पड़ोसन भाभी की जवान बेटियाँ- 4
(New Bur Chudai Kahani)
This story is part of a series:
-
keyboard_arrow_left पड़ोसन भाभी की जवान बेटियाँ- 3
-
keyboard_arrow_right पड़ोसन भाभी की जवान बेटियाँ- 5
-
View all stories in series
न्यू बुर चुदाई कहानी में पढ़ें कि मैंने भाभी की छोटी बेटी को रात को सेक्स के लिए तैयार रहने को कह दिया. मैं उसके कमरे में गया और उसके बिस्तर पर लेट गया.
मैं दिन में भाभी की शादीशुदा बेटी की चुदाई कर चुका था.
अगले रोज रात के खाने के बाद मैंने मौका देख कर नेहा से कहा- रात को अपना कमरा अंदर से बंद मत करना. मैं चुपके से आ जाऊंगा.
नेहा कहने लगी- नहीं राज, कल दिन में तुमने दो घंटे चुदाई की थी. मैं बहुत थक गई थी, कल देखेंगे.
मैंने कहा- ठीक है, कल देखेंगे.और यह कहकर मैं अपने कमरे में आ गया.
ऊपर आकर मैं अपने कमरे में लेटा ही था कि बिन्दू मेरे कमरे में कुछ लेने के बहाने से आई.
मैंने बिन्दू को पकड़ लिया और उसकी चूचियां मसलने लगा.
बिन्दू मुझसे कहने लगी- आज नीचे नहीं सोना?
मैंने कहा- नहीं मैं आज अपने कमरे में ही सोऊंगा, तुम रात को अपने कमरे का दरवाजा अंदर से बंद मत करना, मैं आऊंगा.
बिन्दू कहने लगी- ठीक है.
आधे घंटे बाद मैंने धीरे से बिन्दू के कमरे के दरवाजे को धक्का लगाया, दरवाजा खुल गया.
मैंने बिन्दू के कंधे पर हाथ रखा, बिन्दू सोने का बहाना कर रही थी, वैसे जाग रही थी.
मैं बिन्दू के साथ ही उसी बेड पर लेट गया. लेटते ही मैंने बिन्दू को बांहों में ले लिया और उसकी पीठ पर हाथ फिराने लगा.
बिन्दू एकदम मुझसे लिपट गई.
मैंने बिन्दू के टॉप को उसकी चुचियों के ऊपर से नंगा किया और एक चूची को मुंह में भर कर पीने लग गया.
बिन्दू ने मुझसे धीरे से कहा- नीचे से मम्मी या नेहा कोई आ गए तुम मुश्किल हो जाएगी?
मैंने बिन्दू से कहा- नीचे से कोई नहीं आ सकता क्योंकि मैं सीढ़ियों में ऊपर आने का दरवाजा बंद कर आया हूँ.
बिन्दू मुझसे कान में बोली- यदि कोई पूछेगा तो मैं क्या बताऊंगी?
मैंने बिन्दू से कहा- तुम्हें कुछ भी बताने की जरूरत नहीं है तुम मेरा नाम ले देना कि राज ने बंद किया होगा, मैंने बंद नहीं किया.
वो कहने लगी- ठीक है.
मैंने बिन्दू का हाथ पकड़ा और लोअर में खड़े लोड़े पर रख दिया. बिन्दू लोड़े को पकड़कर ऊपर नीचे करने लगी. मैं भी बिन्दू की निक्कर के ऊपर से उसकी पाव रोटी जैसी फूली बुर को सहलाने लगा.
बिन्दू पूरी तरह से चुदास से भरी हुई थी.
मैंने बिन्दू को अपने ऊपर आने का इशारा किया, बिन्दू मेरे ऊपर आ गई और उसने अपनी बुर को मेरे लौड़े के ऊपर रख लिया.
कुछ ही देर में मैंने बिन्दू से कहा- मैं अपने कमरे में ही जा रहा हूँ, तुम वहीं आ जाओ.
मैं उठा और अपने कमरे में चला गया. मेरे पीछे पीछे बिन्दू भी मेरे कमरे में आ गई.
मेरे कमरे की दोनों टयूब लाइट जल रही थी. मैंने आते ही बिन्दू को बांहों में उठा लिया और उसके होंठों को अपने होंठों में ले लिया.
मैंने बिन्दू के टॉप को उठाकर उसकी बांहों में से निकाल कर बिन्दू को ऊपर से नंगी कर लिया. बिन्दू की बड़ी- बड़ी मस्त चूचियां और उन पर बिल्कुल छोटे छोटे गुलाबी निप्पल गजब ढा रहे थे.
