पाँच लड़कियों ने मिलकर मुझे चोदा -3
(Panch Ladkiyon Ne Milkar Mujhe Choda-3)
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धीरे-धीरे प्रियंका की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी, वो मेरे मुंह में आकर बैठ गई और अपनी बुर को मेरे मुख से जोर-जोर से रगड़ने लगी, वो मुझे अपनी बुर को कच्चा चबा जाने के लिये आमंत्रण दे रही थी।
बहुत देर से हम लोग एक दूसरे को जिस्म को केवल चुपचाप चाट रहे थे ताकि आवाज के वजह से कोई जाग न जाये लेकिन जब हम लोग के मुँह से आवाज आना शुरू हुई तो प्रियंका ने मेरे कान में छत पर चलने के लिये कहा ताकि हम लोग खुल कर मजा ले सकें।
हम दोनों एक गद्दा लेकर छत पर चल दिये, जैसे ही दोनों लोग छत पर पहुँचे, प्रियंका ने मेरे हाथ से गद्दा लिया और एक तरफ फेंकते हुए मुझसे चिपक कर मेरे होठों को कस कर चबाने लगी और मेरा हाथ उसके चूतड़ों पर चला गया और मैं उसे दबाने लगा।
जब उसने मेरे होठों को अच्छी तरह से चबा लिया और मुझसे अलग हुई तो उसका गला सूखने लगा वो बार-बार अपने थूक को गले के नीचे उतार रही थी और मन ही मन बुदबुदा रही थी।
मैंने कहा- क्या हुआ?
तो बोली- चुदने के चक्कर में मैं मदरचोद पानी लाना भूल गई, और प्यास बहुत तेज लगी है।
मैंने कहा- जाओ, पानी पीकर आ जाओ तब तक मैं भी पेशाब कर लूँ।
मेरे इतना कहते ही उसके आँखो में चमक आ गई- अरे, तेरे को पेशाब आ रही है और तू बोल नहीं रहा और मैं प्यास से मरी जा रही हूँ। चल अभी मूत कर, मैं पी कर प्यास बुझा लेती हूँ।
कहकर वो घुटने के बल बैठ गई और मेरे लौड़े को पकड़ कर अपने होंठों के पास ले जाकर मुँह खोल दिया और मुझे पेशाब करने का इशारा करने लगी।
मैंने हिचकते हुए धीरे से लण्ड का नल चला दिया और प्रियंका ने मेरे लौड़े के नल से निकलते हुए एक-एक बूँद को पी लिया।
मैं भी अपने जोश पर आ चुका था, दोस्तो जैसा कि आप को मालूम है मुझे सेक्स का जब तक मजा नहीं आता जब तक कि शरीर के रोम-रोम में उत्तेजना का का संचार न हो। और प्रियंका मेरे रोम-रोम में कुछ ऐसा ही उत्तेजना का संचार कर रही थी, वो ट्टटी करते समय जिस पोजिशन में बैठते हैं, उसी पोजिशन में बैठते हुए बोली- मेरी बुर को चाटो।
मैंने भी कुत्ता जिस तरह दुबक कर कहीं छिपने की तैयारी करता है उसी पोजिशन के साथ मैं भी उस गुफा के द्वार पहुँच गया और कुत्ते के तरह अपनी जीभ लपलपाने लगा और उसकी बुर चाटने लगा।
इस अवस्था में उसकी बुर को चाटने का एक अलग आनन्द था और स्वाद भी और अजीब सा लग रहा था। खुरदरी जमीन पर उल्टा लेटे होने के कारण मेरा लण्ड जमीन पर रगड़ रहा था और एक अजीब सी खुजली आगे के हिस्से में हो रही थी जिसके कारण मैं अपने लण्ड को और खुजला रहा था।
कुछ देर बाद प्रियंका का पानी छूट गया और इधर जमीन पर लण्ड रगड़ने से मेरा पानी भी छूट गया।
