मेरे सामने वाली खिड़की में-3
(Mere Samne Wali Khidki Me- Part 3)
दोस्तो, मैं आपका अपना सरस एक बार फिर हाजिर हूं अपनी कहानी के अगले भाग के साथ. मेरे जिन पाठकों और पाठिकाओं ने कहानी का पहला और दूसरा भाग नहीं पढ़ा हो वो
मेरे सामने वाली खिड़की में-1
तथा
मेरे सामने वाली खिड़की में-2
पर जाकर पढ़ सकते हैं.
मुझे आशा है कि सभी पाठकगण अपना अपना लंड निकालकर और सभी पठिकाएं अपनी चूत खोल कर ही कहानी का मजा लेने के लिए तैयार होंगी.
कहानी के पिछले भाग में आपने पढ़ा कि अब तक मैं और रेवती एक दूसरे के बेहद करीब आ चुके थे और कई बार एक दूसरे का आलिंगन कर चुके थे.
अब आगे..
इंतज़ार की घड़ियां बहुत मुश्किल होती हैं दोस्तो. लेकिन कहते हैं न कि टूट कर किसी को चाहो तो टूटने से पहले चाहत तुम्हारी होती है.
वो दिन, दिन के बजाय रात कहूं तो ज्यादा बेहतर होगा.. आ ही गई, जिसका हम दोनों को बेसब्री से इंतजार था.
हमारे बैंक की तरफ से एक शानदार पार्टी थी, जिसमें सभी अधिकारियों को परिवार सहित आमंत्रित किया गया था. सभी के रुकने और खाने का बंदोबस्त एक शानदार होटल में किया गया था.
मैं गुजरात में अकेला रहता हूं, ये तो आप जानते ही है दोस्तो. मैंने सोचा क्यों ना रेवती के परिवार के साथ इस पल का आनन्द लिया जाए. इसी बहाने मुझे और रेवती को और अधिक वक़्त मिलेगा. यही सोचकर मैंने रेवती के मम्मी पापा और रेवती के साथ उसकी दोनों बहनों का भी नाम लिखवा दिया, जिससे कि सारी व्यवस्थाएं हो सकें. कुछ दिन बाद होटल के पास और पार्टी के एंट्री टिकट मेरे पास आ गए.
उसी दिन शाम को बैंक से निकल कर मैं सीधा रेवती के घर चला गया और टिकट्स रेवती के पापा को थमा दिए. रेवती के पापा प्रश्नवाचक दृष्टि मेरी तरफ देखने लगे और पूछा- ये सब क्या है?
“हमारी बैंक की तरफ से एक पार्टी का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें हमें परिवार के साथ बुलाया गया है. अब यहां आपके अलावा मेरा कोई परिवार नहीं है. आप हमेशा मेरा इतना खयाल रखते हैं. जब भी मुझे आपकी जरूरत थी, तो मैंने आपको अपने साथ खड़े पाया.. तो फिर मैं अकेला कैसे इन खुशियों के पल का आपके बिना आनन्द ले सकता था.” मैंने बिना रुके एक सांस में सब कुछ कह डाला.
रेवती के पापा मेरा चेहरा देखते जा रहे थे. मेरी बात खत्म होते ही उन्होंने रेवती की मम्मी को आवाज लगाई. रेवती की मम्मी के साथ रेवती और दोनों बहनें भी बाहर आ गईं. रेवती के पापा ने बताया कि मैं उन सबके लिए पार्टी के टिकट लाया हूं.
रेवती की मम्मी ने मुझे खाना खिलाया और खाना खाकर मैं वापस आ गया. नियत तारीख को मैं रेवती के घर उनको लेने के लिए पहुंचा. मैंने देखा कि सब लोग तैयार हो चुके थे. आज भी रेवती बेमिसाल लग रही थी. सफेद रंग की टी शर्ट और नीले रंग का जींस उस पर बहुत जंच रहा था. उसके 32 के चूचे टी-शर्ट से बाहर आने को बेताब हो रहे थे. शायद उसने ब्रा नहीं पहनी थी क्योंकि शायद वो भी पूरी तैयारी के साथ चल रही थी. क्योंकि वो जानती थी कि ये पार्टी सिर्फ उसके लिए है.
रेवती की गाड़ी से हम होटल पहुंचे. हमने अपने टिकट्स जमा करवाए और अपनी अपनी टेबल्स पर जाकर बैठ गए. हमें दो टेबल अलॉट हुई थीं. मैं रेवती और प्राची एक टेबल पर थे. हमने खाना ऑर्डर किया. रेवती ठीक मेरे सामने बैठी हुई मुझसे बातें कर रही थी. चमकती हुई लाइट्स की रोशनी में रेवती एकदम रूप की परी लग रही थी. खाना खाते हुए कभी कभी मैं रेवती के पैर को अपने पैर से छू देता तो रेवती मुस्कुरा जाती.
