पहली गर्लफ्रेंड के साथ चुदाई के सफर की शुरुआत-1

(Pahli Girlfriend Ke Sath Chudai Ke Safar Ki Shuruat- Part 1)

This story is part of a series:

दोस्तो, मैं आप सबका आर्यन फिर से हाज़िर हूं अपने जीवन का एक और किस्सा लेकर। उम्मीद है आपको मेरी यह कहानी भी पसंद आएगी जिस तरह आप सबने मेरी पिछली कहानी को खूब सराहा और कमेंट और मेल किए। खासकर उन सभी लड़कियों का जिन्होंने मुझसे मिलने की इच्छा जताई और जो मेरी दोस्त बनी। आप सबका बहुत-बहुत शुक्रिया।

एक बात और बोलना चाहूंगा, बोलना नहीं निवेदन है उन लोगों से जिन्होंने मेरी पिछली कहानी
कोटा की स्टूडेंट की कुंवारी चूत
जो कई भागों में प्रकाशित हुई थी, पढ़कर आग्रह किया कि मैं उन सबको स्नेहा की मेल आई.डी. दूँ या कोई और लड़की दूँ जिससे वो सब अपना शौक पूरा करें।

मैं यहां कोई कहानी लिख रहा हूं और लड़की का नाम बदल रहा हूं जिसका सीधा मतलब है कि मैं उन्हें बदनाम नहीं करना चाहता। और जितनी भी लड़कियां मुझसे जुड़ी हैं इसका मतलब यह नहीं है कि मैं उनकी पहचान आपसे भी करवाऊं वो भी उनकी इज़ाज़त के बिना। ना ही मैं यहां आपके लिए लड़की की व्यवस्था करने के लिए हूं। कहानी सच्ची है और सिर्फ आपके मनोरंजन के लिए है। तो ऐसी कोई अपेक्षा मत रखिएगा। थोड़ा सोचिएगा।

जो कोई मेरे बारे में नहीं जानते वो मेरी पिछली कहानी ज़रूर पढ़ें। और उन सबसे माफी चाहता हूँ जो मेरी पहली चुदाई जो स्कूल टाइम की है वो नहीं लिख रहा क्योंकि वो नादानी में हुई है और इतनी दिलचस्प भी नहीं है कि आपकी कामवासना शांत हो। अब कहानी पर आता हूँ।

यह कहानी मेरी पहली चुदाई की किरदार सुहानी की ही है। उस पहली बार में जो हमारे बीच हुआ था वो नादानी में हुआ खेल था जिस में हम दोनों को सेक्स का ज़्यादा ज्ञान नहीं था और इतना कुछ कर भी न पाए थे जिस में दोनों को मज़ा आए।

हम दोनों एक ही क्लास व स्कूल में पढ़ते थे. स्कूल खत्म होने के बाद मैं बड़ी ब्रांच में शिफ्ट हो गया मगर सुहानी ने शायद किसी दूसरे स्कूल में एडमिशन ले लिया।

तब कोई मोबाइल भी नहीं हुआ करता था हमारे पास जैसा अब हुआ करता है सबके पास। सोशल नेटवर्किंग में भी मेल और ऑरकुट ही हुआ करता था चैट के लिए(जो अब नहीं रहा) जिस में ना उसने मुझे फ्रेंड बनाया ना मैंने उसे। मैंने भी उसके बारे में किसी से कुछ नहीं पूछा और ना ही मैंने किसी से सुहानी के बारे में सुना।

नए दोस्त और नए स्कूल में एडजस्ट होने में शायद हम एक दूसरे से ना मिल पाए और ना ही कभी मुलाकात हुई फिर।

