प्रेयसी की रूह से मिलन
(Soulmate Love Story)
सोलमेट लव स्टोरी में एक प्रेमी अपनी प्रेमिका को याद करता रहता है. एक रात जब वह अपनी प्रेमिका की याद में खोया था तो उसे अहसास हुआ कि उसकी सोलमेट उसकी बाहों में है.
नमस्कार दोस्तो, मैं अर्पित सिंह हूँ.
उम्मीद करता हूँ कि आप सब अपनी ज़िन्दगी में खुश हैं।
मेरी कुछ कहानियाँ 13-14 साल पहले प्रकाशित हुई थी.
मेरी आख़िरी कहानी
अब प्यार न कर पाएँगे हम किसी से
यहाँ प्रकाशित हुए एक अरसा बीत गया.
और अभी कुछ दिनों पहले जब मैंने अपना वो कहानी वाला ईमेल आईडी चेक किया तो आप सब के मेल पढ़ कर हृदय भावविभोर हो उठा और जिस कलम की स्याही सूख चुकी थी उसमें नयी जान भरने का जी कर उठा।
तो दोस्तो, इस सोलमेट लव स्टोरी में आइये आप सब को ले चलता हूँ वापस अर्पित सिंह की उस ज़िंदगी में जहां इशानी के जाने के बाद सब ठहर गया था.
इशानी के बाद मेरे जीवन में कितना सूनापन था ये शब्दों में बयान नहीं हो सकता।
मेरे जिस्म की रूह थी इशानी … जिसके जाने बाद मैं सिर्फ़ एक ज़िंदा लाश बनकर रह गया था।
मेरे ख्यालों में ख्वाबों में सिर्फ इशानी से दूर जाने का ग़म था और मेरी रोज़मर्रा की ज़िंदगी उस गम में डूबी हुई नाव सी हो गई थी।
दोस्तो, कहते हैं कुछ ज़ख़्म सिर्फ़ समय ही भर सकता है और मैंने अपने आप को पूरी तरह समय के हवाले कर दिया था।
मेरे जीवन से रस उमंग आनंद सब ने मुँह मोड़ लिया था।
इंतज़ार था तो सिर्फ़ ये देखने का कि वक़्त के पहलू में मेरे लिए क्या है.
एक शाम उदासी की चादर ओढ़े जब थोड़ी आँख लगी और इशानी का चेहरा सामने आया तो जी किया उसको अपनी बाहों में भर के जी भर रो लूँ और उदासी का जो बोझ है वो आंसुओं में बहा दूँ।
यूँ ही ख्यालों में जाते हुए वो समय याद आया जब इशानी मेरे साथ थी और तभी इस बात का अहसास हुआ कि कितने बरस बीत गये उसको गये हुए और कितने बरस बीत गये उन अंतरंग लम्हों को दुबारा जिए हुए।
बरसों के बाद आज मेरे बदन में एक ख्वाहिश पैदा हुई, बरसों बाद आज दिल फिर से किसी के प्यार में डूब जाने को हुआ!
आज बरसों बाद मेरे बदन ने फिर से कुछ आरजू करी।
आधा सोया आधा जागा सा मैं इशानी के पहलू में पहुँच चुका था, अपना सिर उसकी गोद में रख कर बालों में उसके हाथों का अहसास ही मेरे लिये सुकून था.
“सुनो! तुमसे कुछ बात करनी है जो मैं बहुत दिन से सोच रही थी”
मैं बोला- हाँ जान, कहो ना, मैं तो कब से तुम्हें सुनने के लिए बेताब हूँ।
इशानी ने कहा- तुम कब तक ऐसे रहोगे? कभी सोचा है कि तुम्हारी ये हालत देख कर मुझे कैसा लगता है?
मैंने कुछ बोलने की कोशिश की तो उसने अपनी नर्म नाज़ुक उंगली मेरे होटों पे रख दिया और कहने लगी- अर्पित, तुम मुझसे एक वादा करो कि आज और अभी से तुम मेरे लिए मरना छोड़ के अपने लिये जीना शुरू करोगे।
उसे मैंने कुछ कहना चाहा कि तभी इशानी ने अपने नर्म मुलायम होंठ मेरे होंठों से लगा दिये.
यही तो वो अहसास था जिसके लिए मैं बेकरार था.
यह स्पर्श ही तो था जिसने मेरा जीवन सूना कर दिया था.
इसी की तो कमी थी मेरे जीवन में!
मैंने भी उस चुंबन को परिपूर्ण करते हुए इशानी का साथ देने लगा.
इशानी को चूमने से मेरे बदन में भावनाओं का ज्वार उठने लगा.
