सांवली सलोनी लड़की की पोर्टफोलियो -1

(Sanwali Saloni Ladki Ki Portfolio -1)

This story is part of a series:

दोस्तो, एक बार फिर आप सबके सामने आपका प्यारा शरद एक नई काल्पनिक कहानी के साथ हाजिर है।
सबसे पहले आप सभी को एक बार फ़िर बहुत-बहुत धन्यवाद कि आप सभी को मेरी लिखी कहानियाँ पसन्द आ रही हैं।

दोस्तो, मुझे फोटोग्राफर बनने की बड़ी इच्छा थी तो मैंने फोटोग्राफी का कोर्स किया और एक फोटोग्राफर बन गया और एक दुकान खोल ली।
धीरे-धीरे दुकान में काम आने लगा, लेकिन मेरा मन उसमे नहीं लग रहा था क्योंकि कुछ ऐसा नहीं हो रहा था जिससे मेरे सेक्सी मन को कुछ राहत मिलती, इसलिये मेरा मन इस कार्य से उबने लगा।

तभी मैंने एक दिन न्यूज पेपर में एक विज्ञापन देखा, जिसमें एक फिल्म में काम करने के लिये लड़के और लड़कियों की डिमांड थी और उसके हिसाब से उन सभी लोगों के लिये सुनहरा अवसर था।
मेरे दिमाग में एक आडिया आया और मैंने भी एक विज्ञापन दे दिया जिसमें यह लिखा था कि फिल्मों में काम पाने के लिये पोर्टफोलियो की जरूरत पड़ती है और मैं पोर्टफोलियो बनाने का एक्स्पर्ट हूँ।
एक सप्ताह तक यह विज्ञापन आता रहा, लेकिन रिजल्ट शून्य ही रहा, न तो कोई लड़की और न ही कोई लड़का ही पोर्टफोलियो बनवाने आया।
मुझे लगा कि फर्जी चीज फर्जी ही होती है और उसका कोई फायदा नहीं होता।

खैर कई दिन और बीत गये और कोई नहीं आया लेकिन रेग्यूलर कस्ट्मर आते रहे।
मुझे याद है कि वो शनिवार की शाम थी और दुकान में कस्टमर भी ज्यादा थे। तभी एक पतली दुबली तथा सांवली सी लड़की मेरे दुकान में आयी और मुझसे बोली- सुनिये!
जब मेरा ध्यान उसकी तरफ गया तो मैं उसे देखता ही रह गया, क्या नैन नक्श थे उसके… बड़ी-बड़ी भूरी आँखें, लम्बी नुकीली नाक, वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी।
इतनी दिनों की दुकान खुलने के बाद मुझे लगा कि आज सही मायने में उसके आने से दुकान, दुकान लग रही थी।

जब दुबारा मुझसे बोली कि मुझे एक फोटो खिंचवाना है तो मेरा ध्यान भंग हुआ, मैंने कहा- अन्दर चलिये, मैं कैमरा ले कर आता हूँ।
वह फोटो शूट वाले रूम की तरफ चल दी और मैं कैमरा ले कर उसके पीछे चल दिया।
जब हम लोग अन्दर पहुँचे तो मैंने उससे पूछा- पासपोर्ट फोटो कितनी बननी है?

तो वो बोली- बाहर इतने लोग थे कि मैं आपको बता नहीं पाई, मैं पासपोर्ट फोटो नहीं बनवाने आई हूँ।
इतना कहकर उसने एक अखबार निकाला और बोली आपने जो एड दिया था उसी सिलसिले में आई हूँ, फिल्मों के लिये पोर्टफोलियो बनवाने आयी हूँ। मुझे कुछ अच्छी पोज वाली फोटो चाहिये ताकि मैं उसे डायरेक्टर के पास भेज सकूँ!

