गर्लफ्रेंड संग सेक्स से पहले की गर्म मुलाकात
(Virgin Chut Ka Pani)
वर्जिन चूत का पानी चखने का मौक़ा मुझे तब मिला जब मैंने अपने दोस्त की बहन को प्रोपोज़ किया और उसके साथ उसके बेड पर समय बिताया. तब मैंने उसकी चूत चाट कर उसका पानी निकाला.
मित्रो, मैं आपको अपनी एक नयी सेक्स कहानी सुना रहा हूँ.
सभी लड़के अपना लंड पकड़ लें और लड़कियां चूत को सहलाने के लिए तैयार हो जाएं.
यह वर्जिन चूत का पानी चखने की बात तब की है, जब मैं जवान हुआ ही था.
उस समय मुझे मेरे मोहल्ले की एक लड़की बहुत पसंद थी.
उसका नाम मेघा था.
उससे बातें करने के लिए मैं बस हमेशा बहाने ढूँढता रहता था.
उसका एक छोटा भाई था, वह मुझसे कुछ ही साल छोटा था.
मैं उसके भाई अंकित से मिलने के बहाने उसके घर चला जाता था.
कुछ समय बीतने के बाद मेरी मेघा से बहुत बनने लगी थी.
उसकी तरफ से मुझे ऐसा दिखने लगा था कि वह भी मुझे पसंद करती है.
मैंने भी एक दिन मौका पाते ही उससे अपने दिल की बात कह दी और जल्दी से उससे दूर हो गया.
उसका जवाब भी सुनने को मैं नहीं रुका.
बस ऐसे दूर हुआ मानो उसके सामने प्लेट में कुछ खाने को रख दिया और बिना उससे पूछे कि स्वाद कैसा है, उससे अलग हो गया.
मेरी अब उसके घर जाने में थोड़ी फट रही थी कि न जाने अब क्या होगा?
फिर कुछ दिन बाद मैं बड़ी हिम्मत करके उसके घर गया.
उस समय उसके घर पर अंकित और मेघा ही थी.
मैं उसके भाई से बातें कर रहा था, तभी मेघा ने मुझे रसोई से आवाज दी- वरुण, जरा यहां आना!
धड़कते दिल से मैं जब उसकी रसोई में गया तो वह मुझे देखने लगी.
मैं सहम गया और मैंने उसकी तरफ सवालिया नजरों से देखा.
तो वह बोली- जरा वह बॉक्स उतारना वहां से!
मैंने गहरी सांस ली और उसकी जरूरत का सामान उतार कर उसे दे दिया.
जब मैं बाहर जाने लगा तो उसने मुझे पीछे से पकड़ लिया और बोली- तुम मुझे पसंद करते हो, फिर मुझसे दूर क्यों जा रहे हो?
यह सुनकर मेरी तो खुशी का ठिकाना नहीं था कि वह मान गयी.
मेघा ने फिर मुझसे पीछे से चिपक कर मेरी गर्दन पर एक किस किया और कहा- मुझे भी तुम बहुत अच्छे लगते हो वरुण!
तभी उसके भाई के आने की आवाज सुनाई दी तो हम दोनों अलग हो गए.
फिर बाहर बैठ कर हमारी बातें इशारों इशारों में उस समय हो रही थीं.
आह क्या हसीन पल था वह!
अब हम दोनों फोन पर बहुत बातें करने लगे और धीरे धीरे एक दूसरे के बहुत नजदीक आ गए.
तब मैं सुबह सुबह पार्क में घूमने जाता था.
मेघा ने कहा कि वह भी मेरे साथ आना चाहती है.
यह बात उसने मुझसे अपने ही घर में अपने मम्मी पापा के सामने कही थी.
इसलिए अगले दिन सुबह मैं उसके घर उसे बुलाने गया.
मैंने उसके घर के बाहर जाकर उसे कॉल किया और मेघा ने गेट खोल कर धीरे से कहा- अन्दर आ जाओ, थोड़ी देर में चल रही हूँ!
मैं अन्दर उसके कमरे में जाकर बैठ गया और पता नहीं तभी एकदम से बारिश शुरू हो गयी.
