तीन पत्ती गुलाब-26
(Teen Patti Gulab- Part 26)
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गौरी ने शरमाकर अपनी आँखों पर हाथ रख लिए। गौरी की मौन स्वीकृति पाकर मैंने उसे एक बार फिर कसकर अपनी बांहों में भींचते हुए चूम लिया। लंड महाराज तो पजामा फाड़कर ही बाहर आने लेगे थे।
मैंने उसे अपनी गोद में उठा लिया और फिर उसे लेकर बाथरूम में आ गया।
गौरी को गोद से नीचे उतार कर मैंने झट से अपना कुर्ता पाजामा निकाल फैंका और शॉवर चला कर अपनी मुंडी उसके नीचे लगा दी.
गौरी मुझे देखती जा रही थी। मैंने एक चुल्लू में पानी लिया और गौरी के चहरे पर फेंक दिया।
“ऐ गौरी आओ ना … इस फुहार के नीचे!” मैंने गौरी का हाथ पकड़कर फव्वारे के नीचे खींच लिया।
“अले लुको … मेले तपड़े भीग जायेंगे?”
“ऐसी की तैसी तुम्हारे कपड़ों की।” कह कर मैंने गौरी की टी-शर्ट निकाल दी।
उसने ब्रा तो पहनी ही नहीं थी। दोनों अमृत कलश आजाद होकर जैसे राहत की सांस लेने लगे थे। और कंगूरे तो भाले की नोक की तरह तीखे हो गए थे।
“गौरी यह निक्कर भी उतार दो ना!”
“हट! आप तो मुझे पूरा बेशल्म बनाकल ही छोड़ेंगे?” कह कर गौरी ने अपने दोनों हाथों से अपने उरोजों को ढक सा लिया।
“गौरी प्लीज … मान जाओ ना?” प्लीज मेरे खातिर … ”
अब मैंने उसके इलास्टिक वाले निक्कर को नीचे से पकड़ कर खींच लिया। गौरी ने ज्यादा ना नुकर नहीं की अलबत्ता उसने अपनी सु-सु को एक हाथ से ढक जरूर लिया।
अब मैंने उसका हाथ पकड़कर फिर से शॉवर के नीचे कर लिया। और फिर साबुन लेकर पहले तो अपने सिर और बदन पर लगाया और फिर अपने खड़े लंड पर साबुन लगाकर उसे धो लिया।
गौरी यह सब देख रही थी। उत्तेजना के मारे उसकी साँसें तेज होने लगी थी और उसके उरोज साँसों के साथ ऊपर नीचे होने लगे थे। उसकी आँखों में एक खुमार सा आने लगा था और होंठ कांपने से लगे थे।
मेरा लंड तो ठुमके पर ठुमके लगाने लगा था। गौरी टकटकी लगाए मेरे लंड को ही देखती जा रही थी।
अब मैं गौरी के चहरे और गले पर साबुन लगाने लगा। जब मैंने उसकी कांख (बगलों) पर साबुन लगाया तो गौरी कसमसाने सी लगी।
“आह … मुझे गुदगुदी हो लही है … मैं अपने आप लगा लूंगी.” गौरी अब भी थोड़ा शर्मा रही थी।
मैंने अब उसके उरोजों और पेट पर साबुन लगाते हुए उसकी सु-सु पर भी साबुन लगा दिया और फिर उसके चीरे में अंगुली फिरा दी।
“ईईईईईईई …” गौरी की तो एक मीठी किलकारी सी निकल गई। उसने मेरा हाथ पकड़ने की नाकाम सी कोशिश की पर ज्यादा विरोध अब उसके बस में कहाँ था।
गौरी ने 5-6 दिन पहले अपनी सु-सु को चकाचक बनाया था तो अब उसपर हल्के हल्के रोयें झलकने लगे थे। मैंने उसकी पीठ और नितम्बों पर साबुन लगाते हुए उसके नितम्बों की खाई में भी साबुन लगा दिया।
गौरी तो बस आह … ऊंह … करती ही रह गई।
अब मैंने उसे अपनी बांहों में भरते हुए शॉवर के नीचे कर लिया। ठंडा पानी हमारे बदन पर गिरने लगा और साबुन उतरती गई। मैं धीरे-धीरे गौरी के पूरे शरीर हाथ से मलने लगा। गौरी रोमांच में डूबने लगी, उसके होंठ कांपने लगे थे और उसकी साँसे बहुत तेज़ होने लग गई थी।
“गौरी एक काम करोगी?”
