सहेली की सुहागसेज पर दूल्हे ने मुझे चोदा-1

(Saheli Ki Suhagsej Par Dulhe Ne Mujhe Choda- Part 1)

नमस्कार दोस्तो.. आप सभी पाठकों का धन्यवाद.. जिन्होंने मेरी हिन्दी सेक्स स्टोरी को इतना ज्यादा पंसद किया, मुझे इतना प्यार देने के लिए आप लोगों को फिर से एक बार धन्यवाद।

कितने ही पाठक मेरी फेसबुक आईडी मांग रहे हैं, मैं आप लोगों को बता दूँ कि मैं फेसबुक ज्यादा यूज नहीं करती हूँ। फिर भी अगर चाहिए तो मैं बता दे देती हूँ। इसी मेल आईडी से मेरी फेसबुक चलती है। आप सभी को मेरी ओर से नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं। ईश्वर आपकी हर मनोकामना पूरी करे।

आप लोगों को मैंने बोला था कि कोई मेरी चूची नहीं काटेगा.. पर आप लोग मानते ही नहीं हो। पहले तो मेरी चूची का सारा दूध पी गए। मुझे मेरे बेटे को अब रोज बाहर का दूध पिलाना पड़ता है। ऊपर से मेरी पूरी चूचियों को आप लोगों काट लेते हो। अगर मेरे पति ने देख लिया तो वह बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। इसलिए आप लोगों से एक निवेदन है कि चूचियों को ना काटें.. बस मसल लें सहला लें.. मैं मना थोड़ी करती हूँ।

पिछली कहानी को पढ़ने के बाद आप लोगों को तो पता ही है कि मैं अपनी गांड में अभी भी ब्वॉयफ्रेंड का वीर्य लेकर पार्टी में घूम रही थी। वीर्य की धार अब टपकते हुए मेरी जांघों के बीच आ गई थी.. और धीरे-धीरे नीचे की ओर आ रही थी। शायद वीर्य के कारण मेरी गांड के होल के पास स्कर्ट भी गीली हो गई थी। लेकिन इस बात को लेकर मैं थोड़ी सी भी चितिंत नहीं थी।

अब दो लंड लेने के बाद मैं बेशर्म हो चुकी थी।

मैं काफी थक गई थी.. पूरा बदन दर्द से टूट रहा था। भला टूटे भी क्यों ना.. एक ही दिन में चूत और गांड दोनों की सील तुड़वा चुकी थी। अब बस मेरा शरीर आराम चाह रहा था.. मन हो रहा था कि जाकर सो जाऊँ।
लेकिन मॉम से वीडियो कॉल भी करनी थी। इसलिए मैरिज हॉल की ओर चल दी। थोड़ी देर में मैं मैरिज हॉल में पहुँची और मॉम को शादी की वीडियो दिखा दी।

शादी भी खत्म होने वाली ही थी इसलिए मैंने सोचा कि जाकर सो जाती हूँ।
तभी एक छोटी सी लड़की मेरे पास आई और बोली- दीदी, आपको वह दीदी बुला रही हैं।
उसने अपने हाथ का इशारा दुल्हन की ओर करते हुए कहा।

अब तक वीर्य की धार मेरी जांघों से नीचे आ गई थी। फिर भी मैंने चलते-चलते दोनों टांगों से आपस में रगड़ कर वीर्य को पोंछ लिया ताकि कोई देख ना पाए। संतोष के वीर्य से एक अजब सी सुगंध आ रही थी।

मैं अपनी सहेली के पास आकर जैसे तैसे बैठ गई, शादी खत्म हो चुकी थी, सब लोग मेरी सहेली को उठा कर कमरे की तरफ ले गए.. साथ ही मुझे भी उसके साथ चलने को बोले।

मैंने मना कर दिया और कहा- आप लोग जाओ.. मैं जीजू के पास ही हूँ।
मैंने सोचा कि इन लोगों के जाते ही मैं सोने चली जाऊँगी।

सारे लोग दुल्हन को लेकर चले गए, मैं और आभा जीजू के साथ थी और मेरी गांड से निकलते वीर्य की महक थी।

आभा किसी और से बात करने लगी। इस समय मैं और जीजू अकेले थे। आभा के साइड होते ही जीजू मेरे से बोले- साली साहिबा बहुत हॉट लग रही हो। काश तुम मुझे शादी के पहले मिल गई होतीं.. तो अभी हम पति-पत्नी होते।

मैं इठलाते हुए बोली- अच्छा जी.. लाइन मार रहे हो।
वह मुझे खा जाने वाली नजरों से घूर रहे थे और मुझसे सेक्सी बातें कर रहे थे। तभी बातों-बातों में उनकी नजर मेरी गांड के होल के पास पहुँच गई।

तब वह बोले- ये दाग कहाँ से लगवा कर आई हो?
मैं बोली- कौन सा दाग?