मेघा आयी. उसने लोअर और टी-शर्ट पहनी थी.
मेघा- यार ये बारिश क्यों शुरू हो गयी, अब कैसे जाएंगे?
मैं- हां यार, यह तो बड़ी गड़बड़ हो गई.
मेघा- अच्छा कोई बात नहीं, तुम मेरे साथ यहीं रुक जाओ. जब बारिश रुकेगी … तब चले चलेंगे. तुम बस आवाज मत करना क्योंकि बगल वाले कमरे में भाई सो रहा है.
मैं- ठीक है मेघा!
हम दोनों बातें करने लगे.
उस समय सुबह के 5 बज रहे थे.
वह मेरी जांघों को सिरहाना बना कर लेटी थी और प्यारी प्यारी बातें कर रही थी.
तभी वह बोली- यार, मुझे तो नींद आ रही है.
वह यह बोलकर बेड के एक साइड पर लेट गयी और बोली- थोड़ी देर के लिए तुम भी आओ लेट जाओ!
यूं ही लेट कर बातें करते हुए ना जाने कब हम एक दूसरे के हाथों को सहलाने लगे और वह मेरे नजदीक आ गयी.
हम दोनों एक कंबल में लिपट कर सोने का नाटक कर रहे थे जो कि हम दोनों को पता था.
तभी मैं अपनी उंगलियों से उसके बालों को सहलाने लगा.
उसके मुँह पर आ रही एक लट को साइड में करते हुए मैं उसके होंठों को चूमने लगा, वह भी मेरा पूरा साथ देने लगी.
फिर एकदम से वह थोड़ी दूर हुई और बोली- जानू, कहीं मेरा भाई उठ ना जाए … वर्ना दिक्कत हो जाएगी!
मैं- इतनी सुबह क्या ही करेगा वह उठ कर मेघा … डोंट वरी!
इतना सुनते ही मेघा पूरे जोश में मेरे ऊपर आकर मुझे चूमने लगी और मेरी छाती को चूमती हुई एक निप्पल को सहलाने लगी.
मैं भी उसका पूरा साथ दे रहा था और पीछे से उसकी कमर और चूतड़ों को मसल रहा था, जिससे वह पूरी गर्म हो गयी थी.
मेघा भरे हुए शरीर की लौंडिया थी, उसका फिगर साइज़ 34D-30-36 का था.
मैंने उसे पकड़ कर लेटा दिया और उसके ऊपर आकर उसकी गर्दन चूमने लगा.
नीचे से उसकी गर्म गर्म मोटी जांघों को सहलाने लगा … उफ कितना सेक्सी लग रहा था.
चूमते हुए मैंने उसकी गर्दन पर हल्के से काटा, तो वह तड़प उठी और मुझसे लिपट गयी.
मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर की और उसकी बड़ी बड़ी चूचियों को आजाद कर दिया.
सच में यार क्या मस्त नजारा था … उसकी गोरी गोरी चूचियों पर भूरे रंग के कड़क निप्पल … उफ … लंड की मां चुदी जा रही थी.
मैंने उसके दोनों दूध अपने दोनों हाथों में दबोच लिए और उसकी चूचियों को एक साथ मुँह में भरने की कोशिश करने लगा.
फिर एक एक करके दोनों को चूसने लगा.
वह ‘आह आह इस्स’ कर रही थी और मुझे अपने दूध पिला रही थी.
उसके दोनों दूध चूसते हुए मैं निप्पल को हल्के हल्के से दांतों से दबा कर काट भी रहा था.
मेघा पूरी गर्म हो चुकी थी और कहने लगी- जानू सारा दूध पी जाओ अपनी जान का … उफ्फ्फ!
उसके शरीर को चाटते हुए अब नीचे जाने लगा, उसकी नाभि को जीभ से चाटने लगा ‘उम्म’ कहती हुई वह तो पागल हुई जा रही थी.
जैसे ही मैंने उसका लोअर उतारना चाहा वह बोली- जान रहने दो ना, कोई आ जाएगा!
मैं- क्यों घबरा रही हो यार, मैं हूँ ना!
