पहली चूत चुदाई में की जन्नत की सैर -1
(Pahli Chut Chudai Me Ki Jannat Ki Sair-1)
सभी दोस्तों को मेरा नमस्ते.. मैं यह कहानी इसलिए लिख रही हूँ क्योंकि मैंने अन्तर्वासना पर इस तरह की बहुत सी कहानियाँ पढ़ी.. उसी में मैंने एक लेखिका की कहानी पढ़ी थी.. जिसने उसने लिखा था कि यह मेरी रियल सेक्स स्टोरी है..
तो मेरा भी मन भी मेरे जीवन में घटित एक घटना को यहाँ पर लिखने का हो गया कि मैं भी अपनी दास्तान लिखूँ।
तो सुनिए मेरी कहानी.. मेरा नाम श्रुति है.. मैं सूरत में अपनी फैमिली के साथ रहती हूँ। मेरी फैमिली में मॉम-डैड और छोटा भाई व छोटी बहन है। मैं घर में बड़ी हूँ.. तो घर की कुछ जबावदारी मुझ पर रहती है, बाजार आदि का सारा काम मुझे ही संभालना पड़ता है। हम एक कॉलोनी में रहते हैं.. वहाँ सब रेलवे वाले रहते हैं।
मेरे पापा भी रेलवे में काम करते हैं। हम सब कॉलोनी वाले मिल-जुल कर रहते हैं। कॉलोनी में जब भी किसी को कोई काम होता तो हम सब एक-दूसरे की हेल्प करते हैं।
अब मैं आपको वो रियल स्टोरी बताने जा रही हूँ.. जब पहली बार मेरा कुँवारापन खत्म हुआ।
यह 3 साल पहले की बात है.. उस समय मेरी उम्र 19 साल की थी.. मैं एकदम गोरी हूँ.. तब मेरी फिगर 32-28-34 की थी.. टाइट जीन्स में मेरे नितंबों का उभार पूरा बाहर दिखता था.. लड़के मुझे पलट कर देखने से नहीं चूकते.. मुझे भी लड़कों को ऐसे तड़पाना अच्छा लगता है।
उसी कॉलोनी में एक अंकल-आंटी रहते थे.. उनकी शादी को 6 साल हो गए थे.. पर उनके कोई बच्चा नहीं हुआ था।
अंकल का नाम विजय था.. उनकी बॉडी भी बहुत खूब लगती थी, मैं उनको अंकल ही कहती थी।
उनका अक्सर हमारे घर आना-जाना होता था। शाम को मैं और आंटी थोड़ा घूमा भी करते थे।
बहुत सालों के बाद भगवान ने आंटी की सुन ली और आंटी प्रेगनेंट हो गईं.. डॉक्टर ने आंटी को आराम की सलाह दी। आंटी ने घर में काम करने के लिए एक नौकरानी रख ली.. वो घर का सारा काम करती।
अब आंटी भी मेरे साथ घूमने नहीं जाती थीं.. इसलिए मैं ही अक्सर आंटी के घर जाकर मिल लेती थी।
आंटी के सब ठीक-ठाक चल रहा था। अब आंटी का 9 वां महीना चल रहा था.. इसलिए आंटी का विशेष ध्यान रखा जाता था।
अभी तक अंकल नाइट ड्यूटी करते थे तो आंटी अकेली रह जाती थीं.. लेकिन अब आखिरी महीना था.. इसलिए अंकल कोई रिस्क नहीं लेना चाहते थे। इसलिए नाइट में आंटी के पास किसी को सुलाना ज़रूरी था.. ना जाने कब कोई ज़रूरत पड़ जाए।
एक दिन जब वो इस टॉपिक पर बात कर रहे थे तो मैं वहाँ पहुँच गई।
आंटी ने मुझसे कहा- तुम आज से कुछ दिन तक मेरे पास सोया करोगी.. क्योंकि अब तुम्हारे अंकल की नाइट ड्यूटी है।
चमैंने कहा- आप मेरे पापा से पूछ लेना अगर पापा ‘हाँ’ कह देंगे तो मैं सो जाऊँगी।
उन्होंने पापा से अपनी मजबूरी बताई तो पापा ने ‘हाँ’ कह दिया। अब मैं नाइट को 10 बजे आंटी के घर सोने को चली जाती।
आंटी का घर हमारे घर से बिल्कुल पास था। आंटी और हम दोनों एक ही बिस्तर पर सोते थे.. क्योंकि आंटी के एक ही बिस्तर था। उनका बिस्तर भी डबलबेड था इसलिए आराम से सो जाते थे। आंटी और मेरे बीच में आंटी तकिया लगा देती थीं.. ताकि मैं आंटी के करीब जाकर उनको किसी प्रकार की तकलीफ़ न पहुँचा सकूँ।
इस तरह 5 रातों तक तो हम सामान्य सोते रहे.. कोई प्रॉब्लम नहीं हुई लेकिन वो छटवीं रात मेरे जीवन की सबसे भयानक रात साबित हुई, उस रात को मैं कभी नहीं भूल पाऊँगी।
वो ठंड की रात थी.. दिसंबर का महीना था, ठंड अधिक होने के कारण हम दोनों रजाई वगैरह ओढ़ कर सोते थे, मैं और आंटी रात को सो गए।
उस रात को मैं गहरी नींद में सो रही थी, मैं इतनी गहरी नींद में थी कि अंकल कब आंटी और मेरे बीच में आकर सो गए.. पता ही नहीं चला, लेकिन रात को मुझे ऐसा लगा कि मेरी रज़ाई में कोई है।
मैंने सोचा कि आंटी होंगी.. मैं सो गई क्योंकि कमरे में बहुत अंधेरा था। तभी मुझे लगा कि आंटी मुझे चिपक रही हैं लेकिन ठंड इतनी ज़्यादा थी कि मैंने उन्हें दूर नहीं किया और मैं भी अंकल को आंटी समझ कर उनसे चिपक कर सोती रही.. क्योंकि मुझे ठंड में कुछ राहत महसूस हुई।
अंकल मुझे और बाँहों में भरने लगे, मैंने सोचा शायद आंटी को ठंड ज्यादा लग रही है.. इसलिए ज्यादा चिपक रही हैं।
मैं भी उन्हें आंटी समझ कर ज़ोर से चिपकाने लगी। अंकल शायद सोच रहे थे कि मैं उनका साथ दे रही हूँ..
