विज्ञान से चूत चुदाई ज्ञान तक-28
(Vigyan se Choot Chudai Gyan Tak-28)
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सुधीर ने पास पड़े एक कपड़े से दीपाली की गाण्ड साफ की और ललचाई निगाहों से उसको देखने लगा।
दीपाली- क्या हुआ.. ऐसे क्या देख रहे हो?
सुधीर- क्या बताऊँ ये तो उमर का तकाजा है.. वरना ऐसी मस्त गाण्ड को बार-बार मारने का दिल करता है.. काश तुम मेरी जवानी में मुझे मिली होतीं तो बताता कि मैं क्या चीज था।
दीपाली की हँसी निकल जाती है.. वो अपने कपड़े पहनने लगती है और सुधीर को देख कर आँख मारते हुए कहती है- जो बीत गया..सो बीत गया.. उसको भूल जाओ.. जो सामने है.. उसका मज़ा लो.. चलती हूँ अंकल.. आपको समय-समय पर ठंडा करने आती रहूँगी ओके.. बाय अब चलती हूँ।
दीपाली अपने घर चली गई और जैसा कि आप जानते हो चुदाई के साथ साथ उसको पढ़ाई की भी फिकर रहता है.. तो पढ़ने बैठ गई।
अगले दिन जब दीपाली स्कूल गई सोनू और दीपक गेट के पास खड़े थे मैडी उनसे दूर खड़ा किसी लड़के से बात कर रहा था।
जैसे ही दीपाली की नज़र दीपक पर गई.. उसको प्रिया की कही हुई बात याद आ गई और उसकी नज़र दीपक की पैन्ट पर चली गई शायद उसकी आँखें लौड़े का दीदार करना चाहती हों.. मगर यह कहाँ मुमकिन था।
वो बस देखती हुई गाण्ड को मटकाती हुई चली गई।
हाँ.. आज दीपाली थोड़ा ज़्यादा ही अदा के साथ चल रही थी.. शायद उनको तड़पाने का इरादा हो।
सोनू- अरे यार.. ये साली तो दिन पे दिन क़यामत होती जा रही है.. कसम से साली की गाण्ड देखी तूने.. क्या लहरा रही थी…
दीपाली अन्दर चली गई थी तब तक मैडी भी उनके पास आ गया था।
दीपक- यार मुझे शक हो रहा है।
मैडी- कैसा शक बे.. बता तो…
दीपक- यार मुझे लगता है.. हम पेड़ के नीचे बैठ कर आम के पकने का इन्तजार कर रहे हैं और कोई साला पेड़ पर चढ़कर कच्चे आम का ही मज़े ले रहा है।
सोनू- यार पहेली मत बुझा.. सीधे से बता ना क्या हुआ?
दीपक- तूने गौर नहीं किया क्या.. साली के चूचे बड़े-बड़े लग रहे हैं और गाण्ड भी बाहर को निकली हुई है.. लगता है कोई साला इसकी ज़बरदस्त ठुकाई कर रहा है.. हम साले लौड़े हिलाते रह गए हैं।
मैडी- क्या बकवास कर रहा है साले.. हमारे सिवा किसके लौड़े से चुदवाएगी ये.. तुझे भ्रम हो गया लगता है..
