पड़ोसन कुँवारी देसी गर्ल की पहली चूत चुदाई की कहानी
(Padosan Kunvari Desi Girl Ki Pahli Choot Chudai Ki Kahani )
नमस्कार दोस्तो, मैं आपको अपनी पड़ोसन कुंवारी लड़की की चूत की चुदाई की कहानी सुनने जा रहा हूँ.
मेरा नाम राज है, मैं लुधियाना का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 24 साल की है और मैं अविवाहित हूँ.
मेरी एक गर्लफ़्रेंड थी, उसका नाम कविता था. मेरे घर के पास ही एक और लड़की रहती थी सिर्फ़ 18 साल की…. उसका नाम था संध्या… संध्या और कविता आपस में सहेलियां थी, संध्या को कविता और मेरे बारे में पता था. मैं कविता के घर फोन संध्या से ही करवाता था.
संध्या को सब पता होता था कि कविता और मैं कहाँ जा रहे हैं, क्या क्या करते हैं.
ये सब सुन सुन कर अब संध्या को भी सेक्स करने की इच्छा होने लगी थी, वह अक्सर मेरे घर पर आती और मुझसे पूछती- राज भैया, आपने कल कविता के साथ क्या किया.
मैं बोलता- तुझे इन सब बातों से क्या काम है?
तो वो शर्मा कर चली जाती.
मैंने कविता से पूछा तो उसने मुझे बता दिया कि वह हमारे बीच हुई सब बातें संध्या को बताती है.
मैं समझ गया.
एक दिन जब मैं अपने घर में काम कर रहा था तो संध्या मेरे पास आई और मुझसे बात करने लगी.
मैंने उसको कहा- तू अभी जा… थोड़ी देर से आना, मुझे अभी काम करना है.
मगर वह नहीं मानी.
मैंने उसे थोड़ी देर तक आने को बोला तो फिर वह चली गई.
मेरी मम्मी को मार्केट जाना था तो मम्मी ने मुझसे कहा- मैं थोड़ी देर में वापस आ जाऊंगी, तुझे चाय पीनी हो तो संध्या को बोल देना, वह बना देगी!
मैंने कहा- ठीक है!
मम्मी के जाने के ठीक बाद ही संध्या फिर से मेरे यहाँ आ गई और मुझे परेशान करने लगी.
मैं अपना काम नहीं कर पा रहा था.
इतने में संध्या मेरे हाथ से पेन छीन कर मेरे कमरे में भागने लगी. मैं उसको पकड़ने के लिए खड़ा हुआ, मैंने उसको पीछे से पकड़ लिया. जब मैंने उसको पकड़ा तो मेरे हाथ उसकी चुची पर थे. संध्या की चुची बहुत ही नर्म थी पर छोटी भी थी. मेरा लंड उसकी गांड पर था. थोड़ी देर तक पकड़ने के बाद उसने मुझे पेन दे दिया.
मैं पेन नहीं लेना चाहता था मगर मैंने उसे छोड़ दिया, मैंने उसको कहा- मुझे चाय बना दे!
उसने कहा- ठीक है भैया!
और वह चाय बनाने के लिए चली गई.
मैं थोड़ी देर तक सोचता रहा कि क्या करूँ, मगर अब मुझसे बिना सेक्स करे नहीं रहा जा सकता था. मैं धीरे से उसके पास किचन में गया और उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया, कहने लगा- अभी तक चाय नहीं बनी क्या?
मेरा लंड उसके चूतड़ों पर लग रहा था तो वह समझ गई थी, वह मुझसे कतराने लगी.
मैं भी समझ गया कि यह अब मुझसे कतरा रही है.
उसने मुझे चाय दी और कहा- भैया, मैं जा रही हूँ घर!
मैंने कहा- रुक ना… चाय तो पीने दे, उसके बाद चली जाना!
उसने कहा- ठीक है, पी लो.
मैं उसे अपने कमरे में ले गया. वह मेरे कमरे में एक कोने में चुपचाप खड़ी हो गई. मैं सोच रहा था कि अब क्या किया जाए.
मैंने उससे जान कर कविता की बात को छेड़ा, मैंने उससे पूछा- तेरी कविता से कोई बात हुई है क्या?
उसने कहा- नहीं!
फिर मैंने उसको कहा- तू कविता को फोन कर के यहाँ बुला ले!
उसने कहा- क्यों? यहाँ क्यूँ बुला रहे हो भैया?
मैंने कहा- मम्मी नहीं है ना इसलिए!
उसने कहा- ठीक है.
फिर वह बोली- मैं फोन करके आती हूँ.
मैंने कहा- रुक!
मेरे यह कहने से वह रुक गई और पूछने लगी- बोलो क्या?
मैंने उससे पूछा- कविता तुझे क्या क्या बात बताती है?.
तो उसने कहा- कुछ नहीं.
मैं समझ गया कि यह अब डर रही है मुझसे बोलने में… मैंने कहा- संध्या, तू मेरे पास आ!
वह बोली- क्यों?
मैंने कहा- आ तो सही!
वह धीरे से मेरे पास आई, मैंने उसको बेड पर बैठाया और कहा- संध्या, तुझे सब पता है ना मेरे और कविता के सेक्स के बारे में?
तो वह कहने लगी- भैया, मुझे कुछ नहीं पता है कसम से!
वह उस समय डर गई थी.
फिर मैंने कहा- कोई बात नहीं. तुझे हमारी बातें जानना हो तो मुझसे पूछ लिया कर… मगर कविता से मत पूछा कर!
तो उसने तुरंत पूछा- क्यों?
मैंने कहा- कहीं कविता ने तेरी मम्मी से कह दिया तो?
उसने धीरे से हाँ की.
