सेक्स कहानी प्यार में दगाबाजी की-2
(Sex Kahani Pyar Me Dagabaji Ki- Part 2)
कहानी का पहला भाग : सेक्स कहानी प्यार में दगाबाजी की-1
आपने अब तक पहा कि मेरा बॉयफ्रेंड मुझे अपने रूम में ले आया, उसके दोस्तों को भी इस बारे में पता था, वे भी हामरी जासूसी कर रहे थे और रूम के बाहर खिड़की से हम पर नजर रख रहे थे.
अब आगे:
एक लंबे किस के बाद महेश ने मुझे बिस्तर पे गिरा दिया और मेरे कपड़ों के ऊपर से ही मेरे मम्मों को चूसने लगा. वो कभी मेरी गर्दन को चूसता, कभी मेरे कान की लौ को चूसता. मैं तो बस हवा में उड़ रही थी और अंजाने में मेरे मुँह से वो निकाला जो शायद महेश चाहता था.
दिव्या- आह.. सस्स महेश ऐसे मत करो ना.. आह.. मेरे कपड़े खराब हो जाएंगे.. मैं घर कैसे जाऊंगी आह.. नहीं..
अब आगे:
महेश- ठीक है दिव्या तो मैं कपड़े निकाल देता हूँ.. प्लीज़ ना मत कहना, आज मुझे जी भर के प्यार करने दो.
मेरी तो सोचने समझने की ताक़त ही खत्म हो चुकी थी. महेश ने पलक झपकते ही मेरी कमीज़ निकाल दी और सलवार भी निकालने लगा. मैंने रोका मगर वो कहां रुकने वाला था. अब मैं सिर्फ़ ब्रा पेंटी में थी, मुझे बहुत शर्म आ रही थी, मगर ये सब मेरे लिए पहली बार था तो मुझे अच्छा भी लग रहा था.
मैंने ब्रा-पेंटी का ब्लू कलर का सैट पहना हुआ था. ब्रा के अन्दर से मेरे चुचे बाहर निकलने को बेताब थे और उनकी बेताबी को जल्दी ही महेश ने दूर कर दिया. अब मेरे मम्मे आज़ाद थे. उसके बाद उसका हाथ मेरी पेंटी पे गया और एक ही झटके में उसने मुझे जन्मजात नंगी कर दिया.
दोस्तो, आपको मैं बता दूँ कि मेरी चूत के होंठ भी मेरे होंठों की तरह मोटे हैं भग्नासा फूला हुआ है और चूत किसी डबल रोटी की तरह फूली हुई है. उसकी दरार एकदम पिंक है, जिसे देख कर अच्छे अच्छे लंड बहक जाएं.
शर्म के मारे मैंने अपने हाथ आँखों पर लगा लिए और उसी मौके का फायदा उठा कर महेश भी नंगा हो गया. मुझे ये तब पता चला जब वो मेरे ऊपर लेट कर मेरे चुचे चूस रहा था और उसका डंडा मेरी जाँघों में घुस रहा था. उसका लंड बहुत कड़क और गर्म था. लंड के अहसास से ही मेरी चूत में गुदगुदी होने लगी मगर मुझे थोड़ा नाटक करना पड़ा.
दिव्या- आह.. इसस्स.. नहीं महेश ये तत..तुम क्या कर रहे हो.. तुमने कपड़े क्यों निकाले.. नहीं नहीं शादी से पहले ये सब पाप है.. हटो यहां से..
महेश- प्लीज़ यार किस दुनिया में जी रही हो.. ये दकियानूसी बातें मत करो.. कुछ नहीं होगा, हम बस प्यार कर रहे हैं और कुछ नहीं.. इस पल को एंजाय करो.. बाकी सब भूल जाओ.
महेश मेरे होंठों को, कभी गर्दन को, तो कभी मेरे निपल्स को चूसता रहा. मैं सातवें आसमान पे पहुँच गई थी. मेरी लाइफ का ये सबसे हसीन पल था, जिसमें मुझे इतना मजा आ रहा था.
यह खेल कोई 15 मिनट तक चलता रहा. अब महेश मेरी चूत को चूस रहा था और मैं बिस्तर पे इधर उधर सर को घुमा कर मजा ले रही थी. वैसे तो कई बार मैंने उंगली से खुद को ठंडा किया था, मगर आज जो सुख मिल रहा था, मैं बता नहीं सकती. मेरी चूत आग की तरह तपने लगी थी. किसी भी पल उसके अन्दर की आग बाहर आने को बेताब थी और महेश बस चूत को कुरेदे जा रहा था.
दिव्या- आह.. इसस्स एमेम.. महेश न..नहीं आह.. मैं आ गई.. एयेए आआ ससस्स उउआहह..