सोनू- हाँ यार.. ऐसी निराशा वाली बातें मत कर.. बस दो दिन की बात है सोमवार को तो ये हमारी हो ही जाएगी।
दीपक- अबे सालों.. माना मैंने किसी को नहीं चोदा.. मगर ये नजरें कभी धोखा नहीं खा सकतीं.. बहुत सी लड़कियों को ताड़ चुका हूँ भाभियों को भी नहीं बख्शा.. कुँवारी और चुदी हुई लड़की की चाल में बहुत फ़र्क होता है.. तुम मानो या ना मानो.. ये पक्का चुद चुकी है।
मैडी- अबे बस भी कर साले… जब ये हाथ आएगी ना, तब देख लेना, इसकी सील में ही तोड़ूँगा.. तब बोलना जो तुझे बोलना है।
दीपक- चल लगी 1000 की शर्त.. अगर ये सील पैक हुई तो मैं हारा.. नहीं तो तुम.. ओके…
मैडी- चल लगी.. अब तो तेरे 1000 लेने ही है।
तीनों बस इसी उलझन में अन्दर चले गए.. क्लास शुरू हो गई।
क्लास में आज वैसे तो कुछ खास नहीं हुआ.. हाँ एक बात हुई.. आज उनके इम्तिहान के बारे में बताया गया।
विकास सर ने ही सबको बताया।
विकास- देखो बच्चों तुम सबको इम्तिहानों के प्रवेश-पत्र तो मिल ही गए हैं। इम्तिहान मंगलवार से शुरू होना है.. तो सब अच्छे से तैयारी करना.. वैसे तो स्कूल की 15 दिन पहले छुट्टी हो जानी चाहिए थी मगर तुमको ज़्यादा पढ़ने का मौका मिल जाए.. इसलिए आज से छुट्टी कर दी गईं हैं.. बस आज ही स्कूल लगेगा.. कल रविवार की छुट्टी तो अब सोमवार को भी आप सब घर पर ही अपनी तैयारी करना। आज स्कूल का आखिरी दिन है.. किसी को कुछ पूछना हो तो पूछ लेना।
सभी खुश थे कि स्कूल से निजात मिल गई.. मगर वो तीनों दोस्त खुश नहीं थे।
उनको तो दीपाली को देखे बिना चैन ही नहीं आता था।
सब कुछ नॉर्मल रहा और छुट्टी हो गई। प्रिया और दीपाली एक साथ बाहर निकलीं। मैडी भी उनके पीछे-पीछे चलने लगा।
मैडी- दीपाली रूको.. एक मिनट तुमसे बात करनी है।
दीपाली- क्या है बोलो?
मैडी- वो आज स्कूल का आखिरी दिन है.. अब कल से हम मिल नहीं पाएँगे.. तुम अपना नम्बर दे दो ना.. ताकि पार्टी के लिए तुमको बता सकूँ।
दीपाली- ओह्ह.. ऐसा करो तुम अपना नम्बर दो.. मैं खुद कॉल करके पूछ लूँगी।
मैडी खुश हो गया और अपना नम्बर उसे दे दिया। जाते-जाते मैडी ने प्रिया को भी आने की दावत दे दी।
प्रिया- यार अब तो मैं भी आ रही हूँ क्या सोचा तुमने… कैसे करना है।
दीपाली- मेरी जान फिकर मत कर.. मैंने वादा किया है ना.. तुझे दीपक से जरूर चुदवा दूँगी.. अब घर जा.. पढ़ाई कर, मुझे पता है क्या करना है.. तू मुझे दीपक का नम्बर दे दे।
प्रिया- नम्बर का क्या करोगी… उसको फ़ोन करके कहोगी क्या?
दीपाली- अरे यार तू सवाल बहुत करती है.. तू बस नम्बर दे बाकी मैं संभाल लूँगी।
प्रिया ने नम्बर दे दिया।
प्रिया- ओके यार मुझे तुझ पर विश्वास है.. अच्छा बाय चलती हूँ।
प्रिया अपने रास्ते निकल गई.. सोनू और दीपक दूर खड़े उन दोनों को देख रहे थे।
सोनू- यार ये क्या चक्कर है.. दीपाली की प्रिया से कब से दोस्ती हो गई?
दीपक- अबे काहे की दोस्ती.. इम्तिहान के बारे में बात कर रही होगीं.. दोनों ही पढ़ाकू जो ठहरीं।
सोनू- यार एक बात कहूँ.. प्रिया का रंग साँवला है.. मगर दिखने में नाक नक्शा ठीक-ठाक है।
दीपक- अबे बहन के लौड़े.. क्या बकवास कर रहा है.. वो मेरी बहन है.. समझा साले.. तू दोस्त है तब ऐसी बात बोल गया.. अगर किसी और ने बोली होती ना.. तो मैं साले का मुँह तोड़ देता।
हैलो दोस्तों.. सॉरी.. कहानी को रोक कर मैं बीच में आ गई.. मगर क्या करूँ.. बात ही ऐसी टेंशन की है.. ये दीपक तो प्रिया के बारे में इतना चिढ़ रहा है.. तो उसके ऊपर कैसे चढ़ेगा? मेरा मतलब है.. कैसे चोदेगा उसको? अब दीपाली क्या करेगी?
