ठरकी लड़की के साथ पहली चुदाई का मजा- 1
(Pervert Girl Seduced Me)
परवर्ट गर्ल की कहानी में मैंने किराये का कमरा लिया तो वहां दो बहनें थी. मैं बड़ी वाली को पसंद करने लगा. इससे छोटी वाली चिढ़ने लगी. वह मुझे पटाने की कोशिश करने लगी.
सभी पाठकों को नमस्कार.
मेरा नाम लव है, हाइट 5 फुट 10 इंच और 31 साल का हूँ.
फिलहाल मैं देहरादून में रहता हूँ.
यह मेरी पहली सेक्स कहानी है और बिल्कुल सच्ची परवर्ट गर्ल की कहानी है.
इससे पहले मैंने कभी सेक्स नहीं किया था.
यह बात 2012 की है.
स्कूल खत्म होने के बाद मैं आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चला गया था.
यह सोचा था कि वहां खूब मजे करूँगा घर से दूर होने की वजह से घर वालों के अचानक आने का डर भी नहीं रहेगा.
मेरे घर वाले कभी भी बिना बताये आ जाने वालों में से हैं. इसलिए जो मैंने सोचा था उसे कभी करने की हिम्मत ही नहीं जुटा पाया था.
दिल्ली में दो साल तक तो मैं अपने गुडगांव स्थित रिश्तेदार के यहां रहा.
चूंकि दिल्ली जैसी जगह में मेरे जैसा लड़का जल्दी सैट नहीं हो पाता है क्योंकि तब मैं बहुत ही सीधा सादा लड़का था … और उस वक्त तक मुझे खाना बनाना भी नहीं आता था.
जुलाई से कॉलेज शुरू हुए थे.
कॉलेज का कैंपस बहुत बकवास था, वहां कालेज में कोई ग्राउंड नहीं था, सिर्फ 4 फ्लोर थे.
इसलिए शुरूआत के दो साल तो बस यूँ ही बीत गए.
हमारे सेक्शन में कोई हॉट लड़की भी नहीं थी, जिससे मन लगाया जा सकता था.
पूरी क्लास में 60 में से सिर्फ 5 लड़कियां और बाकी 55 लड़के थे.
जबकि दूसरे सेक्शन में 10-12 लड़कियां थीं, जिनमें 4-5 तो काफी सुन्दर थीं.
वैसे भी जब दोस्त मेरे साथ होते हैं तो मैं लड़कियों पर ज्यादा ध्यान नहीं देता था.
इस वजह से मैंने जीवन में बहुत सारे मौके छोड़े, जिनका मुझे आज भी अफसोस है.
दो साल बाद मैंने कॉलेज के आस पास एक कमरा किराए पर लेने का सोचा क्योंकि गुडगांव से आने-जाने में ही 2-3 घंटे बर्बाद हो जाते थे.
यही सब सोच कर कॉलेज के पास में ही एक सरकारी कॉलोनी में एक मकान में एक रूम का इंतज़ाम हुआ.
उनके घर में 3 कमरे थे और 5 लोग परिवार में थे.
मकान मालिक की दो बेटियां और एक बेटा था.
उनकी एक बेटी करीब 26 साल की थी और दूसरी मेरे बराबर की यानि 21-22 साल की थी.
बड़ी वाली दीदी का शरीर बहुत सेक्सी था, गोरा भरा हुआ बदन, बड़े बड़े गोल गोरे बूब्स थे.
उनका फिगर लगभग 38-32-40 का रहा होगा.
जबकि छोटी वाली दिव्या का शरीर सामान्य लड़कियों जैसा ही था.
उसका फिगर लगभग 32-28-34 का था.
अक्सर नए लोगों से बातचीत करने में मैं थोड़ा टाइम लेता हूँ.
तो रूम देखने के समय मैं ज्यादा कुछ नहीं बोला क्योंकि साथ में आए एक रिश्तेदार ने बात की थी.
मतलब मैं इतना बड़ा वाला था कि मुझे रूम के किराए का अंदाज़ा भी नहीं था.
उन्होंने भी कहा कि लड़का सीधा दिख रहा है, तो उन्हें कोई दिक्कत नहीं है.
बस मेरी इसी अदा पर रूम फाइनल हो गया था.
कमरे में आने जाने का रास्ता एक ही था.
यानि कि मेरे कमरे में आने जाने के लिए मकान मालिक के पोर्शन से होकर ही रास्ता था.
हमारे कमरे भी अगल बगल में ही थे और घर में एक ही स्नानघर और संडास था.
