तीन पत्ती गुलाब-40
(Teen Patti Gulab- Part 40)
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मैंने कसकर गौरी की जांघें पकड़ ली। गौरी का शरीर अब कुछ ढीला सा पड़ने लगा था। उसने अपने घुटने मोड़ लिए थे। मैं उसके ऊपर हो गया और उसके होंठों को चूमने लगा।
मुझे लगा वह इस आसन में थोड़ी असहज सी होने लगी है। अब आसन बदलने का समय था।
“गौरी मेरी जान आओ अब एक बार डॉगी स्टाइल में करते हैं.”
मैं गौरी के ऊपर से उठकर खड़ा हो गया और फिर से उन गद्दियों को दुबारा सोफे पर रख दिया। गौरी झट से सोफे पर अपने घुटनों को मोड़ कर डॉगी स्टाइल में हो गई। अब तो उसके नितम्ब खुलकर मेरे सामने थे। गांड का छेद खुलने और बंद होने लगा था जैसे मुझे निमंत्रण दे रहा हो। मेरा मन तो उसके गांड मार लेने को करने लगा था पर इस समय गौरी अपनी चूत की प्यास बुझाने को तरस रही थी।
मैंने अपने खड़े लंड को हाथ में पकड़ कर गौरी की पनियाई चूत के रसीले छेद पर फिर से लगाकर उसकी कमर को पकड़ लिया। मेरा आधा लंड उसके चूत में था। मैं थोड़ी देर रुक सा गया।
“आह… क्या हुआ? प्लीज… करो ना?… रूक क्यों गए? आह…” कहते हुए गौरी ने अपने नितम्बों को पीछे धकेला।
मैंने कसकर गौरी की कमर पकड़ी और एक जोर का धक्का लगाया। फच्च की आवाज के साथ मेरा लंड गौरी की बुर के अंतिम सिरे तक जा पहुंचा और उसके साथ ही गौरी की एक चीख सी निकल गई… आईईई… धीरे … प्लीज… आह…
अब तो लंड महाराज आराम से अन्दर-बाहर होने लगे थे। आज तो गौरी की सु-सु ने इतना रस बहाया था कि किसी क्रीम या तेल की कोई आवश्यकता ही नहीं महसूस हुई थी।
अब तो गौरी ने भी अपने नितम्ब हिलाने शुरू कर दिए थे। मैंने अपना हाथ नीचे करके उसके मदनमणि (योनि मुकुट) को एक हाथ की चिमटी में लेकर मसलना शुरू कर दिया था और दूसरे हाथ से उसके उरोजों की घुंडियों को भी साथ-साथ मसलना चालू कर दिया।
तीन तरफ से हो रहे आक्रमण से बेचारी गौरी अपने आप को कैसे बचा पाती। वह तो अब जोर-जोर से उछलकूद मचाने लगी थी साथ में आह… उईई… भी करती जा रही थी।
अब हमने लयबद्ध तरीके से धक्के लगाने शुरू कर दिए थे। हर धक्के के साथ गौरी के नितम्ब थिरकते और नीचे उसके उरोज भी हिलते। मैं धक्के भी लगा रहा था और साथ में उसके उरोजों को भी मसलता जा रहा था। कभी-कभी उसकी बुर के दाने को भी मसल रहा था।
मैं बीच बीच में उसके नितम्बों पर हलके थप्पड़ भी लगा रहा था। थप्पड़ों से उसके नितम्ब लाल से हो गए थे। जब भी मैं उसके नितम्बों पर थप्पड़ लगाता गौरी की एक मीठी सीत्कार सी निकल जाती।
आपको आश्चर्य हो रहा होगा ना?
