घर में ही मिला चुदाई का रास्ता- 1

(Teen Virgin Girl Sex Kahani)

सोनम वर्मा 2025-02-09 Comments

टीन वर्जिन गर्ल सेक्स कहानी में मेरी जवानी खिल चुकी थी, मुझे लंड की जरूरत थी पर मेरे घर वालों की सख्ती के कारण मैं किसी लड़के से दोस्ती और चुदाई नहीं कर पा रही थी.

यह कहानी सुनें.

दोस्तो,
मेरा नाम सविता है और मेरी उम्र 23 साल की है।

मैं कई साल से अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ रही हूं लेकिन कभी अपनी कहानी भेजने का मौका नहीं मिला था क्योंकि मैंने कभी सेक्स ही नहीं किया था।

उस वक्त मैं 12वीं क्लास में पढ़ाई कर रही थी।
स्कूल में कुछ सहेलियों के कारण मुझे अन्तर्वासना के बारे में पता चला था और मैंने अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ना शुरू किया था।

मुझे सेक्स की कहानियां पढ़ने की आदत हो गई थी और रात में सोते हुए मैं रोज ही अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ने लगी थी।

कहानियां पढ़ने से ही मुझे चुदाई की पूरी जानकारी प्राप्त हुई कि किस किस तरह से चुदाई होती है।
इसके अलावा मैं मोबाइल फोन पर नंगी वीडियो भी देखा करती थी।

धीरे धीरे मुझे इन सभी चीजों की ऐसी लत लग गई थी कि मैं रोज कहानियां पढ़ती थी और नंगी वीडियो देखती थी।
इन सब से मेरा बदन भी गर्म हो जाता था और मैं अपनी चूत में उंगली भी करने लगी।

मैं अपने बदन के बारे में बता दूं कि मेरी हाइट 5 फ़ीट 4 इंच है और वजन 55 किलो।
रंग गोरा और बदन गदराया भरा हुआ।
बड़ी सी गांड, भरे हुए जांघ,बड़े बड़े दूध के साथ 34-30-36 का फिगर है।

मेरे घर पर मेरी मम्मी पापा और मेरा बड़ा भाई ही रहते थे.
मेरे ऊपर घर में इतनी अधिक कड़ाई की जाती थी मैं कहीं भी अकेली बाहर नहीं जा सकती थी।
पापा या भाई मुझे स्कूल छोड़ने और लेने जाते थे और बाजार जाना होता था तो भी मम्मी पापा या भाई मेरे साथ ही जाते थे।

बाहर किसी लड़के से दोस्ती करने के बारे में मैं सोच भी नहीं सकती थी।

स्कूल खत्म होने के बाद जब मैं कॉलेज में गई तो वहाँ मेरे ही कालेज में मेरा भाई मुझसे सीनियर था.
वहाँ भी वह मुझ पर बेहद ध्यान रखता था और अपने साथ ही कॉलेज लाता ले जाता था।

मैं बस घर पर ही कहानियां पढ़कर और नंगी वीडियो देखकर अपनी नई नई उबलती जवानी को शांत किया करती थीं।

मेरी कई सहेलियां थी जिनकी लड़कों के साथ दोस्ती थी और वे चुदाई का भी पूरा मजा लेती थी।
मेरा मन भी बहुत करता था कि कोई लड़का मिले जिसके साथ मैं भी ये सब करूं.
लेकिन मेरे ऊपर इतनी ज्यादा पाबंदी लगी हुई थी कि ये सब कर पाना बेहद मुश्किल ही था।

लेकिन कहते हैं न कि चूत अपनी चुदाई करने का रास्ता ढूंढ ही लेती है.
और जिस लड़की को चुदना हो वो चुद ही जाती है।

ऐसा ही मेरे साथ भी हुआ.
घर वालों की हजारों पाबंदी लगाने के बावजूद भी मैं चुद गई.
और मुझे ऐसा मौका मिल गया कि लगातार तीन साल मेरी जमकर चुदाई हुई.
पर किसी को भनक तक नहीं लगी।

तो दोस्तो, आगे टीन वर्जिन गर्ल सेक्स कहानी में मैं बता रही हूं कि किस तरह से मुझे मौका मिला और किस तरह से मेरी प्यासी चूत की चुदाई हुई।
किसने पहली बार मुझे चुदाई का असली सुख दिया और किस तरह से लगातार 4 दिन तक मैं बस चुदती ही रही।