मकान मालिक यानि बाप शराबी था, यह बात उन्होंने नहीं बतायी थी.
कुछ दिन तक सब सामान्य रहा.
मैं सुबह दस बजे कॉलेज चला जाता था और दिन में कमरे पर आ कर दाल चावल बना कर खाना पीना कर लिया करता था.
कभी अगर कुछ काम होता था तो ही बाहर जाता था वर्ना कमरे ही पढ़ाई व आराम करता था.
मैं तब तक दाल चावल बनाना सीख गया था और रोटी थोड़ा बहुत बेल लेता था.
पर आटा गूँथना मुझे बिल्कुल नहीं आता था क्योंकि उसमें पानी को हिसाब से डालना पड़ता था.
तो घर वालों ने फ़ोन पर मकान मालिक की बड़ी लड़की से बात करके उसको थोड़ा मदद करने को कह दिया था.
उसने भी हां कहते हुए मुझसे कहा- आप टेंशन मत लो, हम सब सिखा देंगे.
एक दो बार वे दीदी मुझे आटा गूँथना सिखाने मेरे रूम में आयी थीं.
उन्होंने अच्छे से बताया कि पानी कैसे डालना है और कितना डालना चाहिए.
जब जब वे कमरे में आईं, उन्होंने कभी भी दुपट्टा नहीं डाला होता था और उनके बड़े बड़े गोरे रंग वाले बूब्स, गहरे गले वाले सूट से साफ साफ़ दिखाई देते थे.
मुझे डर लगता था कि कहीं ये देखते हुए देख न लें!
कुछ दिन बाद मैंने कहा- दीदी अब मैं खुद से आटा गूंथ लूंगा.
मुझे डर यह था कि कहीं किसी दिन इनकी मोटी मोटी चूचियां देख देख कर खोपड़ी खराब हो गई और इन पर झपट पड़ा, तो लौड़े लगने में देर नहीं लगेगी.
वैसे भी उनकी चूचियों को देख देख कर कई दिनों से मैं मुठ मार कर खुद को शांत कर ले रहा था.
छोटी वाली लड़की से मेरी बहुत कम बात होती थी क्योंकि समान उम्र की लड़कियों से मुझे अभी भी थोड़ा झिझक होती है.
कुछ दिन बाद मुझे पता चल गया कि घर का माहौल ठीक नहीं है क्योंकि बाप बहुत शराब पीता था और लड़कियों पर बहुत पाबंदी रखता था, उन्हें घर से बाहर नहीं जाने देता था.
उनके आस पड़ोस में लड़के भी नहीं थे, बस कुछ छोटे बच्चे थे … तब भी लड़कियों पर पाबंदी थी.
कुछ दिन बाद से मैंने छोटी वाली की हरकतों पर ध्यान दिया कि यह अब अपना असली रूप दिखा रही थी.
जितनी सीधी यह दिखाई दे रही थी, वैसी वह थी नहीं.
उसको ख़ासकर मेरे और उसकी बहन के बात करने से जलन होती थी.
जब भी हम दोनों बातचीत करते वह बीच में आ जाती और बात करने लग जाती.
इसी तरह से 3-4 महीने बीत गए.
मेरा ध्यान बड़ी वाली पर ज्यादा जाता था क्योंकि मेरे आते जाते टाइम वह हमेशा बहुत प्यार से हाय हैलो करती और हाल चाल पूछती रहती थी.
उसके बात करने के ढंग से भी मुझे वह और अच्छी लगने लगी थी, ऊपर से उसकी गोरी चूचियां और मोटी गांड देख कर लंड खड़ा हो जाता था.
पर तब कुछ कहने की मेरी हिम्मत नहीं हो पाती थी.
जबकि छोटी वाली को घर में ही शिकार मिल गया था.
उसकी नज़र मुझ पर थी.
पहले तो उसको शायद यह लगा था कि वह खुद ही मुझको थोड़ी सी लाइन देगी तो मैं उसके आगे पीछे चक्कर लगाने लगूँगा.
ऐसा मैं इसलिए कह रहा हूँ क्योंकि एक बार वह छत पर मेरे बगल से फ़ोन पर बात करती हुई ‘ऑय हेट यू …’ कहती हुई गई थी.
दूसरी बार भी उसने ऐसी ही कुछ हरकत की थी.
वह कभी किसी छोटे बच्चे को या कुत्ते को मेरे रूम में भेज देती थी और फिर खुद किसी बहाने से आ जाती थी.
