बाली उमरिया में लगा प्रेम रोग- 6
(Sexy Nude Teen Girl Story)
सेक्सी न्यूड टीन गर्ल स्टोरी में मेरी ममेरी बहन को मैं चोद नहीं पाया, मेरा दोस्त भी उसकी चूत की सील ना तोड़ पाया. तब मैंने उसे समझाया कि मैं ही उसे उसके पहले सेक्स का मजा दूँगा.
कहानी के पांचवें भाग
दोस्त की मम्मी के साथ मजा
में अब तक आपने पढ़ा कि बंटू ने अपनी ममेरी बहन पम्मी को चोदने की असफल कोशिश की। बंटू से निराश पम्मी मोंटी से अपनी सील तुड़वाना चाहती है.
मन में अपनी असफलता की कुंठा लिए वह अपने दोस्त की मम्मी सिमरन के पास गया क्योंकि वे भी उसे यौन सुख देना आरम्भ कर चुकी थी.
सिमरन आंटी ने उसे स्तनपान कराया और वोर्य्पात को नियंत्रित करने के कुछ गुर सिखाये.
उधर मोंटी भी अपने आप को नियंत्रित नहीं कर पाया और पम्मी के मुंह में डिस्चार्ज कर दिया।
बंटू अपने घर आ गया.
अब आगे सेक्सी न्यूड टीन गर्ल स्टोरी:
दरवाजा खुलने की आवाज सुनकर पम्मी और मोंटी दोनों फटाफट कपड़े पहनने लगे।
पम्मी सोच रही थी कि बुआ जी इतनी जल्दी वापस कैसे आ गई?
इतने में तेज़ क़दमों की आहट सीढ़ी पर सुनाई दी।
इसके पहले कि फर्श साफ़ होता, कमरे का दरवाजा खुला, सामने बंटू खड़ा था।
बंटू को अंदाजा तो यही था कि मोंटी ने पम्मी की चूत चोद दी होगी और उसकी सील तोड़ के उसको निहाल कर दिया होगा.
लेकिन जब वह अपने कमरे में पहुंचा और उसने पम्मी का गुस्से में लाल चेहरा और फर्श पे बिखरा हुआ वीर्य देखा तो उसे समझ नहीं आया कि हुआ क्या है?
मोंटी भी रोनी सूरत बना के कपड़े पहन रहा था.
बंटू को देखते ही मोंटी बिना उस से कुछ बात किए घर से निकल गया।
उसने उत्सुकता से पम्मी से पूछा- क्यों पम्मी? तू इतनी गुस्से में क्यों है? तुड़वा ली क्या अपनी सील?
पम्मी ने कहा- ये मादरचोद भी ढीला लंड निकला, मुझे लंड चूसने का बोला तो मैंने सोचा चुदाई का मूड बना रहा है तो मैं उसका लंड चूसने लगी तो कुत्ते ने मेरे मुंह में ही डिस्चार्ज कर दिया।
बंटू ने फिर पूछा- इसका मतलब वह तेरी चुदाई नहीं कर पाया और तू अभी भी कुंआरी है?
पम्मी ने कहा- हां भाई, मेरी किस्मत ही खराब है, लगता है मुझे यहां से अतृप्त, जैसी आई थी वैसी ही जाना पड़ेगा।
बंटू के दिल को एक सुखद अनुभूति हुई.
उसने कहा- ऐसा मत कह पम्मी, मैंने एक सैक्स गुरु बनाया है जल्दी ही तुझे चोद के तृप्त करूंगा और तेरी हर इच्छा पूरी कर के तुझे तेरे घर भेजूंगा।
अपने घर की ओर जाते हुए मोंटी सोच रहा था कि इतने समय क्या बंटू मम्मी के साथ था? यदि हां, तो वह अब तक क्या कर रहा था?
जब किसी को एक बार चुदाई का चस्का लग जाये तो उसकी सोच भी अक्सर चुदाई के इर्दगिर्द घूमती है।
इसलिए मोंटी सोचने लगा कि कहीं बंटू उसकी मां को पटाने में तो नहीं लगा हुआ है?
रात को बंटू और पम्मी कमरे में आए.