प्रियंका खड़ी हुई और उसको खड़ा होते देख कर मैं भी खड़ा होने की कोशिश करने लगा। तभी उसने अपने पैर मेरे पीठ पर रखते हुए मुझे उसी पोजिशन पर लेटे रहने का इशारा किया और मेरे पीछे आकर मेरी गाण्ड के छेद को नाखूनो से कुरेदने लगी।
‘मादरचोद…’ मेरे मुँह से निकल गया और अपनी गाण्ड को उसके नाखूनों की खुरचन से बचाने के लिये हिलाने-डुलाने लगा।
उसके बाद वो मेरे चूतड़ों को पकड़ कर फैलाने लगी जिससे मेरी गांड का छेद खुल गया, फिर अपनी बुर को पोजिशन में लाकर मूतने लगी, उसकी मूत की धार मेरे गाण्ड में सुरसुराहट पैदा कर रही थी, उसके गर्म-गर्म पेशाब की धार से मेरी गाण्ड का बुरा हाल था।
उसके बाद मेरे को लात मारते हुए उलटने को कहा।
और जब मैं पलटा तो वो मेरे मुँह में चढ़ कर बैठ गई और अपनी बुर को मेरे से रगड़ने लगी, ऐसा लग रहा था कि उसकी बुर में बहुत खुजली हो रही थी, इतनी तेज-तेज़ वो रगड़ रही थी कि मेरे होंठो में जलन हो रही थी।
इधर मेरा लण्ड भी टाइट हो चुका था, मैंने उसको पकड़ कर जमीन पर लेटा दिया और उसके ऊपर चढ़ कर अपने लण्ड से उसकी बुर को रगड़ने लगा, मुझे ऐसा लगा कि मैंने अपने लण्ड को किसी आग की भट्टी में डाल दिया है।
तब मुझे समझ में आया कि क्यों प्रियंका इतनी तेज-तेज मेरे मुँह से अपने बुर को रगड़ रही थी। तभी प्रियंका अपनी कमर को उठाने का प्रयास करती हुई बोली- जानम, अब बर्दाश्त नहीं हो रहा है। आज तुम इस कुएं में उतर जाओ और खोद-खोद कर इसको खाई बना दो, मुझे चोद दो, मुझे चोद दो।
कहकर अपनी चूचियों को रगड़ने लगी।
मैंने भी देर करना उचित नहीं समझा और उसके बिल में अपना चूहा घुसेड़ने का प्रयास करने लगा लेकिन उसके बिल में इतनी फिसलन थी, बार-बार प्रयास करने में भी अन्दर नहीं जा रहा था और मुझे गुस्सा भी आ रहा था। ऐसा लग रहा था कि मैं इस खेल में फिसड्डी खिलाड़ी हूँ।
मैं प्रियंका की कोमलता को देखकर कोई जोर जबरदस्ती नहीं करना चाहता था पर जब अपनी इज्जत पर बन आई तो मैंने भी आव देखा न ताव और एक जोर का झटका देकर उसके बिल में थोड़ा सा प्रवेश करा दिया, उसके मुँह से एक जोर की चीख निकली, मैंने तुरंत ही उसका मुँह अपनी हथेली से दबा दिया और उसके उपर लेट गया क्योंकि वो मुझे झटका देकर निकलना चाह रही थी, उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे।
मैंने अपनी जीभ मेरी नई दिलरूबा के बहते हुए आँसुओं को सोखने में लगा दी और दूसरे हाथ से उसकी चूची को मसलना शुरू किया, उसके आँसुओं में इस समय मिठास थी।
इससे उसने धीरे-धीरे अपने शरीर को हल्का करना शुरू किया, यानि उसे रिलेक्स मिल रहा था। कुछ देर बाद उसने अपनी गाण्ड को उचकाना शुरू कर दिया, इशारा समझ कर मैंने लण्ड को हल्का सा बाहर किया और एक तेज़ झटका और दिया और मेरा पूरा लण्ड उसकी बुर के छेद में जाकर रास्ता बना चुका था।
मेरे लण्ड के झटके को वो बर्दाश्त नहीं कर पाई और उसका पाद निकल गया।
उसके पाद की आवाज सुनकर मुझे हँसी आ गई तो वो गुस्सा होती हुए बोली- मादरचोद, एक तो मेरे बुर की माँ चोद दी और ऊपर से हँस रहे हो।