मुझे पता तो चल गया था कि यह है तो मेरी फ़िराक में … पर घर में कैसे इससे कुछ बात करूँ या नंबर कैसे लूँ … यह मेरे लिए जरा मुश्किल काम था.
फिर इसका इलाज़ भी उसने खुद ही निकाल लिया था क्योंकि मेरे से ज्यादा आग उसकी टांगों के बीच में लगी पड़ी थी.
एक दिन उसने मुझसे कहा- मेरे फ़ोन पर कॉल करो. मैंने नयी रिंगटोन लगाई है जरा चैक करना है.
यह कह कर उसने मुझे नंबर दे दिया और मैंने कॉल की.
फिर उसने कहा- हां रहने दो, यही ठीक है.
उस समय मोबाइल रिचार्ज बहुत महंगा था. कॉल का अलग, मैसेज का अलग, नेट का अलग.
मैं तो सिर्फ कॉल का रिचार्ज करता था बाकी नेट की जरूरत पड़ने पर ही नेट का रिचार्ज करता था … और मैसेज की जरूरत थी ही नहीं, तो वह वाला रिचार्ज नहीं करता था.
मेरी कोई सैटिंग थी ही नहीं, तो मैसेज का क्या करना था.
उसी रात लगभग साढ़े दस बजे छोटी वाली ने मुझे कुछ जोक्स भेजे.
मैंने उसका नंबर सेव ही नहीं किया था क्योंकि मुझे नहीं पता था कि यह नंबर एक्सचेंज करने का उसका बहाना था!
पर मुझे कुछ अंक देख कर आईडिया हो गया था कि यह शायद इसी का नंबर है … पर कन्फर्म नहीं था क्योंकि कुछ दोस्त भी नए सिम लेने पर फ्री मैसेज भेजते थे.
अगले 1-2 दिन तक उसके 2-4 जोक्स वाले मैसेज आए.
पर मैंने ना कॉल करके पूछा … और ना मैसेज करके.
तीसरे दिन जब मैं दिन में कालेज से आ कर खाना बना रहा था तो छोटी वाली ने मुझसे पूछा- जोक्स कैसे लगे?
मैंने कहा- अरे वह तुम्हारा नंबर है?
तो उसको थोड़ा गुस्सा आया और बोली- क्यों नंबर सेव नहीं किया था क्या?
उसके रूडली बोलने से मुझे भी थोड़ा गुस्सा आया और मेरे मुँह से गलती से निकल गया- भूल जा कि मैं तुझे कभी मैसेज करूँगा.
इतना सुनते ही वह बोली- बोल भी कौन रहा है तुमको मैसेज करने को … हुँह ..!
वह भुनभुनाती हुई चली गयी.
उसके जाते ही मुझे अहसास हुआ कि मैंने थोड़ा ज्यादा गलत ढंग से बात कह दी, जो अक्सर मेरे साथ होता है.
पहले जल्दीबाजी में कुछ की जगह कुछ निकल जाता है, फिर मुझे बाद में महसूस होता है.
शाम को मुझे वह छत पर टहलती हुई मिली.
तो मैंने उसे समझाया कि मेरा बोलने का मतलब वैसा नहीं था.
मेरा कहने का मतलब यह था कि मैं मैसेज का वाउचर नहीं डालता क्योंकि जरूरत ही नहीं है.
तब तक उसका मूड भी ठीक हो गया था; वह भी हंस कर ‘कोई बात नहीं’ कह कर चली गई.
कुछ दिन बाद हमारे एग्जाम्स थे और प्रोजेक्ट बनाना था जिसकी वजह से रात के 9-10 बजे तक हमें कॉलेज में रुकना पड़ता था.
वह कई बार मुझे कॉल करके मोमो बरगर लाने को कहती थी.
उसी वजह से मेरे दोस्तों को पता चल गया था कि हमारी बात होती है.
वे साले मुझे उकसाने लगे कि बात बढ़ा आगे … वर्ना हमें नंबर दे, हम तेरी सैटिंग कराते है … नहीं तो अपनी कर लेंगे!
मैं मना कर देता क्योंकि इसमें पकड़े जाने का डर रहता है.
कुछ दिन बाद मैंने भी मैसेज का रिचार्ज करा लिया और रात को जब सब सो जाते तो हम दोनों चैटिंग करने लग जाते.
एक रात मेरा मूड बना कि आज आर या पार करते हैं … या तो हां या फिर ना!
