रैगिंग ने रंडी बना दिया-53
(Ragging Ne Randi Bana Diya- Part 53)
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अब तक की इस सेक्स स्टोरी में आपने पढ़ा था कि गुलशन और अनिता के बीच क्या रिश्ते थे.
अब आगे..
गुलशन ने अनिता के मम्मों को जोर से दबाया.. फिर सीधे होकर लेट गए.
गुलशन- आह.. दो साल से तुझे चोद रहा हूँ, फिर भी कभी तेरी चुत से मन नहीं भरता. पहली रात की तो याद ही मत दिला.. साली क्या टाइट चुत थी तेरी, मज़ा आ गया था.
अनिता- आपको तो मज़ा ही आएगा ना.. हालत तो आपने मेरी खराब की थी. आपका लंड भी कोई लंड है.. घोड़ी को चोदो.. तो वो भी चिल्लाने लगे, इतना बड़ा और मोटा है. पता नहीं आपकी माँ ने क्या खाकर आपको पैदा किया होगा.
गुलशन- हा हा हा साली बहुत बोलती है तू.. आज मॉल में भी मेरी बेटी के सामने बहुत बक-बक कर रही थी. अगर उसको शक हो जाता तो?
अनिता- आज तक किसी को हुआ है क्या.. जो उसको होता? एक शहर में आप दो बीवी और एक रखैल रखे हुए हो.. अब तक किसी को पता लगा?
गुलशन- अबे ये क्या बकवास है, कितनी बार कहा मैंने कि तू मेरी बीवी है.. रखैल नहीं!
अनिता- मुझे बेटी तो आप मानते नहीं.. बीवी की तरह चोदते जरूर हो. मगर शादी के बिना कोई भी औरत बीवी नहीं, रखैल ही होती है.
गुलशन- कमीनी तू अपनी माँ की सौतन बनना नहीं चाहती तो कैसे शादी करता? ये बकवास बंद और जा अब जाकर हलवा ले आ, फिर आज मुझे तेरी मस्त चुदाई भी करनी है.
अरे ये क्या नया फंडा है.. कौन है ये अनिता.. और सीधे साधे गुलशन जी अचानक से ऐसे कैसे हो गए? यही सवाल आप लोगों के दिमाग़ में चल रहा होगा है ना? ना ना.. ज़्यादा टेंशन मत लो, इस बात में मैं कोई सस्पेंस नहीं रखूँगी क्योंकि और कहीं कुछ ऐसा नहीं जो आपको बताऊं तो चलो इस राज को आप लोग जान ही लो कि ये क्या चक्कर है.
अनिता की माँ गीता अपने टाइम की बहुत हसीन औरत थी. उसका पति गुलशन के यहाँ काम करता था, मगर वो नशेड़ी था और इसी नशे ने एक दिन उसे मौत के हवाले कर दिया. अब गीता और उसकी बेटी का कोई सहारा नहीं था तो गुलशन जी ने गीता को अपनी दुकान पर रख लिया. वैसे पहले से ही गुलशन उसके हुस्न के दीवाने थे.. अब तो उनके पास पूरा मौका था. उन्होंने अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों से गीता को फँसा लिया और चुपके से उससे शादी कर ली, उस वक्त अनिता छोटी थी.
यकीन वो इतनी भी छोटी नहीं थी, ये बात केवल 6 साल पहले की ही है, उस वक़्त वो 16 साल की थी.
अनिता पढ़ाई में तेज थी तो गुलशन जी ने उसे पढ़ने के लिए एक अच्छे बोर्डिंग स्कूल भेज दिया ताकि वो खुल कर गीता के मज़े ले सके.
तीन साल तक गुलशन जी ने गीता को खूब चोदा मगर इस बात का ध्यान रखा कि उसको कोई बच्चा ना हो जाए. इस दौरान अनिता छुट्टियों में घर आती मगर गुलशन जी उससे कम ही बात करते थे. फिर गीता को दिमाग़ में टयूमर हो गया. गुलशन जी ने उसका इलाज कराने में कोई कसर नहीं रखी. उसका ऑपरेशन हुआ मगर भाग्य को कुछ और ही मंजूर था. डॉक्टर ने गीता का टयूमर तो निकाल दिया, मगर वो पागल हो गई. बहुत कोशिश की.. मगर वो ठीक ना हो सकी. फिर उसको पागलखाने में भरती करवाना पड़ा. उस वक़्त अनिता 19 साल की भरपूर जवान हो गई थी. अब उसका जिस्म खिलने लगा था. उसके 30″ के मदमस्त चूचे, पतली कमर और भरी हुई गांड.. ये सब देख कर कोई भी बहक जाए.
