अंकल के लंड को मिली कुंवारी चुत-4
(Uncle Ke Lund Ko Mili Kunwari Chut- Part 4)
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इस अनचुदी चूत की पहली चुदाई कहानी के पिछले भाग में आपने अब तक पढ़ा था कि मीता मेरे लंड को चूस रही थी और अब वो 69 में होकर मजा दे रही थी.
अब आगे:
मैंने अपनी जीभ को उसकी कुंवारी चूत के कुंवारे छेद में डाल कर चोदना चालू किया, तो मीता भी उचक कर मेरा लंड चूसने लगी.
‘उउउह यस … आह..’ की घुटी घुटी सी हल्की आवाजें मेरे और उसके कानों में मादक संगीत बजा रही थीं.
कोई दस मिनट में ही मीता का शरीर में कम्पन सा होने लगा. मेरा जिस्म भी अकड़ने लगा.
अगले ही पल उधर मीता झड़ रही थी … इधर मेरा लंड फूल कर रस बहा रहा था. इधर मैं उसकी चूत का रस चपड़ चपड़ करके चाट रहा था, उधर मीता मेरे गाढ़े वीर्य का आखिरी क़तरा भी निचोड़ रही थी.
एक मिनट में ही मीता निढाल सी मेरे लंड पर अपना मुँह रख कर पड़ी थी. उधर मैं बेहाल सा पड़ा लम्बी लम्बी सांसें ले रहा था. मेरा पूरा मुँह चूत के रस से गीला था, तो मीता के होंठों के किनारों से सफ़ेद लकीर सी बह रही थी.
इस तूफानी ओरल सेक्स का सुख आज भी मेरी जिंदगी का सबसे हसीन सुख है. मैं अपने जीवन में कभी भी इस सुख को भूल ही नहीं सकता हूँ.
फिर मीता उठी और बाथरूम में जाकर शायद कुल्ला करके वापस आ गई. वो मेरे हाथों पर सर रख कर मुझसे चिपक कर लेट गयी. मैंने भी साइड से साफ टॉवल उठा कर अपना चेहरा और लंड पौंछा … फिर उसकी चूत को साफ किया और उससे चिपक गया.
मैं- मीता कैसा लगा?
मीता- कुछ मत पूछो अंकल … बस उन पलों को मुझे जी लेने दो … मैंने जितना सोचा था, उससे कई हज़ार गुना सुख आपने दिया. मेरा 69 का बहुत मन था. मुझे लंड का रस पीकर देखना था. लंड चूसना था. जबसे मैंने पोर्न में ऐसा देखा था, तभी से ये सब करने का मेरा बहुत मन था. आपने मेरी सारी इच्छाएं पूरी कर दीं. आपका लंड बहुत मस्त है.
ये कह कर मीता मेरे होंठों को चूसने लगी.
इधर मीता ने होंठ चूसे, उधर मेरे लंड ने ठुमकी मारी. जो लंड मेरा बीवी को चोदने के बाद घंटों दुबारा खड़ा नहीं होता था, वो साला लंड … दस मिनट में खड़ा हो गया. मीता ने आश्चर्य से मेरे लंड को देखा और फिर मेरी तरफ देखा. मैंने भी उसकी चूत पर हाथ फेरा, तो वो बिल्कुल गीली थी. मतलब झड़ने के बाद भी साली की चुदास कम नहीं हुई थी.
चूंकि मैं एक बार लंड का रस निकाल चुका था, तो मुझे पता था कि मेरा लंड अब देर तक चुदाई करेगा.
मैंने एक बार फिर उसको चूमना शुरू किया, तो चूमता ही चला गया. मीता भी चुदास से भर कर मछली की तरह मचलने लगी.
फिर मैं उसको पेट के बल लिटा कर उसके चूतड़ों पर लंड रख कर बैठ गया. मैं लंड सैट करने के नजरिये से थोड़ा खिसका और उसके उभरे चूतड़ों पर चटाक से मैंने एक चांटा दे मारा.
‘आएई आआईईई … ऊऊईई ईम्म्म्मामांआ … मर गई … आह..’
फिर से मैंने एक जोर का चांटा मारा. मीता फिर चीखी- आह्ह्ह मैं मर गयी उईईई … अंकल जान ही लोगे क्या … आहहह.
मैंने देखा कि मीता के गोरे चूतड़ों पर मेरी उंगली के लाल निशान उभर आए थे. पता नहीं क्यों एक सुकून सा मिला. मुझे काफी बरसों से जिस चीज की तमन्ना थी, वो आज पूरी हो रही थी.
फिर मैंने झुक कर उसकी गांड की दरार में लंड घुसेड़ा और उसकी पीठ चूमने लगा.
“उफ्फ़ … अंकल जान लोगे क्या मेरी?”
