गांव में नौकरी के साथ चुदाई की मस्ती- 1
(Sexy Dehati Ladki Ki Kahani)
सेक्सी देहाती लड़की की कहानी में पढ़ें कि मुझे एक गाँव में सरकारी नौकरी मिली. तो आते जाते रोज मुझे 3 लड़कियां रास्ते में मिलने लगी. मैं उनमें एक को चोदना चाहता था.
दोस्तो, मैं विशाल पटेल अपनी एक मजेदार हकीकत बताने जा रहा हूं.
मेरी उम्र 23 साल है. मैं गुजरात के सौराष्ट्र प्रदेश का निवासी हूं. मैं एक सामान्य किसान परिवार से हूँ.
मेरे पिताजी के पास थोड़ी सी जमीन है. जिस में खेती करके वह परिवार का गुजारा करते हैं.
यह सेक्सी देहाती लड़की की कहानी दो साल पहले की है.
अपनी स्नातक की पढ़ाई के दूसरे साल में ही मेरी पटवारी के तौर पर नौकरी लग गई.
ये नौकरी मेरे घर से करीब 200 किलोमीटर दूर एक अलग जिले में लगी थी.
मेरे रिश्तेदारों के काफी दबाव देने पर मैंने ये सरकारी नौकरी शुरू कर दी थी.
हालांकि मेरे मम्मी पापा का कहना था कि अगर मैं आगे और पढ़ना चाहूँ तो उनकी तरफ से कोई दबाव नहीं है.
पर मैंने भी कॉलेज के साथ नौकरी करना सही समझा.
मेरी नौकरी वाला गांव बिल्कुल छोटा और पिछड़ा हुआ था.
मुझे उस गांव में रहना पसंद नहीं आया था तो मैं 18 किलोमीटर दूर ताल्लुका वाले शहर में किराए के मकान में रहने लगा था.
मैंने एक सेकंड हैंड बाईक भी खरीद ली.
अब मैं रोज अपनी पोस्टिंग वाले गांव में अपनी बाइक से आया जाया करता था.
इस समय मैं एकदम जवान हो गया था और मेरे लंड में आग लगने लगी थी.
मैं इधर गांव में अकेला रहने लगा था, किसी का डर भी नहीं था. सरकारी नौकरी वाला बंदा था तो पैसे की कमी भी नहीं थी.
इसलिए मैं अपने लिए किसी चूत की तलाश में लग गया था.
पर कहीं जुगाड़ हो नहीं रहा था.
मुझे लगता था कि मैं थोड़ा सा सांवला और साधारण सा दिखने वाला लड़का हूँ शायद इसीलिए लड़कियां घास नहीं डाल रही हैं.
पहले भी मैं स्कूल कॉलेज और आस-पड़ोस में कई लड़कियों और औरतों को पसंद करता रहा था पर किसी के करीब होने का मौका नहीं मिला था … या कहो कि मुझे वो सब कुछ आता भी नहीं था कि किसी लड़की या औरत को कैसे सैट किया जाता है.
जिस गांव में मेरी नौकरी लगी थी, उस पूरे ताल्लुका के बहुत सारे गांव छोटे छोटे और पिछड़े थे.
इलाके के लोग ज्यादातर किसान या मजदूर थे.
एक हफ्ते के बाद मैं ऑफिस का कामकाज निपटा कर वहां से घर जाने के लिए निकला.
शाम के साढ़े छह बज चुके थे.
रास्ते में खेतों के बीच गांव का ऊबड़-खाबड़ रास्ता था जिसमें मैं बड़ी संभल कर बाइक चला रहा था.
आठ दस किलोमीटर आगे एक जगह दो गांवों के मध्य में रास्ते में मुझे तीन लड़कियां जाती हुई दिखीं.
दोनों ओर खेत थे और खेतों की सीमा पर कांटेदार झाड़ियां थीं तो रास्ता बिल्कुल संकरा था.