इस दौरान काफी लड़कियों से दोस्ती हुई और कुछ से कुछ करीबी दोस्ती हुई मगर किसी से बात आगे नहीं बढ़ा पाया या यूं कहूँ कि हिम्मत नहीं हुई कुछ करने की और पढ़ाई में बीत गया समय।
परीक्षा खत्म होने के बाद कोचिंग क्लास में एडमिशन भी लिया। कोचिंग का नया बेच शुरू हुआ और पहले ही दिन मेरी मुलाकात सुहानी से हुई। देखते ही सुहानी ने भी मुझे पहचान लिया। वो अपनी सहेली के साथ में मुझसे आकर मिली, हाथ मिलाया और पूछने लगी- तुम कोटा में ही हो, और यहां किस बैच में हो?
मैं बोला- आज से जो नया बैच शुरू हो रहा है, उसी में हूँ। और मुझे लगा शायद तुमने कोटा छोड़ दिया होगा।

फिर वो जाने लगी और मुड़कर पूछा- बैच शुरू होने वाला है, अंदर नहीं आ रहे क्या?
मैं- तुम चलो, मैं आ जाऊंगा, एक्चुअली मेरा फ्रेंड आने वाला है, दोनो साथ ही बैठेंगे।
सुहानी ‘अच्छा’ बोलकर हंसकर अंदर जाकर बैठ गयी।

अब मैं सुहानी के बारे में कुछ बताना चाहूंगा। कोई 2-3 साल में इतना निखर/बदल सकता है, सुहानी इसका एक उदाहरण है। ये वो सुहानी नहीं थी जिससे मेरा रिलेशन 2-3 साल पहले बना था। सुहानी पहले भी गोरी-चिट्टी थी मगर अब उसका चेहरा और बदन इतना निखर गया था कि उसके चेहरे में पसीने की बूंद भी मोती लगे और खुले बाल भी मस्त थे। बालों में बीच बीच में ब्राउन कलर का शेड सुहानी पर बहुत अच्छा जंच रहा था। उसकी सुंदरता का बयान शब्दों में नहीं कर सकता इतनी मस्त लग रही थी सुहानी।

कुछ देर में मेरा दोस्त भी आ गया और फिर हम दोनों भी साथ अंदर जाकर बैठ गए। क्लास में एक तरफ लड़कियां और दूसरी तरफ लड़के थे।

अब धीरे-धीरे दिन बीतते गए और हमारी दोस्ती फिर परवान चढ़ने लगी। इस बीच मुझे लगने लगा कि सुहानी शायद चुद चुकी होगी वर्ना किसी लड़की में और उसके बदन में इतना निखार आना मुश्किल ही है। उसकी बातों में भी बोल्डनेस थी। शायद वो जिस स्कूल में पढ़ती थी उसका भी असर हो क्योंकि वो जिस स्कूल में पढ़ती थी उस स्कूल की इमेज उतनी साफ नहीं थी। हर लड़की का रिलेशन बनना सामान्य ही था उस स्कूल में।

अब उसके पास भी और मेरे पास भी मोबाइल आ चुका था। छोटा था मगर उस वक़्त उतना होना भी बड़ी बात होती थी। तब मोबाइल में मैसेज ऑफर्स भी अच्छे हुआ करते थे जैसे 36₹ में 36000 मेसेज। तो मैसेज में हम बात करने लगे थे।

कुछ दिन बाद मैंने पूछ लिया- तुम इतनी निखर कैसे गई, राज़ क्या है इस निखार का?
सुहानी- सिर्फ निखरी हूँ या अच्छी दिखने लगी हूँ?
मैं- इतनी मत उड़ो बेबी, पहले से ज़्यादा अच्छी दिखती हो, बस!