कई स्त्रियों को सम्भोग के दौरान थोड़ी पीड़ा दी जाए तो उन्हें बहुत अच्छा लगता है जैसे नितम्बों पर थप्पड़ लगाना उरोजों की घुन्डियाँ मसलना, गालों को दांतों से काटना और नाखूनों से हल्का खुरचना। इससे स्त्री का रोमांच और उन्माद बहुत जल्दी अपने चरम पर पहुँच जाता है और स्त्री कामातुर हो जाती है।
प्रिय पाठको और पाठिकाओ। हर कोई अपने सम्भोग और इन अन्तरंग संबंधों को एक लम्बे समय तक भोगना चाहता है। यही मन करता है कि इसी तरह हम समागम करते जाए और यह क्रिया कभी ख़त्म ही ना हो पर प्रकृति के अपने नियम भी हैं और उनके आगे आदमी मजबूर है।
अब मुझे लगने लगा था मेरा तोता उड़ने वाला है। अब तक गौरी को दो बार ओर्गास्म हो चुका था। उसने अपने आप को ढीला छोड़ दिया था और अपना सिर नीचे करके सोफे पर लगा लिया था।
मैंने गौरी के नितम्बों पर फिर से थपकी लगाईं और जोर-जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए। अब गौरी भी जान चुकी थी कि अमृत की बारिश होने वाली है। उसने अपनी सु-सु का संकोचन शुरू कर दिया था।
और फिर उसके बाद पिछले आधे घंटे से मेरे अन्दर कुलबुलाता लावा पिंघलने सा लगा और रस की फुहारें छोड़ने लगा। पता नहीं आज कितनी पिचकारियाँ मेरे लंड से निकली होंगी हमें गिनने की फुर्सत कहाँ थी? प्रकृति ने अपना काम सम्पूर्ण कर लिया था।
मैंने झुककर गौरी को अपनी बांहों में भर लिया और उसकी पीठ और गर्दन पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। गौरी भी आँखें बंद किये अपने प्रेम की अंतिम अभिव्यक्ति के आनंद को महसूस करके अपने आपको रूपगर्विता समझ रही थी।
थोड़ी देर ऐसे ही रहने के बाद मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया लेकिन गौरी आँखें बंद किये लम्बी-लम्बी साँसें लेती उसी मुद्रा में बनी रही जैसे पिछले दिनों मधुर रहा करती थी। गौरी की इस बात से मुझे बड़ी हैरानी सी हो रही थी।
साधारणतया स्खलन के बाद स्त्री को अपने गुप्तांगों अन्दर गुदगुदी सी महसूस होने लगती है और स्त्री सुलभ लज्जा के कारण भी सम्भोग के बाद स्त्री जल्दी से उठकर अपने गुप्तांगों को ढकने की कोशिश करती है। पर गौरी तो अपने नितम्बों को ऊपर किये पता नहीं किन ख्यालों या आनंद में डूबी थी। है ना हैरानी वाली बात?
मैं गौरी के पास सोफे पर बैठ गया। मैंने अपना एक हाथ गौरी की पीठ पर फिराना चालू कर दिया और धीरे-धीरे उसके नितम्बों की खाई की ओर ले जाने लगा तब गौरी चौंकी।
इससे पहले कि वह उठकर बैठती या बाथरूम की ओर भागती मैंने उसकी कमर पकड़ कर उसका सिर अपनी गोद में रख लिया और नीचे होकर उसके होंठों को चूम लिया।
“मेरी प्रियतमा … तुम्हारा बहुत बहुत धन्यवाद!”
“मेरे साजन आपने भी मुझे अपने जीवन का एक अद्भुत आनंद दिया है मैं इन पलों को कभी नहीं भूल पाऊँगी।” कहकर गौरी ने भी मेरे होंठों को चूम लिया।
“गौरी, तुमने वो पिल्स तो ले ली थी ना?”
“अरे … आप चिंता मत करो … मैं तो रोज पिल्स लेती हूँ.”
“क… क्या मतलब?”
“दीदी ने मुझे टेबलेट्स लाकर दी हैं?”
“क… कैसी टेबलेट्स?” मेरा दिल किसी आशंका से धड़कने लगा था।
“वो बोलती है तुम्हें कमजोरी बहुत है तो रोज यह दवाई और एक टेबलेट लिया करो.”
