वासना की आग मचलती है

(Vasna Ki Aag Machalti Hai)

प्रणाम दोस्तो, मेरा नाम है.. नोर्मा, पंजाब में रहती हूँ। वैसे हम लोग मेरठ से है.. लेकिन लेकिन मेरे पति एयरफोर्स में हैं.. इसलिए शादी के बाद मुझे पंजाब जाना पड़ा।
मैं तेईस साल की बेहद सेक्सी माल हूँ, लड़के अभी भी मुझे ‘मस्त-माल’ कहते हैं। मेरी चूचियां छत्तीस इंच की हैं.. गाण्ड काफी सेक्सी और उभरी हुई है.. चलते वक़्त पूरी मटकती है.. मेरी गाण्ड अपने पीछे आने वालों के लंड खड़े कर देती है।

मेरे पति की उम्र पैंतीस साल है.. लंड में भी दम नहीं है.. और मेरा यौवन भी मजबूत वाले लंडधारी मर्द के बिना नहीं सकता है।

जब मैं 18 साल की थी.. तभी पहला लंड ले लिया था। मेरे मॉम-डैड सुबह जॉब पर चले जाते थे.. भाई ऑस्ट्रेलिया में है.. बहन बैंगलोर में पढ़ती थी। मेरे मम्मे बहुत जल्दी-जल्दी विकसित हुए हैं.. मैं अपनी मॉम पर गई हूँ। बड़ी बहन के चूचे भी बहुत जल्दी बड़े हो गए थे।
रास्ते में मिलने वाले लड़के मेरे मम्मों पर कमेन्ट करते तो.. मेरे तन-बदन में चुदास की आग लगा देते।

कॉलेज में मेरी सीनियर क्लास की एक लड़की रिचा थी.. जो मेरी ख़ास सहेली बन गई थी.. वो नंबर की चालू माल थी, उसके कई लड़कों के साथ अफेयर चलते थे।

एक बार रिचा ने स्कूल के रास्ते पर चलते-चलते मुझसे कहा- प्लीज़ मुझे आज अपने घर को इस्तेमाल कर लेने दो न.. मेरा बदन जल रहा है.. जगह की दिक्कत की वजह से मैं वासना की आग में तड़प रही हूँ।
मैंने कहा- चलो वापस घर चलते हैं।

उसने वहीं से एक लड़के को फ़ोन करके मेरे घर बुला लिया, हम दोनों घर पहुँच गए.. तब तक वो लौंडा भी आ गया।

उस लड़के को लेकर वो मेरे बेडरूम में चली गई। मैंने खिड़की से जाकर देखा.. उसने पलक झपकते ही रिचा की शर्ट उतार फेंकी।
अब लाल ब्रा के नीचे स्कूल यूनिफार्म की स्कर्ट झूल रही थी।

लड़के का एक हाथ स्कर्ट में घुस गया था और दूसरे हाथ से उसने ब्रा उतार फेंकी।
रिचा ने भी उसकी शर्ट उतारी.. फिर उसकी जींस उतारी.. फिर जैसे ही उसका अंडरवियर उतारा.. एक बड़ा सा काला लंड उछल कर बाहर निकल आया।

रिचा ने जल्दी से उस मस्त लौड़े को पकड़ लिया और वहीं बैठ कर पागलों की तरह उसका लंड चूसने लगी।
वो ‘आहें..’ भर रहा था.. रिचा किसी ब्लू की लड़की की तरह उसका लंड वाइल्डली चूस रही थी।

रिचा बोली- जानू.. मेरा बदन तप रहा है.. जाँघों के बीच के छेद में आग लग रही है.. जल्दी से चूत को ठंडी कर दो और इसकी आग को बुझा दो।
‘अभी लो जानेमन..’
उसने रिचा की गाण्ड के नीचे तकिया लगा दिया और फटाक से अपना लंड रिचा की चूत में जड़ तक उतार दिया।

रिचा पहले चुदी हुई थी.. सो खूब उछल-उछल कर अपनी चिकनी चूत में लंड डलवा रही थी।
लड़के ने रिचा को बीस मिनट चोदा और फिर चूत में ही झड़ गया।
कुछ देर दोनों चिपके हुए लेटे रहे फिर अपने-अपने कपड़े पहन कर दोनों बाहर निकल आए।

वो लड़का मुझे देख कर रिचा से बोला- इसको भी उधर ही होना ही था।
उसने मुस्कुरा कर मुझे नशीली आँखों से देखा और जब तक मैं कुछ कहती, वो उधर से खिसक लिया।

चुदाई की आग तो मेरे में लगी हुई थी। मेरी चूत पहली बार इतनी गीली हुई थी ऊपर से ऊपर से उसका मुझे चुदासी निगाहों से देखना.. मुझे एक तड़प दे गया।

रिचा के जाते मैंने स्कर्ट उतारी.. अपनी पैंटी नीचे खिसकाई.. और अपने दाने को मसलने लगी। थोड़ी ऊँगली भी चूत में अन्दर डाली और हाथ से खुद को शांत किया।