मैं बेड के ऊपर पांव नीचे करके बैठ गया और बिन्दू को अपनी टांगों के बीच खड़ा करके उसकी एक चूची को मुंह में डालकर पीने लगा और दूसरे मम्मे को हाथ से दबाने लगा.
बिन्दू मेरे सामने केवल नायलॉन की एक टाइट निकर में खड़ी थी जिसमें से उसकी पाव रोटी सी फूली बुर साफ दिखाई दे रही थी.
मैंने उसकी बुर के ऊपर अपना अंगूठा लगाया, बुर पानी छोड़ चुकी थी. बिन्दू बिल्कुल चुदास से भर चुकी थी. मैंने बिन्दू की निक्कर को भी निकाल दिया. अब वह मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी. बिन्दू की बुर और उसकी गांड बहुत ही कसी हुई तथा चुदने के लिए बिल्कुल जवान थी.
मैंने बिन्दू को बेड पर लिटाया. उसकी बुर के ऊपर हल्के रोंयें आये हुए थे. बुर की ऊपर की दोनों फांकें फूली हुई थी.
बुर को खोल कर देखा तो अंदर के गुलाबी छेद के बाहर दो गुलाब की छोटी पंखुड़ियों जैसी पत्तियां खड़ी थी. बुर का छेद बिल्कुल टाइट और बन्द लग रहा था.
मैंने बिन्दू की टांगों को थोड़ा अलग किया और बुर के छेद में अपनी एक उंगली डाली, उंगली आराम से चली गई क्योंकि बिन्दू को खीरा लेने की आदत पड़ी हुई थी, इसलिए उसने उंगली आराम से ले ली.
उंगली को दो चार बार अंदर बाहर किया तो बिन्दू की आहें निकलने लगीं.
मैंने बिन्दू से पूछा- कैसा लग रहा है?
बिन्दू- बहुत मजा आ रहा है.
मैंने कहा- बिन्दू क्या तुम्हारा बॉय फ्रेंड भी इतना ही मजा देता है?
बिन्दू- मेरा तो कोई बॉयफ्रेंड है ही नहीं.
मैं- तुम झूठ बोल रही हो?
बिन्दू- नहीं मैं सच कह रही हूँ, वो एक क्लास का लड़का है उससे कभी कभी मार्किट में मिल लेती हूँ.
मैं- लेकिन बिन्दू यदि अब कभी भी उस लड़के से मिली या बात की तो मैं तुमसे बात नहीं करूंगा.
बिन्दू- ठीक है, मैं उसे कभी नहीं मिलूंगी.
बिन्दू की बुर पर मैंने थोड़ी लिक्विड वैसलीन लगाई और सुपारे को बुर के छेद के ऊपर रखा.
जैसे ही मैंने लण्ड को अंदर धकाना शुरू किया बिन्दू बोली- दर्द तो नहीं होगा?
मैंने कहा- शुरू में एक बार होगा फिर सारी उम्र मजे ही मजे हैं, इसलिए थोड़ा बर्दाश्त कर लेना.
बिन्दू कहने लगी- लेकिन आपका तो बहुत बड़ा है, इस छोटे से छेद में कैसे जाएगा?
मैंने कहा- बुर का छेद दिखने में छोटा होता है लेकिन जब लड़की कामवासना से भर जाती है तो बुर में अपने आप लचीलापन आ जाता है.
बिन्दू से मैंने पूछा- तुम चुदना चाहती हो या नहीं?
बिन्दू- हाँ, चाहती हूँ, करो.
मैंने अपने लण्ड के ऊपर भी वैसलीन लगाई और दबाव बढ़ाया, लेकिन छेद इतना छोटा था कि लण्ड के सुपारे के नीचे बुर का छेद दिखाई नहीं दे रहा था, बुर खुलने लगी, सुपारा धीरे धीरे अंदर जाने लगा. बिन्दू कसमसाने लगी.
मैंने बिन्दू के शरीर को अपनी बांहों में जकड़ लिया.
जैसे ही धीरे धीरे लण्ड आगे बढ़ा तो एक जगह जाकर रुक गया और बिन्दू कहने लगी- अब बस करो, अब दर्द हो रहा है.
मैंने बिन्दू की बात अनसुनी कर दी और जोर लगाया जिससे खच की आवाज आई और बिन्दू की चीख के साथ ही मेरे लण्ड ने बिन्दू की बुर फाड़ दी थी. मैंने बिन्दू के मुंह को अपने हाथ से दबा लिया.