बंटू आज भी सिमरन आंटी के पास से बिना वीर्य निकाले आया था, वासना उसके सिर चढ़ी हुई थी।
उसने पम्मी को प्यार से समझाते हुए कहा- यार पम्मी, आज तो तू मेरा लंड मुंह में लेकर मेरी वासना ठंडी कर दे। उसके बाद मेरा लंड को मजबूत करने का कोर्स शुरू होगा. प्लीज पम्मी।
पम्मी बंटू के साथ किए गए व्यवहार पर शर्मिंदा और मोंटी द्वारा उसके मुंह में हुए शीघ्रपतन के कारण आहत थी।
उसको अपने छोटे भाई पर दया आ गई।
पम्मी ने बंटू के साथ-साथ उसके लंड को भी खड़ा किया और फिर उसने घुटनों के बल हो के बंटू के लंड को मुंह में लिया और कभी चूतड़ दबा के, कभी आंड सहला के, कभी हाथ से फेंट कर उसे चूसने लगी।
बंटू के शरीर का पोर पोर मस्ती में झूम रहा था, वह कमर हिला हिला के पम्मी के मुंह को चोदने लगा।
सिमरन आंटी से बंटू बहुत सारी सैक्सी बातें कर के आया था इसलिए जल्दी ही उसके औजार में सनसनी होने लगी।
बंटू के धक्कों में तेज़ी आ गई, पम्मी इस बार मानसिक रूप से वीर्यपान के लिए तैयार थी।
जैसे ही बंटू का वीर्य पूरे वेग से पम्मी के मुंह में निकला, पम्मी हर कतरे को आराम से निगलती रही।
सुबह पम्मी की असफल चुदाई के साथ बंटू ने आज दूसरी बार वीर्य स्खलित कर लिया था।
उसके दिमाग की बेचैनी को थोड़ी राहत मिल गई थी।
पम्मी ने बंटू को अपना लंड मुंह से तब निकालने दिया जब वह नर्म पड़कर सिकुड़ गया।
उसके बाद बंटू ने पम्मी को ऊपर उठाया और उसे अपनी आगोश में लेते हुए कहा- पम्मी, तूने आज मेरी सारी निराशा, सारी जलन दूर कर दी!
और उसके होंठ चूम कर एक तरह से उसे धन्यवाद दिया।
तब वे दोनों बिस्तर पर लेट गए।
उसके बाद बंटू की दबी इच्छा उसके होठों पर आ गई, उसने पम्मी को कहा- तूने मोंटी से अपनी चूत की सील तुड़वाने की कोशिश कर के देख ली लेकिन तू अब मेरी एक और बात मानेगी क्या?
पम्मी ने कहा- भाई, तू बोल तो सही क्यों नहीं मानूंगी? आखिर तू मेरा छोटा भाई है।
बंटू ने कहा- अब तू मोंटी को चुदाई का और मौका मत देना, मेरी गांड जलती है यार!
पम्मी को हंसी आ गई, उसने कहा- भाई पहले तो मैंने अपनी चूत तेरे ही हवाले की थी. यदि तू अच्छे से चोद डालता तो शायद मोंटी का नंबर लगता ही नहीं. लेकिन उस समय आवेश में मैंने ऐसा कह दिया था। तूने भी तो कोई विरोध नहीं किया था इसलिए जब मोंटी आया तो मैं अपने आप को चुदाने से रोक नहीं पायी. अब एक बार उसके सामने नंगी होकर उसका लंड चूसने के बाद के बाद मैं उसे रोकूंगी कैसे?
बंटू ने कहा- उसे कह देना कि तू पीरियड से हो गयी है. यदि वह ज्यादा ही जिद करे तो उसे थोड़ी बहुत मस्ती कर लेने देना।
पम्मी ने पूछा- यदि तीन दिन बाद उसने ज़िद करी तो?
बंटू ने जवाब दिया- उसे कह देना मेरा पीरियड एक हफ्ते तक चलता है। उसके बाद तेरा जाने का समय हो जाएगा।
पम्मी ने कहा- ठीक है भाई, तूने मुझ से रिक्वेस्ट की है तो मैं ऐसा ही करूंगी. लेकिन मेरी इच्छाओं का क्या होगा?
बंटू ने कहा- वह मैं पूरी करूंगा. बस तीन-चार दिन तू और रुक जा! उसके बाद तू खुद कहेगी कि मैंने तुझे चरमसुख, परम आनन्द दिया है।
पम्मी ने बंटू की बातों पर भरोसा करते हुए अपनी वासना को नियंत्रित करने की ठानी और ऐसी ही बातें करते हुए दोनों को नींद आ गई।
मोंटी बंटू के यहां से निराश हो कर निकला, अपने घर पहुंच कर मम्मी से पूछा- बंटू यहां आया था क्या?
सिमरन ने कहा- हां, क्यों?
मोंटी ने पूछा- क्या करने आया था?