मेरी चूत से रस की धारा बहने लगी जिसे महेश मज़े लेकर ऐसे चाटने लगा, जैसे कोई आइसक्रीम चाट कर खा रहा हो. जब सारा रस चाट कर साफ कर दिया, तो वो मेरे कुछ इस तरह बैठ गया कि उसका 7″ का मोटा लंड मेरे होंठों के एकदम पास आ गया था, जिसे देखते ही मेरी जान निकल गई. मेरे पूरे जिस्म में करंट दौड़ गया.
आज तक बस लंड के बारे में कहानी में पढ़ा था, आज पहली बार आँखों के सामने देख कर मैं घबरा गई थी.
महेश- जानेमन ऐसे क्या देख रही हो किस करो न इसको.. तुम्हें बहुत मजा आएगा.
मेरी नज़रें महेश से मिलीं, वो बार बार मुझे लंड चूसने को बोल रहा था, मगर मुझे उससे घिन आ रही थी.
दिव्या- नो वे.. मैं नहीं लेने वाली इसको मुँह में.. हटो प्लीज़ यहां से, मुझे उल्टी होने को हो रही है.
महेश- बस क्या दिव्या.. मैंने भी तो तुम्हारी चूत को चाटा है.. प्लीज़ एक बार करो ना.. उसके बाद अच्छा ना लगे तो मत करना.
महेश का उदास चेहरा देख कर मैंने ‘हां’ बोल दी मगर वैसे नहीं. मैंने उसको हटने को कहा और खुद उसके पास बैठ कर हल्के से एक बार टोपे को किस किया. फिर दोबारा जीभ से उसके लंड को चाटा. मुझे यकीन नहीं हुआ कि वो टेस्ट अच्छा था, थोड़ा नमकीन सा.. मगर मुझे लंड को टच करना अच्छा लगने लगा और धीरे धीरे मैंने सुपारे को मुँह में भर लिया और चूसने लगी.
महेश- आह.. यस दिव्या आह.. सक मी आ या या.. फास्ट बेबी आह.. आह..
आप यकीन नहीं करोगे, लंड का टेस्ट ऐसा होता है.. मैंने सोचा भी नहीं था. उसमें से नमकीन सा पानी रिस रहा था, जो मुझे बहुत मजेदार लग रहा था. मेरे मुँह में लार बन गई थी और मैं अब पूरे लंड को अच्छी तरह मुँह में भर कर लंड चूस रही थी.
अब ऐसी मस्त चुसाई हो रही थी, तो महेश कब तक टिका रहता. उसके लंड से वीर्य कभी भी निकलने को था, तो उसने झट से लंड बाहर निकाल लिया और हाथ से ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा. तभी उसके लंड से एक के बाद एक पिचकारी निकलने लगीं, जो ज़मीन पे दूर तक गईं, जिसे देख कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं और महेश मेरी तरफ़ देखने लगा.
महेश- क्या देख रही हो जानेमन.. ये अमृत है, आज वेस्ट किया मगर अगली बार तुम्हें पीना होगा.. इसमें बहुत मजा है.
दिव्या- अच्छा तो आज ही टेस्ट करवा देते.. मैंने कब मना किया था.
महेश- ओह शिट.. मैं समझा तुम नाराज़ ना हो जाओ इसलिए मैंने बाहर निकाला. कोई बात नहीं अबकी बार चखा दूँगा.
हम दोनों बातें करने में और कमरे के बाहर खिड़की से वो सब ये नजारा देख कर टाइट हो चुके थे, उनके लंड भी उफान पर थे.. मगर योगेश ने सबको रोके हुए रखा था क्योंकि वो चाहता था एक बार चुदाई शुरू हो जाए, उसके बाद वो सब अन्दर आएंगे, तो मैं मना नहीं कर पाऊंगी और सभी मेरे मज़े ले सकेंगे मगर आगे क्या होना था, ये तो किसी को पता नहीं था. कुछ देर बातें करने के बाद हम दोबारा शुरू हो गए और अब हम 69 के पोज़ में आ गए.
अब महेश मेरी चूत को चाट कर गीला कर रहा था और मैं उसके लंड को मज़े से चूस रही थी.
थोड़ी देर बाद महेश ने मुझे सीधा किया और मेरे पैरों को मोड़ कर बीच में बैठ गया. उसने लंड को चूत पर सैट कर दिया और लंड से चूत को रगड़ने लगा.
दिव्या- नहीं महेश बस अब ये मत करो.. मुझे घर जाना है.
महेश- डार्लिंग अब इतना हो गया तो थोड़ी देर की बात है.. बस फिर मजा ही मजा है.
