दोस्त की कुंवारी बीवी को सेक्स का मजा दिया- 1

(Porn Bhabi Sex Kahani)

हर्षद मोटे 2022-01-22 Comments

पोर्न भाबी सेक्स कहानी मेरे गांडू दोस्त की जवान बीवी की चुदाई की है. मैं दोस्त के घर गया तो उसकी बीवी ने अपनी हरकतों से मुझे पटा लिया.

दोस्तो, मैं हर्षद आपको अपने दोस्त की गांड चुदाई और उसकी बीवी सरिता भाभी की चूत चुदाई की कहानी सुना रहा था.
पिछली कहानी
दोस्त ने मेरे बड़े लंड से गांड मरवाई
में अब तक आपने पढ़ा था कि भाभी ने मुझे जगाया और मुझसे चुदने की जिद करने लगी. उसने उसी वक्त मेरा चादर खींच दिया, तो लुंगी में मेरा खड़ा लंड उसके सामने आ गया.

अब आगे पोर्न भाबी सेक्स कहानी:

मैं उसे ढकने की कोशिश कर रहा था. मैं उठकर नीचे खड़ा हो गया तो मेरी लुंगी में लंड के तनाव की वजह से तंबू बन गया था.

भाभी की नजर खड़े लंड पर पड़ी तो वो बहुत कामुक होकर देखने लगी.
उसने मुझे अपनी बांहों में कस के पकड़ लिया.
मैंने भी अपनी बांहों में उसे कस लिया.

भाभी से रहा नहीं गया तो वो मेरे लंड पर अपनी चुत रगड़ने लगी. मैंने भी अपने दोनों हाथों से उसकी गोलमटोल गांड को सहला कर लंड पर दबाव बनाए रखा.

भाभी बोली- देवरजी, दो मिनट ऐसे ही पकड़ कर रखो. मेरी चुत पानी छोड़ रही है.
मैंने भाभी को और जोर से कस लिया.

दो मिनट के बाद भाभी अलग हो गयी और बोली- अब आप नहाकर जल्दी तैयार हो जाना. मैं आपके लिए चाय, नाश्ता लेकर आती हूँ.

भाभी थकी थकी सी नीचे चली गयी.

मैं दरवाजा बंद करके लुंगी निकालकर नंगा ही बाथरूम में घुस गया.
मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने लंड अपने दोनों हाथों में पकड़ कर मुठ मारी और लंड को शांत किया.

फिर शॉवर चालू करके नहाकर थोड़ी ही देर में तैयार हो गया.
मैंने लुंगी पहनकर टी-शर्ट पहन ली.
डिओ और सेंट लगाकर तैयार होकर मैं बाहर आकर विलास के बेड पर बैठ गया.

मैं टीवी चालू करके देखने लगा.

अभी दस बजे थे.

इतने में भाभी चाय नाश्ता लेकर आयी.
उसने तिपाई पर ट्रे रख दी और हम दोनों के लिये नाश्ता लगा दिया.
हम दोनों साथ में खाने लगे.

मैंने भाभी से कहा- बहुत टेस्टी बनाया है. मस्त मजा आ गया भाभी.
भाभी बोली- अब तुम मुझे नाम से पुकारो, सिर्फ सरिता ही कहो. हम दोनों एक ही उम्र के है ना!

मैं बोला- लेकिन भाभी, विलास को क्या लगेगा?
भाभी बोली- तुम बहुत भोले हो. अरे देवरजी जब हम दोनों साथ होंगे, तब ही नाम से पुकारना.

मैं भी हंसकर बोला- ठीक है सरिता … लेकिन तुम भी मुझे सिर्फ हर्षद ही कहोगी.
सरिता बोली- ठीक है हर्षद.

हमने नाश्ता खत्म किया. फिर सरिता ने दोनों के लिए चाय परोस दी. हम चाय पीते पीते बातें करने लगे.

सरिता ने मेरे हाथ पर अपना कोमल हाथ रखकर कहा- हर्षद, तुम बहुत हैंडसम हो. जब तुम पहली बार इनके साथ मुझे देखने आए थे, तभी से मैं तुम्हें चाहने लगी थी. मेरे सपनों का राजकुमार तुम्हें समझती थी लेकिन बाद में पता चला कि तुम्हारे दोस्त के साथ मेरी शादी तय हो गयी है.

मैंने सरिता से कहा- सरिता, तुम भी बहुत सुंदर और सेक्सी हो और विलास भी अच्छा और सीधा साधा है. शादी के गठबंधन तो भगवान ही तय करता है. तुम भी विलास के घर वालों से कितना घुल-मिल गयी हो और सबके लिए कितना काम करती हो. सरिता सब लोग तुम्हारी वजह से कितने खुश हैं.