सिमरन ने जवाब में पूछा- तू अभी तक बंटू के यहां पम्मी के साथ क्या कर रहा था?
मोंटी मम्मी के इस प्रश्न से सकपका गया।
उसके बाद दोनों ने ही कुछ स्पष्ट उत्तर नहीं दिया और दूसरी बातों में लग गये।
जब मन में चोर हो तो ऐसा लगता है जैसे सामने वाले ने हमें रंगे हाथों पकड़ लिया।
मोंटी को लेकर बंटू के मन में थोड़ी ईर्ष्या घर कर गई थी तथा पम्मी के व्यवहार के कारण थोड़ी उदासी उसके दिल पर छाई हुई थी.
आज मोंटी के चुदाई में असफल रहने और पम्मी के मुंह में अपना वीर्य निकालकर उसको बहुत शांति का अनुभव हुआ।
वह यथार्थ के धरातल पर आकर सोचने लगा कि पम्मी ने मेरे साथ गलत क्या किया था? वह तो अपनी बुआ के यहां यह सोचकर आई थी कि मुझको अपनी कुंवारी चूत सील तोड़ने के लिए पेश करेगी. पर मैं ही अपने आप पर नियंत्रण रख नहीं कर पाया. तो उसका निराश होना स्वाभाविक था।
किंतु अभी अपने मुंह में डिस्चार्ज करा कर उसने सारी शिकायत दूर कर दी थी।
आज उसे पहली बार अपनी चूत में लंड लेने को बेकरार कुंआरी लड़की के आंसुओं की अहमियत का अंदाजा हुआ।
उसने फिर अपने मन को समझाया कि अब मैं सिमरन आंटी के कारण परिपक्व हो रहा हूं और उन्होंने जो उपाय बताया है मैं उसका उपयोग शुरू करता हूं. मैं पम्मी की जम के चुदाई करूंगा और उसको झड़ा के उसकी निराशा को जरूर दूर करूंगा।
सुबह उठ कर बंटू बाथरूम में अपना बिखरा हुआ आत्मविश्वास एकत्रित करने के लिए पहुंचा.
उसके औजार में मॉर्निंग इरेक्शन के कारण तनाव तो था ही, उसको अब पम्मी को चोदने की कल्पना को पूर्ण करने के लिए अपने लंड को मजबूत करना था।
उसने हथेली पर थोड़ा सा तेल लिया और दोनों हाथों के बीच अपने लंड को लेकर मालिश करने लगा.
पहले नीचे से ऊपर की ओर खींचा, जैसे उसे बड़ा करना चाह रहा हो.
फिर दोनों हथेलियों में लेकर रगड़ा.
जब स्खलन की अनुभूति होने लगी तो वह टोपे को दबाकर लम्बी लम्बी सांसें लेने लगा।
करीब 15 मिनट तक वह इस प्रक्रिया को दोहराता रहा, उसने अपने तेल से चिकने हुए चमकदार लंड को निहारा और सोचा कि काश पम्मी कह दे कि हां भाई, अब यह मेरा मनपसंद लौड़ा बन चुका है।
उसके बाद वह हाथ मुंह धोकर बाथरूम से बाहर आया।
उसे देख कर उसकी मम्मी ने पूछा- क्यों रे बंटू, इतनी देर से बाथरूम में क्या कर रहा था?
बंटू सकपका गया, वह बोला- मम्मी, हाथ मुंह धो रहा था।
उसकी मम्मी मंद मंद मुस्कुराने लगी, उसकी आंखों में बंटू को थोड़ी शरारत दिखाई दी।
उसे लगा कि शायद मम्मी समझ गई है कि मैं बाथरूम में मुट्ठ मारने गया था इसलिए मुस्कुरा रही है।
दिन में सिमरन का मैसेज आया कि उसकी बहन की तबियत खराब है, वह मोंटी को लेकर जा रही है इसलिए आज मैं नहीं मिल पायेगी।
दिन भर तो नाश्ते, खाने, कैरम खेलने और बातचीत में निकल गया।
रात को जब बंटू और पम्मी बिस्तर पर पहुंचे तो बंटू ने पम्मी को अपनी और करवट दिलायी और वह उसके नाज़ुक, शहद भरे होंठ चूसने लगा।
जो लड़की यहां अपनी सील तुड़वाने की इच्छा से आई हो उसकी कामुकता को तो पंख लग जाते हैं इसलिए उसने बंटू का पूरा साथ दिया और बदले में वह भी उसके होठों को अपनी जुबान से तर करने लगी।
वह सोच रही थी कि बंटू पहले तो कह रहा था कि तीन चार दिन रुक जा फिर तुझे चोदूंगा. फिर आज इस के क्या इरादे हैं?