मैंने कहानी में पढ़ा हुआ था कि पहली बार में बहुत दर्द होता है. बस इसी डर के चलते मैं मना कर रही थी और वो था कि मान नहीं रहा था. आख़िर उसने लंड को चूत पर सैट करके ज़ोर लगाया तो सुपारा अन्दर घुस गया और मुझे बहुत ज़्यादा दर्द हुआ. मेरी चीख निकल गई. महेश भी ढीला ही बैठा हुआ था. मैंने उसको ज़ोर से धक्का मारा और जल्दी से बैठ गई.
महेश- क्या हुआ यार.. ऐसे धक्का क्यों मार दिया तुमने?
दिव्या- तुम पागल हो.. मुझे कितना दर्द हुआ था.. अब मैं जा रही हूँ ओके मुझे कुछ भी नहीं करना.
बाहर खड़े उसके दोस्तो के बीच बात शुरू हो गई. उनको लगा कि ये चली गई तो हमारा क्या होगा.
रवि- यार, ये साली तो जाने का बोल रही है.. अब हमारा क्या होगा?
सुदेश- चल अन्दर चलते हैं और साली को बोलते है कि तेरी सारी रासलीला देखी हमने.. अब चुपचाप चुदवा, नहीं तो अच्छा नहीं होगा.
दीपक- नहीं यार रूको.. ऐसे काम नहीं बनेगा.. वो हमारी फ्रेंड भी है.. ऐसे ज़बरदस्ती करने से कोई फायदा नहीं.
राजीव- रूको यार.. दीपक ठीक बोल रहा है.. महेश को देखो.. वो उसे पटा रहा है.
महेश ने थोड़ी ज़ोर ज़बरदस्ती की तो मुझे गुस्सा आ गया और मैंने उसको एक थप्पड़ मार दिया. फिर जल्दी से अपने कपड़े पहने और वहां से निकल गई. वैसे उस टाइम मुझे गुस्से में कुछ समझ नहीं आया था. मेरे निकलने के पहले वो सब भी हट गए ताकि मुझे पता ना लगे. ये सब बातें मुझे बाद में पता लगी थीं कि मेरे जाने के बाद वहां क्या हुआ था.
इस तरह मेरी चुत की पहली अधूरी चुदाई हुई.
मेरे जाने के बाद महेश ने कपड़े पहने और उदास होकर बैठ गया. तभी वो सब भी अन्दर आ गए और उसको बताने लगे कि उन्होंने सब कुछ देखा है. जो हुआ अच्छा नहीं हुआ, दिव्या को ऐसे तुम्हें मारना नहीं चाहिए था. ये सब सुन कर महेश भी उनकी बातों में आ गया, वो गुस्से से आग बबूला हो गया.
उसके दोस्त उसको बहकने लगे और वो उनकी बातों में आ गया.
राजीव- यार ऐसे कैसे साली तुम्हें थप्पड़ मार सकती है. उसको तो सबक सिखाना पड़ेगा.. क्यों महेश क्या बोलते हो?
दीपक- इससे क्या पूछता है.. वो रंडी ऐसे कैसे कर सकती है. अरे चुदाई करेगी तो दर्द नहीं होगा क्या.. इसमें इतना गुस्सा क्यों होना? अब तो उसको झटके से पूरा लंड पेल देना, तब पता लगेगा साली को कि दर्द क्या होता है.
महेश- नहीं.. मैं अकेला नहीं हम सब साथ में चोदेंगे उस रंडी को, तभी उसको समझ आएगा कि प्यार में धोखा क्या होता है और साली का एमएमएस बना लेंगे ताकि वो अपना मुँह ना खोल पाए.
रवि- यार ऐसे नहीं.. कुछ दिन तू उससे दूर रह.. ताकि उसको लगे सब नॉर्मल है. उसके बाद बहुत प्यार से उसको फँसाना, तब आएगी दिव्या रानी हमारे लंड के नीचे.
सब खिलखिला कर हंसने लगे और आगे की प्लानिंग करने लगे.
कुछ दिनों तक मैंने महेश से बात भी नहीं की.. हां बाकी सब ऐसे बिहेव कर रहे थे जैसे उनको कुछ भी पता नहीं और मेरे साथ पहले की तरह नॉर्मल थे. रवि ने कई बार पूछा कि महेश के और तेरे बीच लड़ाई हुई क्या, तो मैं बात को बदल देती रही. ऐसे ही 2 हफ्ते निकल गए मगर हमने कोई बात नहीं की.
मगर अब मुझे उस दिन की बात पे पछतावा होने लगा था, जो हुआ उसमें सिर्फ़ महेश का कसूर नहीं था. मैंने भी तो पूरा मजा लिया था और सच बताऊं उस दिन जो हुआ, उसको मैं भूल नहीं पाई थी. बार बार उस पल को याद करके मेरी चूत गीली हो जाती थी और कई बार तो मैंने उंगली भी की. इसी बीच इत्तफाक से मैंने ग्रुप सेक्स की कुछ फ़िल्में भी देखी थीं जिससे मेरी चूत ने लंड की मांग करना शुरू कर दी थी.