खाना खाकर हम लोग बाकी के प्रोग्राम का लुत्फ उठाने लगे. रेवती मेरे पास बैठी हुई थी. मैंने धीरे से रेवती के हाथ पर हाथ रख दिया, जिसे रेवती ने स्वीकार करते हुए अपनी गिरफ्त में ले लिया और अपनी जांघ पर रख लिया. उसकी जांघ का अहसास पाते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा.
कुछ देर बाद मैंने रेवती से कहा- मैं अपने कमरे में जा रहा हूं, तुम आ जाना.
ये कहकर मैं अपने कमरे में आ गया और लगभग आधे घंटे बाद रेवती भी कोई बहाना बना कर मेरे कमरे में आ गई.
मैंने रेवती को पूछा कि मम्मी पापा को क्या कहा?
तो रेवती ने कहा कि मैं मम्मी को कहकर आई हूं कि मुझे ठीक नहीं लग रहा है, मैं सोने जा रही हूं.
‘अगर वो कमरे में आकर तुम्हें न देखेंगे तो क्या सोचेंगे?’
‘वो क्या सोचेंगे, ये मेरा सरदर्द हो.. तुम परेशान न हो.’
एक बार तो मुझे अटपटा सा लगा, पर मैंने इस वक्त रेवती को चोदना ज्यादा ठीक समझा.
रेवती मेरे पास बैठी हुई थी. मैंने उसे अपनी बांहों में लिया तो वो एकदम से सिमट कर मेरी बांहों में समा गई. मैंने उसे जोर से अपने गले से लगाया और उसके होंठों को चूमने लगा. उसके होंठों की लिपिस्टिक अब मेरे होंठों पर लगने लगी थी. उसकी जीभ मेरे जुबान से खेलने लगी थी.
‘उम्म्म म्म्म आह्हम्म..’ की सिसकारी हर एक चुम्मन साथ गवाही दे रही थी. अब मेरे हाथ उसके बूब्स पर आ गए थे. मैं उसके होंठों को चूमते हुए उसके बूब्स को जोर जोर से दबा रहा था.
रेवती के मुँह से ‘स्ससस उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ की सिसकारी तेज होती जा रही थी.
मैंने अब रेवती को बेड पर लिटा दिया था. मैं बेसब्र और बेताब होकर उसके जिस्म से खेलने लगा था. रेवती भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. मेरा एक हाथ लगातार उसके बूब्स को मसले जा रहा था तो दूसरा हाथ उसके पेट को तो कभी उसकी जांघों को सहला रहा था.
रेवती की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. अपनी गांड को उठा उठा कर बिस्तर पर पटकने लगी थी. मैंने अब तक उसकी टी-शर्ट को निकाल दिया था. मैंने देखा कि सच में उसने ब्रा नहीं पहनी थी.
टी-शर्ट उतारते ही उसके दोनों सफेद कबूतर एकदम से आजाद हो गए और फड़फड़ाने लगे. मैं उन्हें सहलाने लगा और वो मेरा साथ देने लगी. उसके निप्पल एकदम से कड़क हो गए थे. मैं उसके निप्पल को चूसने लगा. रेवती सिसकारियां भरने लगी. ‘आह्हग आहहह ओह अहम्म्म..’ की सिसकारियां वातावण को और अधिक कामुक बना रही थीं.
बची हुई कमी को रेवती की कमर, उठ उठ कर गिरती हुई उसकी गांड और उसके उछलते हुए चूचे पूरा कर रहे थे.
मैं भी अपने जोर पर आने लगा. मैंने रेवती की जींस और पैंटी को भी अब निकाल दिया था. रेवती मेरे सामने एकदम नंगी पड़ी हुई थी. एकदम तराशा हुआ बदन. सोचकर ही लंड खड़ा हो जाए.
इस कहानी को लिखते वक़्त ना जाने कितनी ही बार रेवती के हुस्न की यादों ने मेरे लंड को खड़ा किया है. अगर आपका लंड भी ये कहानी पढ़कर खड़ा हो और भाभियों की चूत गीली हो तो मेरा कहानी लिखना सार्थक होगा. ये सब आप मुझे बताइएगा जरूर.
अपने सामने नंगी पड़ी रेवती को देखकर मैंने सोचा क्यों ना रूप की इस देवी को हमेशा के लिए अपने पास रख लिया जाए और मैंने उसी अवस्था में उसका एक फोटो अपने मोबाइल में ले लिया, जिसके लिए मैंने रेवती से इजाजत ली थी.