चलो इन सब सवालों के जबाव आगे मिल जाएँगे.. अभी कहानी पर ध्यान दीजिएगा।
दीपक वहाँ से किसी काम के लिए चला गया मगर सोनू ने शायद आज पहली बार ही प्रिया को इतने गौर से देखा था। उसका मन प्रिया के लिए मचल गया था।
सोनू वहाँ से सीधा मैडी के घर गया और उसको जरूरी काम है बताकर बाहर बुलाया।
मैडी- अरे क्या है.. अभी तो साथ थे.. तब अपना काम क्यों नहीं बताया.. अब क्या हो गया?
सोनू- भाई आज मैंने वो देखा है.. जो अपने शायद कभी ना देखा हो।
मैडी- ऐसा क्या देख लिया तूने?
सोनू- दीपाली के साथ आज प्रिया बात कर रही थी ना.. तब मैंने बड़े गौर से उसकी जवानी पर नज़र डाली.. भाई क्या मस्त आइटम है वो.. क्या फिगर है उसका…
वो आगे कुछ बोलता.. मैडी ने उसे चुप करा दिया।
मैडी- चुप.. चुप.. क्या बकवास किए जा रहा है.. भूल गया क्या प्रिया कौन है.. साले दीपक की बहन है वो.. और दीपक को तू जानता है ना.. कितना अड़ियल दिमाग़ का है.. उसे पता चल गया ना, तेरा मुँह तोड़ देगा वो।
सोनू- क्या कर लेगा वो.. प्रिया कौन सी उसकी सग़ी बहन है और तू भूल गया.. जब मेरी बुआ की लड़की यहाँ आई थी.. तो उस पर सबसे पहले दीपक ने ही नियत खराब की थी.. उसको चोदने तक का प्लान बना लिया था.. क्या वो मेरी बहन नहीं थी?
मैडी- साले उसको तो तू भी चोदना चाहता था.. ये तो अच्छा हुआ वो यहाँ एक दिन भी नहीं रूकी… चली गई वरना सबसे पहले तू ही उसको चोदता।
सोनू- कुछ भी हो.. अगर दीपक उसके बारे में गंदा बोल सकता है तो मैं भी बोलूँगा और यार.. अगर दीपाली हाथ ना आई तो हम सारी जिंदगी क्या लण्ड हाथ से ही हिलाते रहेंगे.. प्रिया का कोई ब्वॉयफ्रेण्ड नहीं है.. मौका अच्छा है पटा लेते है साली को.. यार रंग पर मत जा.. उसका फिगर देख बस…
मैडी- शुभ-शुभ बोल साले दीपाली के लिए तो दिन रात तड़फ रहा हूँ वो हाथ कैसे नहीं आएगी।
सोनू- अच्छा आ जाएगी.. बस मगर प्रिया भी फँस जाए तो इसमें बुराई क्या है? कभी उसको भी चोद लेंगे।
मैडी- साले मैं कोहिनूर हीरा माँग रहा हूँ और तू कोयले की बात कर रहा है।
सोनू- बस.. बस.. इतनी भी काली नहीं है.. तू मान या ना मान मेरा तो प्रिया
पर दिल आ गया.. अब मैं तो उसको फँसा कर रहूँगा.. तू साथ दे या ना दे ओके.. अब चलता हूँ।
मैडी- जा तुझे जो करना है कर.. मैं इस काम में तेरा साथ नहीं दूँगा ओके…
सोनू वहाँ से चला गया और मैडी भी अपने घर वापस आ गया।
चलो दोस्तों दीपाली के पास चलते हैं वो क्या कर रही है।
दीपाली अपने कमरे में बैठी पढ़ाई में बिज़ी थी.. मगर उसको बार-बार प्रिया का ख्याल आ रहा था। अचानक वो उठी और दीपक को फ़ोन लगा दिया।
रिंग बजी सामने से शायद किसी और ने फ़ोन उठाया।
दीपाली ने काट दिया.. ऐसे ही 2 या 3 बार उसने फ़ोन लगाया.. मगर दीपक ना होने के कारण फ़ोन काट दिया। अब उसका मन नहीं माना तो वो वापस पढ़ने बैठ गई और पढ़ते-पढ़ते उसकी आँख लग गई।
बस दोस्तों आज के लिए इतना काफ़ी है। अब आप जल्दी से मेल करके बताओ कि मज़ा आ रहा है या नहीं! क्या आप जानना नहीं चाहते कि आगे क्या हुआ?
तो पढ़ते रहिए और आनन्द लेते रहिए..
मुझे आप अपने विचार यहाँ मेल करें।
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