सना की सील तोड़ चुदाई

(Sana Ki Seal Tod Choot Chudai)

मोहित 2014-12-06 Comments

दोस्तो, मेरा नाम मोहित है और मैं लखनऊ शहर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र बीस वर्ष है और वर्तमान में लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक (ग्रेजुएशन) कर रहा हूँ।

आप सब लोगों के प्यार की ही मेहरबानी है जो मैं आज आप लोगों के सामने अपनी पहली कहानी प्रस्तुत करने जा रहा हूँ और आशा करता हूँ कि आप सभी को मेरी यह कहानी ज़रूर पसंद आए।

जीवन की सबसे मजबूत कड़ी है तमन्ना और यह सच में बडी ही अजीब होती है।

अन्तर्वासना पर आने से पहले मुझे इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी। मुझे इस वेब-साइट के द्वारा लोगों के अंदर की भावना से जुड़ने का मौका मिला।

हर पुरुष की तमन्ना होती है कि किसी ना किसी स्त्री या नवयौवना के साथ जीवन के अमूल्य लम्हों को बाँटा जाये और उसी तरह हर स्त्री के दिल की आरजू होती है कि वो भी इन लम्हों का आनंद ले।
कुछ स्त्रियाँ जो इन कहानियों के माध्यम से ये तमन्ना दिल में रखती हैं कि काश उनके पति या बॉयफ्रेंड का भी लिंग लंबा और मोटा होता तो वो भी उन्हें ज्यादा मज़ा दे पाते।

बहुत सी कुंवारी कन्याएँ इस वेब-साइट को देखती और कहानियों का आनन्द भी लेती हैं, उनकी भी तमन्ना होती है कि कहीं उनके साथ भी कुछ ऐसा घटित हो परंतु जो उन्हें ऐसा करने से रोकता है, वो है डर।

दोस्तो, डर के साथ आनन्द मिलना तो नामुमकिन है। ऐसी ही मेरी तमन्ना थी कि काश कोई मेरी जिन्दगी में भी हो जो सेक्स के लिये हमेशा राज़ी रहे, जिसके साथ मैं भी अपने पलों को जी सकूँ और जवानी का आनन्द ले सकूँ।
पर सच कहूँ तो मुझे हमेशा यही लगता था कि आज तक कोई बनी ही नहीं जो मोहित के लिंग को मोहित कर सके।

कई बार अलग-अलग लड़कियों से कोशिश भी की लेकिन वो कोशिशें भी बेकार ही गई।

बेकार की बातों को छोड़ कर अब सीधा कहानी पर आते हैं।
यह कहानी मेरी और मेरी सहपाठी सना (बदला हुआ नाम) की है।

जब मैं पहले दिन प्रवेश के लिये गया तो विद्यालय में काफी लोग एकत्र थे, बहुत से लड़के और लड़कियाँ मैदान में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे थे और उन लोगों में मैं भी शामिल था।

यूँ तो सारा ध्यान इस चीज पर था कि कब मुझे बुलाया जाये और मैं अंदर जाकर जल्द से जल्द अपना प्रवेश (एडमीशन) ले सकूँ पर तभी मेरी नजर पंडाल में बैठी एक लडकी पर पडी जो शायद अपने भाई के साथ आई थी।

वहाँ पर खड़ा हर लड़का उससे किसी ना किसी बहाने से बात करने की कोशिश में लगा हुआ था।

पर वो उन लड़कों को हाँ और ना में जवाब देकर बातों को टालने का प्रयास करती।

मैं दूर ही खड़ा होकर उसे देख रहा था या यूँ कह लीजिये कि ताड़ रहा था।

बात करने में तो मैं भी बहुत प्रवीण (एक्सपर्ट) हूँ लेकिन उस लडकी का सीधापन और ना बात करने का व्यवहार देखकर कुछ हिम्मत ना कर सका।

बस दिल में एक तमन्ना सी हुई कि अगर यह लड़की लाइफ में आ जाये तो फिर मज़ा ही मज़ा है।

उसका फिगर 36-26-36 का था, उसके अंदर सबसे बड़ा आकर्षण का केन्द्र यह था की उसके बालों का रंग लाल और काला था, जो कमर तक लटक रहे थे।

उसने अपने बालों में ऊपर की ओर एक रबड़ बांधी हुई थी और रबर के नीचे के बाल उसकी कमर को ढकने की नामुमकिन सी कोशिश कर रहे थे।

मैं उसके सपनों में खो सा गया था कि तभी अंदर से मेरा नाम बुलाया गया और साथ में चार और लोगों के नाम लिये गये।

मैंने सोचा कि साली किस्मत ही खराब है लेकिन तभी उसके भाई ने सना से कहा- सना, देख तेरा नंबर आ गया, जल्दी अंदर जा और हाँ अगर किसी भी चीज़ की जरूरत हो तो अंदर से फोन कर देना।

हम दोनों या यूँ कह लीजिये कि तीन लड़कियाँ और दो लड़के अंदर पहुँच के अपनी-अपनी फ़ोटो और अंकसूची दिखाकर फार्म भरने लगे।

मेरी हिम्मत तब भी नहीं हुई कि उससे कुछ बात की जाये, मैं अपने काम में मगन था कि तभी एक प्यारी सी आवाज आई- माफ़ कीजियेगा, क्या आपके पास फेवीकोल होगा?