तब तक उन्होंने बिना बताए मेरी गांड पर हाथ लगा दिया। उनका हाथ मेरी गांड पर लगते ही वह सब कुछ समझ गए और मौके का फायदा उठाते हुए उन्होंने मेरी गांड दबा दी।

मैं कुछ बोलती.. इससे पहले वो ही बोले क्या बात है साली साहिबा.. मैंने जिस काम के लिए शादी की है.. वह काम तो तुमने बिना शादी के ही कर लिया।
फिर मैं चुटकी लेते हुए बोली- यह काम करने के लिए शादी की क्या जरूरत है? आपने भी तो किसी के साथ यह काम किया होगा।
मैं भी बेशर्मों की तरह बात कर रही थी।

जीजू बोले- किया तो बहुतों के साथ है.. पर आज तक तुम जैसी माल के साथ नहीं कर पाया।
जीजू इस खेल के पक्के खिलाड़ी लग रहे थे।

फिर जीजू बेशर्मी से बोले- चुदाई के बाद रस साफ कर लिया करो। लोगों को दिक्कत हो जाती है।
मैं यह बात सुनकर दंग रह गई कि मैं इन्हें अभी ठीक से जानती भी नहीं हूँ और यह कैसी बात कर रहे हैं।

उन्होंने फिर से मेरी गांड मसल दी। मैंने सोचा कि यार मैं किस गलत जगह आ गई हूँ.. जिसे देखो सारे मेरे साथ छेड़छाड़ कर रहे हैं और मेरी चुदाई का प्लान बना रहे हैं।

फिर जीजू बोले- एक बात बोलूँ.. बुरा तो नहीं मानोगी?
मैं बोली- नहीं मानूंगी.. बोलो।
फिर जीजू बोले- यार मधु, मेरे साथ एक बार चुदवा सकती हो?
मैं गुस्से में बोली- जीजू आप पागल हो गए हो क्या?

मैं यह बोल कर जाने लगी तो जीजू ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे रोका और बोले- सॉरी यार.. मैं तुम्हारी इस गर्म जवानी को देखकर पागल हो गया था.. इसलिए ये सब बोल दिया.. मुझे माफ कर दो।

फिर हम दोनों बातें करने लगे। बात क्या कर रहे थे वो मुझ पर लाइन मार रहे थे और मौका देखते ही मेरे इधर-उधर हाथ लगा देते थे।
थोड़ी देर कुछ लोग आए और जीजू को ले गए.. मैं बाल-बाल बची।

फिर मैं भी आभा के साथ सोने चली गई, रूम में जाते ही आभा मुझसे बोली- साली तूने तो गांड भी मरवा ली।
यह बोलते हुए आभा ने मेरी स्कर्ट ऊपर कर दी और मेरी गांड की हालत देखकर बोली- साली आज तू पूरे मूड में है क्या.. अब गांड कहाँ से मरवा कर आई हो.. और किससे?

मैंने उसे सारी बात बताई।

आभा बोली- तू साली चुदक्कड़ बनती जा रही है। एक ही रात में चूत और गांड दोनों की सील तुड़वा लीं।

उसने फिर से मेरा टॉप और ब्रा निकाल दी, मैंने भी उसको पूरी नंगी कर दिया, उसने भी मेरी स्कर्ट उतार दी। हम दोनों अब पूरी नंगी हो गई।

आभा मेरी चूची, चूत और गांड देखकर छेड़ने लगी, बोली- चुदक्कड़ रानी.. आज तो तू रण्डी बन गई।
मैं बोली- साली मैं तो आज बनी हूँ.. तू तो साली न जाने कितनों के लंडों का स्वाद ले चुकी है।

ऐसे ही हम दोनों गंदी-गंदी बातें करते हुए एक-दूसरे को उंगली करते-करते नंगी ही कब सो गए.. पता ही नहीं लगा।

फिर सुबह-सुबह मेरे फोन की घंटी बजी। मैंने नंगे ही उठ कर फोन ढूँढा और देखा तो मॉम फोन कर रही थीं।
मैंने फोन रिसीव किया तो मॉम बोलीं- कब तक आओगी बेटा?
मैं बोली- मम्मा अभी तो सोई हुई थी, थोड़ी देर में आऊँगी।
यह कहकर मैंने फोन काट दिया।

समय देखा तो सुबह के 9 बज चुके थे। फिर मैंने आभा को उठाया और हम साथ में फ्रेश हुए। फिर मैं जीन्स और टॉप जो घर से पहन कर आई थी उसे पहन कर तैयार हो गई।

मैं बोली- चल एक बार साक्षी (दुल्हन) से मिल लेते हैं.. फिर चलेंगे।
आभा बोली- तू मिल ले.. मुझे कहीं जाना है।
मैं बोली- कहाँ जाएगी.. साथ चलते हैं ना?