उसके बाद मैंने उससे पूछा- तुझे जानना है क्या अभी बात?
तो उसने धीरे से अपने चेहरे को नहीं में हिलाया.
फिर भी मैंने उसको बात बताना शुरू कर दिया. थोड़ी देर तक तो वह ना ना कर रही थी, उसके बाद वह गौर से सुनने लगी. मैंने उसको एक बात तो पूरी बता दी.
उसके बाद उसने मुझसे कहा- भैया कोई और दिन की सुनाओ ना?
जब मैंने उससे कहा- मैं अब सुनाना नहीं करना चाहता हूँ.
वह एकदम से खड़ी हो गई.
मैंने उसको आगे से पकड़ लिया और उसके होंठों पर चूमने लगा.
वह मुझसे छूटने की पूरी कोशिश कर रही थी मगर मैंने उसको छोड़ा नहीं…
थोड़ी देर के बाद मैंने उसको कहा- बेड पर लेट जा!
मगर वह बोली- मैं चिल्ला दूँगी.
मैंने कहा- ठीक है, तू चिल्ला!
मैंने उसको अपने हाथों से उठाया और बेड पर लेटा दिया और उसके ऊपर लेट गया. मैंने उसके हाथों को पकड़ लिया और उसको चूमने लगा.
थोड़ी देर तक तो वह ना ना करती रही फिर मैंने अपने एक हाथ से उसके दोनों हाथ पकड़ लिए और एक हाथ से उसके सलवार का नाड़ा खोल दिया.
वह नहीं नहीं कर रही थी.
फिर मैं उसके सलवार में हाथ डाल कर उसकी चूत को सहलाने लगा. थोड़ी देर तक यह करने के बाद वह भी गर्म होने लगी. मैंने फिर उसके हाथ छोड़ दिए और उसके बाद मैं समझ गया कि अब यह भी गर्म हो चुकी है, अब चुदाई में नखरे नहीं करेगी.
फिर मैंने उसकी कुरती उतारी और उसके साथ उसकी समीज़ भी उतार दी. मैं उसकी चुची को सहलाने लगा और उसकी चूत को हाथ से सहलाने लगा.
मुझे पता था कि यह पहली बार सेक्स कर रही है.
उसके मुख से ‘हह हह हह…’ की आवाज़ आ रही थी.
मैंने उसको कहा- मैं कविता के साथ भी यही करता हूँ.
तो उसने अपनी बंद आँखें खोली और कहा- इसके बाद क्या करते हो?
मैं समझ गया कि यह अब पूरी गर्म हो गई है, मैंने उसके पूरे कपड़े उतार दिए, अब वह मेरे सामने पूरी नंगी थी.
मैंने फिर अपने कपड़े उतारे और तेल की शीशी लेकर आया. मैंने मेरे लंड पर तेल लगाया, उसके बाद उसकी चूत में तेल लगाया.
मैंने उसको पूछा- मैं अपना लंड डालूँ?
तो उसने कहा- डाल दो!
मैंने जैसे ही अपना लंड थोड़ा सा उसकी चूत में डाला तो वह ज़ोर से चिल्ला दी- ऊऊओंम आआआअ ईईईईई नहियीईईईईईई भैयआआअ निकालओ.
मैंने लंड निकाला और कहा- थोड़ा तो दर्द होगा. तू इतनी ज़ोर से मत चिल्ला!
उसने कहा- ठीक है, मगर भैया थोड़ी धीरे डालना!
मैंने फिर से अपना लंड उसकी चूत में डाला तो वह जैसे ही चिल्लाई, मैंने अपना मुँह उसके मुँह पर रख दिया और उसके होंठों को चूसने लगा.
थोड़ी देर के बाद उसका चिल्लाना कम हुआ.
फिर मैंने अपनी कमर को थोड़ा पीछे कर के ज़ोर से एक झटका दिया और अपना पूरा लंड उसके चूत में डाल दिया. उसके बाद वह तो जैसे मर ही गई, इतनी ज़ोर से चिल्लाई- उम्म्ह… अहह… हय… याह… मम्मय्यययी नहियीईईईईईई भैयाआआ निकालऊऊऊऊऊऊ!
फिर मैंने उसके होंठ अपने होंठों में ले लिए और ज़ोर ज़ोर से हिलने लगा.
उसकी चूत में से खून आने लगा और वह पागल सी हो गई.
मैंने उसके चिल्लाने पर भी उसे चोदना नहीं छोड़ा और चोदता ही चला गया.
थोड़ी देर के बाद मेरा वीर्य निकल गया जो मैंने उसकी चूत में नहीं जाने दिया, बाहर निकाल दिया.
और उसके ऊपर ही थोड़ी देर लेटा रहा.
देसी गर्ल की यह हिंदी चुदाई की कहानी आप अन्तर्वासना सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!
मेरे लंड को उसकी चूत में से बाहर निकालने के बाद ही उसने चैन की सांस ली और कहा- भैया, अब मैं आपसे कभी नहीं चुदुंगी.
मैंने उसको कहा- तू अपना खून साफ कर ले और कपड़े पहन ले!
मैंने अपने कपड़े पहन लिए और उसके बाद अपना काम करने लग गया.
थोड़ी देर के बाद वह कमरे से बाहर आई और कहा- भैया, मैं जा रही हूँ.
मैंने कहा- ठीक है, अब कब आएगी?
उसने कहा- जब टाइम मिलेगा.
आज भी मैं उसको जब भी मौका मिलता है तो चोदता रहता हूँ.
तो दोस्तो, मेरी चुदाई की कहानी आपको कैसी लगी, मुझे ज़रूर बताइए. आप सब मेरे साथ फ़ेसबुक पर भी जुड़ सकते हैं.
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