सुहानी- ओहो बेबी, पुरानी बेबी याद आ गयी क्या?
मैं- पुरानी क्यों, वही तो वापस मिली है मुझे। बस वर्शन बदला है। बाकी है तो वही सुहानी!
सुहानी- मतलब भूले नहीं हो अब भी? मगर तुम बिल्कुल नहीं बदले, चेहरा वही है बस हाइट बढ़ गई थोड़ी।

मैं- क्यों, अब अच्छा नहीं दिखता?
सुहानी- मैंने ऐसा तो नहीं कहा, पहले भी अच्छे थे अब भी स्मार्ट हो। ओके गुड़ नाईट, कल मिलते हैं। बोलकर मोबाइल स्विच ऑफ कर दिया शायद।
मगर अगले दिन सुहानी कोचिंग नहीं आयी और ना ही उसकी सहेली। मैसेज का भी जवाब नहीं आया।

कोचिंग के बाद घर पहुंचा, थोड़ा कुछ खाया पिया और टीवी देखने बैठा ही था कि सुहानी का मैसेज आया तो मैं मोबाइल लेकर अपने कमरे में जाकर मैसेज से बात करने लगा।
सुहानी- हाय!
मैं- हाय, आज कोचिंग क्यों नहीं आई? कहाँ गायब थी?
सुहानी- थोड़ी बिजी थी, कुछ काम था इसलिए नहीं आ पाई।
मैं- बिजी … सीधे बोल दो बॉयफ्रेंड के साथ घूम रही थी।
सुहानी- अच्छा, बिजी मतलब बॉयफ्रेंड? सिम्मी का बर्थडे है आज, तो साथ ही बंक मारा था हमने।

मैं- अच्छा, इसलिए सिम्मी भी नहीं आई थी आज, मुझे भी बता देती, मैं भी जॉइन कर लेता तुम दोनों को!
सुहानी- हम बेस्ट फ्रेंड्स हैं तो मुझे ही बुलाएगी ना वो, तुम्हें क्यों? तुम्हें तो अच्छी तरह जानती भी नहीं है वो।
मैं- तुमने बताया नहीं उसे अपने बारे में?
सुहानी- नहीं बताया, पुरानी बात थी, उसके बाद ही मेरी फ्रेंड बनी है वो।

मैं- अच्छा अच्छा बेबी, ठीक है, गुस्सा मत हो यार!
सुहानी- गुस्सा नहीं हूं। चलो छोड़ो वो सब, तुम बताओ कैसी है तुम्हारी गर्लफ्रेंड?
मैं हंसते हुए- मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है डियर अब तक!
सुहानी- झूठ मत बोलो आर्यन, तो नेहा कौन है?

मैं सुहानी का मैसेज देखकर चोंक गया और बोला- नेहा, मेरी बस एक अच्छी फ्रेंड है बस मगर तुम कैसे जानती हो उसे?
सुहानी- बड़े आए, अच्छे फ्रेंड। मुझे तुम्हारी सब खबर थी।
मैं- मतलब पूरी इनफार्मेशन रखती थी मेरी। मुझे तो लगा तुम भूल गयी होगी मुझे!
सुहानी- कैसे भूल सकती थी पागल। तुम तो भूल गए थे मुझे। मगर मैं तुम्हारे बारे में पूछती रहती थी रिया से।

रिया जानती थी अपने रिलेशन के बारे में। रिया भी स्कूल हमारे साथ ही थी मगर फिर रिया मेरे स्कूल में अलग सेक्शन में थी और सुहानी अलग स्कूल में चली गयी.

मैं- तो कभी मिलने का भी नहीं सोचा!
सुहानी- तुम तो आगे बढ़ गए थे ना, काफी है। मगर मैं फिर किसी रिलेशन में नहीं पड़ी।
उसने ये बोल तो दिया मगर मुझे विश्वास नहीं हुआ- अच्छा हुआ ना, वर्ना इतनी सुंदर होकर वापस कैसे मिलती मुझे।

फिर सुहानी का कोई मैसेज नहीं आया उस दिन। मगर मैं सुहानी के बारे में ही सोचता रहा रात भर। सोचते सोचते सो गया। मैंने सोच लिया था कि सुहानी को फिर अपना बना लूं, कहीं हाथ से निकल ना जाए। अगर राज़ी हुई तो मुझे अपना बना लेगी और ना हुई तो कम से कम दोस्त तो रहेगी ही, इतनी सुंदर दोस्त होना ही बड़ी बात थी मेरे लिए।

