रैगिंग ने रंडी बना दिया-54
(Hindi Sex Kahani: Ragging Ne Randi Bana Diya- Part 54 )
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अब तक की इस हिंदी सेक्स कहानी में आपने पढ़ा था कि गुलशन जी अनिता की चुत चोदना चाहते थे. उन्होंने पहले उसके साथ बदसलूकी की, फिर दूसरे दिन एकदम से उन्होंने अपना रवैया बदल दिया.
अब आगे..
अनिता की कुछ भी समझ नहीं आ रहा था वो क्या बोले वो बस चुपचाप खड़ी रही.
गुलशन जी- अगर तू अपने मन से मेरी होगी, तभी मुझे ख़ुशी मिलेगी, समझी तू.. कल जो मैंने किया या कहा, उसके लिए मैं शरमिंदा हूँ, मगर मैं क्या करता! मेरी बीवी मुझे हाथ नहीं लगाने देती, दूसरी शादी की.. तो वो पागलख़ाने में है.. और तू मुझे पापी समझती है. अब मैं जाऊं तो कहाँ जाऊं. देख अनिता.. तुझे एक ना एक दिन किसी से तो शादी करके चुदवाना ही होगा, तो मेरे से क्यों नहीं? तेरी माँ को तूने देखा था ना.. वो कितनी खुश थी, मेरे जैसा आदमी तुझे कहीं नहीं मिलेगा. सब सुख सुविधा तुझे मिलेगी, मैं बुरा इंसान नहीं हूँ. फिर भी तुझे लगता है कि मेरे साथ तुम खुश नहीं रहोगी तो फिर मैं यहाँ कभी नहीं आऊंगा. तुम्हें जैसे रहना है, रहो.. और हाँ तुम माँ की चिंता मत करो.. उनको बराबर इलाज मिलेगा. तुम्हें भी मैं वक़्त पर पैसे भेज दूँगा, मगर मेरी जरूरत को पूरा करने के लिए मुझे तो कोई जुगाड़ करना ही होगा. तो देखूँगा किसी और को.. ठीक है आराम से सोच कर बताना. जाओ पहले चाय लेकर आओ.
अनिता के तो पैरों तले ज़मीन निकल गई. वो अजीब धर्मसंकट में पड़ गई. ये गुलशन जी ने कौन सा दांव खेल डाला था. अब वो क्या करे, बस इसी उधेड़बुन में वो चाय बना कर ले आई और गुलशन जी को दे दी.
गुलशन- सुनो अनिता, मैं कल सुबह 11 बजे आऊंगा, तब तक तुम अपना फैसला मुझे बता देना. अगर तुम्हारी ‘हाँ’ हुई तो रात को तुम्हें अपनी बीवी बना लूँगा और ना हुई, तो कल के बाद तुम मेरी शक्ल नहीं देखोगी, किसी भी हाल में तुम मेरी बेटी नहीं रहोगी, क्योंकि मैंने शुरू से तुम्हें बेटी माना ही नहीं.. अब फैसला तुम्हें करना है.
गुलशन जी तो चले गए और अनिता पूरी रात करवटें बदलती रही. अलग-अलग तरह से उसने सोचा फिर किसी नतीजे पे पहुँच गई और कब उसकी आँख लगी, उसे पता भी नहीं लगा.
सुबह 11 बजे जब गुलशन जी आए, तब अनिता ने ब्लू नाइटी पहनी हुई थी. उसके बाल खुले थे और उस वक़्त वो बेहद हसीन लग रही थी.
गुलशन- वाह क्या बात है, आज तो तुम बहुत निखरी हुई लगा रही हो.
अनिता- बस ऐसा कुछ नहीं है.. आपके देखने का तरीका ऐसा है कि मैं आपको अच्छी लग रही हूँ.
गुलशन- हाँ तो क्या सोचा तुमने.. मैं रुकूं या यहाँ से जाऊं?
अनिता- अरे इतनी भी क्या जल्दी है.. पहले आपके लिए चाय तो बना लाऊं.
गुलशन- नहीं मुझे थोड़ा काम है, मैं बस तुम्हारा जवाब ही जानने आया हूँ.
अनिता- अच्छी बात है.. तो सुनिए मेरी माँ आपकी बीवी है, उस हिसाब से अगर मैं आपकी बीवी बनती हूँ तो मेरी माँ की सौतन बन जाती हूँ, जो मुझे बिल्कुल पसंद नहीं और आप मुझे बेटी बनाओगे नहीं.. तो आप बस ये बता दो. अगर मेरा जबाव ‘हाँ’ हुआ तो मैं आपकी क्या लगूंगी.. हमारा रिश्ता क्या होगा?
गुलशन- अरे बहुत सिंपल है.. हमारा प्यार का रिश्ता होगा, जो सबसे बड़ा होता है.