रेवती अब बिस्तर से खड़ी हुई और मेरे कपड़े उतारने लगी और साथ ही मुझे चूमती जा रही थी. कपड़े उतारते हुए जब वो मेरे चड्डी को उतारने लगी तो मेरा लंड फुंफकारते हुए उसके होंठ से जा लगा. रेवती ने मेरे लंड को अपने होंठों की गिरफ्त में ले लिया और मैं अचानक हुए इस हमले से आनन्द के उस सागर में चला गया, जिसकी गहराई दुनिया में आज तक कोई भी नहीं नाप पाया है.
रेवती मेरा लंड चूसने लगी और मैं उसके बूब्स को दबाने लगा. कभी उसके बूब्स मेरी पकड़ में होते तो कभी उसकी चूत.
रेवती मेरे लंड को बेहतरीन तरीके से चूस रही थी. कभी लंड के गुलाबी टॉप पर अपनी जीभ घुमाती तो कभी पूरा लंड अपने गले तक उतार लेती तो कभी ढेर सारा थूक मेरे लंड पर लगाकर उसे अपनी जबान से चाट जाती.
मैं मदहोश होने लगा था. मैंने रेवती को बिस्तर पर लिटा दिया और उसकी चूत को चाटने लगा. रेवती ने सोचा नहीं था कि मैं अचानक उसकी चूत चाटने लगा जाऊंगा. जैसे ही मेरी जीभ उसकी चूत से टकराई, रेवती एकदम से उछल पड़ी और उसकी पूरी चूत मेरे मुँह में समा गई. मैंने अपनी जीभ को रेवती की चूत में अन्दर घुसा दिया और उसे अन्दर ही घुमाने लगा.
जैसे जैसे मेरी जीभ घूमती रेवती की कमर बल खाने लगी. ‘आह आहआह अहहम्म म्मममआहह अह्च उजह..’ की आवाजें मुझे बेचैन करने लगीं. मेरे लंड का कड़ापन इतना हो गया कि लगने लगा जैसे अब लंड टूट कर नीचे गिर जाएगा.
रेवती बड़बड़ाने लगी- आह्ह ओह सरस बुझा दो मेरी प्यास.. लगा दो मेरी चूत पर अपने प्यार की मोहर.. फ़ाड़ दो इस साली चूत को.. बहुत परेशान करती है मुझे.. चोद दो मुझे.. अपने लंड का स्वाद चखा दो मेरे सरस.. आह ओह अह्हम्ममहह उआहहह.
रेवती बड़बड़ाती जा रही थी और अपने एक हाथ से मेरे लंड को सहलाए जा रही थी. रेवती की चूत उसके पानी से भर गई थी और मैं उस पानी को चाटते जा रहा था. रेवती ‘आह आआह्ह हम्ममम..’ की सिसकारियां भरे पेट को सहलाती, कभी मम्मों को दबाती.
‘चोद दो सरस.. मत तड़पाओ अब मुझे. बुझा दो मेरी चूत की आग को..’ रेवती मुझसे वासना में लगभग रोते हुए कहने लगी.
मैंने रेवती की जांघों को फैलाया और उनके बीच आकर बैठ गया. अपना लंड रेवती की चूत पर लगाया. रेवती अपनी चूत पर मेरे लंड का अहसास पाकर सिहर गई. उसकी आंखों से मैंने पढ़ लिया जैसे कह रही हो कि सरस प्यार से मेरी कोमल चूत को फाड़ना.
मैंने भी उसे अपनी आंखों से ही जवाब दिया कि चिंता मत करो मेरी जान, तुम्हारी चूत तो मेरे लंड की जान है.. आराम से प्यार से चोदूँगा इसे.
मैं अपना लंड रेवती की चूत पर रगड़ने लगा. रेवती की चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि मेरा लंड जबरदस्ती अन्दर घुस जाना चाहता था. रेवती भी अपनी गांड उठाकर अपनी चूत में लंड को ले लेना चाहती थी.
अबकी बार जैसे ही रेवती ने अपनी गांड को उठाकर नीचे पटका, मैंने अपना आधा से ज्यादा लंड रेवती की चूत में उतार दिया. रेवती के मुँह से आनन्द की एक चीख निकल गई. ‘आह ग्गग्ग हम्मम..’ करते हुए वो अपने आपको संभालने लगी, तो मैं भी उसके होंठ को किस करने लगा.
अब मुझे लगा कि शायद रेवती पहले भी सेक्स कर चुकी थी. लेकिन मुझे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा क्योंकि सेक्स सिर्फ प्यार के लिए होता है, जिसे कहीं से भी पाया जा सकता है.
अब मैं रेवती की चूत में अपना पूरा लंड उतार चुका था और रेवती की चूत को चोदने लगा. रेवती ‘आहह हम्मम अहा.. हाहहाहमम्मम ओह हम्ममम हाह्ह..’ करे जा रही थी.