ऐसे भी चैटिंग करने से मेरी नींद पूरी नहीं हो पाती थी और दिमाग भी इधर उधर लगा रहता, तो मैंने सोचा कि आज पूछ ही लेता हूँ कि आगे का क्या इरादा है!
कुछ देर यूँ ही बात करने के बाद मैंने उससे कहा कि एक बात कहूँ, बुरा तो नहीं मानोगी?
यह वाला मैसेज भेजने पर ही मेरी हालत ख़राब हो रही थी कि रायता न फैल जाए.
तभी उसने रिप्लाई किया कि हां बोलो!
मैंने मैसेज में उसे ‘आई लव यू’ लिख कर भेजा.
लाइफ में पहली बार किसी को ऑय लव यू कहा था.
आप यकीन मानो मेरी हालत बहुत ख़राब हो रही थी और दिल जोर जोर से धड़क रहा था.
करीब दस मिनट तक उसकी तरफ से कोई रिप्लाई नहीं आया तो मेरी हालत और ख़राब होने लगी कि कहीं ये अपने घर वालों को ना बोल दे!
मैंने मैसेज में जल्दी से सॉरी लिख कर भेज दिया कि मैं मजाक कर रहा था और देखना चाह रहा था कि तुम क्या कहोगी!
अब वह अपने नाटक करने लगी- मैंने तुमको कभी उस नजर से नहीं देखा … न तुम्हारे बारे में कभी ऐसा ख्याल आया!
उसकी ऐसी बात सुनकर मुझे हंसी आयी और मैंने फिर से सॉरी लिख कर भेजा- मैं मजाक कर रहा था बस … और कुछ नहीं.
उसने थोड़ी देर तक तो यह वह फलाना ढिमकाना आदि लिख कर भेजा और कहा- आज के बाद तुम मुझसे बात मत करना!
मैंने भी कहा- ठीक है नहीं करूँगा, वैसे भी इतने नाटक मेरे से झेले नहीं जाते हैं.
यह लिख कर के मैंने उस परवर्ट गर्ल का नंबर डिलीट कर दिया.
अगले दिन से मैं अपना सामान्य समय से उठा, नहाना धोना और खाना पका कर कॉलेज जाने वाला रूटीन किया.
रात को मूवी देख कर सोने वाला रूटीन चलने लगा.
कभी मोटी दीदी से सामना हो जाता, तो हमेशा की तरह वे खुद ही से ‘हैलो, कैसे हो भैया’ बोलतीं … और मैं भी उनको हंस कर अच्छे से रिप्लाई देता था.
लेकिन छोटी वाली ना मुझसे बात करती … न मैं उससे करता था.
मैं तो उसे आते जाते हुए इग्नोर भी करने लगा था.
अब तक मैं उसकी हरकतों से काफी वाकिफ हो गया था इसलिए मैंने उससे दूरी बना ली थी.
करीब एक हफ्ते तक ऐसा ही चलता रहा.
फिर एक दिन रात को करीब ग्यारह बजे मेरे रूम के दरवाजे पर मुझे लगा कि शायद किसी ने खटखटाया है.
क्योंकि मैं कंप्यूटर पर मूवी देख रहा था इसलिए मुझे वह आवाज अच्छे से नहीं सुनाई दी थी.
मैं उठा और दरवाजा खोल कर देखा तो कोई नहीं था!
मैं वापस कमरे में आ गया और मूवी देखने लगा.
दस मिनट बाद मुझे फिर से खटखटाने की आवाज़ आयी.
इस बार मैं कन्फर्म था कि किसी ने दरवाजा खटखटाया है.
मैंने फिर से दरवाजा खोला और देखा तो कोई नहीं था लेकिन दरवाजे के नीचे एक कागज़ गोल-मोल रोल करके रखा था.
मैंने कागज़ उठाया और कमरे में आ गया. कागज़ खोल कर देखा तो उसमें लिखा था- क्या हम नॉर्मली रह कर बात नहीं कर सकते?
फिर मैंने उसी कागज़ पर अपना नंबर लिख कर लिखा कि मुझे मैसेज करो.
उस कागज को मैंने वापस वहीं रख दिया.
वह सोई नहीं थी, तुरंत थोड़ी देर में मेरे फ़ोन पर मैसेज आ गया कि बोलो!
मैंने कहा- सबसे पहले तो ये कागज़ जला देना … और ऐसी बेवकूफी दुबारा मत करना! अगर ये कागज़ किसी और के हाथ लग जाता तो दोनों की लग जाती.
वह ओके बोली.