दोस्तो, बात है 2019 की उस वक्त मैं 19 साल की थी और कॉलेज में मेरा पहला साल था।
कॉलेज में तो मेरी किसी भी लड़के के साथ दोस्ती नहीं थी क्योंकि वहाँ मेरा भाई मेरे ऊपर बहुत ध्यान देता था।

मोहल्ले में भी मैं ज्यादा बाहर नहीं निकलती थी इसलिए वहां भी मेरे लिए किसी से दोस्ती करना बहुत मुश्किल ही था।

लेकिन मेरी किस्मत में चुदाई लिखी हुई थी इसलिए शायद ऊपर वाले ने मेरे साथ ऐसा कुछ किया कि घर पर ही मेरी चुदाई का प्रबंध हो गया और रोज मेरी चुदाई होने लगी।

हमारे घर में एक अलग कमरा बना हुआ है जो कि कई सालों बंद था.
पहले उस कमरे में मेरे दादा दादी रहते थे.

लेकिन उनके गुजर जाने के बाद वो कमरा बंद ही रहता था।
वो कमरा मेरे कमरे से बिल्कुल बगल में ही है।

एक दिन जब मैं और मेरा भाई कॉलेज से वापस आये तो घर पर पापा के साथ एक अंकल बैठे हुए थे और दोनों टीवी देखते हुए बातें कर रहे थे।

जब हम लोग घर पर गए तो पापा ने उनसे परिचय कराया, बताया कि वो अंकल पापा के बहुत अच्छे दोस्त हैं. उनका ट्रांसफर हमारे शहर में ही हो गया है. वे कुछ महीने हमारे साथ ही रहेंगे जब तक उन्हें कहीं क्वाटर नहीं मिल जाता।

उसके बाद वो अंकल जिनका नाम कैलाश था, वे हमारे साथ ही रहने लगे।
दिखने में वे काफी हट्टे कट्टे थे और उनकी पर्सनैलिटी काफी अच्छी थी।
लंबा कद काठी चौड़ा सीना मजबूत बांहें।

उनकी उम्र 51 साल थी और वे मेरे पापा से 3 साल बड़े थे।

उन्हें हमारे यहाँ रहते हुए करीब एक महीना बीत गया था और सब कुछ सामान्य चल रहा था।
लेकिन एक दिन सुबह 7 बजे मैं अपने घर की छत पर टहल रही थी.

कैलाश अंकल भी छत पर आ गए और कुछ एक्सरसाइज करने लगे।
उस वक्त वो हाफ पैंट और बनियान पहने हुए थे।

वे छत के एक कोने में एक्सरसाइज कर रहे थे और मैं छत पर इधर उधर टहल रही थी।

ऐसे ही टहलते हुए मेरी नजर अचानक से उनके पैन्ट की तरफ चली गई जहाँ पर उनके पैन्ट के सामने तंबू बना हुआ था।
मुझे ऐसा लगा जैसे उनका लंड खड़ा हुआ था और मेरी नजर बार बार वही पर जाने लगी।

कैलाश अंकल बिना मेरी तरफ देखे अपने एक्सरसाइज पर ध्यान रखे हुए थे।

मेरी गंदी सोच और बढ़ती गई और मैं उनके और ज्यादा करीब जाकर टेढ़ी नजरों से उनके पैन्ट की तरफ देखने लगी।
फिर मुझे अहसास हुआ कि उनका लंड खड़ा नहीं है बस उनका पैन्ट ही इतनी टाइट है कि उनका लंड उभरा हुआ है।

ऐसे ही अब रोज घर पर मेरी नजर अंकल के पैन्ट को देखने लगी थी.
जब वे नहाकर आते थे तो केवल अंडरवियर में रहते थे और उस वक्त तो उनके लंड का उभार और भी ज्यादा दिखाई दिया करता था।

ये सब अब मेरा रोज का काम हो गया था.