“हम्म …” गौरी पता नहीं किन सपनों और आनन्द में खोई थी।
“तुम अपना एक पैर इस प्लास्टिक वाली स्टूल पर रख लो” गौरी ने बिना ना नुकुर के अपना एक पैर उस प्लास्टिक की स्टूल पर रख लिया तो उसकी सु-सु के मोटे मोटे पपोटों के बीच गुलाबी छेद और उनके बीच लाल रंग की पंखुड़ियां (लीबिया-इनर लिप्स) नज़र आने लग गए।
अचानक मैं नीचे बैठ गया और उसके नितम्बों को हाथ से पकड़ कर अपने मुंह की ओर धकलते हुए उसकी सु-सु पर पहले तो 2-3 चुम्बन लिए और फिर उस पर अपनी जीभ फिराने लगा।
“ईईईईईईई … त्या तल रहो हो … ओह … छी … ओह … लुको … आआईईइ …”
मैंने उसके की सु-सु को पूरा मुंह में भर लिया और चूसने लगा। उत्तेजना के मारे गौरी का पूरा शरीर कांपने और झटके से खाने लगा था।
उसने अपने आप को छुड़ाने का हल्का सा विरोध तो जरूर किया पर उसके आह … ऊंह … और हिलते नितम्बों से लग रहा था उसका विरोध फजूल है उसे भी अब मज़ा आने लगा था।
उसने कसकर मेरा सिर अपने हाथों में पकड़ लिया और जोर जोर से सीत्कार करने लगी- मेरे साजन … आह … मैं मल जाउंगी … ईईईईईईइ …
उसके मदनमणि (योनि मुकुट) तो फूल कर अंगूर के छोटे दाने जितनी हो चली थी। मैंने उसे अपने मुंह में लिया और चुभलाने लगा। एक दो बार हल्के दांत भी उस पर गड़ा दिए।
“ईईईईईईइ … आह … मेला सु-सु निकल जाएगा … ओह … प्लीज ओल मत कलो … आह … ”
अब गौरी का विरोध ख़त्म हो गया था और उसने मेरे सिर को अपनी सु–सु की ओर जोर से दबा दिया था।
मैंने अब दो काम एक साथ किये। एक हाथ की अंगुली उसके नितम्बों की खाई में लगाते हुए उसकी महारानी (गांड) के छेद को टटोला और हल्के से अपनी अंगुली का एक पोर उस छेद पर थोड़ा सा अन्दर करते हुए फिराया और फिर उसकी सु-सु को पूरा मुंह में लेकर जोर के चुस्की लगाई।
अब बेचारी गौरी कितनी देर मेरे काम बाणों से अपने आप को बचा पाती। गौरी ने जोर कि किलकारी मारी और उसके साथ ही उसका रतिरज बहकर मेरे मुंह में समाने लगा। गौरी का शरीर झटके से खाने लगा।
मैंने अब उसकी सु-सु को मुंह से बाहर निकाला और फिर उस पर चुम्बनों की झड़ी लगा दी। गौरी तो बेचारी रोमांच में डूबी और ओर्ग्श्म महसूस करती आह … ऊंह करती ही रह गई।
अब मैं खड़ा हो गया और फिर से गौरी को अपनी बांहों में भर लिया। गौरी ने भी मेरे होंठों पर चुम्बन लेने शुरू कर दिए। एक बार तो उसने मेरे होंठों को इतना जोर से काटा कि मुझे लगा इनमें खून ही निकल जाएगा।
मेरा खड़ा लंड उसकी सु-सु पर टक्कर मार रहा था। अचानक गौरी नीचे बैठ गई और मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी। मैं आज अपना वीर्य उसे पिलाने के मूड में कतयी नहीं था। पर थोड़ी देर उसे इसी तरह चूसने देना जरूरी था। अब तो मेरा पप्पू लोहे की सलाख जैसे कठोर हो गया था।
“गौरी मेरी जान … आओ एक और अनूठे आनन्द को भोगते हैं.”
