टास्क गेम: नंगे बदन पर जेवेलरी के साथ फोटोशूट- 1

(Nude Game X Kahani)

न्यूड गेम X कहानी में पढ़ें कि सेक्स एडवेन्चर के लिए इस बार हम दोनों सहेलियों ने नंगे बदन पर आभूषण पहन कर फोटो शूट करवाने का निर्णय लिया.

दोस्तो, आप सब की ओर से मेरी दोनों कहानी के जो प्रतिसाद मिले उसने मुझे अपनी आगे की कहानी लिखने के लिये मजबूर कर दिया।

हालांकि हर किसी को ईमेल का जवाब देना संभव नहीं हुआ लेकिन मैं हर संभव प्रयास करूंगी कि सभी के ईमेल का प्रत्युत्तर दे सकूं।

कई सारे लोगों ने मुझे अपना कॉन्टेक्ट साझा करने के लिए कहा लेकिन मैं यह नहीं कर सकती।

मैं जो भी लिख रही हूं वो मेरी एक दबी हुई इच्छा है।
मैं या सीमा कोई बाज़ारू लड़कियां नहीं हैं। हम समाज में इज़्ज़तदार है और यह कहानी सबको नहीं पता है।

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मयंक को विदा कहने के बाद हम बस में बैठ गयी।

सीमा कुछ उदास सी लग रही थी।
जब मैंने उससे पूछा कि क्या हुआ तो उसने बताया कि उसकी शादी की बात चल रही थी और लड़के का नाम विवान था जो एक अच्छे घराने का वेल सेटल्ड लड़का था।

“अगर तुझे भी पसंद है तो फिर उसके साथ शादी कर ले।” सीमा की बातें सुनने के बाद मैंने उसे कहा।

“तुम तो जानती हो, शादी के बाद कुछ भी पहले जैसा नहीं रहता। आज जो मैं कुछ कर रही हूं वो शायद फिर कभी नहीं कर पाऊंगी। और अगर कर भी लेती हूं तो उसके पीठ पीछे यह सब करने का अपराध बोझ लेकर मैं नहीं जीना चाहती।” सीमा ने अपने दिल की बात बताते हुए कहा।

“तो क्या सारी जिंदगी तू यही करना चाहती है? कभी न कभी तो शादी करनी ही है, आज अगर लड़का अच्छा मिलता है तो आज ही कर, फिर ऐसा न हो कि कही देरी हो जाये और लड़का भी अच्छा न मिले।” मैंने समझाने की कोशिश करते हुए कहा.

पर मन ही मन सीमा की बात सुन मैं भी मायूस हो गयी थी यह सोच कर कि अब सारी मस्तियों का अंत होने वाला है।
लेकिन मैं सीमा के उज्ज्वल कल के लिये इतना तो कर ही सकती थी।

“नहीं यार, शादी, उसके बाद बच्चे, वही घिसी-पिटी ज़िन्दगी मुझे रास नहीं आएगी। मैं इसी में खुश हूं।” सीमा एक दोराहे से गुज़र रही हो, ऐसा लग रहा था।

“देख, मेरे घर से न तो मुझे कोई शादी करने का प्रेशर है और न ही मेरे घर वालों को मुझसे ज़्यादा कोई उम्मीद है। उन्होंने मुझे मेरे हाल पर छोड़ दिया है, अगर अभी तू शादी नहीं करना चाहती तो कोई बात नहीं, और घर पर तुझे शादी करने का प्रेशर है तो तू मेरे साथ रह सकती है।” मैंने अपनी बात जो कभी मैं बता नहीं पायी थी वो कही।

मेरी बात सुनकर सीमा खामोश रही.
उसके बाद पूरे रास्ते में ज़्यादा बातें नहीं हुई और फिर हमको जहां पर उतरना था वो मुकाम आ गया।

“मुझे कुछ सोचने के लिए वक़्त चाहिए।” जब हम अलग हुए तब सीमा ने मुझे कहा।

कुछ दिन यूं ही गुज़र गये.