देखा तो वो सना ही थी जो मुझसे बात कर रही थी।

मैंने भी बिना कोई बात कहे फेवीकोल उसे दे दिया, कुछ देर में उसने अपना काम करके मुझे फेवीकोल वापस कर दिया और साथ में एक प्यारा सा धन्यवाद भी दिया।

एडमीशन होने के बाद हम लोग साथ-साथ बाहर आये और उससे बस कुछ सामान्य सी बात हुई, उसके बाद वो अपने घर मैं अपने घर।

लगभग एक सप्ताह के बाद जब मैं अपनी पहली कक्षा के लिये विद्यालय गया तो कई नये लोगों से परिचय हुआ और बात हुई।

कक्षा खत्म होने के बाद जब मैं बाहर आने लगा तो फिर से मेरी नजर सना पर पड़ गई।

उसने पास आकर हल्के शब्दों से हाय! कहा और बोली- अरे आप भी इसी सेक्शन में हैं क्या?

मैंने कहा- हाँ यार! मैं भी बस यहीं हूँ, इसी क्लास में।

उस एक दिन के बाद हम दोनों एक दूसरे से मिलने लगे।
जब भी उसे पास से देखता तो शरीर में एक झुरझुरी सी होने लगती, अब तो दिल की बस यही तमन्ना थी कि वो जितनी जल्दी हो मेरे करीब आये।

बीतते-बीतते लगभग तीन महीने हो गये, एक दिन मैं क्लास के लिये जा ही रहा था कि बाहर ही एक पीपल के पेड़ के नीचे सना और उसकी कुछ सहेलियाँ बैठीं बातें कर रहीं थीं।

मैंने हमेशा की तरह दूर से उसे हाय! कहा, इस पर उसकी एक सहेली मुझसे बोली- हम सब तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहे थे।

यह सुनकर मैंने थोड़ा संशय भरी नज़रों से सना को देखा, मेरे मुँह से कुछ भी निकलता इससे पहले सना खुद ही बोली- यार आज मेरा जन्मदिन है और मेरी दोस्त मेरे साथ पार्टी करने जा रही हैं, तुम भी चलो ना।

मुझे तो मानो मन माँगी मुराद मिल गई हो।

उस दिन हम लोगों ने बहुत मस्ती की, फिर शाम तक वापस आ गये।

अंत में आते वक्त मैंने हिम्मत करके उससे उसका फोन नम्बर ले लिया।

अपनी तमन्नाओं को मैंने लगभग दस-बारह दिन तक दबा के रखा।
फिर एक दिन यूँ ही मन में विचार आया कि चलो आज बात करते हैं, अगर बात बन गई तो अच्छा है वर्ना पकड़ के ही हिलाना पड़ेगा हमेशा।

मैंने उसे रात में ही फोन कर के ‘आई लव यू’ बोल दिया, फिर उसने जो कहा वो सुन कर मेरे तो पर लग गये।

उसने कहा- यार! इतना समय लगा दिया तुमने, मैं तो तुम्हे बहुत दिनों से प्यार करती हूँ लेकिन तुम्हारा इंतज़ार कर रही थी।

उसके बाद हम दोनों हमेशा बात करने लगे।

एक दिन उसने बताया कि तीन दिन बाद उसके मम्मी-पापा एक दिन के लिये गाँव अपने घर जा रहे हैं और परीक्षा की वजह से उसे घर पर अकेले ही रुकना पडेगा।

मैंने बात को घुमाते हुए उससे कहा, अगर तुम्हें परेशानी ना हो सना तो मैं तुम्हारे साथ घर पर रुक जाऊँ।

सना ने कहा, ठीक है, तीन दिन बाद आ जाना जब मैं बोलूँ।

आखिर वो दिन आ ही गया जिसका इंतजार मुझे था।

जब मैं उसके घर पहुँचा तो वो बोली- मैं तुम्हारे लिये चाय बनाती हूँ तब तक तुम थोड़ा फ्रेश हो जाओ।

मैंने भी सोचा कि जल्दबाज़ी का कोई फ़ायदा नहीं हैं वैसे भी आज की पूरी रात और कल का दिन हमारा है, आराम से मज़ा लेंगे।