मैंने दूर से ही हॉर्न बजाया तो उन तीनों लड़कियों ने पीछे देखा और एक तरफ हो गईं.
मैं भी उनको देखते देखते निकल गया.
वे भी मेरी तरफ देख रही थीं.
दूसरे दिन जब मैं उस गांव से निकला तो मेरे दिमाग में आया कि आज भी वो लड़कियां मिल जाएं, तो मजा आ जाए.
मेरी किस्मत चल गई.
कल वाली जगह से थोड़ा आगे मुझे वे तीनों जाती हुई मिल गईं.
आज मैंने उनको अच्छी तरह से निहारा.
वे तीनों बीस साल के आस पास की लग रही थीं.
वे तीनों भी मेरी तरफ ही देख रही थीं.
एक तो पलक झपकाए बगैर मुझे ही देखे जा रही थी.
एक लड़की पतली और गोरी थी, दूसरी जो मुझे ही देखे जा रही थी, वह पहली वाली से थोड़ी सांवली और हल्की सी मोटी थी.
जबकि तीसरी ज्यादा मोटी और ज्यादा सांवली थी.
मुझे पहली वाली पसंद आ गयी थी.
मैं सोचने लगा कि काश उसकी चूत मिल जाए तो मजा आ जाए.
अब यह सिलसिला चल निकला.
मैं रोज उसी समय वहां से गुजरता और वह तीनों को ताड़ता हुआ और थोड़ा स्माइल देता हुआ आगे बढ़ जाता.
वे भी मुझे देख कर आपस में मुस्कुराती और एक दूसरे को कोहनी मारती हुई ऐसे चलने लगतीं जैसे मेरी ही राह देख रही हों.
ऐसा करते करते करीब बीस दिन निकल गए.
मैं जब भी वहां से निकलता तो रोजाना शाम को वह तीनों मुझे मिल ही जातीं.
फिर हिम्मत करके मैंने उनसे बात करने का तय किया और एक दिन जब मैं जा रहा था, तब मैंने जैसे ही हॉर्न बजाया तो वे एक तरफ को हो गईं.
मैंने उनके पास बाइक रोकी और कड़क आवाज में कहा- तुम तीनों कौन हो?
उसमें से दूसरी वाली बोली- हम यहां पास के गांव में रहती हैं और हम एक खेत में मजदूरी करती हैं.
मैंने हम्म कहा.
वह बोली- आप कौन हो, कहीं पुलिस वाले तो नहीं हो?
मैंने कहा- नहीं, मैं पुलिस वाला नहीं हूं. तुम ऐसा क्या काम करती हो, जो पुलिस से डरती हो?
वह बोली- हम तो मजदूर हैं, मजदूरी करती हैं. हम भला क्या गलत काम करेंगी!
मैंने कहा- तुम तीनों को डर नहीं लगता कि सुनसान जगह से जा रही हो?
वह बोली- डरने ना डरने से क्या होगा, काम तो करना पड़ेगा ना! वैसे हमारे पास ऐसा कुछ है भी नहीं कि कोई हमसे कुछ छीन लेगा.
मैं बोला- तुम लड़की तो हो ना. तुम लोगों के पास जवानी है, जो सबसे ज्यादा कीमती है.
वह तीनों हां हां करने लगीं कि सही बात है साहब आपकी.
फिर एक ने मुझसे कहा- आप कौन हो साहब?
मैंने बताया कि मैं फलां फलां गांव में पटवारी हूँ.
ऐसे ही उनसे बात होना शुरू हो गई.
थोड़ी देर बाद मैं वहां से निकल गया.
उनसे बात करते करते मैंने सभी को गहरी नज़र से देखा था.
पहली का नाम नम्रता था. वह 18 साल की थी. वो एकदम गोरी और खूबसूरत थी. उसके बूब्स तीस इंच की साइज़ के थे.
मुझे वह सबसे ज्यादा पसंद आ गयी थी.