हमारी चाय खत्म हो गयी तो सरिता ने सब प्लेट और चाय गिलास उठा लिए और बाथरूम में जाकर धो लायी.

उसने कहा- मैं नीचे रखकर और मां, पिताजी से बोलकर आती हूँ कि हम दोनों खेत में जा रहे हैं.

सरिता नीचे गयी.
मैंने उसके चेहरे पर मायूसी देखी तो मैं सोचने लगा कि कुछ तो बात है; सरिता से पूछना ही पड़ेगा.

उसके चेहरे पर मैं मायूसी नहीं देख सकता. इसका हल निकालना ही पड़ेगा.

इतने में सरिता अन्दर आयी और उसने दरवाजा बंद कर दिया.

मैं बोला- सरिता तुम खेत में जाने वाली थी ना?
सरिता बोली- वो तो ऐसे ही मां और पिताजी को बोला था. मुझे कुछ समय तुम्हारे साथ रहना है.

मैंने भी बोला- आओ मेरे पास बैठो, मुझे भी तुमसे कुछ पूछना है.
सरिता बेड पर मेरे पास ही चिपककर बैठ गयी.

मैंने सरिता से पूछा- अब मुझे बताओ सरिता … तुम इतनी मायूस क्यों हो?
सरिता चुप थी.

“मुझे भी नहीं बताओगी क्या?”
फिर मैंने सरिता का चेहरा अपने दोनों हाथों में लेकर पूछा- बताओ ना सरिता, क्या बात है. मैं तुम्हें हमेशा खुश देखना चाहता हूँ.

मेरे इतना कहते ही उसकी आंखों से आंसू बहने लगे.
सरिता फूट फूटकर रोने लगी.

मैंने उसे अपने गले से लगा लिया.
सरिता ने मेरे कंधे पर अपना सर रखा हुआ था.

मैंने उसके सर को अपने हाथ से थपथपाकर शांत किया, फिर उसके सिर को ऊपर उठाया और बोला- अब बताओ सरिता.
उसके आंसू मैंने अपने रुमाल से पौंछ दिए.

“हर्षद अब तुमसे क्या छिपाना. सिर्फ तुम ही मेरी मदद कर सकते हो. मुझे तुम्हें बताने में भी शर्म आ रही है. लेकिन बताना ही पड़ेगा.”
मैं कहा- हां तुम मुझे बेहिचक सब बताओ.

सरिता- हर्षद तुम्हें पता है हमारी शादी को करीब डेढ़ साल होने को आया है, लेकिन मैं अभी तक कुंवारी ही हूँ. दिन तो कैसे भी निकल जाता है … लेकिन मैं रात भर तड़पती रहती हूँ. मेरे शरीर की प्यास अधूरी ही रहती है. हर दिन मैं इंतजार करती रहती हूँ. तुम्हें तो पता ही है कि इनका कितना छोटा और पतला सा है.

मैंने सरिता से पूछा- क्या छोटा है?
सरिता बोली- बहुत बदमाश हो गए हो तुम. मेरे मुँह से से कहलवाना चाहते हो.

मैं बोला- सरिता अब मुझसे क्या शर्माना. बताओ ना क्या छोटा है.
“तुम नहीं मानोगे ना?”
फिर सरिता ने मेरे कान में मुँह लगाकर कहा- लंड छोटा है.

ये कह कर उसने मेरे कान कि लौ को अपने दातों से हल्का सा काट दिया.
इससे मेरे रोंगटे खड़े हो गए.

सरिता की श्वासों की गर्म हवा से मेरे कान और गाल उत्तेजित हो रहे थे.
मैंने सरिता का चेहरा अपने दोनों हाथों में लेकर उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए और हल्का सा किस कर दिया.

फिर अपनी जीभ को उसके होंठों पर घुमायी तो सरिता रोमांचित होकर बोली- हाय हर्षद, पहली बार कोई मर्द मेरा ऐसा किस ले रहा है. तुम्हारे दोस्त ने तो सुहागरात में भी चुम्बन नहीं किया था.
उसकी आंखों में फिर से आंसू आ गए थे.

सरिता रो रही थी.
मैंने उसके आंसू पौंछकर कहा- अब मैं कभी इन आंखों में आंसू नहीं देख सकता सरिता. मैं हूँ ना. अब मुस्कुराओ. अब मैं तुम्हें वो सब खुशी देना चाहता हूँ, जो मेरा दोस्त नहीं दे सका.

