प्रेम संग वासना : एक अनोखा रिश्ता -5
(Prem Sang Vasna : Ek Anokha Rishta- part 5)
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दूसरे दिन जब हमारी आँख खुली तो दिन के 11 बज रहे थे, खैर टेंशन तो कोई थी नहीं क्योंकि ऑफिस नहीं जाना था।
हम उठे, मुंह धोया और नाश्ता किया और एक दूसरे के बगल मैं बैठे बातें करने लगे।
हम इतने पास थे कि हमारी साँसें आपस में टकरा रही थी और फिर से मुझे खुमारी चढ़ने लगी। मैंने तुरंत ही उसको बालों से पकड़ कर खींच और उसके होठों से होठों को सटा दिया एक जोरदार चुम्बन किया।
मेरी ऐसी हरकत के लिए वो अभी तैयार नहीं थी, फिर भी नॉर्मल होकर वो बोली- इरादे नेक नहीं लग रहे जनाब के…
मैंने कहा- मुझे तुम्हें फिर से मसलने का मन कर रहा है!
उसने कहा- हाँ, तो मसलो ना… रोका किसने है।
उसके इतना कहते ही मैं उस पर टूट पड़ा और अभी तक उसने जो ब्रा और पैंटी पहनी थी उसे खींच कर उसके शरीर से अलग करके उसके ऊपर छा गया, उसकी चूचियों को मसलने लगा और अपना मुंह उसकी बुर पर लगा कर उसे चूसने और काटने लगा।
मेरी हर हरकत पर उसकी आह निकल जा रही थी।
अब वो भी गर्म हो चुकी थी और मैंने भी न देर करते हुए उसकी बुर में अपना लंड एक ही झटके में जड़ तक उतार दिया, शायद उसे भी अब आदत हो गई थी इसलिए उसे ज़्यादा दर्द नहीं हुआ और वो भी मजे से अपने चूतड़ उठा उठा कर चुदवाने लगी।
अब मैंने भी अपनी रफ्तार काफी तेज़ कर दी और चोदने लगा उसे हैवानो की तरह…
और फिर थोड़े देर बाद हम दोनों ने ही अपना पानी उगल दिया।
हम दोनों की ही साँसें उखड़ी हुई थी, जब तूफान ठहरा तब उसने कहा- तुम तो ऐसे मुझे चोद रहे थे, जैसे मेरी जान ही निकाल दोगे। मैंने कहा- क्या करूँ, अपनी पत्नी को चोद रहा हूँ किसी और को नहीं!
और हम दोनों ही हंसने लगे।
फिर हम बाथरूम चल दिये फ्रेश होने… और वहाँ भी फिर एक बार तूफान आया, फिर हम फ्रेश हो कर निकले।
मैं उस दिन भी वहीं रुक गया और उस रात उसको मैंने 3 बार चोदा।
सोमवार के दिन उसकी हालत ऐसी थी कि वह चल भी नहीं पा रही थी, मैंने कहा- आज ऑफिस नहीं जाते हैं, आराम करते हैं।
तो उसने कहा- नहीं यार, मेरा मैनेजर नाराज़ होगा!