लेकिन उसको क्या फर्क पड़ने वाला था? वह तो हर खेल के लिए पूरी तरह से तैयार थी।
दोनों की सांसें गर्म होने लगी.
एक हाथ से उसने पम्मी के टॉप को ऊंचा किया और फिर उसकी स्कर्ट को ऊंचा करके उसकी पैंटी उतार दी।
इसके बाद बंटू पम्मी के छोटे छोटे हापुस आम जैसे महकते हुए मुलायम स्तनों को सहलाने लगा.
पम्मी बंटू के स्पर्श से सिहर उठी।
बंटू को सिमरन आंटी के पके खरबूजे जैसे मम्मे याद आ गये जो पम्मी के स्तनों से बहुत बड़े थे लेकिन पम्मी के स्तनों को छूने में उसे कोमलता का अहसास अधिक लगा।
बंटू ने पम्मी को सीधा किया और तकिए से सिर उठा कर पम्मी की छातियों पर झुक कर उसकी छोटी किशमिश से भी छोटी गुलाबी निप्पलों को चूसने की नाकाम कोशिश करने लगा।
उसकी निप्पलें इतनी छोटी थी कि चुटकी में भी मुश्किल से आ रही थीं।
जबकि सिमरन आंटी की निप्पलें बड़ी-बड़ी और भूरी थीं और दिन में उसने जी भर के उन्हें चूसा था।
पम्मी की चूत में गुदगुदी हो रही थी, उसका मन कर रहा था कि कहे, बंटू मत तड़पा, बस अब चोद दे यार!
लेकिन उसने बंटू को कुछ नहीं कहा।
बंटू ने पम्मी को फिर करवट से किया और उसके मक्खन जैसे स्निग्ध कूल्हों को सहलाने लगा।
उसे फिर सिमरन आंटी के मोटे मोटे ठोस चूतड़ याद आ गये।
बंटू पम्मी की वासना को लगातार भड़का रहा था।
अब वह अपना दाहिना हाथ पम्मी की चूत पर ले गया, पम्मी के शरीर में बार-बार सिहरन दौड़ रही थी।
इतनी देर से बंटू द्वारा पूरे बदन को सहलाने, होठों और मम्मों को चूसने के कारण पम्मी की चूत रिसने लगी थी।
बंटू ने सेक्सी न्यूड टीन गर्ल पम्मी की चूत में बीच वाली उंगली डाल के नीचे से ऊपर सहलाया।
पम्मी के मुंह से एक सिसकारी निकल गई, उसने अपनी गांड भींच के इस गुदगुदी का आनन्द लिया।
उसके बाद बंटू ने तीन चार उंगलियों से उसकी पूरी चूत को सहलाया, पम्मी को बंटू की यह हरकत बहुत मस्ती प्रदान कर रही थी।
वह फिर सोचने लगी कि काश बंटू अभी अपना औजार ‘मेरी लंड बिना मछली की तरह तड़पती हुई चूत’ में डाल दे तो मजा आ जाए।
लेकिन बंटू सिमरन आंटी के निर्देश पर आत्म नियंत्रण किए हुए था।
उसने अब अपनी दो उंगलियां मुंह में लेकर थूक से चिकनी करी और एक साथ पम्मी की चूत में प्रवेश कराई और पम्मी की चूत को घर्षण सुख पहुंचाने लगा।
कुछ ही देर में पम्मी उत्तेजना के शिखर पर जा बैठी और उसकी चूत चरमसुख के उस बिंदु पर आ गई जहां स्पंदन को रोकना असंभव हो जाता है।
पम्मी का शरीर अकड़ा और बंटू अपनी उंगलियों पर पम्मी की चूत की फड़कन को महसूस करने लगा।
बंटू अपने अकड़े हुए हथियार के अगले सिरे को दबा कर अपनी उत्तेजना पर काबू पा रहा था।
पम्मी पहले भी हस्तमैथुन द्वारा कई बार झड़ चुकी थी.
किंतु आज यह पहला अवसर था जब उसने अपनी चूत पर किसी मर्द के हाथों के जादुई स्पर्श को अनुभव किया था।
कुछ देर बाद पम्मी अपनी वासना को एक हद तक शांत कर के बंटू को अपनी बाहों में समेट के सो गई।
बंटू भी दिन में सिमरन आंटी और अभी पम्मी की देह का आनन्द लेकर और पम्मी को झड़ा कर गर्व से भरा हुआ था।
उस पर मोंटी के चुदाई में असफल होने और अब उस से चुदाई न करवाने के पम्मी के आश्वासन से पूरी तरह तनाव मुक्त था इसलिए वह भी जल्दी ही नींद में खो गया।
सुबह फिर से दो बार दरवाजा खुलने और बंद करने की आवाज आई.