ऐसे लगा जैसे बरसों की सूखी जमीन पे बारिश की कुछ बूंदें पड़ गई हों.
देखते ही देखते हम दोनों एक दूसरे के आग़ोश में आ गये.
हमारे कपड़े बदन से कब अलग हो गये पता भी नहीं चला और उत्तेजना से ओतप्रोत दो बदन एक दूसरे में समा जाने को आतुर हो रहे थे।
इशानी को चूमते और उसके स्तनों का मर्दन करते हुए मैं उसके ऊपर आ गया.
वह भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.
ऐसा लग रहा था कि वह जन्म जन्म की प्यासी है.
इशानी मुझे चूमते चाटते काटते अपनी कमर को ऊपर उठा के मेरे लिंग से अपनी योनि रगड़ने लगी थी.
मैं इशानी के एक स्तनाग्र को अपने मुँह से चूस रहा था और दूसरे स्तन को सहला कर उसकी घुंडियों को अपनी उँगलियों से मसल रहा था.
उसके स्तनों पे मैं अपने प्यार की मुहर लगाते हुए नीचे बढ़ रहा था.
जैसे ही मैंने उसकी नाभि को चूमा … इशानी सिहर उठी.
मैं आहिस्ता आहिस्ता नीचे उसकी योनि की तरफ जाने लगा और उसकी कामरस से भीगी हुई योनि को अपने दोनों होंठों के बीच भींच लिया।
अब मैं जीभ से इशानी की क्लाइटोरिस को छेड़ने लगा और उसको अपने होंठों और दांतों से उत्तेजित करने लगा.
क्लाइटोरिस पे मेरा स्पर्श होते ही इशानी का शरीर दोहरा हो गया … वह अपने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़कर अपनी योनि पे रगड़ने लगी।
फिर मैं इशानी के योनि द्वार को अपनी जीभ से चाटने लगा और उसके छिद्र में अपनी जीभ जितनी अंदर जा सकती थी, घुसाने लगा.
मेरे जिह्वा मैथुन से इशानी के सब्र का बांध टूट गया और अब वह मेरे सर को अपनी योनि से हटाने का प्रयास करने लगी।
उसके हाथों के इशारे समझ मैंने जैसे ही अपना चेहरा उसकी योनि से हटाया, उसकी योनि से एक फ़व्वारा निकाला और मेरे पूरे चेहरे को इशानी के मदमस्त कामरस से भिगो दिया।
मैंने पहली बार देखा कि इशानी ने ऐसा कुछ किया था.
यह देखते ही मेरी कामोत्तेजना अपने चरम पर पहुँच गई और मैं इशानी की योनि में अपना लिंग प्रवेश करने के लिए तड़पने लगा.
तभी इशानी ने मेरे पत्थर जैसे कठोर लिंग को अपने हाथों में लिया और अपने मुँह के हवाले कर दिया।
इशानी को पता था कि मुझे मुख मैथुन कितना पसंद है.
उसे वो सारे पैंतरे आते थे जिससे उसके मुख मैथुन से ही मुझे चरम सुख की प्राप्ति हो जाती थी।
इशानी मेरे लिंग को हल्के हाथों से सहलाने लगी और अपनी जीभ से मेरे दोनों अंडकोष को एक एक कर के चूसने लगी।
अब अंडकोष को छोड़ वह मेरे लिंग की जड़ से अपनी जीभ लगाकर मेरे शिश्नमुंड तक चाटने लगी.
उसे पता था कि उसकी यह हरकत मेरे लिये जानलेवा होती है.
चाटते चाटते इशानी मेरे शिश्नमुंड को अपने मुँह में भरकर अपनी जीभ उसपे घुमाने लगी.
उसके ऐसा करते ही मैं उत्तेजना के चरम पर पहुँच जाता.
जैसे ही मेरे लिंग में स्पंदन बढ़ जाता और मैं स्खलित होने वाला होता … पता नहीं कैसे उसे पता चल जाता और वह मेरे लिंग से खेलना बंद कर देती और मेरे आनंद की समय सीमा को बढ़ा देती.
मुख मैथुन करने से इशानी का चेहरा लाल पड़ गया था, उसकी सांसें उखड़ने लगी थी.
अचानक अपनी उखड़ती सांसों को रोक के उसने कहा- जान, अब और बर्दाश्त नहीं होता, मैं तुम्हारे लिंग को अपने अंदर महसूस करना चाहती हूँ.
यह बोलते हुए ख़ुद लेटकर उसने मुझे अपने ऊपर लिटा लिया.