अगले दिन मैं कोचिंग गया। अंदर गया तो सुहानी पहले ही आ चुकी थी। मैं उसी ‘रो’ में बाहरी कोने में बैठा जिस ‘रो’ में सुहानी बैठी थी। क्लास शुरू हुई, तो बीच में ‘सर’ अभी आता हूं बोलकर बाहर चले गए।
मैंने हिम्मत जुटाई, सुहानी के हाथ को छुआ तो सुहानी ने भी मुझे देखा तभी मैंने पूरी क्लास के सामने सुहानी को प्रोपोज़ कर दिया- सुहानी आई लव यू … सॉरी पुरानी बातों के लिए … प्लीज!
सब स्टूडेंट्स जो क्लास में थे शायद यही सोच रहे थे कि पुरानी बात क्या हुई इनके बीच। मगर हमें पता थी।

इतना होने के बाद सुहानी ने अपने दोनों हाथ से अपनी नाक और मुंह को ढक लिया और चौंक गयी मेरे ऐसे सबके सामने प्रोपोज़ करने से।
मैं फिर बोला- प्ली…ज़!
और इतने में ‘सर’ आ गए और मैं एकदम चुप।
सब हंसे। डर था कि कोई बोल ना दे मगर किसी ने कुछ नहीं बोला और ‘सर’ पढ़ाने लगे।

अब मैं घबराया और डरा हुआ था कि मेरा इस तरह सुहानी को प्रोपोज़ करना ठीक था या नहीं और सुहानी का रिएक्शन क्या होगा अब आगे। शायद नाराज़ हो जाये या बात भी न करे और ‘ना’ भी बोली तो दिल टूटेगा वो अलग। घबराहट में सूझा ही नहीं कि मान भी तो सकती है। जोश-जोश में प्रोपोज़ तो कर दिया, अब फट रही थी मेरी।

कुछ देर पढ़ते-पढ़ते सुहानी ने मुझे घूरा। मैंने हल्का सा हंसकर उसे देखा। मगर उसने गुस्से में आंखें बनाई और ऐसे लगा अगर क्लास में कोई होता नहीं तो खा जाती मुझे। फिर मुंह मोड़ लिया और पढ़ने लगी।

फिर दस मिनट में सुहानी ने अपने सिर में हाथ रखा। मुझे लगा शायद उसे सिर दर्द हो रहा होगा मगर सिर में हाथ रखकर सिर घुमाया और मेरी ओर देखा। उसके मेरी और देखने से मेरा ध्यान भी सुहानी पर गया। फिर उसने कुछ सोचते हुए अपने दांतों से अपने निचले होंठ को काटा और मुस्कुराकर आंख मारी। मेरे मन में लड्डू फूटने लगे जैसे कोई खज़ाना हाथ लग गया हो।

फिर वो मुड़ी और पढ़ने लगी और मैं भी।

मगर अब मेरा मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था। नज़र बार बार सुहानी को देख रही थी। मगर उसका ध्यान बस सामने की ओर, हाथों में पेन और पेन का निचला हिस्सा दांतों के बीच। उसके बालों की एक तरफ की लट भी, क्या कहूँ। उसके चेहरे का वो आधा हिस्सा भी मुझे मजबूर किये जा रहा था कि नज़र न हटाऊँ मगर अच्छी बात ये भी थी कि क्लास खत्म होने वाली थी। अब मेरी फिर फटने लगी कि वो शायद मान तो गई मगर अब मुझे उसे फेस करने में घबराहट भी हो रही थी।

क्लास खत्म हुई। सब उठकर निकलने लगे।
कहानी जारी रहेगी.
[email protected]

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