और यह कहते ही मैंने उसका लोअर घुटनों तक नीचे कर दिया.
वह अपनी चूत पर हाथ रख कर बोली- जानू, मुझे शर्म आ रही है!
मैं- अब मुझसे क्या शर्माना मेरी मेघा रानी … मैं तो तुम्हारा ही अंग हूँ!
वह शर्म के मारे लाल हो रही थी.
तभी मैं उसकी जांघों को चाटने लगा.
वह मादक सिसकारियां लेने लगी और अपनी चूचियों को दबाने लगी.
मैं उसकी कच्छी के ऊपर से ही गर्म चूत को सहलाने लगा और उसे चूमने लगा.
कुछ पल बाद मैंने उसकी कच्छी नीचे खिसका दी और उसकी चूत देखने लगा.
सच में यार … उसकी नन्हीं सी चूत को देख कर तो मज़ा ही आ गया.
उसकी चूत पर छोटे छोटे से बाल थे.
मैं एकदम से भभक उठा और बिना रुके चूत को चाटने लगा.
‘आह उम्म’ करती हुई वह भी सिसकारियां ले रही थी.
मेघा- आआह उफ्फ मम जान … चाट लो मेरी चूत … आह मैं बस तुम्हारी ही हूं आआह!
अब मेघा अपनी गांड हवा में उठा कर मेरा मुँह अपनी चूत में घुसाने लगी थी.
उसकी उत्तेजना अपनी चरम पर आने लगी थी और वह किसी भी पल अपनी चूत से लावा फेंकने की स्थिति में दिखाई दे रही थी.
उफ्फ्फ … वह पल अभी भी जब याद आ जाता है तो मेरे लौड़े में तनाव आ जाता है.
उस दिन मैंने मेघा की चूत को 5 मिनट तक चाटा जिससे वह मेरे मुँह में ही झड़ गयी.
उसका गर्म पानी पीकर मैं ऊपर को आ गया और उससे लिपट कर उसे चूमने लगा.
उसकी चूत का रस मेरे होंठों में लगा था, जिसे वह अपने होंठों में दबा कर चूस रही थी.
‘उम्म … आह’
कुछ पल बाद जब हमारा चुंबन टूटा तो मैंने उससे पूछा- कैसा लगा अपनी वर्जिन चूत का पानी?
वह हंस दी और बोली- आज पहली बार चखा है, बहुत सॉल्टी है!
मैंने कहा- मजा आया न!
वह बोली- बहुत ज्यादा … शरीर एकदम हल्का सा हो गया है!
मैंने कहा- अब आगे करते हैं!
वह बोली- शायद बारिश रुक गई है!
मैंने देखा तो वह सही कह रही थी.
बारिश रुक चुकी थी.
हम दोनों थोड़ी देर और लिपटे रहे.
वह मेरा लंड सहला रही थी और मैं उसकी चूत को मसल रहा था.
उफ्फ्फ … बारिश के मौसम में इससे बेहतर और क्या ही हो सकता था.
मैंने उसकी तरफ देख कर कहा- आज मुझे भी बरसने का मन हो रहा है!
वह हंस दी और बोली- तुम बरसोगे और मेरे मुँह से बादलों के गड़गड़ाने की आवाज निकलेगी और बाजू से मम्मी पापा की बिजली कड़केगी!
मैं समझ गया कि बंदी सीलपैक चूत वाली लौंडिया है इसलिए इसे सूने कमरे में ही चोदना पड़ेगा.
मैंने ओके कहा और उसके बाजू से उठ कर अपने कपड़े सही करने लगा.
वह भी उठ कर अपने कपड़े पहनने लगी.
कुछ देर बाद हम दोनों सुबह की सैर के लिए निकल गए.
दोस्तो, अगर आपको मेरी यह सेक्स कहानी अच्छी लगी हो तो अपने कमेंट्स के माध्यम से बताइएगा जरूर.
मेरी ‘वर्जिन चूत का पानी’ सेक्स कहानी का अगला भाग जल्द ही आएगा जिसमें सम्भोग का मादक रस भरपूर भरा होगा.
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