और मेरे लिंग को पकड़ के वह अपनी योनि द्वार पर ले गई और अपनी कमर उठा के उसको अपनी योनि में अंदर करने की कोशिश करने लगी.
मेरे लिंग का अगला हिस्सा जैसे ही उसकी योनि के अंदर गया, उसकी सिसकारी निकल गई.
उसकी योनि की गर्माहट मेरे लिंग में भरे लावा को पिघलाने को आतुर थी.
मैंने एक झटके में अपना पूरा लिंग उसकी योनि में अंदर कर दिया.
मेरे इस अप्रत्याशित झटके से इशानी की चीख निकल गई.
तभी मैंने उसके होंठों को अपने मुँह में भर लिया और ज़ोर ज़ोर से उसकी योनि में अपना लिंग अंदर बाहर करने लगा.
इशानी भी मेरी गति से लय मिलाकर अपनी कमर को ऊपर नीचे कर रही थी.
उसकी मादक सिसकारियों से मेरी उत्तेजना और बढ़ रही थी.
दोस्तो, अरसों बाद मैं इशानी को प्यार कर रहा था और सिर्फ़ इस ख्याल से ही मैं उत्तेजना के चरम पर पहुँचने लगा.
मैंने इशानी के कान में कहा- जान बस अब होने ही वाला है!
यह सुनकर इशानी ने अपनी पकड़ मुझपर और सख़्त कर दी और ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर को हिलाने लगी … मुझे स्खलित होने में मेरी सहायता करने लगी.
बस उसी क्षण ऐसा लगा जैसे मेरी रूह मेरे जिस्म से अलग हो गई और मैं इशानी के अंदर स्खलित हो निढाल उसके ऊपर गिर गया.
इशानी ने मुझे कस कर पकड़ लिया और हम दोनों की लड़खड़ाती भारी सांसें हम दोनों की प्रेम और संतुष्टि की गवाही दे रही थीं।
मैं जैसे ही इशानी के बगल में आया, उसने मुझे चूम लिया और कहा- बेबी, जो बात मैं कहने जा रही हूँ ध्यान से सुनो. मैं चाहती हूँ कि तुम अपनी ज़िंदगी खुश हो कर जियो. मैं तो अब इस दुनिया की नहीं रही लेकिन तुम्हारी मैं हमेशा रहूँगी. तुम अपने काम पर ध्यान दो, लोगों से मिलो जुलो, दोस्त बनाओ, प्यार में पड़ो और अपनी ज़िंदगी को आगे बढ़ाओ. तभी मैं खुश रहूँगी. वरना तुम्हें दुखी देख कर मैं भी यूँ ही भटकती रहूँगी.
इशानी की इस बात से मेरे बदन में एक अजीब सी सिहरन हुई और ऐसे लगा जैसे किसी ने करंट लगा दिया हो.
मेरा मन भारी हो गया, अजीब सी बेचैनी होने लगी, यूँ लगा जैसे मैं साँस ही नहीं ले पा रहा.
मैं बोलने की कोशिश कर रहा था लेकिन मेरी आवाज़ ही नहीं निकल पा रही थी.
मैंने बहुत कोशिश की.
और इस कोशिश में अचानक मेरी आँख खुल गई.
मैंने देखा कि चारों तरफ़ घुप्प अंधेरा था।
खिड़कियों से बाहर के बल्ब की रोशनी छन कर आ रही थी.
मेरा पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ था।
मैं उठकर बाथरूम गया, नहा कर फ्रेश होकर बाहर आया.
फिर भी इशानी की कही वो बात मेरे कान में गूंज रही थी.
और तब मुझे इस बात का अहसास हुआ कि मैं अभी थोड़ी देर पहले बहुत ही रूहानी अहसास से रूबरू हुआ था।
मेरे दिल दिमाग सब खुल चुके थे और मुझे मेरे होने का अहसास करा रहे थे।
उस पल मैंने यह तय किया कि मैं अब अपनी ज़िंदगी जियूँगा जिससे मेरी इशानी को मुक्ति मिल सके!
दोस्तो, यहाँ से शुरू होता है मेरा एक ऐसा सफ़र जिसे मैंने सुकून ढूँढने के लिये शुरू किया था और हर जगह मिले तो सिर्फ़ जिस्मानी रिश्ते!
बहुत सारे रोचक उत्तेजक और रोमांचक किस्से जो एक एक करके आप तक पहुँचेंगे।
सफ़र शुरू करने से पहले आप सब की शुभकामनाओं का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा.
सोलमेट लव स्टोरी पर कृपया अपनी प्रतिक्रियाएँ नीचे लिखी ईमेल आईडी पर भेजें!
आपका अपना अर्पित सिंह
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