मैंने कहा- ठीक है। मैं आप की कुछ अच्छी पोजेस वाली फोटो खींच दूंगा, पर मेरी एक बात का बुरा मत मानियेगा तो मैं बोलूँ?
‘हाँ बोलिये!’ उसने कहा।
‘जी पोर्टफोलियो में हर प्रकार की फोटो होती है।’
‘मतलब!!!’
उसके मतलब के जवाब में मैंने एक एलबम निकाला और कुछ फोटो दिखाते हुए बोला- मतलब यह है कि कुछ फोटो तो स्टाइलिश जाती हैं, कुछ फोटो अर्द्ध नग्न जाती हैं और कुछ केवल पैन्टी और ब्रा में जाती हैं। और अगर कोई डायेरेक्टर आपकी सेलेक्ट कर लेता है तो जो फोटो आपने भेजी है तो उसी तरह वो आपको वहाँ देखता है। और इन सब के करीब तीन हजार के आस पास खर्चे आते हैं।
मैंने एक ही साथ सब कुछ बता दिया।

फिर वो बोली- लेकिन वो मेरी अर्द्ध नग्न और पैन्टी ब्रा वाली फोटो क्यों देखना चाहते हैं?
मैंने कहा- किसी को हिरोईन बनाने से पहले वो फोटो से उसका फिगर देखते है कि वो हिरोईन बनने के काबिल है या नहीं।
‘लेकिन तीन हजार तो बहुत महंगा है मेरे लिये! और केवल फोटो खींचने का तीन हजार?’

मैं समझ गया कि लड़की जाल में फंस गई है, मैंने कहा- केवल फोटो ही नहीं खींचनी है। फोटो के साथ जो एलबम आपने देखा है वो सभी कास्ट्यूम भी होगी और चार से पाँच घंटे का समय लगेगा।
इतना कहकर मैं चुप हो गया और उसकी ओर देखने लगा।

थोड़ी देर बाद वो बोली- अभी तो चार-पाँच घंटे में तो रात के ग्यारह बज जायेंगे और मैं घर में कुछ जवाब भी नहीं दे पाऊँगी।
‘कल रविवार है और अगर कल का टाइम हो तो कल मैं दुकान को खोलूँ?’
‘ठीक है, तो कल एक बजे के बाद मैं आऊँ तो क्या कोई दिक्कत है?’ वह बोली।
मैंने कहा- ठीक है, कोई दिक्कत नहीं है, कुछ पैसे जमा करा दो और अपना नाम बता दो।

उसने पाँच सौ का नोट दिया, अपना नाम शमीना बताया और चली गई।
उसके नाम में एक कशिश थी।

मैं दुकान बंद करके आया और खाना खाकर उसके ख्यालों में खो गया। अपने ख्यालों में ही उसको पूरी नंगी देख रहा था, उसकी जुल्फों से खेल रहा था, कभी उसकी चूची दबाता तो कभी उसके ग़ांड में उंगली करता।

वो भी बड़े प्यार से मेरे बदन के साथ खेल रही थी, सपने में ही मैं उसको चोद रहा था और थोड़ी देर बाद झड़ने का अहसास हुआ।
आँख खुली तो देखा वास्तव में मैं झड़ चुका था।
खैर सपने देखते सुबह हो गई।
उठा तो देखा रात की गुत्थम गुत्थी में मेरा लौड़ा मुरझा चुका था।

सुबह बारह बजे मैं दुकान पहुँचा, दुकान खोली और आधे घंटे के बाद शमीना आ गई।
थोड़ा मेकअप करके आई थी और बला की कयामत लग रही थी, उसको मैं देखता ही रह गया, खुले बाल, आँखों में हल्का काजल और सेंट की महक किसी को दीवाना बनाने के लिये काफी था।

वो पास आई और बोली- ऐसे क्या देख रहे हैं?
मैंने कहा- देख नहीं रहा, ऊपर वाले को धन्यवाद दे रहा हूँ कि सुबह-सुबह हुस्न परी का दीदार करा दिया।
वो खिलखिला के हँस दी, वो बोली- तो मैं आप को हुस्न की परी दिख रही हूँ।
मैंने कहा- मैं ही नहीं, इस समय जो भी आप को देखेगा, वो ही आपका दीवाना हो जायेगा।
‘चलिये ये सब बातें छोड़िये, कुछ फोटो खींच दीजिये ताकि मैं भेज सकूँ।’