ऐसे ही कुछ दिन और निकल गए और रवि की मदद से मैंने महेश से बात कर ली. अब वो भी सब भूल गया था और मुझसे पहले की तरह प्यार करने लगा था.
वक़्त गुज़रता रहा और हमारा प्यार गहरा होता गया. कभी कभी हम किस करते, वो मौका देख कर मेरे मम्मों को दबा देता तो मैं भी उसके लंड को सहला देती. मगर उस दिन की तरह हमें अकेले मिलने का मौका नहीं मिल रहा था.
कुछ दिनों बाद मेरा बर्थ डे आने वाला था और महेश ने सरप्राइज पार्टी का इंतजाम किया हुआ था. उनकी किस्मत अच्छी कहूँ या मेरी किस्मत बुरी.. समझ नहीं आ रहा, मगर जो भी है मेरी पूरी फैमिली शादी में जाने वाली थी.. मुझे एग्जाम के कारण रुकना पड़ गया था. हमारे पड़ोस में अंकल आंटी हैं तो मैं उनके पास रुक गई.
महेश ने मुझसे कहा कि बर्थ डे उसके साथ मनाऊं और किसी तरह उसके साथ रुक जाऊं, वो उस दिन कुछ खास करना चाहता था. वैसे मुझे पता था कि वो खास क्या है.. और यही सोच कर अब मेरी चूत भी मजा लेने को बेताब थी, तो मैंने उसको वादा कर दिया.
जिस दिन का इंतजार था, वो दिन भी आ गया यानि मेरा बर्थ डे.. मैंने अंकल से बहाना मार दिया कि किसी सहेली के घर पार्टी है तो रात वहीं रुकूंगी और वो मान गए.
शाम हो गई, वो घड़ी आ गई. इस बार महेश ने मेरा बर्थ डे प्लान किया था. मैं बहुत खुश थी कि सब मुझे गिफ्ट देंगे खूब एंजाय करेंगे, पर मुझे क्या पता था कि उस रात में ही सबकी गिफ्ट रहूँगी. सब मेरे साथ ही एंजाय करने वाले हैं
उस दिन शाम को वो मुझे अपनी बाइक पर बिठा कर अपने रूम पे ले गया.
महेश- इससे पहले सब लोग आ जाएं, तुम्हें अपना वादा याद है ना?
मुझे अच्छी तरह याद था लेकिन मैंने थोड़ा नाटक किया तो वो घुटनों के बल बैठ गया और मुझसे कुछ माँगा, जो मैं चाह कर भी ना नहीं कर पाई. उसने मेरे से ये गिफ्ट माँगा कि उस रात मैं उसके साथ रुकूं और हम एक हो जाएं.
मैंने भी हां कर दी, मुझे खुशी थी कि मैं जिससे प्यार करती हूँ, उसे ही अपना सब दूँगी, पर मुझे क्या पता था कि वहां मेरे जिस्म पे हक जताने वाले 6 और भी हैं
हम दोनों एक दूसरे से लिपट गए और किस करने लगे. फिर महेश मुझे अपने साथ बाहर ले गया और पीछे से उसके दोस्त पार्टी की तैयारी में लग गए.
हम बाहर घूमने गए तो वहां से जरूरत का कुछ सामान भी ले आए और जब करीब 8 बजे हम पहुँचे, वहां सब रेडी था. अच्छी तैयारी की थी उन्होंने.. जिसे देख कर मैं खुश हो गई.
मैंने ब्लैक जींस और रेड टॉप पहना था. मैं बहुत सेक्सी लग रही थी. अन्दर मैंने रेड ब्रा पेंटी पहनी थी. मेरे होंठों पर रेड लिपस्टिक सब देख कर मेरी तारीफ कर रहे थे.
रवि ने बोला- वाह दिव्या एकदम हॉट लग रही हो.. किसे मारने का इरादा है?
मैंने बोला- तुम्हें.. आज तुम मरोगे मेरे हाथों अगर बकवास बंद नहीं की तो..
सब मेरी बात पे हंसने लगे.
वहां पे सब इंतजाम पहले से था. फिर केक कटिंग हुई. मैंने सबको अपने हाथों से केक खिलाया और उन सबने भी मुझे अपने हाथों से खिलाया. उसके बाद डांस शुरू हो गया, हम सब नाचने लगे. मैं और महेश साथ.. बाकी सब अलग अलग.
इस डांस के बाद जो हुआ उसने मेरी जिन्दगी बदल दी. अगले भाग में मेरी चुदाई की कहानी का मदमस्त मजा आने वाला है.
आप अपने मेल कीजिएगा.
कहानी जारी है.
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कहानी का तीसरा भाग : सेक्स कहानी प्यार में दगाबाजी की-3
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