मैं कभी उस नाजनीन की पीठ चूसता, कभी गर्दन, कभी कान चूसता चला गया.
“ऊउईइ आई ईईईई आहह उफ्फ्फ हिस्स्स उमम्म आह अंकल चाटो … इसे और चाटो … ह्म्म्म्म मम्म!”
मेरा पूरा लंड फूल कर उसकी गांड के फूल में घुसा जा रहा था. मीता भी अपनी गांड उछाल रही थी.
तभी एक झटके से मैंने उसको पलट कर उसकी चूत पर अपना मुँह रख कर सपर सपर चाटने लगा.
उसने भी दूसरे पल ही अपनी टांगें खोल कर चुत उठाते हुए मेरे मुँह को ढक सा दिया. फिर मैंने मुँह हटाया और धीरे से एक उंगली उसकी चूत में डाल दी.
मीता की कुंवारी चूत का दर्द उसके अधरों से निकल पड़ा- उईईई मांआअ … मरर गई … अहाआअ … मर गई … अंकल हाय दर्द हो रहा है!
मैं रुका नहीं … जिससे उसकी संकरी अधखुली चूत में मेरी मोटी उंगली चूत के रस से भीगी, सटासट अन्दर बाहर होने लगी. एक उंगली से चुत चोदन करीब पांच मिनट चला. उसको मजा आने लगा था और उसकी आहें अब बंद हो गई थीं.
ये देख कर मैंने दूसरी उंगली भी उसकी चूत में पेवस्त कर दी.
मीता की फिर से चीख निकल गई- उईईई मां … आ आज आज तो मर गई ईईई मां उफ्फ … बाहर निकालो अंकल … बहुत दर्द हो रहा है.
मैं थोड़ी देर रुक सा गया. वैसे लेटे लेटे उसकी चूची चूसता रहा. दूसरे हाथ से तकिए के नीचे से मैंने के वाई जैली निकाली और चूत से उंगली निकाल कर उसमें जैली लेकर चूत के अन्दर तक लगाने लगा.
जैसे ही मैंने उंगली चूत से निकाली, मीता लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी. इसमें कोई शक नहीं था कि उसकी चूत का छेद बहुत संकरा था.
फिर मैं जैली लगी उंगली से उसकी चूत को चोदने लगा.
‘उम्मम अअअह मर्रर्र … गईईई … आहह हह उफ्फ्फ … आओऊ … आह उफ्फो. … अंकल क्या लगा दिया बड़ा अच्छा लग रहा है..’
मैंने दूसरी उंगली भी अन्दर पेल दी. मेरी इस दूसरी उंगली में भी जैली लगी थी. उसकी चुत का हिस्सा सुन्न हो गया था और उसे मजा आने लगा था वो गांड उठाते हुए उंगली से चुत रगड़ने लगी थी. उसकी चुत से पानी रिसना शुरू हो गया था. उसकी आंखें बंद थीं और वो बस मस्त कामुक आवाजें निकाले जा रही थी.
मीता अब तक दो बार झड़ चुकी थी और उसकी चूत भी लंड से दोस्ती के लिए बेक़रार हो उठी थी.
मैं उठा और उसको खींच कर उसको बेड पर बैठा दिया. फिर मैं खुद खड़ा होकर उसके मुँह में लंड डाल कर मुख चोदने लगा. उसने भी गपाक से मेरा लंड अन्दर ले लिया. मेरा लंड उसके मुँह के अन्दर तक जा रहा था.
मीता की आंख से आंसू निकलने लगे. वो ‘गों गों गों..’ करते हुए लंड चूस रही थी. पर उसने मुँह से लंड नहीं निकाला … बराबरी से उसने मेरा लंड चूस चूस कर फौलाद सा कर दिया.
उसके होंठों के किनारे से थूक निकल रहा था. उफ्फ्फ … क्या चुदक्कड़ रांड लग रही थी. मैं भी हांफने सा लगा था. तभी मैंने मुँह से लंड निकाल लिया और उसको लिटा कर उसकी टांगों के बीच आ गया. मैं उसकी चूत में लंड रगड़ने लगा.
मीता- अंकल अब मेरी चूत में अपना लंड जल्दी से डाल दो. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता … जल्दी डालो अपना लंड!
मैंने उसके चूतड़ों के नीचे एक तकिया लगाया और सफ़ेद तौलिया बिछा कर उस पर चढ़ गया.
मीता की गांड बार बार चुदासी होकर उछल रही थी. आज मेरी एक और फैंटेसी शायद पूरी होने वाली थी … और वो थी कुंवारी मीता की चीख.
