पड़ोसन लड़की के घर जाकर पेला

(Neighbour Sex Kahani)

रोजर 2024-07-03 Comments

नेबर सेक्स कहानी में गाँव की एक लड़की से मेरा टांका भिड़ा था, हम सेक्स का मौक़ा खोज रहे थे. एक दिन उसके माँ बाप बाहर गए तो उसने मुझे अपने घर बुलाया और मैंने उसके घर जाकर उसे पेला।

दोस्तो! मेरा नाम अमित है।
मेरी लंबाई 5 फीट 9 इंच है।
मेरे पास एक अच्छी बॉडी है और मेरा रंग सांवला है।
मेरा लंड 7 इंच और लम्बा 3 इंच मोटा है।

यह मेरी और पूजा की पहली सेक्स कहानी है।
अन्तर्वासना पर यह मेरी पहली सेक्स स्टोरी है, नेबर सेक्स कहानी में कोई गलती हो जाये तो माफ़ कीजिएगा!

मेरी पड़ोसन का नाम पूजा (बदला हुआ) है क्योंकि पूजा नाम से सभी को एक बार तो जीवन में प्यार होता ही है।

पूजा की उम्र 19 साल है।
वह दिखने में भी मस्त माल है; छोटी–छोटी चूचियां, मस्त आकार और एक नंबर पीछे से दिखने में! उसकी लंबाई 5 फीट 6 इंच है।

क्या बताऊँ मैं आप सब को उसके बारे में, दिखने में वह आलिया भट्ट से कम नहीं है।

ऐसा है कि मेरे चाचा जी की किराने की दुकान है।
तो कभी–कभी मैं दुकान में बैठ जाता था।

चाचा जी कहीं बाहर जाते और पूजा समान लेने आती।
तब हमारे बीच खूब बातें होती।
बातों ही बातों में वह कब सेट हो गई पता ही नहीं चला।

जब एक दिन रात के समय, 8 बजे दुकान से घर जाने का समय हुआ तो मैंने लाइट ऑफ की और दुकान बंद ही कर रहा था।
तभी वह (पूजा) आ गई।

मैं– तुम इस समय?
वह– हाँ, क्यूं नहीं आ सकती?

मैं- हाँ आ सकती हो लेकिन घर वालों ने आने दिया?
वह– मैं कहीं भी आ–जा सकती हूँ।

मैं– अच्छा, तो मेरे घर भी?
तो वह समझ गई और बोली– आज तो नहीं फ़िर कभी!

मैं– ठीक है! अभी क्या लोगी?
वह- चुम्मा लूंगी, दोगे?

तभी मैंने कस कर उसको पकड़ा और अपने होंठ को उसके होंठों से लगा दिया और उसे चूमने लगा।

सर्दी का समय था तो किसी के आने का कोई डर नहीं था।
हम इस कदर चिपक गये थे कि बीच से हवा भी नहीं निकल सकती थी।

मैं उसके चूतड़ दबा रहा था।
वह भी मुझे अपने में समा लेना चाहती थी क्योंकि वह मुझे बहुत कस के पकड़ी हुई थी।

10 मिनट के चुंबन के बाद उसने कुछ सामान लिया और चली गई।

कुछ दिन बाद वह सुबह 7 बजे ही आई और बोली– छूटे पैसे चाहिए!
मैं- इतने सुबह–सुबह क्यों?

वह- हाँ, मेरे दादा जी का देहांत हो गया है! मम्मी–पापा गाँव जा रहे हैं। अभी घर में मैं अकेली हूँ आज, कल और परसों। तुम आ जाना मजा करना है तो!
मैं- यार, आना तो चाहता हूँ लेकिन चाचा जी बाहर गये है!

फ़िर वह चली गई।

मैंने सोचा ‘यार मौका तो अच्छा है, आज काम हो सकता है लेकिन कोई बात नहीं फ़िर कभी पूजा को मना लूंगा।’

पूजा के माता–पिता जब गाँव के लिए निकल रहे थे तब उसकी मम्मी मेरी मम्मी से बोलीं– हम लोग गाँव जा रहे हैं। ससुर जी का स्वर्गवास हो गया है! घर पर सिर्फ भाई बहन ही है, तो आप विकी के पास अमित को भेज दीजिएगा!