ऐसे ही एक दिन जब मैं रात में अपने मोबाइल पर नंगी वीडियो देख रही थी तो उसमें एक अंकल एक कम उम्र की लड़की को चोद रहा था और वो लड़की भी उस अंकल से मजे से चुदवा रही थी।

वो वीडियो देख मुझे कैलाश अंकल की ही याद आई क्योंकि वीडियो में जो आदमी था उसकी कद काठी वैसी ही थी।

उस दिन मैं इतनी अधिक गर्म हो गई थी कि पहली बार चूत में उंगली करते समय कैलाश अंकल को याद किया और ये सोच कर उंगली कर रही थी कि कैलाश अंकल ही मुझे चोद रहे हैं।

उसके बाद से मुझे ऐसी वीडियो और कहानियां ही पसंद आने लगी जिसमें कोई अंकल किसी कम उम्र की लड़की को चोद रहा हो.
और हमेशा मैं यही सोचकर उंगली करती थी कि कैलाश अंकल ही मुझे चोद रहे हों।

धीरे धीरे मैं कैलाश अंकल की तरफ काफी आकर्षित होने लगी थी.
वे मुझे काफी अच्छे लगने लगे थे.

मैं ये सब भूल चुकी थी कि वे मेरे पापा से भी बड़े है क्योंकि उस वक्त मेरे बदन की गर्मी के कारण मुझे बस उनका लंड ही दिखाई देता था।
मुझे ऐसा लगता था कि कास अंकल का लंड मुझे मिल जाता और अंकल मुझे चोद देते।

मैं पूरी तरह से उनसे चुदवाने के लिए तैयार थी।

अंकल काफी हंसमुख तरह के थे और हम सभी लोगों से हँसी मजाक किया करते थे।
कभी कभी पढ़ाई करते समय वो मेरी मदद भी करने के लिए आ जाते थे।

लेकिन कभी भी उन्होंने मुझसे ऐसी कोई गलत बात या गलत हरकत नहीं की जिससे पता चलता कि उनके मन में भी मेरे प्रति कुछ गलत था।
वे हमेशा मुझे अपनी बेटी की तरह ही समझते थे।

लेकिन एक दिन मेरी एक गलती के कारण ही शायद उनका मुझे देखने का नजरिया बदल गया था और उनकी निगाहें मेरे प्रति बदल सी गई थी।

हुआ यूं था कि एक दिन मम्मी पापा सुबह सुबह हमारे एक रिश्तेदार के घर गए हुए थे और मेरा भाई बाहर घूमने के लिए गया था।

अंकल भी किसी काम से बाहर गए हुए थे और घर पर मैं बिल्कुल अकेली थी।

घर का थोड़ा बहुत काम था तो उसे निपटाने के बाद मैं नहाने के लिए चली गई।

मेरी आदत थी कि जब घर पर कोई नहीं होता था तो मुझे जैसे आजादी ही मिल जाती थी और मुझे बस चुदाई के ख्याल ही आते थे।

उस दिन भी मैं नहाते हुए बाथरूम में जाकर पूरी तरह से नंगी हुई, अपने बड़े बड़े दूध को मसलने के बाद अपनी चूत में उंगली करके अपनी गर्मी को शांत करी.
और नहाने के बाद केवल पैन्टी पहनकर ही बाथरूम से बाहर निकल आई।

मुझे तो पता था कि घर पर कोई नहीं है और मैंने दरवाजा लॉक किया था.
तो मुझे देखने वाला तो कोई है ही नहीं इसलिए मैं केवल पैन्टी में ही बाथरूम से आ गई थी।

बाहर आकर मैं अपने सारे बदन पर बॉडीलोशन लगाया और उसके बाद बीच बरामदे में बैठकर हल्की हल्की घूप लेने लगी।
मैं आँख बंद किये हुए बैठी हुई थी और धूप का मजा ले रही थी।
बीच बीच में मैं अपने दूध को मसलती औऱ अपनी जांघों पर बॉडीलोशन लगा रही थी।

मुझे बिल्कुल भी अहसास नहीं था कि मुझे कोई देख भी रहा है।

कुछ देर बाद जब मैं उठी तो मेरी नजर ऊपर छत पर गई जहाँ पर कैलाश अंकल खड़े हुए थे।
उन्हें देख मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया और तुरंत ही मैं अपने कमरे की तरफ भागी।

कमरे में पहुचने के बाद मैंने सोचा कि घर पर तो कोई नहीं था और दरवाजा मैंने ही लॉक किया था; फिर अंकल कैसे आ गए।
फिर मुझे याद आया कि दरवाजे की एक चाभी अंकल के पास भी है और वे उससे ही दरवाजा खोलकर आ गए होंगे।