गौरी ने नज़रें ऊपर उठाकर मेरी ओर देखा।
मैंने उसे खड़े होने का इशारा किया। गौरी ने मेरा लंड अपने मुंह से बाहर निकाल दिया और खड़ी हो गई। मैंने उसे थोड़ा घुमाया और उसे पीछे से अपनी बांहों में भर लिया। मेरा लंड अब उसके नितम्बों पर दस्तक देने लगा था।
गौरी को मैंने थोड़ा सा झुकने के लिए कहा और उसके हाथ सामने लगे नल को पकड़ लेने को कहा। अब गौरी के नितम्ब खुलकर मेरे सामने आ गए थे। उसकी कमर और सिर समानांतर रूप में हो गए थे और नितम्ब कुछ ऊपर हो गए थे।
या … खुदा जैसे भरतपुर राजघराने का पूरा खजाना ही मेरी आँखों के सामने नुमाया हो चला था।
मैंने एक करारा चुम्बन उसके नितम्बों पर लिया और फिर थोड़ा सा झुककर पहले तो उसकी जाँघों को खोला और फिर सु-सु के पपोटों को चौड़ा करते हुए एक चुम्बन उस लाल गुलाबी रति द्वार पर ले लिया। गौरी ने एक बार फिर से रोमांच में डूबी किलकारी मारी।
अब मैंने अपना खड़ा लंड उसके नितम्बों के बीच लगा दिया। गौरी के शरीर में एक सिहरन सी दौड़ने लगी। मैंने हाथ बढ़ाकर सोप स्टैंड पर रखी क्रीम की शीशी लेकर जल्दी से थोड़ी क्रीम अपने पप्पू पर लगाई और फिर ढेर साड़ी क्रीम उसकी सु-सु के छेद पर भी लगा दी।
गौरी आह … ऊंह करती जा रही थी। बीच-बीच में उसका शरीर हिचकोले से खाते जा रहा था यह सब उसके तन और मन दोनों की स्वीकृति दर्शा रहा था।
अब मैंने धीरे से अपना लंड उसकी सु-सु की फांकों के बीच लगा दिया। अब तक गौरी अपने आप को इस संगम के लिए तैयार कर चुकी थी। उसने अपनी जांघें थोड़ी सी और खोल दी और मेरे पप्पू का काम आसान कर दिया।
मैंने मेरा लंड जब ठीक से सेट हो गया तो मैंने गौरी की कमर जोर से पकड़ ली और एक धक्का लगा दिया।
मेरा लंड बिना किसी रुकावट के एक ही झटके में अन्दर प्रवेश कर गया।
गौरी के एक चीख पूरे बाथरूम में गूँज उठी- उईईईईईईई … मा … आ … ओह धीरे … आह!
“बस मेरी जान तुम्हारा पप्पू पास हो गया है … अब चिंता की कोई बात नहीं है।”
गौरी ने एक हाथ अपने नितम्बों की तरफ करके मेरे लंड और अपनी सु-सु को टटोलने की कोशिश की। उसे तो जैसे विश्वास ही नहीं हो रहा होगा कि इतना लंबा और मोटा लंड इतनी आसानी से पूरा अन्दर चला जायेगा।
मैं गौरी की हालत समझ सकता था। उसे आज भी थोड़ा दर्द तो जरूर हो रहा होगा पर अब वह असहनीय नहीं होगा। बस 2-4 मिनट की बात है जैसे ही लंड अपने ठिकाने में सेट हो जाएगा यह दर्द छू मंतर हो जाएगा और फिर तो गौरी खुद अपने नितम्ब हिला हिला कर चुदवायेगी।
मैंने थोड़ा नीचे होकर पहले तो उसकी पीठ पर एक चुम्बन लिया और फिर एक हाथ से उसके एक उरोज को पकड़ कर होले-होले मसलना चालू कर दिया। अब तो गौरी का पूरा शरीर रोमांच में गोते लगाने लगा।
मैंने उसकी गर्दन पर चुम्बन लेते हुए उसके बगलों को भी चूमना शुरू कर दिया। गौरी के शरीर में तो अब झुरझुरी सी दौड़ने लगी थी। मेरे लंड ने सु-सु के अन्दर एक ठुमका सा लगाया तो गौरी की सु-सु ने भी संकोचन कर उसका जवाब दिया।
मुझे लगता है अब सु-सु और लंड की गहरी दोस्ती हो गयी है।
अब मैंने अपने नितम्बों को थोड़ा सा हिलाना शुरू कर दिया। लंड थोड़ा सा बाहर आया और फिर से अन्दर चला गया। गौरी की मीठी सीत्कार निकल गई। अब यह सु-सु रवां हो चुकी … अब तो गौरी ने भी अपने नितम्ब हिलाने शुरू कर दिए थे।
मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए। जैसे ही मेरी जांघें उसके नितम्बों से टकराती तो फच्च की आवाज आती और फवारे से गिरता पानी उछलने लगता।
बीच बीच में मैं उसकी पीठ और कमर पर चुम्बन भी लेता जा रहा था।
अब गौरी को भी आनन्द आने लगा था। अब उसने अपने नितम्बों को ढीला छोड़ दिया था और मेरे धक्कों के साथ सुर ताल मिलाने की कोशिश करने लगी थी।
मैंने उसके नितम्बों पर एक थपकी सी लगाईं तो गौरी की किलकारी निकल गई- आआईईई ईईईईइ …
और फिर उसने मेरे धक्कों के प्रत्युत्तर में अपने नितम्ब और जोर-जोर से उछालने शुरू कर दिए।
“गौरी मेरी जान, तुम बहुत खूबसूरत हो … आह … मेरी जान मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा मेरी जान मेरे लंड से चुद रही है?”
“हट! बेशल्म … आह … उईईईई माँ … ”
कहानी जारी रहेगी.
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