अनिता- ठीक है अगर किस्मत को यही मंजूर है तो यही सही.. मैं तैयार हूँ अब इस रिश्ते की शुरूआत अभी करोगे या रात को?
अनिता की बात सुनकर गुलशन जी खुश हो गए और उसे गले से लगा लिया.
गुलशन- मैं जानता था कि तुम ‘हाँ’ ही कहोगी. अब देखो मैं तुम्हें कितना प्यार देता हूँ. मगर अभी नहीं रात को.. अभी तो मुझे बहुत तैयारी करनी है.
अनिता- आपको कैसी तैयारी करनी है?
गुलशन- अरे आज तो ख़ुशी का मौका है. तुझे मेरी दुल्हन बना कर मैं तेरे साथ सुहागरात मनाऊंगा.
अनिता- नहीं पापा, आप ऐसा कुछ नहीं करोगे.. मुझे कोई दुल्हन नहीं बनना, आपकी बीवी मेरी माँ हैं, वही रहेंगी.. आज से मैं आपकी रखैल बन कर रहूंगी. बोलो मंजूर है आपको.. प्यारे पापा..!
गुलशन- ये क्या बकवास कर रही हो तुम.. और मैंने कहा ना, मुझे पापा मत कहो.
अनिता- अरे आप नाराज़ क्यों होते हो. मैंने बस प्यार से कहा है.. आपने ही तो कहा था कि हमारा प्यार का रिश्ता होगा हा हा हा.. अभी आप जाओ, जो तैयारी करनी है.. मैं कर लूँगी और ये सुहागरात वगैरह सब भूल जाओ, जो करना है ऐसे ही करेंगे समझे..!
गुलशन- ठीक है, जैसा तुम कहो मगर अपने आपको थोड़ा ‘साफ-सुथरा’ कर लेना.. मेरी बात समझ गई ना तुम..!
अनिता- इतनी भी नादान नहीं हूँ पा.. नहीं.. ये तो आपको जमेगा नहीं, चलो कोई नया नाम सोचती हूँ.. राजा कैसा रहेगा..?
गुलशन- हाँ ये ठीक रहेगा, मैं राजा तू मेरी रानी.. चल मैं रात को आता हूँ.
गुलशन जी तो चले गए और अनिता कुछ सोच में पड़ गई कि अब क्या करे.
ऐसे ही दिन बीता और शाम हो गई. अनिता ने अपनी चुत के बाल साफ किए फिर वो ब्यूटी पार्लर गई और वहां अच्छे से तैयार होकर घर आ गई. आज उसने रेड और वाइट कलर का एक गाउन पहना था, जिसमें उसका निखार अलग ही नज़र आ रहा था.
गुलशन जी रात को जब वहां आए तो बस अनिता को देखते ही रह गए.
अनिता उनके सामने अपने बालों को सवांरती हुई खड़ी मुस्कुरा रही थी.
गुलशन जी ऊपर से नीचे अनिता को निहार रहे थे, वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी.
अनिता- क्या हुआ राजा जी.. ऐसे क्या देख रहे हो? नज़रों से ही मुझे खा जाओगे क्या..?
गुलशन- तुम हो ही इतनी सुन्दर.. नज़र हटाने को मन ही नहीं करता.
अनिता- कुछ लोगे या आपका सीधे मुझे ही खाने का मूड है?
गुलशन- नहीं मेरी रानी, खाना-पीना सब हो गया, अब तो बस मैं तुम्हें प्यार ही करूँगा.
अनिता- अच्छा तो चलो कमरे में.. देर किस बात की है, आपने जैसा कहा था आपके लिए सब क्लियर कर दिया मैंने.
गुलशन- गुड गर्ल.. तो ऐसे ही करें क्या.. तुम कपड़े नहीं बदलोगी?
अनिता- हा हा हा आप भी ना.. जब 2 मिनट बाद सब निकालने ही हैं, तो बदलने से क्या हो जाएगा हा हा हा हा..
गुलशन- बड़ी तेज हो गई है तू आज तुझे मैं चोद कर अपनी रानी बना लूँगा.
गुलशन उसके करीब हो गए और उसे जोरदार किस किया, फिर उसे गोद में उठा कर कमरे में ले गए और बिस्तर पर लेटा दिया. फिर जल्दी से अपनी शर्ट निकाल फेंकी और अनिता पर दोबारा टूट पड़े. वो कभी उसको किस करता तो कभी कपड़ों के ऊपर से अनिता के मम्मों को दबाते. बेचारी अनिता का ये हाल था कि वो बस सिसकारियां ही ले रही थी.
थोड़ी देर बाद गुलशन जी ने अनिता को कहा- अब तू खड़ी होकर ये गाउन निकाल दे.