दूसरी का नाम रश्मि था, वह 19 साल की थी.
वह जरा सी भरी हुई थी मतलब भरी-पूरी गदराए हुए बदन की थी. उसके बूब्स 32 साइज़ के थे.
और तीसरी का नाम फातिमा था.
वह भी 19 साल की थी, उसके बूब्स 34 इंच के थे.
मुझे तो नम्रता ही पसंद थी. मैंने उसको पटाने का सोचा.
अगले दिन मैं शहर से कुछ नाश्ता और मिठाई का पैकेट साथ लेकर निकला.
वापस आते समय वे तीनों मिल गईं.
तो मैंने उनसे कहा- मेरे पास नाश्ता है, अगर तुम तीनों आओ तो साथ में नाश्ता करते हैं.
थोड़ी नानुकर के बाद तीनों तैयार हो गईं.
हम चारों एक खेत में आ गए.
वहां जाकर अख़बार का पन्ना बिछा कर मैंने नाश्ता और मिठाई खोली और नाश्ता करने लगे.
थोड़ी देर बाद रश्मि बोली- आप बहुत अच्छे हो साहब … पढ़े लिखे भले मानुष हो. फिर भी हम मजदूरों की भी कितनी इज्जत करते हो.
मैंने कहा- मैं किसी भी इंसान में भेदभाव नहीं करता. तुम तीनों मुझे अच्छी लगी हो. मेरा घर बहुत दूर है और मेरा यहां कोई दोस्त नहीं है, तो मुझे तुम लोगों से बात करने में अच्छा लगता है.
नाश्ता खत्म करके हम सब वहां से उठे और जाने लगे.
मैंने बाइक चालू की.
नम्रता और फातिमा आगे चलने लगीं, पर रश्मि मुझसे चिपक कर बात करती रही.
मैंने बाईक चलाना चालू किया पर रश्मि अब भी मुझसे बातें कर रही थी.
वह मेरे बारे में काफी कुछ पूछ रही थी कि मेरी शादी या सगाई हुई कि नहीं. किसी लड़की से प्यार व्यार है कि नहीं.
मैंने कहा- चलो, अब कल मिलता हूँ.
उसने भी कहा- हां, आज आप जल्दी में दिख रहे हैं. कल मैं शहर जा रही हूँ … तो परसों मैं आपको एक चीज बताऊंगी.
मैंने कहा- कल तो मेरी छुट्टी है, मैं शहर में ही रहूँगा.
उसने कहा- ऐसा है, तो मैं आपको कल शहर में मिलूँगी. आप बताइए कहां मिल सकते हैं?
मैंने उसे सुबह ग्यारह बजे एक पार्क में आने को बोला जो मेरे घर के बिल्कुल पास ही था.
अब मैं उससे बात करके निकल गया.
वहां से निकल कर मैं सोचने लगा कि रश्मि मुझे क्यों मिलना चाहती है, शायद वह मुझे पसंद करती है.
पर मुझे तो नम्रता की चूत चोदनी थी.
वैसे रश्मि भी बुरी नहीं थी.
तीनों में हमेशा रश्मि ही मुझसे ज्यादा बात करती थी.
मैंने सोचा कि कोई नहीं, पहले रश्मि को पटाते हैं, फिर नम्रता पर ट्राई करेंगे.
दूसरे दिन मैं सुबह ही मार्केट से मेकअप का सामान और कुछ चॉकलेट्स ले आया और ग्यारह बजे से पहले पार्क में जाकर बैठ गया.
थोड़ी देर बाद रश्मि आयी और मेरे पास बैठ गयी.
आज वह काफी सज-धज कर आयी थी और वह काफी खुश और खूबसूरत भी दिख रही थी.
मैंने बातें करते करते उसे मेकअप का सामान उपहार में दिया तो वह काफी खुश हो गई.
हम दोनों चॉकलेट्स खाने लगे.
मैंने कहा- अब बोलो कि कल तुम मुझसे क्या कहना चाहती थी?