फिर आभा बोली- यार तुम तो रात भर में दो बार चुदवा चुकीं.. मैंने कुछ बोला.. अब मैं जा रही हूँ.. होटल में मेरा ब्वॉयफ्रेंड इतंजार कर रहा है।
फिर मैं बोली- अरे वाह.. क्या बात है.. जाओ और उसके लंड से अपनी चूत की गर्मी शांत करवा ले.. मुझे क्या पड़ी है कि तुझे रोकूँ।
वह हँसने लगी और मुझे ‘बाय..’ बोल कर चली गई।

मैं साक्षी के कमरे में चली गई.. वहाँ तो पहले से ही बहुत लड़कियाँ थीं।
मुझे जीजू ने देखा और ऐसे खुश हुए जैसे वो मेरे लिए ही बेताब थे।

मैं अन्दर गई और सबके साथ हँसी-मजाक करने लगी। धीरे-धीरे सब जाने लगे, मैंने भी साक्षी को बोला- यार अब मैं भी चलती हूँ।
साक्षी बोली- तू रूक यार.. कुछ काम है।

मैं रुक गई कुछ देर में सारे लोग चले गए। जीजू भी बाथरूम गए थे।
फिर मैं बोली- बोल क्या काम है?
वह बोली- यार मुझे नहाना है।
मैं बोली- तो इसमें मैं क्या करूँ? तू जीजू के साथ नहा ले और साथ में उधर ही चुदवा भी लेना।

साक्षी बोली- यही तो नहीं करवा सकती यार।
मैं बोली- क्यों?
साक्षी बोली- यार मैं पीरियड में हूँ। मुझे नहाने में कम से एक घंटा लग सकता है। तब तक तुम इनके साथ रह लेना।
मैं बोली- सच बोल रही हो?
वह बोली- हाँ यार.. सही में बोल रही हूँ।

मैं बोली- तेरी ये खूनी होली खत्म कब होगी?
वह बोली- तीन-चार दिन के बाद।
मैं बोली- तो रात में तो जीजू ने गांड की तो बैंड बजा दी होगी?
साक्षी बोली- नहीं यार, मैं गांड नहीं मरवाती।

मैं बोली- यानि सुहागरात में कुछ नहीं हुआ? लो बेचारे जीजू शादी के बाद भी अपने घरवाली को चोद नहीं पाए।
साक्षी बोली- तू भी तो साली है.. आज तू ही उनको घरवाली का सुख दे दे।
यह कह कर वो हँसने लगी।

मैं भी हँसते हुए बोली- सोच ले? अगर मैं घरवाली बन गई.. तो तू कहाँ जाएगी?
वह बोली- मैं तेरी सौतन बन जाऊंगी।
हम दोनों हँसने लगी।

तभी जीजू बाथरूम से बाहर निकले और बोले- क्या बात है.. कोई हमें भी तो बताओ.. आखिर क्यों हँसा जा रहा है?
जीजू को देखते ही मेरी हँसी और निकल गई, मैं सोच रही थी कि बेचारा शादी के बाद भी पत्नी की चूत का सुख नहीं ले पाया।
मैंने अपनी हँसी को जैसे-तैसे रोका।

साक्षी बोली- यार आप लोग बात करो.. मैं नहा कर आती हूँ।
वो जाते-जाते एक कंटीली मुस्कान दे गई।

इस समय मैं और जीजू रूम में अकेले थे, मैं तभी समझ गई कि जीजू अब मुझे पक्का चोदेंगे।
मैं भी मन बना चुकी थी कि अगर जीजू ने छेड़ा.. तो उनके साथ उसी सुहागसेज पर मैं सुहागदिन मनाऊँगी.. जिस पर मैंने कल रात को भी अंकल के साथ सुहागरात मनाई थी।

मैं सोफे पर बैठ गई और अपने गोद में तकिया रख लिया। जीजू भी मेरे सामने वाले सोफे पर बैठ गए और मुझे निहारने लगे, मेरी नंगी जांघों पर ऐसे नजर गड़ाए हुए थे.. जैसे बगुला मछली के लिए गड़ाए रहता है।

मैं बोली- ऐसे क्या घूर रहे हो जीजू?
जीजू बेशर्मी से बोले- तुम चूत तो दोगी नहीं.. इसलिए तुम्हारी नंगी जांघों को ही घूर कर खुश हो रहा हूँ।

मैं जानबूझ कर बोली- जीजू कितने गंदे हो आप.. रात भर अपनी बीवी को चोद कर हटे हो.. और अभी मेरे पर लाइन मार रहे हो।
जीजू बोले- कहाँ यार.. पूरी रात मैं इसी सोफे पर सोया हूँ। तुम्हारी सहेली ने हाथ तक लगाने नहीं दिया।
मैं बोली- झूठे.. मुझे पता है.. पूरी रात आपने साक्षी को सोने नहीं दिया होगा।
जीजू बोले- ऐसी मेरी किस्मत कहाँ है? यार.. साक्षी पीरियड में है.. और साली ने गांड पर भी हाथ भी लगाने नहीं दिया।

अब आगे मेरी चुदाई कैसे होती है उसका किस्सा लिखूँगी। आप सब मेरे साथ अन्तर्वासना के साथ जुड़े रहिए.. और अपने कमेंट्स जरूर लिखिएगा.. बस ध्यान रहे कि मेरी चूचियों का रस नहीं पीना है।

मेरी चूत चुदाई की कहानी जारी है।

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