अनिता- ऐसे ही निकाल दो ना.. अब खड़ी क्या होना था.. आप भी ना..!
गुलशन- मेरी रानी तुझे ठीक से देखना चाहता हूँ.. तेरे एक-एक अंग की बनावट अच्छे से देख कर ही तुझे रानी बनाऊंगा, चल अब देर मत कर.. निकाल दे ये गाउन..!
अनिता खड़ी हुई और शर्माते हुए उसने गाउन निकाल दिया. अब वो सिर्फ़ लाल ब्रा-पेंटी में थी. सच में उसके जिस्म की कसावट ऐसी थी, जैसे रोज जिम जाती हो. उसके चूचे ब्रा से बाहर आने को मचल रहे थे और पेंटी से चुत का उभार साफ बता रहा था कि अन्दर उसने खजाना छुपा रखा था.
गुलशन- वाह.. अनिता क्या लाजवाब हुस्न है तेरा.. चल अब ये ब्रा भी निकाल और आज़ाद कर दे तेरे मचलते आमों को..!
अनिता- नहीं मुझे शर्म आती है.. मुझसे ये नहीं होगा, आप खुद निकाल दो.
अनिता का ये पहला मौका था कि वो ऐसे किसी के सामने नंगी हो रही थी. वैसे तो वो एक पढ़ी-लिखी समझदार लड़की थी. सेक्स का भी उसको ज्ञान था. कुछ सहेलियों से तो कुछ नेट से बाकी उसका स्वाभाव भी थोड़ा बिंदास ही था तो वो ऐसे नंगी गुलशन के सामने खड़ी हो गई. कोई और होती तो शायद इतना नहीं कर पाती.
गुलशन जी अपनी जगह से उठे और अनिता को बांहों में भर लिया. फिर उसकी ब्रा को खोल कर अलग कर दिया और अगले ही पल वो नीचे बैठ गए और सीधे उसकी पेंटी को निकाल दिया. मगर ये निकालते टाइम गुलशन ने एक बार भी मम्मों और चुत की तरफ़ नहीं देखा, वो बस अनिता की आँखों को देख रहे थे.
अनिता को नंगी करने के बाद वो उससे दूर हुए, फिर अनिता के मम्मों की तरफ़ देखा, जिसे देख कर उनका लंड पेंट फाड़ने को बेताब हो गया क्योंकि अनिता के चूचे कुछ अलग ही थे, जो शायद बहुत कम लड़कियों के होते हैं.
अनिता के 32″ के एकदम गोल, साँचे में ढले हुए चूचे और थोड़ा ऊपर को उठे हुए थे. आमतौर पर लड़कियों के चूचे जहाँ होते हैं, उससे थोड़ा सा और ऊपर जैसे उन्हें अलग से चिपकाया गया हो.. वैसे होते हैं. अनिता के मम्मे एकदम उठे हुए और उन पर हल्के भूरे नोकदार निप्पल जैसे कोई सुई की नोक जैसे नुकीले हों. इस वजह से अनिता के मम्मे अलग ही कमाल कर रहे थे.
मैंने पहले भी बताया कि अनिता बहुत खूबसूरत लड़की है, फिर ऐसा यौवन किसी को भी पागल बना दे. उसकी पतली कमर के नीचे जब गुलशन की नज़र गई, तो बस पूछो मत.. एकदम लंबी बरफी की तरह कटावदार चुत, थोड़ी सी फूली हुई और फांकें एकदम गुलाबी थीं.
यह नजारा गुलशन जी के होश खोने के लिए काफ़ी था. वो झट से अनिता के पास गए और उसे गोदी में उठा कर घूमने लगे.
गुलशन- ओह अनिता, तुम सच में भगवान का दिया मेरे लिए अनमोल तोहफा हो. तुम्हें तो मैं बड़े ध्यान से रखूँगा.. तुम्हें अपनी रानी बना कर रखूँगा.
गुलशन ने अनिता को बेड पे लिटा दिया और अंडरवियर को छोड़कर अपने सारे कपड़े निकाल दिए. वैसे तो अनिता का हुस्न देख कर उनका लंड तना हुआ था मगर उन्होंने कच्छा पहना हुआ था और दूसरी बात अनिता ने उनके लंड पर गौर नहीं किया कि लंड कैसा है.. नहीं तो लंड का उभार देख कर वो समझ जाती कि अन्दर अज़गर छुपा हुआ है.
गुलशन जी अब पागलों की तरह अनिता को प्यार करने लगे. उसके होंठों को चूसते, कभी उसके मम्मों को दबाते.. निप्पलों को चूसते.
अनिता का हाल बुरा होता जा रहा था. वो बस सिसकारियां ले रही थी. वो किसी जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी.
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हिंदी सेक्स कहानी जारी है.
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