फिर कुछ देर समझाने के बाद वो मान गई।
उस दिन भी हमारे बीच दो बार सेक्स हुआ था। उसी दिन शाम को मैं एक मेडिकल की दुकान जाकर उसके लिए कुछ पेन किलर ले कर आया और उसे खाना खिला कर एक गोली खिला दी और दोनों एक दूसरे की बाँहों में सो गए।
फिर रात में हमारे बीच सब्र का बांध टूट गया और हम एक दूसरे में लिप्त हो गए। अब तो वो भी पूरी चुदक्कड़ हो गई थी मैं न भी कहूँ तो मेरे लंड से खेलने लगती थी।
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ऐसा करते करते 10 दिन बीत गए और मैं अपने रूम पर तक नहीं गया, वहीं उसके साथ था।
हम वहाँ एक साथ रहते थे, एक साथ ऑफिस जाते थे और एक साथ सब चीजें एंजॉय करते थे। हम वहाँ एकदम पति पत्नी की तरह ही रहते थे।
और वो ऑफिस भी जाती तो एकदम दुल्हन की तरह साज धज कर… मुझे किसी से भी मिलाती तो कहती- ये मेरे पति हैं।
हमें ऐसे रहते 6 महीने बीत गए, जब भी उसके घर से कोई आता तो मैं अपने रूम पर चला जाता और समय निकाल कर वो भी मेरे रूम पर चली आती और हम एक दूसरे में लिप्त हो जाते और हमारे बीच चूत लीला शुरू हो जाती।
ऐसा करते करते हमें करीब एक साल हो गया, सब कुछ सही चल रहा था, तभी एक दिन अचानक वो ऑफिस से घर जल्दी चली गई और जब मैं घर पहुँचा तो घर पर भी नहीं थी।
काफी ढूँढने के बाद मुझे उसका एक नोट मिला कि वो अपने घर जा रही है, एक एमरजेन्सी है और वो घर पहुँचकर वो फोन करेगी।
करीब दो दिन बीत गए लेकिन उसका कोई फोन नहीं आया, मुझे कहीं भी अच्छा नहीं लग रहा था।
चौथे दिन मुझे उसका फोन आया और उसकी आवाज़ सुनकर मेरे जान में जान आई।
लेकिन वो कुछ उदास लग रही थी मेरे कई बार पूछने पर उसने बताया कि उसके घर वालों ने उसकी शादी तय कर दी है और वो शायद अब दिल्ली कभी नहीं आ पाएगी।
उसने कहा- कोई बात नहीं, मेरी शादी चाहे किसी से भी हो जाये, मेरे पति तो सिर्फ तुम्हीं रहोगे, मेरा शरीर उसका होगा लेकिन मेरी आत्मा सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी होगी।
अब हम फिर फोन पर बातें करने लगे और एक दूसरे से मिलने को तड़पने भी लगे।
ऐसा करते करीब 2 महीने बीत गए और फिर उसने मुझे एक आश्चर्य चकित कर देने वाली बात बताई कि वो मेरे बच्चे की माँ बनने वाली है।
मैंने पूछा- कैसे?
तो उसने बताया- जब अंतिम बार हमारे बीच में सेक्स हुआ था तो मैंने उसके बाद कोई दवा नहीं ली थी क्योंकि मुझे पहले से ही पता था कि मेरी शादी की बात कहीं और चल रही है और हमारी शादी सम्भव नहीं है, तभी मैंने फैसला कर लिया था कि मुझे तुम्हारी निशानी चाहिए और इसीलिए मैंने ये सब किया।
फिर हमारी कुछ और दिन बात हुई और फिर हम हमेशा के लिए अलग हो गए।
आज मुझे उससे अलग हुए तीन साल हो गए हैं लेकिन आज भी जब मैं अकेला होता हूँ तो मुझे उसकी याद तड़पा कर चली जाती है। ऐसा लगता है कि वो यहीं कहीं मेरे आस पास ही है और अभी कहीं से आकर मुझे अपने गले से लगा कर बोलेगी- बाबू आई लव यू शोना।
पर यह महज़ एक खयाल है!
फिर भी इंतज़ार है कि कभी तो शायद वो आएगी और फिर से मुझसे लिपट कर मेरी हो जाएगी।
प्रिय पाठको, आपको मेरी यह बीती हुई ज़िंदगी की दास्तान अच्छी लगी या नहीं, मुझे लिखना मत भूलिएगा क्योंकि आपके प्रेम में बंधा हुआ मैं जल्द ही अपनी और भी सच्ची घटनाओं के साथ आपके समक्ष आऊँगा।
इसी के साथ आप सभी का सहृदय धन्यवाद!
आप अपने विचार मुझे [email protected] पर भेज सकते हैं।
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