‘मैं आपको एक बार फिर आगाह करता हूँ कि आप जो भी फोटो शूट करवाओगी, उसको खुले दिल व दिमाग से करवाओगी और जरा सा भी शर्म और झिझक नहीं होनी चाहिये, क्योंकि आपके जैसे-जैसे फोटो शूट होते जायेंगे आपके कपड़े वैसे-वैसे कम होते जायेंगे और लगभग आप मेरे सामने नंगी हो जाओगी, इसलिये आप सोच लो, नहीं तो फोटो शूट के बीच में बोलो कि ये मुझसे नहीं होगा।’ मैंने एक तरह से फिर उसको नंगी होने के लिये तैयार रहने की चेतावनी दे दी।
बस यह देखना था कि वो हाँ बोलती है या कि न।

लेकिन थोड़ी देर बाद जब उसने हाँ बोला तो मैं समझ गया कि आज नई, कुँवारी और तरोताजा चूत चोदने को मिलेगी।

मैंने दुकान का शटर अन्दर से बंद किया और हम दोनों उस कमरे में पहुँचे जहाँ फोटो शूट होने थे। मैंने उसे एक कुर्सी दी और उस पर उसे बैठने के लिये कहा और दोनों हाथेलियों को आपस में जोड़ते हुए उसे उसके गोद में रखने के लिये बोला।
दो चार कोशिशों के बाद उसकी वो फोटो बहुत खूबसूरत आई।

चूँकि मैंने अपने कैमरे को अपने पी सी से अटैच कर लिया तो जो फोटो मैं खींचता, उसको वो प्रिव्यू में कम्प्यूटर पर दिखाता जाता जो फोटो वो सेलेक्ट करती उस फोटो को फाइनल कर देता।
पहली फोटो खींचने के बाद मैंने उससे बोला- देखा फोटो शूट करने में कितनी मेहनत लगती है।

फिर उसे खड़ा किया और एक फोटो उसकी सिम्पल पोज में लिया इस तरह से मैंने पाँच-छ: पोज बड़े सिम्पल तरीके से लिया।
तब मैंने उससे कहा- अब तैयार हो जाओ सेक्सी पोज देने के लिये!
इतना कहकर मैंने उसका दुपट्टा खींच लिया और उसकी कमर पर बाँध कर उसके दाहिने हाथ को दीवार का सहारा देकर उसको थोड़ा सा इस तरह झुका दिया कि उसकी चूतड़ और उठ जाये।

उस स्टाइल में एक-दो पोज खीचने के बाद मैंने शमीना को बोला- अब तुम बिल्कुल सीधी हो जाओ और दोनों टांगों को थोड़ा खोलो और अपने जिस्म को इस तरह हल्का झुकाओ कि तुम्हारी चूची के बीच की घाटी ठीक से दिखे।

मेरे इतना बोलने से उसको थोड़ा शर्म आने लगी, तो मैंने उससे बोला- मैंने पहले ही बोला था कि शर्म मत करना।
इतना कहकर मैं उसके पास गया और उसको सही पोज में लाने के बहाने उसके पीछे खड़ा होकर अपने लौड़े को उसके गांड से टच कर रहा था।
फिर अगले पोज में उसके बालों को फैला कर फिर और उसकी एक उँगली को उसके होठों से टच करा के फोटो खीचीं।

इतना करने के बाद उसको पी सी के सामने बैठा कर खींची हुई फोटो दिखाई और उससे बोला- तुम बहुत सेक्सी लग रही हो, अगर तुम हिरोईन बन गई तो बहुत गजब कुँवारों पर करोगी। लोग तुमको अपने सपने में देखेंगे और?
कहकर मैं चुप हो गया।
तुरन्त ही शमीना बोली- और… और क्या?
‘कुछ नहीं!’ मैंने कहा।
पर वो जिद पर आ गई और बोली- बताओ न और क्या?

मैंने कहा- जब तुम हिरोईन बन जाओगी और पर्दे पर अपनी अदा दिखाओगी तो तुमको देख कर लड़के आहें भरेगें और मुठ मारेंगे।
‘यह मुठ मारना क्या होता है?’
‘लड़के जब उत्तेजित होते हैं और उनका औजार खड़ा हो जाता है तो उसको पकड़ कर मुठ मारते हैं। और जब औजार से माल निकल जाता है तो फिर वे शांत पड़ जाते हैं।’
‘मुझे कुछ समझ में नहीं आया यह औजार और माल निकल जाना!’
कहानी जारी रहेगी।
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