तभी मुस्कुराकर सरिता बोली- मैं भी यही चाहती हूँ हर्षद. जब से तुम्हारा मोटा और लंबा लंड देखा है, तब से मेरी चुत बार बार गीली हो जाती है. तुम ही उसकी प्यास बुझा सकते हो हर्षद. अगर हम दोनों की शादी हो जाती, तो मैं कितनी सुख चैन से रहती. अब तक हम दोनों का बच्चा भी हो जाता हर्षद.

इतना कहते हुए उसने मेरे होंठों पर और गालों पर चुंबनों की बरसात कर दी.
हम दोनों ने एक दूसरे को कसकर बांहों में जकड़ रखा था.

“अब मुझे तुमसे बच्चा चाहिए हर्षद. तुम्हारे जैसा गोरा और हैंडसम. दोगे ना तुम हर्षद?”

मैंने सरिता को बेडपर लिटाते हुए कहा- सरिता अब तुम मेरी हो. तुम जो चाहो वो मैं तुम्हें दूँगा मेरी जान!
ये बोलते बोलते मैंने अपनी लुंगी निकालकर नीचे फैंक दी और टी-शर्ट भी निकाल दी.
मैं सिर्फ अंडरपैंट में उसके साइड में लेट गया.

मैंने सरिता से चिपककर एक हाथ उसके सर के नीचे डाला और दूसरे हाथ से उसकी दोनों चूचियां बारी बारी से मसलने लगा.

वाह क्या चूचियां थी सरिता की … एकदम गोलमटोल और कड़क होती जा रही थीं. सरिता गर्म होने लगी थी.
उसके मुँह से कामुक सिसकारियां निकल रही थीं.

मैंने सरिता से पूछा- सरिता, तुम्हारी चूचियां अभी तक इतनी कड़क और गोलमटोल कैसी हैं.
वो बोली- तुम्हारे दोस्त ने आज तक कभी इन्हें छुआ ही नहीं, तो क्या होगा. शायद तुमने शादी के पहले उन्हें कुछ सिखाया नहीं.

मैंने कहा- ये भी कोई सिखाने की बात है सरिता. आजकल मोबाइल पर सब कुछ देख सकते हैं. तुम्हें तो पता ही होगा. शायद तुम भी ये सब देखती होगी.
ऐसा बोलते उसकी चूचियां जोर से रगड़ते हुए होंठों को चूस लिया.

सरिता बोली- तो क्या करती हूँ, वही सब देखकर तो मैं अपनी चुत की आग ठंडी करती हूँ.

इतना कहकर पोर्न भाबी ने मेरी तरफ मुँह करके अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी.

हम दोनों एक दूसरे की जीभ चूसते हुए होंठ भी चूसने लगे. सरिता और मैं एक-दूसरे की पीठ को हाथों से सहला रहे थे.

सरिता पूरी तरह से मेरे शरीर से चिपक गयी थी.
मेरा लंड अंडरपैंट में पूरा तनाव में आकर सरिता की चुत पर ठोकर मार रहा था.

हम दोनों बहुत ही ज्यादा गर्म हो गए थे. हम दोनों की गर्म सांसें कामवासना को भड़का कर हमें उत्तेजित कर रही थीं.

अब मैं अपना एक हाथ सरिता के गांड की दरार पर रखकर आहिस्ता आहिस्ता गाउन के ऊपर से ही दबाने लगा.

सरिता की गोलमटोल 36 की गांड को मैं पहली बार सहला रहा था.
मैं बहुत जोश में आ गया था.

सरिता भी पहली बार ये सब महसूस कर रही थी.
इसी वजह से सरिता मेरे लंड पर अपनी चुत और जोर से रगड़ने लगी.
वो अपना एक पैर मेरी कमर पर रखकर अपने पैर से मेरी गांड को सहलाने लगी.

इसी बीच सरिता का गाउन घुटने के ऊपर को सरक गया था.
मैंने अपने हाथ से ऊपर कमर तक कर लिया.

सरिता भी यही चाहती थी, उसने अपनी कमर हल्के से ऊपर उठा दी और मैंने गाउन ऊपर लेकर सरिता के सर से निकाल कर साइड में रख दिया.

अब सरिता सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी और मैं सिर्फ अंडरपैंट में था.

सरिता का कसा हुआ बदन देखकर मेरा लंड अन्दर ही फड़फड़ा रहा था.
ऐसा लगता था कि लंड पैंट फाड़कर बाहर आ जाएगा.

मैंने सरिता को पीठ के बल लिटा दिया और सीधा उसके ऊपर लेट गया.

