझे थैंक्यू कहा और बताया कि ये उसकी जिंदगी की सबसे बेहतरीन रात थी।
कोमल ने हम तीनों के लिए खाना मंगवा दिया था।
हम तीनों ने साथ बैठकर खाना खाया और कोमल वन्दना को लेकर उसके घर चली गई।
वन्दना का लंगड़ाना देख मुझे जो घबराहट हुई, वह बाद में पता चला कि वन्दना के पेरेंट्स को अपने किसी रिश्तेदार के यहां जाना पड़ा इसीलिए वन्दना को दो दिन कोमल के यहां ही रुकना था।
अब हम दोनों जब भी मौका मिलता, इसी तरह मेरे किसी दोस्त के घर पर मिलते थे।
कोमल भी मुझसे बात करने में बहुत रुचि दिखाने लगी थी।
इस तरह मुझे मेरी जीवन की पहली चुदाई करने का मौका मिला।
दोस्तो, जिंदगी में चाहे कितनी भी चूत मार लो, पर पहली चुदाई वाली तो एक अलग ही आनंद देती है।
खैर, वन्दना के बाद कोमल की चुदाई कैसे हुई, यह मैं अगली कहानी में बताऊंगा।
तब तक प्यारे दोस्तो, मेरी वर्जिन गर्लफ्रेंड सेक्स कहानी के बारे में अपने सुझाव मुझे मेल कर दीजिएगा।
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