फिर कुछ दिन मैंने सिर्फ उतनी ही बात की, जितना वह करती थी.
तीन चार दिन बाद उसने मुझसे मैसेज में पूछा- तुम तो बड़े शरीफ लगते थे और लड़कियों को प्रोपोज़ करने वाले निकले!
मैंने उसको बताया- एक तो यह मेरा फर्स्ट टाइम था जब मैंने किसी को ऑय लव यू बोला था … और दूसरा यह कि मैं तुम्हारा रिएक्शन देखना चाह रहा था क्योंकि मुझे पता है कि तुम रिलेशनशिप में हो!
यह सुनकर वह कहने लगी- नहीं, मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है. तुमको ऐसा किसने कहा?
मैंने ही उसको याद दिलाया कि छत पर एक दिन तुम फ़ोन पर ऑय हेट यू ऑय हेट यू रिपीट करके मेरे पीछे से गुजर रही थीं!
वह कहने लगी- नहीं, वह मेरा एक फ्रेंड है … जो मुझे लाइक करता है. वह यह सब कह रहा था तो इसलिए मैं उसे ऑय हेट यू कह रही थी.
पर मैं इस बात पर अड़ गया कि मैंने ऑय लव यू सिर्फ तुम्हारा रिएक्शन चैक करने के लिए कहा था बाकी कुछ नहीं.
अब मैं उसको चिढ़ाने लगा.
मुझे उसको चिढ़ाने में बहुत मजा आ रहा था.
उस दिन मैं उसके दिमाग में यह बात डाल कर सो गया कि मैं सिर्फ चैक कर रहा था.
उसको मेरी यह बात हज़म नहीं हो रही थी.
उसे लगता था कि वह तो बहुत सुन्दर है और सब मेरे पीछे पड़े रहते हैं … और यह कह रहा है कि यह सिर्फ मजाक कर रहा था … न कि सीरियसली कहा था.
एक दो दिन तक वह यही बात पूछने में लगी रही कि क्या सच मैं तुम प्रपोज़ नहीं कर रहे थे … और बस चैक कर रहे थे!
मैं समझ गया कि जो मैं चाह रहा था, वही हो रहा है.
उसको इस बात से इतनी बेचैनी हो गयी थी कि उसकी नींद उड़ गयी थी.
तीसरे दिन मैं कॉलेज से लेट आया और आकर सीधा सो गया.
लगभग एक घंटे बाद वह मैसेज करने लगी.
पर मैं नींद में था तो उसने मिस कॉल करके मुझे जगा दिया.
मैंने मैसेज करके पूछा- क्यों कॉल कर रही हो, सो जाओ यार … और मुझे भी सोने दो!
तो उसकी बात सुन कर मैं हंसने लगा क्योंकि अब वह मुझे ‘आई लव यू’ कह रही थी.
पर मैं उस परवर्ट गर्ल के नखरे देख चुका था तो मैंने कहा- हां, मैं जानता हूँ कि तुम मुझसे बदला लेने के लिए यह नाटक कर रही हो!
वह कहने लगी- नहीं, सच में मैं तुमको पसंद करती हूँ!
मैं- फिर जब मैंने तुमको उस रात कहा, तब तुमने मना क्यों किया!
तो वह कहने लगी कि मैं डर गयी थी … और मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि क्या कहूँ.
मैंने कहा- मुझे तुम पर भरोसा नहीं है. इसलिए तुमको पहले यह साबित करना होगा कि तुम सही कह रही हो.
उसने कहा- ओके साबित कैसे करूँ … तुम्हीं बताओ?
अब मेरा डर कम हो चुका था क्योंकि इस बार पहल उसने की थी.
मैंने कहा कि मुझे किस चाहिए पहले, तब मानूंगा वर्ना नहीं.
कुछ देर तक तो वह फिर वही नाटक करने लगी कि नहीं, ऐसा नहीं होता.
पर मैं अपनी बात पर अड़ा रहा.
आखिर में वह राज़ी हो गयी.
दोस्तो, दिव्या मेरे साथ किस हद तक जाने को राजी हुई थी और वह मेरे लौड़े के नीचे किस तरह से आई, यह मैं आपको अपनी सेक्स कहानी के अगले भाग में विस्तार से लिखूँगा.
परवर्ट गर्ल की कहानी पर आप अपनी राय मुझे मेल कर सकते हैं.
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परवर्ट गर्ल की कहानी का अगला भाग: ठरकी लड़की के साथ पहली चुदाई का मजा- 2
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