थोड़ी ही देर में वो चाय लेकर आ गई और अपने साथ जन्मदिन का एलबम भी साथ ले आई जो उसने रात में अपने घर वालों के साथ मनाया था।

चाय पीते-पीते मैं वो एलबम देखने लगा, कुछ देर के बाद जब चाय खत्म हो गई तो मैंने कप को पास में रखी मेज़ पर रख के अपना हाथ सना के कंधे पर रख लिया।

सना ने सिर्फ मुझे देखा लेकिन कहा कुछ नहीं, पर मेरी जींस का उभार धीरे-धीरे बढ़ने लगा था।

हम दोनों ने इधर-उधर की बातें शुरू की, उसका चेहरा बिल्कुल मेरे होंठों के पास था, कभी वो अपना सिर झुका के बातें करने लगती तो कभी फिर से सिर उठा के मेरी आँखों में देखने लगती।

दोनों को पता ही नहीं चला था कि कब हमारे हाथों ने एक दूसरे को गुथना शुरू कर दिया था।

उसकी तरफ से सिग्नल पाकर मैंने उसके पल्कों पर पहला चुम्बन किया, उसने अपनी दोनों आँखें बंद करके अपने होंठ आगे कर दिये, उसके गुलाबी होंठ मुझे न्यौता दे रहे थे।

मैंने सब कुछ भूलकर उसे चूमना शुरू किया, हम दोनों लगभग दस मिनट तक एक दूसरे को चूमते रहे, इस दौरान मेरे दोनों हाथ उसकी चूचियों का मर्दन करने में व्यस्त थे।

उसे वहीं पर लेट जाने को कहा मैंने और उसके ऊपर आकर फिर से चूचियों को दबाने और चूमने लगा।

इतना सब कुछ होने के कारण मेरा लिंग भी पैंट के अंदर उछलने लगा था।

मैंने उसके टॉप को उतार दिया और उसकी चूचियों को दबाने लगा और अपने हाथों को उसकी पीठ पर रगड़ने लगा।

सना बस हौले-हौले से सिसकारियाँ लिये जा रही थी और मेरे बालों में अपने हाथों को प्यार से सहलाये जा रही थी।

उसने जवाब में मुझे और कस कर जकड़ लिया, अब तो बस चुदाई की देरी थी।

उसकी पजामी का नाड़ा खोलने के लिये मैंने अपना हाथ जैसे लगाया, तो उसने तुरंत मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- बहुत दर्द होगा, मुझे डर लग रहा है।

मैंने उसे प्यार से समझाया और कहा- धीमे से करूँगा जानू, बिल्कुल भी दर्द नहीं होगा तुम्हें।

उसके बाद हम दोनों पूरी तरह से नंगे होकर एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे लेकिन मेरे छह इंच के लिंग को देखकर वो परेशान सी हो गई थी।

मेरे समझाने के बाद उसका डर थोड़ा कम हुआ।
उसके पैरों को मोड़कर उसकी चूत को चाटना शुरू किया मैंने तो उसकी सिसकारियाँ बढ़ती ही जा रही थीं और मैं सना को ज्यादा तड़पाना भी नहीं चाहता था।

अपना लिंग उसकी चूत पर रख कर रगड़ना शुरू कर दिया, अधिक जोश से उसकी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी।

मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से बंद करके हल्का सा धक्का लगाया तो उसकी आँखों से आँसू आ गये, और उसने मेरे होंठों पर कस के काट लिया।

थोड़ा सा रुक के मैंने पूरा लिंग उसकी चूत में उतार दिया, उसकी आँखों से सिर्फ आंसू निकल रहे थे और दर्द सहन कर ले रही थी।

थोड़ा रुक कर जब उसने नीचे से धक्के लगाने शुरू किये तो मैं समझ गया अब सना को भी मज़ा आ रहा है।

मैं लगातार उसे चूमे जा रहा था और धक्के लगाये जा रहा था, एक ही तरह से लगभग मैंने उसे पंद्रह मिनट तक चोदा और उस दौरान वो एक बार झड़ चुकी थी, लगभग बीस मिनट की चुदाई के बाद जब सना झड़ी तो मैं भी अपना बांध रोक नहीं पाया और अपना पूरा पानी उसकी चूत में ही छोड़ दिया।

हम दोनों कुछ देर यूँही लेटे रहे, फिर मैं उठ कर सबसे पहले मेडिकल स्टोर गया और सना के लिये आई-पिल लेकर आया।

इस तरह मैंने सना को पहली बार चोदा।
अब जब भी मौका मिलता है तो हम दोनों उसका फायदा उठाते हैं।

आप मुझे ईमेल करके जरूर बताएँ कि आपको मेरी कहानी कैसी लगी।
[email protected]

What did you think of this story??

Comments

Scroll To Top