ये तो सभी जानते है क़ि जब कोई लड़की प्रथम सम्भोग करती है … और लंड जब चूत में जाता है, तो वो लड़की के मुँह से चीख निकलती है. कभी कम … कभी ज्यादा … चूत के अन्दर जब झिल्ली फटती है, तो लड़की को दर्द होता है और उसकी चीख निकल ही जाती है. खून का भी बहाव होता है.
मेरी बड़ी तमन्ना थी क़ि कोई ऐसी चीख सुनूं. आज मुझे वो कामना पूरी होती लग रही थी. क्योंकि मुझे किसी का डर नहीं था. ना ही किसी के उसकी चीख को सुनने का भय था.
चूत और लंड के मिलन का वक़्त था. सो मैं लंड को चूत पर रगड़ने लगा. मीता तो चुदासी होकर पगला रही थी. वो अपनी गांड को उछाल कर लंड को चूत में लेने की कोशिश कर रही थी. उसको नहीं पता था कि ये मस्ती कुछ ही पलों में दर्द और चीख में बदलने वाली है.
लंड को चूत में रगड़ते रगड़ते लंड को छेद में फिक्स कर दिया. उसकी टांगों को जितना फैला सकता था, मैंने फैला दिया. फिर उसके कंधों को कसके पकड़ कर हल्के से लंड का दबाव चूत के ऊपर बनाया. मेरा निशाना सही था. लंड का टोपा चूत को चीरता हुआ चूत के अन्दर समा गया.
बस खेल हो गया. चुत की मां चुद गई.
मीता- उई आआआआ … ईईईई मररर … गईईईई आ आ उफ्फ आह अंकल्ल … जल्दी से निकालो इसे … उफ्फ्फ फ्फ्फ़ मार डाला आहह … चुत फट गई … मम्मी रे!
उसका तड़पना उसकी चीख जब मेरे कानों में पड़ी, कसम से ऐसा आनन्द शायद ही मुझे आज तक मिला होगा.
मीता लगातार छटपटा कर मेरी पकड़ से दूर जाना चाह रही थी, पर वो मर्द ही क्या … जो कुंवारी चूत को लंड के नीचे से निकल जाने दे.
मैंने लौंडिया चोदने का अपना आजमाया हुआ नुस्खा हुआ काम में लिया. मैं उसको अपने भार से दबा कर उसकी चूची को चूसने लगा और चूसता ही चला गया. दूसरे हाथ से उसकी गांड और कमर को सहलाता रहा.
धीरे धीरे चूत ने लंड के हिसाब से अपना मुँह खोल दिया और मीता की चीख भी बंद हो कर ‘आह्ह आंह..’ में बदलने लगी.
पर ये अबोध युवती ये नहीं जानती थी कि ये दर्द तो सिर्फ ट्रेलर था. असली पिक्चर तो अभी बाकी थी.
मैंने पांच या छह बार उसी अवस्था में उतने ही लंड को थोड़ा निकाल कर अन्दर डालना शुरू किया. चूत भी लंड के स्वागत में पानी छोड़ने लगी थी. मीता भी शांत हो चुकी थी.
अब सिर्फ उसकी ‘आहहह अह्ह्ह आ आ आ ईईईई..’ की आवाजें ही सुनाई दे रही थीं. फिर जब मुझे लगा कि ये सही वक़्त है कि मीता को कली से फूल बना दिया जाए, तो मैंने अपना लंड तेजी से बाहर निकाला और एक जोरदार शॉट मार दिया. मेरा पूरा लंड बड़ी तेजी से मीता की अधखुली चूत को चीरता हुआ अंत तक समा गया.
“उईईईई … ईईई उईईई. … मम्मा … आअ … मरर गई … मार डाला कुत्ते ने … निकाल साले लंड को … बचाओओऊ … मां मेरी ईईईई ईईईई!”
उसकी चीख इतनी तेज थी कि आस पास कोई होता, तो पक्का सुन लेता. पर एकांत में घर होने का यही फायदा था.
तभी मेरे लंड से मुझे कुछ बहता लगा. मैंने हाथ लगा कर देखा, तो खून की धारा बह रही थी. साथ ही चूत का रस भी था.
मैंने झुक कर उसके होंठों को अपने होंठों से कैद किया और चूसने लगा.
मेरा लंड तो ऐसा लग रहा था कि गर्म गोले में फंस गया है. मीता जैसी लौंडिया की कुंवारी अनछुई चूत तो गर्म होती ही है … और संकरी भी होती है. मीता का कुंवारापन अब साबुत ना रहा था.
मीता की आंखों से अश्रु की धारा बह रही थी. उसके दोनों हाथ मुझको धकेल रहे थे. उसके पैर बिस्तर पर छटपटा कर पटक रहे थे. मैं लगातार उसके होंठों को चूस रहा था. मैंने एक हाथ से उसके चेहरे को पकड़ रखा था … क्योंकि वो लगातार अपना मुँह इधर उधर कर रही थी.