बंटू समझ गया कि सरताज अंकल उसकी मां चोदने आए हैं।
पम्मी को भी अपनी बुआ की चुदाई में कोई रुचि नहीं थी।
लेकिन पास के कमरे से आ रही मस्ती भरी सिसकारियां, और कभी-कभी मीठी चीखों, शरारत भरी आवाजों ने उन दोनों को एक दूसरे के साथ काम क्रीड़ा करने के लिए प्रेरित कर दिया।
बंटू ने पम्मी को तेल की शीशी देते हुए कहा- यह मेरे गुरु ने मुझे दिया है और कहा है कि तू इसे अपने लंड पर लगा के अच्छे से मालिश कर और मुट्ठ मार! जब तेरा डिस्चार्ज होने वाला हो तब स्क्वीज़ मेथड से अपने सुपारे को दबाना। इससे वीर्य स्खलन की उत्तेजना को रोकने से लंड की संवेदनशीलता पर नियंत्रण पाया जा सकेगा। मैं इसी काम में लगा हुआ हूं, कल जब से मैं अपने गुरु के यहां से आया हूं और तेरे मुंह में डिस्चार्ज किया है, उसके बाद से तीन बार मालिश कर चुका हूं।
बंटू पम्मी के टॉप को उतार के ऊपर से उसे नग्न कर चुका था और उसकी गोद में सिर रख के उसके उरोज़ों को चूस रहा था।
पम्मी ने बंटू की बात मानते हुए उसके लंड पर तेल लगाकर मालिश करना शुरू किया।
बंटू को लंड पर पम्मी के हाथों के स्पर्श से फिर सिमरन आंटी की याद आ गई।
उनके हाथ थोड़े सख़्त और खुरदुरे थे जब कि पम्मी के नर्म नाज़ुक एकदम रेशम।
पम्मी ने बंटू के लंड की 15-20 मिनट तक अच्छे से मालिश की, फेंटा और उसके टोपे को दबा के उसके वीर्य नियंत्रण की ट्रेनिंग में सहयोग किया।
इस प्रक्रिया में पम्मी फिर से गर्म हो गई।
इस बार उसने अपना हाथ जगन्नाथ की कहावत को सिद्ध करते हुए बंटू के सामने ही अपने दाहिने हाथ की दो उंगलियां चूत में डाल के हस्तमैथुन शुरू किया और बाएं हाथ की बीच वाली उंगली से अपने क्लिटोरिस को सहलाने लगी।
2 मिनट भी नहीं हुए होंगे कि पम्मी के हस्तमैथुन करते दोनों हाथ तेजी से चलने लगे।
बंटू की इच्छा तो हुई कि पम्मी को चोद ही डाले किंतु उसने प्रण ले लिया था कि बिना सिमरन आंटी की अनुमति के अब वह अपना वीर्य बर्बाद नहीं करेगा।
इसलिए वह बार-बार अपने अंडकोष और लंड को सहलाता रहा, मालिश करता रहा और बार-बार अपने आप पर नियंत्रण करता रहा।
इतने में पम्मी की आवाज आई- बंटू मेरे बूब्स चूस!
बंटू पम्मी के स्तनों को दबा दबा के उसकी निप्पल चूसने लगा।
आधे मिनट में पम्मी के बदन में ऐंठन हुई, उसके नथुने फूलने लगे और उसकी गर्म-गर्म सांसें बंटू के कान से टकराने लगी।
बंटू अपना दाहिना हाथ पम्मी की चूत पर ले गया, वह आनन्द में अभी भी धड़क रही थी।
पम्मी के दोनों हाथ उसकी चूत पर से हट चुके थे, उसके होंठ सूख गए थे।
मेरे प्रिय रसिक पाठको, मुझे पूरा विश्वास है कि आप इस किशोरवय के भाई बहन की कामुकता से भरी कहानी का भरपूर आनन्द उठा रहे होंगे।
सेक्सी न्यूड टीन गर्ल स्टोरी पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया से अवगत करावें और कल पढ़ें कहानी का सनसनी भरा अगला भाग।
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सेक्सी न्यूड टीन गर्ल स्टोरी का अगला भाग: बाली उमरिया में लगा प्रेम रोग- 7
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