गीता के पागलख़ाने जाने के बाद गुलशन जी को दिक्कत हो गई. पहले तो वो दिन में ही गीता के पास जाते थे मगर अब अनिता आई हुई थी और उसको रात को अकेले छोड़ना ठीक नहीं था.
इस बात से चिंतित गुलशन जी किसी बहाने से अनिता के पास रुक गए और घर पर बता दिया कि वो शहर से बाहर जा रहे हैं.
इस दौरान अनिता को अकेले डर लगता था तो वो गुलशन के साथ ही सोती थी. एक-दो दिन तो गुलशन जी ने कंट्रोल किया मगर एक जवान लड़की उसके साथ एक ही बिस्तर पे सोए तो नियत बिगड़ने में देर नहीं लगती.
अनिता के सो जाने के बाद गुलशन जी उसके अंगों को सहलाते मगर ज़्यादा कुछ ना कर पाते, एक डर उनके मन में था कि कहीं कोई गड़बड़ ना हो जाए.
ये सिलसिला 5 दिन चला, अब ज़्यादा दिन वो घर से दूर नहीं रह सकते थे तो उन्होंने अनिता को समझाया कि उसको अकेले रहने की आदत डालनी होगी. फिर उन्होंने अनिता का दाखिला भी यहीं करवा दिया.
ऐसे ही एक साल और गुजर गया. अब अनिता 20 साल की हो गई थी. उसका फिगर भी 32-26-32 का हो गया था. अब वो और ज़्यादा सुन्दर दिखने लगी थी. मगर गुलशन जी को उसके ब्वॉयफ्रेंड की भनक लग गई बस उन्होंने उसी दिन से उसका कॉलेज बंद करवा दिया और उसे घर में कैद कर दिया.
गुलशन जी ने उसे धमकी दी कि अगर वो उसके खिलाफ गई तो वो उसकी माँ का इलाज बंद करवा देंगे, फिर वो कभी ठीक नहीं होगी और उसको भी घर से निकाल देंगे.
अनिता मजबूर हो गई.. अब वो सारा दिन घर पे ही रहती. अपने ब्वॉयफ्रेंड से भी उसने नाता तोड़ लिया. असल में वो दोनों प्यार करने लगे थे मगर अपनी माँ के लिए अनिता ने प्यार को कुर्बान कर दिया.
अब गुलशन जी की गंदी नज़र फिर अनिता पर पड़ने लगी और ये बात अनिता भी समझ रही थी.
एक रात गुलशन जी घर आए.. तब अनिता नाइट सूट पहन कर सोई हुई थी. उसके चूचे सांस के साथ ऊपर-नीचे हो रहे थे तो बस गुलशन के मन का शैतान जाग गया और वो उसके पास बैठ कर उसके मम्मों को सहलाने लगे. फिर उन्होंने अनिता की टी-शर्ट को ऊपर किया और उसकी ब्रा भी ऊपर कर दी. फिर उसके निप्पल को चूम लिया, तभी अनिता की आँख खुल गई.
अनिता- पापा ये आप क्या कर रहे हो?
गुलशन- अबे चुप साली.. हराम की पैदायश, मुझे पापा मत बोल.. मैं कोई तेरा बाप नहीं हूँ समझी, अब तेरी माँ तो है नहीं.. तो मेरी प्यास कौन बुझाएगा बोल?
अनिता की आँखों में आँसू आ गए. वो पहले ही जानती थी एक ना एक दिन ये ज़रूर होगा क्योंकि गुलशन कई बार उसे छू कर मज़ा ले चुके थे.. मगर आज तो उन्होंने हद ही कर दी.
अनिता- आपको शर्म नहीं आती आपकी सग़ी ना सही.. मगर बेटी तो हूँ मैं..! अपने मेरी मॉम से शादी की है.. समझे! आप अब जाओ यहाँ से.. नहीं तो मैं शोर मचा दूँगी.
गुलशन- चुप साली कुतिया.. तू किसी हालत में मेरी बेटी नहीं बन सकती समझी.. तेरी माँ से मैंने ऐसे ही शादी नहीं की.. मेरी नज़र तुझपे भी थी. मुझे लगा आज नहीं तो कुछ साल बाद तू जवान होगी तो मेरे ही काम आएगी. इसी लिए तुम माँ-बेटी पे इतना खर्चा किया.. वरना तुम्हारी क्या औकात थी जो ऐसे आलीशान फ्लैट में रहती.. ये महंगे कपड़े पहनती?
अनिता- छी: कितनी गंदी सोच है आपकी.. आपको थोड़ा भी भगवान का डर नहीं? आपकी एक बीवी है, एक बेटी है.. ज़रा सोचो कभी उनके साथ ऐसा हुआ तो?