“उसे कैसे पता कि तुम्हें कोई कमजोरी है?”
“वो उन्होंने मेरा खून ओल पेशाब टेस्ट करवाया था.”
“ओह… फिर?”
उन्होंने डॉक्टर से पूछकर मुझे पीने के दवाई और टेबलेट्स लाकर दी हैं.”
“प्लीज मुझे दिखाओ कैसी टेबलेट्स हैं?”
गौरी अपने कपड़े उठाकर बाथरूम में भाग गई। वह 5-7 मिनट के बाद बाहर आई। शायद वह हल्का शॉवर लेकर आई थी। उसने जीन वाला निक्कर और लाल रंग का टॉप पहन लिया था। वह जानकर अपने नितम्बों को मटका कर चल रही थी। पता नहीं ये हसीनाएं इतने नखरे कहाँ से सीख लेती हैं।
फिर अपने कमरे में जाकर एक थैली सी उठा कर ले आई जिसमें दवाई की शीशी और गोलियों के 2-3 पत्ते थे।
ओह… मैं तो गर्भनिरोधक गोलियों की बात सोच रहा था और पर यह तो विटामिन बी और ई की गोलियां थी।
यह मधुर तो मुझे मरवाकर छोड़ेगी। अगर गौरी गलती से भी प्रेग्नेंट हो गई तो निश्चित ही लौड़े लग जायेंगे। मैंने सोच लिया अगली बार से मैं निरोध का प्रयोग जरूर करूंगा।
“क्या हुआ?”
“ओह… हाँ.. वो.. वो…” मेरे दिमाग ने तो जैसे सोचना ही बंद कर दिया था।
“आप भी नहा लो, मैं नाश्ता बनाती हूँ.” कहकर गौरी रसोई में चली गई।
मैं बोझिल कदमों से बाथरूम में चला आया। नहाते समय मैं मधुर के बारे में ही सोच रहा था। कुछ ना कुछ खुराफात तो मधुर के दिमाग में जरूर चल रही है। उस दिन गौरी के घर वालों ने उसके साथ हुए दुष्कर्म के बारे में तो जरूर बताया ही होगा. पर मुझे हैरानी हो रही है कि उसने ना तो गौरी से उस दिन की बात पर ज्यादा सवाल किये और ना ही गर्भ निरोधक पिल्स ही लेने को कहा। कमाल है? गौरी प्रेग्नेंट हो गई तो?
हे लिंग देव! अब तो बाद तेरा ही एक सहारा बचा है।
अचानक मेरे दिमाग कि जैसे बत्ती ही जल उठी।
ओह… मैं भी निरा गाउदी ही हूँ? यह बात मेरे दिमाग में पहले क्यों नहीं आई? सब की नज़रों में गौरी के साथ दुष्कर्म हुआ था और अगर अब वह गर्भवती हो भी जाती है तो इसे उसी के परिणाम स्वरूप देखा जाएगा। ओह … कहीं मधुर बेचारी इस गौरी को इस्तेमाल तो नहीं कर रही?
पता नहीं आगे क्या होगा यह तो भविष्य के गर्भ में छिपा है. पर मुझे लगा जैसे एक साथ बहुत बड़ा बोझ मेरे सिर से उतर गया है और मैं अपने आप को बहुत हल्का महसूस करने लगा हूँ। पिछले 1 महीने से मेरे दिमाग में चल रही सारी चिंताएं एक ही झटके में दूर हो गई है। अब तो बिना किसी चिंता और फिक्र के गौरी को मर्ज़ी आये वैसे तोड़ा मरोड़ा जा सकता है।
हे लिंग देव! आज तो तेरी सच में जय हो!