मैं दूसरे हाथ से बदन को सहला रहा था- बस मेरी गुड़िया … बस जो होना था वो हो गया … अब दर्द नहीं होगा जान … बस मेरी बच्ची बस!
मीता रोते हुए हिचकी लेते हुए फफक रही थी- उन्ह … आह … ये क्या कर दिया अंकल … आपने मेरी फाड़ दी … आंह आपने कहा था कि प्यार से करोगे … आप तो जानवर हो जानवर … आपने मेरी चूत को फाड़ दिया … आह … अब मैं कैसे घर जाऊंगी … कुत्ते हो आप अंकल … कमीने हो आप.
मीता मेरे को लगातार कोसे जा रही थी … पर मैं जानता था कि कुछ ही पलों में ये लड़की मुझे दुआएं देगी.
मैं लंड को धीरे धीरे चूत के अन्दर ही हिलाता रहा … थोड़ा थोड़ा निकाल कर अन्दर करता रहा. इसका नतीजा जल्दी ही सामने आ गया था.
मीता का दर्द कम होने लगा और उसकी गांड उछलने लगी- आहह … अह्ह्ह अहह ओह उफ्फ्फ … अंकल … आपका लंड बहुत बड़ा है … मुझे बहुत दर्द हो रहा है … ह्म्म्म्म … आआह..
मैं- मेरी गुड़िया … अब दर्द कैसा है?
मीता- कुछ मत पूछो अंकल … बस ऐसे ही करते रहो … अच्छा लग रहा है … दर्द भी है मगर बदन में चींटी सी दौड़ रही हैं … बस करते रहो … लगता है मेरी चूत … फट गई है … आह आहह …
मेरा जो लंड थोड़ा थोड़ा निकल रहा था … उसने मैं पूरा निकाल कर एक साथ चूत में डालने लगा. मेरा लंड मीता की चूत में अब आराम से अन्दर बाहर हो रहा था.
“आह उम्म मां एई ओईओई बस बस ओह्ह.”
इधर मेरी भी स्पीड बढ़ गई थी … उधर मीता की चूत भी फूलने पिचकने लगी थी. उसकी कुंवारी चुत लंड को बार बार जकड़ने लगी थी.
‘उफ्फ्फ आह आह उफ्फ्फ..’ मीता की आवाजें और हरकतें सुर बदलते हुए तेज होने लगी थीं. वो अपनी गांड नीचे से उछालने लगी थी.
‘आह आह हह उफ्फ्फ ई ई ई ई..’
मेरा लंड चुत की जड़ तक समां रहा था. मस्त चूत के रस में भीगा लंड आराम से चूत में अन्दर बाहर हो रहा था.
‘एएई आएई … उई … अंकल्ल … नीचे कुछ हो रहा है … इस्स्स हिस्स्स उम्माह मां मां मां मर गईईई..’
मीता की जकड़न भी गहरी होने लगी. उसके नाख़ून मेरी पीठ पर गड़ने लगे. मुझे समझ में आ रहा था कि वो अपने चरम पर आ गई है.
मैंने चूत में लंड उतारने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी. जितनी तेज़ी से लंड चूत से बाहर आता, उतनी ही तेज़ी से लंड चूत में जा रहा था.
मीता ने अपने टांगों से मेरे चूतड़ों को जकड़ लिया और एक चीख के साथ उसकी चूत ने भरभरा कर पानी छोड़ दिया. उसके नाखून मेरी पीठ पर गड़ते चले गए. उसकी टांगों ने मेरे चूतड़ों इतनी तेज़ी से जकड़ा कि मेरा भी सब कुछ रुक गया.
‘उउइइ ईई ईईम्म … अम्माआआह … आह मैंई … निकल गईईई … मैं … आह सब निकल गया … आह्ह आहह..’
बस मीता अस्फुट सी आवाज करती हुई चरम को प्राप्त हो गई. वो लम्बी लम्बी सांसें ले रही थी … उसकी आंखें बंद थीं. वो लंड चूत के अन्दर रस की बौछार महसूस कर रही थी. मीता ने कुछ पलों में आंख खोलीं. मुझे अपनी तरफ देखता पाकर उसने मुझे अपने पास खींच लिया. वो मेरे होंठों को चूसने लगी.
चुदाई का सुख मीता को मिल चुका था, मगर मैं अभी भी बाकी था. उसका वर्णन मैं अनचुदी चूत की पहली चुदाई कहानी के अगले भाग में करूंगा और अभिसार के अगले दौर का मजा आया, उसे भी लिखूंगा.
आप मेरे साथ अन्तर्वासना से बने रहिए.
मैं राहुल जी की मेल आईडी नीचे लिख रहा हूँ. अपने मेल जरूर कीजिएगा.
[email protected]
कहानी जारी है.
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