अनिता आगे कुछ बोलती, तब तक गुलशन जी ने उसे एक थप्पड़ जड़ दिया.
गुलशन- चुप हरामजादी.. उनके बारे में तू अपनी गंदी ज़ुबान से एक शब्द मत निकालना. मैंने तेरी माँ को जब सहारा दिया, जब उसके पास कोई चारा नहीं था और तुझे अच्छे स्कूल में पढ़ाया.. नहीं तो तू आज किसी कोठे पे होती और पता नहीं कौन कौन तुझे कुचलता.
अनिता पर तो जेसे कोई पहाड़ टूट पड़ा, वो समझ ही नहीं पा रही थी कि अब क्या करे. फिर भी उसने हिम्मत करके कहा- यहाँ से चले जाओ.. नहीं तो मैं शोर मचा दूँगी.
गुलशन- ठीक है, तेरी अकड़ मैं कल निकालता हूँ. सुबह से तेरी माँ का इलाज बंद और ये फ्लैट भी खाली कर देना तुम.. फिर जहाँ मर्ज़ी चली जाना.. जिससे मर्ज़ी चुदवाना.. समझी! अब तक तुमने मेरी शराफत देखी है.. अब तुम मेरा गुस्सा देखना.
गुलशन जी वहां से चले गए और सुबह जो उन्होंने कहा, वो कर दिया. अनिता एकदम लाचार हो गई.. उसकी माँ को उसके हवाले कर दिया और फ्लैट बंद करके चाभी गुलशन जी ने ले ली. उसकी माँ पागल थी मगर साथ में बीमार भी थी.. उसकी हालत खराब हो गई.
अनिता- प्लीज़ पापा ऐसा ज़ुल्म मत करो.. मुझे आप बेटी मानो या मत मानो ये आपकी पत्नी हैं, इनकी हालत बिगड़ रही है. प्लीज़ कुछ तो रहम करो इन्हें वापस भरती करवा दो.. चाहे मुझे आप धक्के मार कर निकाल दो.
गुलशन- तेरे और तेरी माँ के लिए मेरे पास फ़िजूल पैसा नहीं है.. जाओ भागो यहाँ से.. मुझे और भी काम हैं.
अनिता बहुत रोई, बहुत गिड़गिड़ाई मगर गुलशन जी पे कोई असर नहीं हुआ.
जब वो जाने लगे तो अनिता उनके सामने खड़ी हो गई.
अनिता- रूको आप मेरी इज़्ज़त ही लेना चाहते हो ना.. ले लो मगर मेरी माँ को ऐसे मत ठुकराओ.. आपको मैंने पापा समझा था मगर आप तो पापी हो. कर लो अपनी हवस पूरी.. निकाल लो अपने मन की.
गुलशन- ज़्यादा फिल्मी मत बन.. मुझे पता था तू मानेगी, इसी लिए पहले ही हॉस्पिटल फ़ोन कर दिया था. उधर देख.. वो आ गए इसे लेने और ये चाभी ले.. अन्दर जा.. मैं इतना बुरा इंसान नहीं हूँ जो ज़बरदस्ती कुछ करूँ.. समझी अभी में जाता हूँ.. तू अपना ध्यान रखना.
गुलशन जी चले गए और अनिता सोच में पड़ गई कि ये आदमी अच्छा है या बुरा.. कुछ किया भी नहीं और चला गया.
रात तक वो बस सोच ही रही थी. आज उसकी आँखों में नींद नहीं थी. जब गुलशन जी आए तो अनिता समझ गई कि अब उसे अपना वादा पूरा करना होगा. वो गुलशन जी के सामने खड़ी हो गई और अपनी शर्ट उतारने लगी.
गुलशन- ये क्या कर रही हो.. नीचे करो इसे!
अनिता- आपने ही तो कहा था आप मुझे पाना चाहते हो.
गुलशन जी- ज़्यादा फिल्मी मत बन.. जा जाकर चाय बनाकर ला मेरे सर में दर्द है.
अनिता उन्हें देख कर मुस्कुराते हुए बोली.
अनिता- आप क्या हो.. मेरी समझ के बाहर है. जब आपको कुछ करना ही नहीं था तो आपने ये सब ड्रामा क्यों किया?
गुलशन जी- जैसी तेरी सोच है मैं वैसा बुरा इंसान नहीं हूँ.. बस मेरी भी कुछ ज़रूरत हैं जिन्हें पूरा करना ज़रूरी है. तुझे ज़बरदस्ती पाने का मेरा कोई इरादा नहीं है.
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कहानी जारी है.
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