मैं बाथरूम में फर्श पर बैठ गया और नल चलाकर अपने लंड को उसकी तेज़ धार के नीचे लगा दिया। मन तो कर रहा था गौरी को पकड़ कर बाथरूम में ले आऊँ और फिर हम दोनों साथ नहायें और फिर गौरी अपनी सु-सु को मेरे मुंह पर रगड़ने लगे तो खुदा कसम मज़ा ही आ जाए।
मेरा लंड तो इन्ही ख्यालों में फिर से झटके खाने लगा। हे भगवान्! उसके नितम्ब तो दिन पर दिन क़यामत ही बनते जा रहे हैं। उस रात तो बस एक बार ही उसने मुझे अपनी गांड का मज़ा लेने दिया था।
उस रात मेरा कितना मन था कि उसे डॉगी स्टाइल में करके उसकी गांड का मज़ा लिया जाए। मुझे लगता है गौरी ने सुहागरात में अपने भैया को इसी स्टाइल में भाभी की गांड मारते देखा था तो उसे भी यह अनुभव ले लेने का मन तो जरूर करता होगा।
काश! आज सोफे पर गौरी को अपनी गोद में बैठाकर अपने पप्पू को उसकी गांड में डालने का मौक़ा मिल जाए तो खुदा कसम यह जिन्दगी की सबसे हसीन यादगार बन जाए। पता नहीं मुझे क्यों ऐसा लग रहा था कि अंगूर की तरह दुबारा इसकी गांड मारने का मौक़ा मुझे नहीं मिलेगा। पता नहीं मुझे आज इतनी असुरक्षा क्यों महसूस हो रही थी। किसी भी तरह आज गौरी को इसके लिए मनाना ही पड़ेगा।
मैंने नहाने के बाद कपड़े नहीं पहने थे बस बनियान और लुंगी ही पहनी थी। जब मैं बाथरूम से बाहर आया तब तक गौरी नाश्ता तैयार कर चुकी थी। उसने आज प्याज और हरी मिर्च डालकर बेसन के चीले बनाए थे और साथ में बढ़िया कॉफ़ी।
आजकल मधुर की अनुपस्थिति गौरी नाश्ते के समय मेरी बगल में ही बैठ जाती है और फिर हम दोनों साथ में नाश्ता करते हैं। मैंने गौरी को बाजू से पकड़ कर अपनी गोद में बैठा लिया। गौरी थोड़ी कसमसाई तो जरूर पर उसने ज्यादा हील-हुज्जत नहीं की।
फिर हम दोनों ने एक दूसरे को अपने हाथों से नाश्ता करवाया। मेरा लंड बारबार ठुमके लगाने लगा था। गौरी ने जब इसे महसूस किया तो उसने अपने नितम्बों को मेरी गोद में ठीक से सेट कर लिया।
“ये लड्डू तो हमेशा भूखा ही रहता है.” गौरी ने हंसते हुए कहा।
“गौरी तुम इतनी खूबसूरत हो कि मन ही नहीं भरता.” कह कर मैंने गौरी के गालों पर एक चुम्बन ले लिया।
“हट!”
“ए जान! आओ न एक बार फिर से कर लें?”
“अभी तो किया था? ऐसे जल्दी-जल्दी करने से आपको कमजोरी आ जायेगी? अब आप ऑफिस जाओ देर हो जायेगी.”
“गौरी प्लीज मान जाओ ना?” मैंने किसी बच्चे की तरह गौरी से मनुहार की तो उसकी हंसी निकल गई।
“पता है मेरे से तो ठीक से चला भी नहीं जा रहा.”
“प्लीज… गौरी यह दर्द तो बस थोड़ी देर का है पर वह आनंद तो हमें कितना रोमांच से भर देता है तुम अच्छे से जानती हो.” मैंने एक बार फिर से मनुहार की।
अब बेचारी गौरी कैसे मना कर सकती थी।
“आप मुझे फिर से गंदा कर देंगे तो मुझे फिर नहाना पड़ेगा?”
“अरे… मेरी जान … प्रेम करने से कुछ गंदा नहीं होता.”
कह कर मैंने गौरी को अपनी गोद में उठा लिया।
कहानी जारी रहेगी.
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