उसने सर नीचे कर लिया और थोड़ी देर बाद बोली- मैंने आपको जब से पहली बार देखा, तब से आपको पसंद करने लगी हूँ. आप बहुत अच्छे हो. आपको मैं कैसी लगती हूँ?
मैंने कहा- मुझे भी तुम पसंद हो.
मैंने उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया.
मैं उसे बांहों में लेकर किस करना चाहता था पर आसपास बच्चे खेल रहे थे तो मैंने सोचा इसे मेरे रूम पर ही ले जाना ठीक रहेगा.
मैंने उससे कहा- चलो, तुम्हें मैं अपना रूम दिखाता हूँ.
पहले तो वह थोड़ी झिझकी, पर फिर मेरे साथ आ गयी.
रूम में अन्दर जाकर मैंने दरवाजा बंद कर दिया और हम दोनों बेड पर बैठ गए.
मैंने उसका हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खींचा तो वह भी मुझसे चिपक गई.
मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और काफी देर तक उसके होंठों को चूसता रहा.
वह काफी जोर से मुझसे चिपकी थी … लग रहा था कि उसको बहुत मस्ती चढ़ी थी.
फिर उसने कहा- मेरे गांव और रिश्तेदारी के लड़के ज्यादातर मजदूर हैं और लगभग सभी लफंगे और शराबी हैं.
उसने बताया कि उसे हमेशा से पढ़ा लिखा लड़का चाहिए था, वह भी बारहवीं कक्षा तक पढ़ी थी. उसके गांव में वही सबसे ज्यादा पढ़ी लिखी लड़कियों में से एक थी.
मैं उसे पहली नजर में ही पसंद आ गया था.
बाकी दोनों को यह सब नहीं पता था.
रश्मि उनके सामने मेरी बहुत तारीफ करती थी.
अब मैंने रश्मि का दुपट्टा खींच लिया, तो वह मुस्कुराने और शर्माने लगी.
मैंने उसे वापस अपने पास खींच लिया और उसके सीने में अपना सर घुसा दिया.
इससे उसके बोबे दब गए थे.
मैं कमीज के ऊपर से ही उसके बोबे चूमने लगा.
वह सेक्सी देहाती लड़की आह आह कर रही थी.
मैंने अपनी टी-शर्ट और बनियान निकाली और उससे भी कमीज़ उतारने का कहा.
उसने भी शर्माते हुए अपनी कमीज उतार दी.
एकदम नयी गुलाबी ब्रा में उसके बोबे काफी बड़े और मस्त लग रहे थे.
मैंने उसकी ब्रा निकाल दी, उसके बोबे दबाने और चूसने लगा.
वह मेरे सर को जोर से अपनी छाती में दबा रही थी.
काफी देर तक बोबे चूसने के बाद मैंने अपनी पैंट और अंडरवियर उतार दी.
उसने भी अपनी सलवार और निक्कर उतार दी.
मैं उसको सीधा लिटा कर उसके ऊपर चढ़ गया और उसकी चूत में अपना लंड डालने लगा.
यह मेरी और उसकी दोनों की पहली चुदाई थी.
हम दोनों को कुछ आता जाता था नहीं.
दोस्तो, मैं अपने इस सेक्स को अगले भाग में लिखूंगा.
इसमें दरअसल हुआ कुछ यूं कि उन तीनों में मुझसे चुदने की स्पर्धा सी चल पड़ी थी.
उस चक्कर में मुझे कुछ खतरे का सामना करना पड़ा था.
वो सब कैसे हुआ, ये सब आपको अगले भाग में आपको पढ़ कर बड़ा मजा आएगा.
आप मुझे प्रोत्साहित करने के लिए मेल करके जरूर बताएं कि आपको अब तक की सेक्सी देहाती लड़की की कहानी कैसी लगी?
लेखक के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दी जा रही है.
सेक्सी देहाती लड़की की कहानी का अगला भाग:
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