मेरा लंड जोर जोर से रेवती की चूत को चोदे जा रहा था. लगभग चार मिनट के बाद मैंने महसूस किया कि रेवती कि चूत का कसाव मेरे लंड पर कुछ ज्यादा बढ़ गया और रेवती की सिसकारियां और ज्यादा तेज हो गई थीं.
रेवती जोर जोर से बड़बड़ाने लगी- आह.. चोदो सरस चोदो, अपनी रेवती को आज रात खूब चोदो.. जी भर कर चोदो. फ़ाड़ दो इस चूत को.. कि साली फिर परेशान नहीं करे.. चोद डालो इसे सरस.
इस तरह से बड़बड़ाते हुए रेवती अपने तकिए को मसले जा रही थी और अगले ही पल एकदम शांत हो गई. उसकी चूत से कामाग्नि का एक जोरदार लावा बह निकला, जो मेरे लंड को भिगोता हुए बेडशीट को गीला कर चुका था.
रेवती को आराम देने के मकसद से मैं अब रेवती के ऊपर लंड को उसकी चूत में डाले हुए ही लेट गया और उसके होंठों को चूमने लगा. रेवती ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और मुझसे ज्यादा बेताबी से मुझे किस करने लगी और एक संतोष भरी नजरों से मेरी तरफ देखने लगी.
जब रेवती की सांसें सामान्य होने लगीं तो मैंने फिर से अपने खड़े लंड को उसकी गीली पनियाई चूत में घुसा दिया और उसे चोदने लगा.
इस अचानक होने वाली चुदाई से रेवती फिर गर्म होने लगी और मेरा साथ देने लगी. मैं लगातार जोर जोर से रेवती की चूत को चोदे चला जा रहा था. रेवती अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ दे रही थी. लगभग दस मिनट चलने वाली इस चुदाई से अब मैं और रेवती दोनों ही अपने चरम पर पहुंचने वाले थे. हम दोनों के मुँह से सिसकारियों की आवाजें तेज होने लगीं. हमारी सांसें इतनी तेज चलने लगीं, जैसे कोई प्रतियोगिता में प्रथम आने की होड़ लगी हो. मेरी सांसें रेवती को… और रेवती की सांसें मुझे.. अब जलाने लगी थीं.
अब सब कुछ बर्दाश्त के बाहर था. मैं रेवती को उस स्पीड से चोदे जा रहा था कि कहीं मेरा लंड सच में उसकी चूत नहीं फ़ाड़ दे.
रेवती चिल्लाती जा रही थी और मैं उसे चोदता रहा, चोदता रहा, चोदता रहा और अचानक एक जोरदार आह के साथ मेरे लंड ने रेवती की चूत को अपने वीर्य से लबालब भर दिया.
अब रेवती की चूत से बाहर आने वाले वीर्य में हम दोनों का वीर्य शामिल था. मैं थक कर रेवती के ऊपर गिर गया. रेवती ने मुझे अपने आगोश में ले लिया और मुझे चूमने लगी. मैं भी उसे किस करने लगा. रेवती के आगोश में उसके सुकून भरे साथ में ना जाने कब मुझे नींद आ गई, पता ही नहीं चला.
सुबह जब रेवती ने मुझे जगाया तो देखा कि रेवती फ्रेश हो चुकी थी और मैं नंगा ही पड़ा था. रेवती ने मुझे इशारा किया और मैं फ्रेश होने चला गया. बाहर आकर देखा तो रेवती अपने कमरे में जा चुकी थी.
हमने फ्रेश होकर नाश्ता ऑर्डर किया. और नाश्ता करके सब लोग घर वापस आ गए. हमें जब भी अवसर मिलता है हम चुदाई कर लेते हैं लेकिन अब रेवती की शादी है.
आगे और भी क्या क्या हुआ बहुत कुछ हुआ लेकिन इस कहानी को मैं यही विराम देना चाहता हूं क्योंकि लिखने को बहुत कुछ है और शब्द बहुत कम हैं.
कुछ इंसान जिंदगी में ऐसे आते हैं, जिनकी कमी जिंदगी में हमेशा बनी रहती है. शायद रेवती भी एक ऐसी ही कमी मेरी जिंदगी में छोड़कर जाने वाली है.
लेकिन मैं उसकी बेहतरीन जिंदगी की कामना करता हूं.
दोस्तो, यह थी मेरी कहानी. आपको कैसी लिखी मुझे लिखिएगा जरूर. अगर कोई भी मुझे किसी भी काम के योग्य समझे या कभी बात करना चाहें तो कर सकते हैं. शायद एक कॉल बॉय बन जाना ही बेहतर विकल्प है. क्योंकि जिंदगी में मुझे भी चुदाई और चूत से बहुत प्यार है.
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