बिन्दू छटपटाने लगी.
मैंने कहा- बस, बिन्दू जो होना था वह हो गया. लण्ड आधे से ज्यादा अंदर चला गया था.
बिन्दू बोली- एक बार निकालो, बहुत दर्द और जलन हो रही है.
मैं- निकाला तो फिर डालते हुए जलन व दर्द होगा, यदि सह लिया तो 5 मिनट बाद अपने आप ठीक हो जायेगा.
बिन्दू कुछ नहीं बोली.
मैं लण्ड को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा. लेकिन लण्ड अंदर जाकर एक जगह पर टिक जाता था. लगता था कि वहाँ बहुत ही तंग छेद है. दरअसल वह बच्चेदानी का मुंह था. चूंकि बिन्दू पहली बार इतना बड़ा लण्ड ले रही थी इसलिए लण्ड ने बुर में अंदर अपनी जगह बनानी थी.
मैंने बहुत कोशिश की परन्तु जैसे ही जोर लगाता बिन्दू का शरीर इकट्ठा हो जाता था. बच्चेदानी का छेद धीरे धीरे खुलना था.
बिन्दू को कुछ अच्छा लगने लगा था, उसने नीचे लण्ड पर हाथ लगा कर देखा और बोली- यह तो काफी बचा हुआ है?
मैंने कहा- बिन्दू, एक आम लण्ड को तो बुर में इतनी ही जगह चाहिए, लेकिन मेरा लण्ड काफी बड़ा है, जब दुबारा करेंगे तब चला जायेगा, अभी तो तुम इसी से मजा लो.
अब मैंने बिन्दू की चुदाई शुरू की. बिन्दू को लण्ड की ठोक अच्छी लगने लगी थी. जैसे जैसे वह साथ देने लगी वैसे वैसे बुर ने लण्ड को थोड़ थोड़ा आगे लेना शुरू कर दिया.
मैं बड़ी सावधानी से बिन्दू को चोद रहा था. बिन्दू को तो मजा आ रहा था लेकिन लण्ड पूरा न जाने की वजह से मुझे कम मजा आ रहा था.
मैंने बिन्दू को मजा देने के लिए उसकी चूचियों को और होंठों को चूसना शुरू किया तो दो ही मिनट बाद बिन्दू एकदम मुझसे लिपट गई और आ… आ… आ… ई.. ई.. ई… ई… ई… ई… आ… आ… करके उसकी बुर ने जीवन का पहला मजा लिया.
मैंने भी अपना सारा ध्यान चुदाई में लगाकर डिस्चार्ज कर दिया.
बहुत दिनों से जिस बात की बिन्दू को तलाश थी उसकी वह इच्छा आज पूरी हो गई.
बिन्दू ने बहुत ही मजा ले ले कर आह… आह… करना शुरू किया. मैंने भी तरह तरह से उसके अंगों को मसल मसल कर उसे मजा दिया.
मैंने धीरे- धीरे अपने लण्ड को बिन्दू की बुर से निकाला. मेरा लंड बिन्दू की फटी हुई बुर के खून और मेरे वीर्य से पूरी तरह से लिबड़ा हुआ था.
बिन्दू से छुपाकर मैंने उसे अपने हैंकी से साफ किया और कई देर तक उसकी बुर के ऊपर हैंकी को दबाए रखा.
बुर में से निकलने वाले खून को हैंकी ने सोख लिया और बिन्दू मस्त होकर लेटी रही.
मैं बिन्दू के साथ लेट गया और उसके गालों पर प्यार से हाथ फिराने लगा.
कुछ देर बाद बिन्दू कहने लगी- मुझे बाथरूम जाना है.
जैसे ही बिन्दू बेड से उठने लगी उसे एकदम चक्कर सा आया और मैंने बिन्दू को अपनी बांहों में लेकर रोक लिया.
मैं उसे बाथरूम लेकर गया. बाथरूम में सीट पर बैठकर बिन्दू ने पेशाब किया.
बिन्दू ने नीचे बुर पर हाथ लगा कर देखा तो धीरे धीरे चिकना चिकना वीर्य बाहर आ रहा था.
उसने मुझसे पूछा- यह क्या है?
मैंने कहा- इसी को मजा कहते हैं.
बिन्दू वापिस आकर बेड पर बैठ गयी.
मैंने बिन्दू को फिर से अपनी बांहों में ले लिया और बैठे- बैठे उसकी चूचियों को सहलाने लगा.