पहली बार टास्क करके मैं फूली नहीं समा रही थी लेकिन इस बार कुछ अलग था.
सीमा के छोड़ जाने से सिर्फ एक ही ख्याल दिमाग में घर कर बैठा था कि क्या सीमा आयेगी? क्या अब फिर मिलना होगा? और अगर मिलना भी हुआ तो क्या वो वही सीमा रहेगी जिससे मैं पहचानती हूं?

ख़ैर कश्मकश में दिन यूँही गुज़रते रहे.

फिर एक दिन अचानक सीमा मेरे घर पर अपना सारा सामान लेकर आ पड़ी।

पहले तो मुझे कुछ समझ नहीं आया.
ऐसा नहीं था कि वो पहली बार मेरे यहाँ आयी थी.
इससे पहले भी वो मेरे यहां आ चुकी थी लेकिन इस बार उसको अपने सामान के साथ देख में थोड़ी चकित थी।

“क्या हुआ? और यह माल सामान लेकर क्यो आयी है?” जब वह घर के कोने में अपना सामान रख रही थी तब मैंने पूछा।

मेरे किसी भी सवाल का जवाब देने की बजाय वो मेरे नज़दीक आयी और अपने होंठ मेरे होंठ पर टिका दिये।
धीरे-धीरे वो मुझे किस करने लगी और फिर मैं भी उसके साथ मदहोश हो गयी।

हमने कपड़े उतारे और लेस्बियन सेक्स करने लगी।
कसम से पहली बार का वो सलून वाला कांड याद आ गया।

हर कांड करके हमें जो खुशी मिलती थी उससे ज़्यादा खुशी आज मुझे मिल रही थीं ऐसा लग रहा था कि मानो, बरसों से खोया हुआ कोई अपना आज फिर हमेशा हमेशा के लिये लौटकर आ गया है।

करीब घंटे-डेढ़ घंटे तक हम एक दूसरे के जिस्म से खेलती रही।

“मुझे लगता है कि मैं तुम्हें चाहने लगी हूँ।” मेरे होंठों को फिर से चूमते हुए सीमा ने कहा।

“कुछ दिन तुमसे दूर रहकर देखा लेकिन मुझसे नहीं हो पायेगा। मैं तुम्हारे साथ ही रहना चाहूंगी, ज़िन्दगी भर के लिये।”
फिर से हम कुछ पल और नंगी ही किस करने लगी।

मैंने भी उस वक़्त मेरे प्यार का इज़हार कर लिया।
आगे क्या होने वाला था और आगे क्या होगा वो सब सोच विचार को किनारा करते हुए मैं फिर से उसे चूमने लगी।

उस पूरे दिन हम दोनो नंगी ही रही, कपड़े भी हमारे प्यार के बीच में नहीं आ सके।

फिर कुछ दिन यूँही नंगे, लेस्बियन सेक्स करते करते गुज़र गये।
और इन दिनों में हम दोनों खाने के अलावा और बाथरूम वगेरह के अलावा ही बिस्तर से उठी थी।

हमारे दिन भी बिस्तर में गुज़रते और रातें भी।
कपड़े पहने हुए मानो ज़माना हो चुका हो ऐसा लगने लगा था।

और इन्हीं दिनों में सीमा ने मुझे, उसके साथ जो कुछ भी हुआ, वो सब बताया. जो मैं आपको बताकर कहानी का लुत्फ खराब नहीं करना चाहती।

“ऐ रीटा! चल न हमारे मिलने की खुशी में कोई डेरिंग टास्क करते है।” जब मैं रसोई में नंगी ही सुबह की चाय बना रही थी तब पीछे से मुझे पकड़े हुए सीमा ने कहा.
वो खुद भी उस वक़्त नंगी ही थी।

“कुछ सोचते है मेरी जान!” यह कहते हुए मैं उसकी ओर मुड़ी और चाय का कप वहीं प्लेटफॉर्म पर रख दिया.
और मैं प्लेटफार्म पर बैठ गयी।

मैंने अपने पैर फैला दिए।
सीमा अपने घुटनों पर बैठी और मेरी चूत का रसपान करने लगी जबकि मैं दो तरह के मज़े लूट रही थी; चूत भी चटवा रही थी और चाय भी पी रही थी।

सीमा को चूत चाटने में अभी कुछ पल ही हुए थे कि मैं अपने चरम पर पहुंच चुकी थी.