वासना की आग को कुछ हद तक कुछ पलों के लिए शांत किया.. लेकिन अब मेरा दिल भी लड़का पटा कर चुदने का था।

रिचा अकसर किसी नए लड़के को बुलाती थी.. मुझे भी लगता था कि उसकी बुर का भोसड़ा बन चुका होगा क्योंकि उसका हर आशिक मेरी तरफ प्यासी नज़रों से देखता था।

एक दिन राहुल नाम का लड़का जब उसके साथ कमरे से चोद-चाद कर बाहर निकला.. उस वक्त रिचा चुदाई के बाद ‘सू..सू..’ करने वाशरूम में चली गई थी।

राहुल ने आगे बढ़कर मेरा हाथ पकड़ा और एक कागज़ पकड़ा दिया। मैं कुछ समझती तब तक वो चला गया।
रिचा आई और मुझे ‘शुक्रिया’ कह कर चली गई।

कागज़ पर एक नंबर लिखा था.. मैंने उसी पल सेल से उसका नंबर डायल किया।
मेरी आवाज सुनते राहुल बोल उठा-जानेमन.. मुझे मालूम था कि तुम कॉल जल्दी ही करोगी..
‘कहाँ चले गए हो राहुल?’
‘तेरे घर के पास ही हूँ।’
‘घर के पास क्यूँ..? मेरे घर क्यूँ नहीं आते?’
‘उफ़.. उफ़.. हाय मेरी रानी.. सच बोल रही हो?’
‘हाँ..’

सच में अभी भी मेरे पास बहुत टाइम बाकी था। उसको अपने घर में बुला लिया.. सभी दरवाजे बन्द कर दिए।
वो आया.. उसने मुझे गोद में उठा लिया और बेडरूम में लेकर आ गया।

अब वो मुझे बेइंतेहा चूमने-चाटने लग गया। मैं भी उसकी बाँहों में समां गई और उसके होंठों का रस पीने लगी।
उसने हाथ स्कर्ट में घुसा दिया.. शर्ट के बटन खोल मेरा एक मम्मा पकड़ कर दबाने लगा।

मैंने अपनी शर्ट उतार दी.. काली ब्रा में गोरा रंग देख कर राहुल के लंड ने सलामी दी.. जो मुझे मेरी टाँगों में महसूस हुई।
मैं वासना की आग में जल रही थी और मैंने जैसे ही अपनी स्कर्ट खोली.. वो गिर गई।
काली पैंटी में गोरी जांघें देख कर राहुल मुझस चिपटता चला गया।

उसने जल्दी से अपने कपड़े उतारे और अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया और चूसने को बोला।
मैंने रिचा को लण्ड चूसते देखा था.. सो मैंने उसी तरह से लंड को चचोरना आरम्भ कर दिया।

वो तो पागल हो उठा.. उसने मुझे पलंग पर पटका और मेरे ऊपर आकर मेरी टाँगें फैलाईं और अपने सुपारे को मेरी अनचुदी चूत पर टिका कर एक तगड़ा झटका मार दिया।

‘हाय मर गई.. छोड़ दो राहुल.. मेरी फट गई है.. जानू निकालो.. बाहर..’
‘रानी.. अब यह नहीं बाहर आने वाला..’
‘मैं हाथ जोड़ती हूँ.. निकाल लो.. उफ्फ..’
‘ओह.. नोर्मा.. तुम भी न..’ उसने फिर से एक करारा झटका लगा दिया।

मेरी जान हलक में अटक गई.. अब तो आवाज़ भी निकलना बंद हो गई थी.. चूत में भयंकर दर्द हो रहा था.. मेरी कुंवारी चूत में पूरा लंड घुस गया था।

उसने तीसरे झटके में पूरा लंड बच्चेदानी तक घुसेड़ दिया। मैं एक जिंदा लाश बनकर दर्द बर्दाश्त कर रही थी।

तभी उसने लौड़े को बाहर निकाल लिया और फिर से घुसा दिया। तीन-चार बार ऐसा करने से मेरी जान वापस लौटी.. वो ही चूत जो थोड़ी पहले दर्द दे रही थी.. अब मजे में मचल रही थी। मेरे चूतड़ ऊपर को उठने लग गए थे।

उसने बीस मिनट तक मेरी जमकर चुदाई की और फिर हम अलग होकर एक-दूसरे को चूमने लगे।
‘तुमने मेरी सील तोड़ दी जानू..’
‘मेरी जान.. तुम बस मेरी बनकर रहोगी न?’
‘हाँ.. तुम रिचा को छोड़ दो..’
‘छोड़ दिया.. उसका तो भोसड़ा बन गया है..’
‘उफ़.. तो यह जवानी है न तेरे लिए.. इसका रस पीने आ जाया करो..’

अब राहुल मुझे चोदने लगा था..
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