मुझे अपनी इस गलती पर बहुत बुरा लग रहा था.
पता नहीं अंकल मेरे बारे में क्या सोच रहे होंगे क्योंकि उन्होंने मुझे लगभग नंगी ही देख लिया था।

मैं काफी देर तक बरामदे में बैठी थी और पता नहीं क्या क्या हरकत कर रही थी।

मैंने अपने कपड़े पहने औऱ कमरे में ही बैठी रही.
मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मैं बाहर जाऊं क्योंकि पता नहीं अंकल मुझे देखकर क्या सोचेंगे औऱ पता नहीं मुझे क्या बोलेंगे।

जब तक मेरे मम्मी पापा वापस नहीं आ गए, मैं वहीं कमरे में ही बैठी रही थी और फिर उनके आने के बाद ही बाहर निकली।
मुझे डर लग रहा था कि कहीं अंकल पापा या मम्मी से कुछ बोलें न!
लेकिन उन्होंने किसी को कुछ नहीं कहा।

उस दिन के बाद से अंकल का मुझे देखने का नजरिया बदल सा गया था।
वे मुझसे अब ज्यादा हँसी मजाक भी नहीं करते थे और बात भी कम ही करते थे.
जब भी वे मुझे देखते थे तो उनकी नजर अब बदली बदली हुई लगती थी।

इस घटना को करीब एक महीना हो गया और सब कुछ सामान्य लगने लगा था.
लेकिन मुझे तो पता ही था कि अंकल ने मेरा लगभग सब कुछ देख लिया था।

धीरे धीरे अंकल भी अच्छे से ही मुझसे बात करने लगे और पहले की तरह ही पढ़ाई में मेरी मदद भी करने लगे।

उस वक्त भी मैं रोज रात में वीडियो देखती थी और अंकल को ही याद करते हुए ही उंगली करती थी।
शायद ही ऐसी कोई रात होती थी कि मैं उन्हें याद करते हुए उंगली नहीं करती थी।

कुछ दिन बाद मैंने गौर किया कि अंकल जानबूझकर मेरे पास आते थे, मुझसे बात करते थे और मेरे कमरे में आकर पढ़ाई में मेरी मदद करते थे।

एक दिन ऐसे ही सभी लोग रात का खाना खाने के बाद अपने अपने कमरे में चले गए.
मैं अपने कमरे में पढ़ाई कर रही थी तो अंकल आ गए और मेरी मदद करने लगे।

उस दिन दोपहर से ही मेरे सर में दर्द हो रहा था जिसके लिए मैंने पापा से दवाई भी मंगवाई थी।

यह बात अंकल को पता थी कि मेरे सर में दर्द है इसलिए उन्होंने मुझसे पूछा- तुम्हारा दर्द अब कैसा है?
मैंने कहा- पहले से आराम है अंकल!

फिर अंकल ने कहा- रुको, अभी मैं पूरा ठीक करता हूँ।

मैं कुर्सी पर बैठी हुई थी और अंकल पीछे खड़े होकर मेरे सर को हल्के हाथों से दबाने लगे।
अंकल हल्के हल्के मेरे सर की मसाज कर रहे थे जिससे मुझे काफी अच्छा लग रहा था।

मैं आँख बंद किये हुए कुर्सी पर बैठी हुई थी और अंकल ऐसे ही सर की मसाज कर रहे थे।
मुझे जरा भी ख्याल नहीं था कि मैंने अपना दुपट्टा नहीं लिया है और पीछे खड़े अंकल को मेरे तने हुए दूध की झलक दिख रही होगी।

मालिश के कारण मुझे काफी अच्छा लग रहा था और मैं चुपचाप आँखें बंद करके बैठी हुई थी।

अंकल सर की मसाज करते हुए पीछे मेरे गले और कंधे को भी हल्के हल्के दबाने लगे जिससे सच में मुझे आराम मिल रहा था।

उनके स्पर्श से मेरे बदन में अजीब सी गुदगुदी लग रही थी जिससे मुझमें वासना की लहर दौड़ गई।
मुझे उनका छूना अच्छा लग रहा था और मुझे लग रहा था कि वे ऐसे ही करते रहे।

यह टीन वर्जिन गर्ल सेक्स कहानी 3 भागों में है.
हर भाग पर आप अपनी राय व्यक्त करते रहिये.
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टीन वर्जिन गर्ल सेक्स कहानी का अगला भाग: घर में ही मिला चुदाई का रास्ता- 2

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