एक हाथ में चाय का कप पकड़े मैं दूसरे हाथ से सीमा का मुंह मेरी चूत में दबाने लगी.
वो भी समझ चुकी थी कि मैं झड़ने वाली हूँ.

अगले ही क्षण मेरी चूत ने फव्वारे की तरह पानी छोड़ दिया जो सीमा ने चाट-चाट कर पी लिया।

मेरी सुबह चाय पीकर … तो सीमा की सुबह मेरी चूत का पानी पीकर हो चुकी थी।

फिर मैं प्लेटफार्म से उतरी।
सीमा ने उधर ही अपने घुटनों के बल बैठे-बैठे ही मूत दिया।
फिर मैंने उसे पौछा लगा कर साफ किया।

उसी दिन दोपहर को खाना खाते हुए मुझे एक नया आईडिया सूझा जो मैंने उसे बताया और वो उस पर राज़ी भी हो गयी।

हम सोशल साइट पर हमारे ही शहर के किसी जेवेलर यानि आभूषण विक्रेता को ढूंढने लगे जो उम्र में हमसे थोड़ा बड़ा हो।
खैर ऑनलाइन का तरीका काम नहीं आया।

फिर कुछ दिन तक हम रोज़ सर्राफ बाजार जाते और सारी दुकानों का मुआयना करते.

12 दिनों के बाद हमको एक दुकान मिली।
हम उस दुकान में ज्वेलरी देखने के लिये गयी। वो सर्राफ़ उम्र में हमसे बड़ा था मतलब अधेड़ था.
बातों बातों में पता चला कि वो अकेला था, उसकी शादी नहीं हुई थी।

जब हमने पाया कि आदमी को पटाया जा सकता है तो हमने उससे एक रिंग खरीद ली और फिर धीरे धीरे उससे मेल-मिलाप बढ़ाने लगे।

करीब 6 महीने के लंबे इंतज़ार के बाद हमने तय किया कि अब हम टास्क करेंगी।
इतने महीने हमने कैसे काटे हैं, हमें ही पता है।

हम पिछले 6 महीनों से रोज़ घर पर बिना कपड़ों ही रहती थी।
हमने तय किया था कि टास्क हो जाने के बाद ही हम कपड़े पहन कर घर में घूमेंगी।

एक तरफ लगता था कि कभी टास्क हो ही न … जिससे हम कभी घर में कपड़े पहने ही नहीं … तो दूसरी ओर लगता था कि टास्क तो करना ही है, कपड़ों का क्या है, वो तो हम टास्क के बाद भी घर के नंगी तो घूम ही सकती थी।
घर में नंगा घूमने पर कहाँ पाबंदी है।

एक दिन बाजार से घर जाते हुए हमने उसकी दुकान पर एक भी ग्राहक नहीं दिखा, हमने सोचा यही सही मौका है अपना प्रस्ताव रखने का।

दो बार ऐसे डेरिंग वाले टास्क कर लेने के बावजूद भी हमारे पैर थोड़े कांप रहे थे लेकिन यही डर तो इस टास्क गेम का रोमांच था।

हमने फिर एक बार हिम्मत की और उसकी दुकान में घुस गयी।
हम सब सोच समझ कर तय करके निकली थी कि क्या बोलना है, कब बोलना है.
लेकिन अगर परिस्थिति बिगड़ती है तो फिर क्या करना है.

जैसे पुराने और जाने पहचाने ग्राहक को देखकर हर व्यापारी मुस्कुराता है, ठीक वैसे ही वो व्यापारी मुस्कुराया और हमारा स्वागत किया।

“बोलिये मैडम क्या दिखाऊ आपको?” हर दफा कहा जानेवाला डायलॉग उसने बोल के बात करना शुरू किया।

“मेरी शादी है.”