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अंकल ने मुझे और ज़ोर से दबा लिया और मुझे जोरों से किस करने लगे, मैं समझ नहीं पाई.. लेकिन तब तक मुझे यह पता चल गया था कि ये अंकल हैं जो मुझे किस कर रहे हैं।
वो 5 मिनट तक मेरे होंठ चूसते रहे.. मैंने छुड़ाने की कोशिश की.. मगर वो और ज़ोर से किस करते रहे।
मेरी धड़कनें बहुत तेज़ हो गई थीं और मेरे हाथ-पैर काँपने लगे।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ.. लेकिन मेरे तन में भी कुछ आग लगने लगी..
वो मेरी रज़ाई में आ चुके थे.. हम दोनों एक रज़ाई में लेटे थे.. वो मेरे गले पर किस करने लगे। एक हाथ उनका मेरे सिर के नीचे और एक हाथ से मेरे शरीर पर घूमने लगा। मुझे कुछ अज़ीब सा होने लगा.. एक मन तो कर रहा था कि ये सब होने दो.. तो एक मन कह रहा था कि नहीं ये सब ग़लत है।
थोड़ी देर मैं चुपचाप लेटी रही और अंकल मुझे किस करते रहे। फिर जो हाथ अंकल मेरे शरीर पर घुमा रहे थे.. उस हाथ को वो मेरे दूध पर ले गए और मेरे मम्मों को धीमे-धीमे दबाने लगे।
तब मुझे जैसे बेहोशी छाने लगी.. लेकिन मन ही मन बहुत डर लग रहा था कि क्या करूँ.. लेकिन कुछ समझ नहीं आ रहा था। वहीं अंकल की हरकतें और बढ़ने लगीं और उन्होंने अपना एक पाँव मेरे ऊपर रख दिया और हाथ को वो मेरी जाँघों पर फिराने लगे।
फिर धीमे से मेरे ऊपर आ गए.. अंकल का शरीर बहुत भारी था, उनकी हाइट 6 फुट से ज़्यादा है।
वैसे दिखने में अंकल हैण्डसम थे..
फिर मैंने हिम्मत करके अंकल को हटा दिया और उठ बैठी।
अंकल एकदम से झेंप गए.. फिर मैं उठ कर बाथरूम में चली गई।
एक बात बताना मैं भूल गई कि जब अंकल मेरे ऊपर आ गए थे और अंकल मेरे मुँह पर अपना हाथ घुमाने लगे थे तो मैंने उनका हाथ ज़ोर से काट लिया था.. जिससे वो एकदम से हट गए थे।
फिर मैं बाथरूम में जाकर बाथरूम का दरवाजा अन्दर से बंद कर बैठी रही।
लगभग 15 मिनट अन्दर बैठने के बाद जैसे ही मैं बाहर आई.. अंकल दरवाजे पर ही खड़े थे। उन्होंने मुझे पकड़ कर फिर अन्दर खींच लिया। वैसे मैं आपको बता दूँ मेरी हाइट 5.5 फीट है और उस समय मेरा शरीर पतला था.. मेरा वेट भी केवल 46 किलो था.. इसलिए अंकल को मुझे दुबारा बाथरूम के अन्दर खींचने में कोई तकलीफ़ नहीं हुई।
अब जो हुआ.. वो मेरे कुंवारेपन को खत्म कर देने वाला था।
दोस्तों यहाँ मैं कहानी को थोड़ा विराम दे रही हूँ.. इसके अगले भाग में मेरी जवानी को एक नए मोड़ का मुँह देखना नसीब हुआ था उसकी मदमस्त कर देने वाली मेरी सच्ची दास्तान आपको पढ़ने मिलेगी.. आप अपने ईमेल मुझे जरूर लिखिएगा।
कहानी जारी है।
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