बिन्दू कहने लगी- एक बार तो बहुत दर्द हुआ था.
मैंने उससे कहा- जो होना था वह हो चुका है, अब सारी जिंदगी इसमें मजा ही मजा आएगा.
बिन्दू मुझसे कहने लगी- मैं आपके इस बड़े हथियार से डरी हुई थी लेकिन आपने बहुत प्यार से किया.
मैंने बिन्दू से पूछा- दोबारा करना है?
बिन्दू कहने लगी- अभी तो दर्द हो रहा है, कल देख लेंगे.
मैंने बिन्दू के गालों को हथेलियों में लिया और उसके होंठों पर बहुत ही प्यारा किस करके उससे कहा- अब तुम सो जाओ, हम जब भी मौका मिलेगा, तभी करेंगे.
बिन्दू कहने लगी- ठीक है अब मैं अपने कमरे में जा रही हूँ आप भी सो जाओ.
मैंने बिन्दू से कहा- बिन्दू तुम घर पर स्कर्ट पहन कर रखा करो और उसके नीचे पैंटी नहीं पहनी है क्योंकि स्कर्ट उठाकर करने में टाइम नहीं लगता और निक्कर को निकालकर अलग रखना पड़ता है तो फटाफट उसको पहनने में दिक्कत हो सकती है.
बिन्दू ने हां में गर्दन हिलाई और मुस्कुरा कर बोली- हाँ, यह ठीक है, स्कर्ट में तो कोई यह नहीं देखेगा कि नीचे पैंटी पहनी है या नहीं, वैसे भी मुझे पैंटी पहनना ही पसंद नहीं है.
मैंने कहा- बिल्कुल ठीक है, तुम मेरे कमरे में जब भी आओ तो अपनी पैंटी निकाल कर आना जिससे मैं जल्दी से लण्ड अन्दर पेल सकूँ.
अब मैंने बिन्दू से कहा- बिन्दू, तुम मुझसे एक वादा करो कि तुम बाहर किसी भी लड़के से नहीं मिलोगी, अगर किसी ने भी तुम्हें किसी लड़के के साथ बात करते हुए देखा या कोई ऐसी बात पता लगी तो मैं तुमसे बात करना बंद कर दूंगा.
बिन्दू कहने लगी- ठीक है, मैं ऐसा कोई मौका नहीं दूंगी और न ही मैं किसी से बात करूंगी, जब मुझे घर पर ही सब कुछ मिल रहा है तो मुझे क्या जरूरत है बाहर लड़कों से बात करने की … आप निश्चिंत रहो.
मैंने कहा- ठीक है तुम्हारी कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए. तुम अपनी मम्मी को यह विश्वास दिलवा दो कि बाहर तुम्हारा किसी के साथ भी कोई रिलेशन नहीं है.
बिन्दू कहने लगी- क्यों आप को मम्मी ने कुछ कहा है?
मैंने कहा- हां, तुम्हारी मम्मी ने मुझसे यह बात कही है कि बिन्दू की किसी के साथ फ्रेंडशिप है, तो मैंने तुम्हारी मम्मी को विश्वास दिलवा दिया था कि मैं बिन्दू को समझा दूंगा और वह अब किसी से बात नहीं करेगी.
बिन्दू ने मेरी तरफ देखा और कहा- ठीक है मैं मम्मी को पूरा विश्वास दिला दूंगी, लेकिन आपने मुझसे फ्रेंडशिप नहीं तोड़नी है.
मैंने कहा- ठीक है, अपनी फ्रेंडशिप पक्की है.
अब मैंने बिन्दू को दोबारा बांहों में लिया, उसकी चुचियों को मसला और उसके होंठों पर किस करने लगा.
मैंने बिन्दू से कहा- ठीक है अब तुम जाओ और तुम्हें एक बात और बता देता हूँ, मेरे जैसा लंड तुम्हें सारी दुनिया में कहीं भी मिलेगा.
बिन्दू हंसने लगी और बोली- वह तो है, ऐसा तो मैंने कहीं नहीं देखा.
वह अपने कमरे में चली गई और मैंने सीढ़ियों में नीचे जाकर नीचे के दरवाजे की कुंडी खोल दी और ऊपर आकर अपने कमरे में सो गया.
दोस्तो, कैसी लगी मेरी न्यू बुर चुदाई कहानी? कमेंट्स करके मुझे बताएं.
न्यू बुर चुदाई कहानी जारी रहेगी.
What did you think of this story??
Comments