“अच्छा तो दुल्हन के लिए गहने खरीदने आयी है आप? अच्छा है … अच्छा है …” इससे पहले की सीमा अपनी बात पूरी कर पाती, उस सर्राफ ने हंसते हुए ही बीच में उसकी बात काट दी।

जैसे ही उसने गहने दिखाने के लिये खड़ा होना चाहा, सीमा ने उसके हाथ पकड़ कर उसे बिठा दिया।

“हम आपकी दुकान से खरीदी ज़रूर करेंगे लेकिन हमारी एक शर्त है.” सीमा ने योजना के अनुसार बोलना शुरू किया।

“देखिए मैडम, अगर आपको उधार में चाहिये तो मैं पहले ही बता देता हूँ कि वो बाकी वाला धंधा मैं नहीं करता, आपको नकद में ही खरीदना होगा।”

“अरे! आप पहले हमारी बात तो सुन लीजिये, और हमको उधार में नहीं खरीदना है।” उस सर्राफ के उतावलेपन को देखते हुए मैं बीच में ही बोल पड़ी ताकि अबकी बार सीमा जो कुछ कहने वाली थी वो खुलकर बोल सके।

“तो क्या बात है?” उतावलेपन से मजबूर वो फिर से बोल पड़ा।
“यदि आप मुझे बताने का मौका देंगे तो मैं बताऊंगी न!” सीमा ने लताड़ते हुए कहा।

“देखिये, मेरी एक दिली इच्छा है कि शादी से पहले में पूरे बदन पर सोना पहन के फोटोशूट करवाऊं। मेरी बताने में हिम्मत नहीं हो रही थी इसलिये पहले मेरी बचपन की सहेली रीटा को मैंने यह बात बताई। मुझे लगा कि वो मुझसे गुस्सा होगी लेकिन उसे भी मेरी बात अच्छी लगी और अब जो मैं करना चाहती हूं, यह भी ठीक वही करना चाहती है।” सीमा सांस लेने के लिये रुकी।

“क्या फोटोशूट?” जब सीमा रुकी तभी वह फिर से बोल पड़ा।

“हां, फोटोशूट … लेकिन हम चाहती हैं कि यह फोटोशूट हम बिना कपड़ों के करें, पूरे जिस्म पर सिर्फ सोना ही पहन कर। यदि आप चाहें तो हम यह फोटोशूट आपकी दुकान में भी कर सकती हैं और अगर आपको यह ठीक नहीं लगता है तो आप कहीं और जगह ढूंढ लें … हम वहां आ जायेंगी।”

“बिना कपड़ों के नंगे, सिर्फ सोना पहने हुए फोटोशूट? यह क्या बात हुई?” हमारी बात सुनकर वो स्तब्ध सा रह गया.
उसे यक़ीन ही नहीं हो रहा था कि आखिर दो लड़कियां ऐसा भला कैसे कर सकती है?
और उन्हें ऐसा करना भी क्यो चाहिये?

एक लड़की के लिये उसकी इज़्ज़त ही सब कुछ होती है जबकि हम बिना कपड़ों के नंगी सिर्फ सोना पहनकर फोटोशूट करवाना चाहती थी।
उसे शायद हमारी बात पर यकीन नहीं हुआ और उसे लगा कि यह कोई जाल-साजी या धोखाधड़ी हो सकती है।
उसने हमें खरी खोटी सुनाकर हमें उसकी दुकान से निकाल दिया।

ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी मर्द ने हमारी ऑफर को कबूल नहीं किया।
बाकी हर कोई मर्द औरत का जिस्म पाने के लिये हमेशा तत्पर रहता है और ऊपर से वो भी पराई हो और खूबसूरत भी हो, जवान भी हो।

हमें बाहर निकाल दिये जाने पर हमारे अहम को ठेस पहुंची।
हमारे पैर भारी हो गये … लेकिन अब जाना तो था ही!
पहली बार ऐसा हुआ था कि हमारा बनाया हुआ प्लान काम नहीं किया था।

लेकिन इस नाकामयाबी ने हमारे अंदर की आग को और भी ज़्यादा भड़का दिया अब तो हम हर हाल में यह टास्क करना चाहती थी.
लेकिन आज के लिये बहुत हो चुका था.