मैंने कहा- मैं हँस इसलिये रहा हूँ कि जहाँ से ये आवाज आई है, जब उसमें लौड़ा घुसेगा तो उसकी क्या हालत होगी।
‘न बाबा न मैं अपनी गाण्ड नहीं चुदवाऊँगी।’
मैं उसका ध्यान उसके दर्द से हटाने के लिये कभी उसकी चूची चूसता तो कभी उसके होंठों से कारस्तानी करता और कभी-कभी अपने लण्ड को हल्का सा हिलाकर उसे मनाने की कोशिश करता क्योंकि मेरे लौड़े में चुनचुनाहट सी होने लगी थी और लण्ड महाशय भी प्रियंका के बुर रूपी खेत में पड़े-पड़े बोर हो रहे थे उसे अब खेत को जोतना था बस सिगनल मिलने की देरी थी और सिगनल मिल भी गया, प्रियंका ने अपने चूतड़ हिलाना शुरू कर दिया था।
तुरंत ही मैंने अपने हथियार को बाहर निकाला और दूसरा झटका देते हुए उसकी चूत में प्रवेश कर गया। मेरे घर्षण से उसका योनि द्वार ढीला पड़ना शुरू हो गया और फच फच की आवाज आने लगी, ऐसा लग रहा था कि उसने पानी छोड़ दिया था।
मेरी कमर दर्द करने लगी और मैं जोर-जोर से धक्के पे धक्के लगाया जा रहा था ताकि मेरा पानी छूटने लगे पर लण्ड महोदय भी कहाँ मानने वाले थे, उनको तो मजा आ रहा था।
2-3 मिनट बाद मुझे अहसास हुआ कि मैं कभी भी झर सकता हूँ, मैंने तुरन्त अपने नागराज को बाहर निकाला और प्रियंका के सीने में चढ़ कर उसके दोनों चूचियों के बीच लंड को फंसा कर चोदने लगा।
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दो चार धक्के लगाने के बाद मैं झर गया और मेरा पूरा वीर्य उसकी गर्दन और ठुड्डी में फैल गया और मैं निढाल होकर उसके ऊपर गिर गया।
थोड़ी देर बाद वो उठने लगी पर वो हिल नहीं पा रही थी, मैंने उसे गोदी में उठाकर पूछा- मजा आया?
उसने मेरे निप्पल में चिकोटी काटी और बोली- तुम्हें मजा आया या नहीं?
मुझे भी हँसी आ गई।
तभी वो बोली- अब मैं थक गई हूँ।
‘हाँ, थक तो मैं भी गया हूँ लेकिन तुम्हारी गाण्ड पता नहीं मुझे सोने देगी या नहीं?’
‘ओहो, मेरी बुर का बाजा तो बजा दिया और गाण्ड के पीछे पड़ गये हो?’
‘देखो, मैं बहुत बड़ा चोदू आदमी हूँ और लड़की हो या औरत बुर के साथ गाण्ड नहीं मारता लेता, तब तक मेरे लौड़े को चैन नहीं मिलता।’
‘ठीक है, कल से तुम्हारे लौड़े को शिकायत का मौका नहीं मिलेगा, हम लड़कियों का जो छेद चाहोगे वो तुम्हें मिलेगा। चलो, अब सोते हैं। कल से हम लोग केवल मस्ती करेगें। और देखना कि तुम्हें कितना मजा आता है। अभी तक तुम लड़कियों को चोदते थे, कल से हम लड़कियों से तुम चुदोगे।
मैं उसे गोद में उठा कर नीचे ले आया।
प्रियंका ने मुझसे फुसफुसाते हुए कहा- तुम हमारे बीच में लेटो।
मैं उसकी बात मानते हुए सिकदा और सोनम के बीच में सीधा होकर लेट गया।
प्रियंका ने सिकदा और सोनम के पैरों को मेरे ऊपर रख दिया और मेरे लंड को सिकदा के हाथ में दे दिया।
प्रियंका को चोदने के बाद मुझे थकान आ जाने के कारण कब नींद आ गई मुझे पता ही नहीं चला।
कहानी जारी रहेगी!
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