सरिता के दोनों हाथ अपने हाथ में लेकर उंगलियों को एक दूसरे की उंगलियों में फंसाकर अपने हाथ दोनों तरफ फैला दिए.
हम दोनों के पैर, जांघें एक दूसरे से सटी हुई थीं.

मेरा लंड सरिता ने अपनी जांघों में जकड़ कर रखा था और अपनी चुत पर दबाव बनाए हुई थी.
सरिता की चूचियां मेरे सीने पर चुभ रही थीं. हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे.

इस तरह 10 मिनट हम दोनों ऐसे ही अवस्था में रसपान करते रहे.
हम दोनों के बदन बहुत गर्म हो चुके थे … एक दूसरे के शरीर स्पर्श से कामोत्तेजित हो गए थे.

अपने मुँह से मादक सिसकारियां लेती हुई सरिता मेरी पीठ, कमर और गांड को अपने दोनों हाथों से सहला रही थी.

सरिता के कोमल हाथों के स्पर्श से मेरा बदन कामवासना में डूबता जा रहा था.

मैं अपना लंड सरिता की चुत पर रगड़ने लगा.
सरिता इतने में ही एक बार झड़ चुकी थी. उसकी पैंटी पूरी गीली होने की वजह से मेरी अंडरपैंट भी लंड के ऊपर गीली होने लगी थी.
मेरे लंड को उसका गीलापन महसूस हो रहा था.

सरिता बोली- हर्षद अब कुछ करो, नहीं रहा जाता मुझसे.

वो कामुक सिसकारियां लेती हुई बोल रही थी. मैं भी उठकर उसकी ऊपर चढ़ गया और उसकी पीठ के नीचे हाथ डालकर उसकी ब्रा निकाल दी.

मैंने उसके तने हुए 36 इंच के चूचों को आजाद कर दिया.

वाह क्या चूचियां थी सरिता की.

एकदम गोल मटोल और कसी हुई. भूरे रंग के कड़क निपल्स. कामुकता की वजह से उसके मम्मों में काफी कड़ापन आ गया था.

मैंने झुककर सरिता के दोनों निपल्स पर बारी बारी से अपनी जीभ घुमा दी.
मैं अपनी जीभ को गोल गोल घुमाकर उसके चूचुक चूसने लगा.

सरिता से मुँह से कामुकता भरी सिसकारियां और भी तेजी से निकलने लगीं.

मैं भी और जोश में आ गया और उसकी दोनों चूचियां जोर जोर से चूसने लगा.

अब सरिता कसमसाने लगी और तड़फ कर बोली- हाय रे हर्षद … कितना मस्त चूस रहे हो. पहली बार इन्हें चूसकर तुम मुझे इतनी खुशी दे रहे हो. तुम एक अनुभवी मर्द के जैसे चूस रहे हो मेरे राजा … आह बहुत मजा आ रहा है … मुझे पहली बार किसी मर्द का सुख मिला है.

मैंने सरिता को किस करते हुए कहा- सरिता, अब दुनिया की हर खुशी तुम्हें दूँगा मेरी रानी. बहुत सह लिया तुमने अकेलापन, लेकिन अब और नहीं. मैं तुम्हें हमेशा खुश देखना चाहता हूँ सरिता.

मैं अपने दोनों हाथों से सरिता की चूचियां रगड़ने लगा.
तो सरिता छटपटाने लगी- उई मां ऊ ऊ हाय हर्षद मजा आ रहा है … आंह ऐसे ही रगड़ते रहो … अंह ऐसे ही मसलो.

जब सरिता ये बोली, तो मैं भी पूरी ताकत से उसकी चूचियां रगड़ने लगा.
कुछ ही देर में चूचियां लाल होने लगी थीं.

सरिता दर्द के मारे कराहने लगी और बोली- अब बस भी करो हर्षद … बहुत बुरा हाल हो रहा है मेरा. अब मेरी चूत में अपना मोटा लंड जल्दी से डाल दो. बहुत आग लगी है.

मगर मैं सरिता को और तड़पाना चाहता था, मैं उसके ऊपर से उठकर 69 पोजीशन में आ गया. अपने घुटनों के बल उसके ऊपर आ गया.

मैंने उसकी पैंटी देखी, वो पूरी गीली हो गयी थी.

सरिता भाभी की चुदाई अगले भाग में लिखूंगा.

अभी तक की पोर्न भाबी सेक्स कहानी पर अपनी राय आप मुझे मेल जरूर करें.
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पोर्न भाबी सेक्स कहानी का अगला भाग: दोस्त की कुंवारी बीवी को सेक्स का मजा दिया- 2

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