हम घर गयी कपड़े निकाले और नंगी ही बिस्तर पर लेट गयी.
उस रात न तो हमने खाना खाया और न ही ठीक से बात भी की.
और न ही कोई शारीरिक संबंध भी बांधा।

कुछ दिन हम उस शोक के चलते घर में ही रही.
लेकिन हमें वो मज़ा नहीं आ रहा था जो हमेशा से आया करता था।

ऐसा लगता था मानो ज़िन्दगी पहले जैसी नहीं रही।
कपड़ों के नाम से तो मानो नफरत सी हो गयी थी. लेकिन फिर भी बाजार जाते वक़्त मजबूरन पहनने पड़ते थे।

एक दिन हमने बात करके फिर से मन बना लिया कि अब कोई और सर्राफ को ढूंढती हैं.
लेकिन इस बार कोई हम उम्र को ही ढूंढेंगे जिसको चोदने की लालसा हो।
इस बार कोई अधेड़ या बूढ़ा नहीं चाहिये।

मैंने और सीमा ने गहरे गले का ड्रेस पहना जिसमें से हमारे स्तनों की दरारें साफ दिखती थी।

हमने चुनरी साथ ली थी ताकि किसी को ऐसा न लगे कि हम कोई जैसे-तैसे घर की लड़कियां है।

आज फिर रास्ते में एक सर्राफ की दुकान फिर से खाली दिखी।
लेकिन वह उम्र में हमसे थोड़ा ही बड़ा होगा सिर्फ 30-32 साल का।
खैर हमको उसकी उम्र से कोई लेना देना नहीं था हमें बस नंगा होकर सर से लेकर पांव तक सोना पहनकर फोटोशूट करवाना था।

जिस तरह उस दुकानदार को हमने सारी बातें बताई थी ठीक उसी तरह इस दुकानदार को भी सारी बातें बताई।

“कहीं तुम लोग मेरे साथ कोई ठगी की तो नहीं सोच रही?”
उसके मन में भी ठीक पहले वाले सर्राफ के जैसा संदेह निकला।

लेकिन इस बार हम किसी भी हाल में यह मौका हाथ से नहीं जाने दे सकती थी।

“8-10 लाख के सोने के जेवर सिर्फ कुछ देर पहनकर तुम्हारे ही शो-रूम में फोटोशूट करवाने के बदले में तुम्हें दो मस्त जवान और खूबसूरत लड़कियों को नंगी देखने का मौका मिल रहा है। तुम्हारा इसमें कोई घाटा नहीं है।” सीमा ने उसको समझाने की कोशिश करते हुए कहा।

सीमा की बात में दम था, जिसने उस सर्राफ को थोड़ी देर सोचने पर मजबूर कर दिया।
कुछ देर सोचने के बाद वो मान गया और फिर हमने उससे बाकी बातें भी कर ली, जैसे सारे सीसीटीवी कैमरे बंद होने चाहिए, कोई स्पाई कैमरा नहीं होना चाहिए वगेरह… वगेरह!

अगले शनिवार को रात 11 बजे के बाद हमने फोटोशूट करने का प्लान बनाया और वहां से निकल गयी।

आज हम बहुत ही खुश थी पहली बार नकारे जाने के बाद फिर से किसी ओर का हमारे न्यूड गेम लिए झुकना हमें बहुत ही अच्छा लगा।

उस रात हम खुल के नंगी नाची और वो सब किया जो हम पहले से करती आ रही थी।
अब बस हमें शनिवार का इंतज़ार था जो अभी 5 दिन दूर था।

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