यह बात मेरी मम्मी ने मुझे रात में बताई।
मैं खाना खा कर 9 बजे उनके घर गया पहुँच गया।

जब उनके घर गया तो देखा कि पूजा और विकी खाना खा रहे थे।
मुझे देखते ही विकी बोला– आ जा. खाना खा ले!
मैं– नहीं, मैं खाना खा कर आया हूँ।

उन दोनों का खाना होने के बाद हम सब सोने चले गए और पलंग पर लेट कर बातें करने लगे।
फ़िर 10 बजे नींद आने लगी तो सभी सो गये।

हम तीनों अलग–अलग सो रहे थे।

रात के करीब 1 बजे मेरी नींद खुली तो मैंने पूजा को उठाया।

नींद में वह बोली– अभी क्या है?
मैं– यार, विकी सो गया है। हम दूसरे कमरे में चले?

वह मान गयी और हम दूसरे कमरे में आ गये।
आते ही मैंने उसको चूमना शुरू कर दिया।
वह भी नेबर सेक्स में मेरा पूरा साथ दे रही थी।

मैंने उसको लिटाया और उसके ऊपर चढ़ कर उसकी चूचियों को दबाने लगा।
वह भी गर्म हो गयी थी।

फ़िर उसने मेरी टीशर्ट निकाल दी।
मैंने भी उसकी शर्ट फ़िर समीज भी निकाल दिया।

उसके छोटे–छोटे चुचे एकदम सख़्त हो चुके थे मानो चीकू फल हो।
मैंने एक चूची को हाथ में लिया और दूसरे को मुंह में भर कर चूसने लगा।

थोड़ी देर बाद अपना हाथ उसकी सलवार के अंदर घुसा दिया।
वह काफी गर्म हो गयी थी।

मैंने फ़िर उसकी सलवार और पैंटी को भी निकाल दिया और साथ ही अपनी पायजामे और चड्डी को भी।
उसने मेरा लंड अपने हाथ में लिया और सहलाने लगी।

मैं उसकी चूत को देख रहा था।
फ़िर मैंने उसकी चूत के फाकों को अलग किया और अपनी 2 उंगलियां उसके अंदर डाल दी।
वह अंदर से एकदम लावा थी।

मैंने उसको लंड चूसने बोला तो वह मना कर दी।
फ़िर मैंने अपने लंड पर थूक लगा कर उसके पैरो के बीच में बैठ गया।

फ़िर अपना लंड उसकी चूत पर सेट किया और धीरे–धीरे उसकी चूत में डालने लगा।
वह थोड़ी छटपटा रही थी।

पहले धक्के में आधा लंड अंदर जा चुका था।
फ़िर एक और झटके में पूरा लंड अंदर घुस गया।

वह चीख पड़ी।
मैंने तुरंत ही अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिया ताकि कोई आवाज बाहर न जाए।

फ़िर मैंने धीरे–धीरे धक्के लगाना शुरू कर दिया।
उसको भी मजा आने लगा तो वह भी मेरा साथ देने लगी।

दिसंबर की सर्दी में हम दोनों बिना कपड़ों के एक–दूसरे यौन सुख देने में लगे हुए थे।
करीब 20 मिनट बाद वह अंगड़ाई लेते हुए वह झड़ गई।

उसके थोड़ी देर बाद मेरा भी पानी निकलने को आया।
तब मैंने उससे पूछा– कहां निकालूं?
वह– बाहर निकाल दे!

मैंने फ़िर वीर्य उसके ऊपर ही निकाल दिया।
उसने उसे साफ किया।
फ़िर हम दोनों ने कपड़े पहने।

मैंने चादर को अच्छे से देखा तो उस पर न तो कोई दाग था न ही कोई खून का धब्बा।

फ़िर हम रिलैक्स होकर कमरे में जाकर सो गये।

कमरे की ओर जाते वक्त मैंने उससे पूछा– पूजा, इससे पहले किसके साथ किया था?
वह– मैं 2 लड़कों के साथ पहले ही कर चुकी हूँ।

वह कहानी आप को फ़िर कभी बताऊंगा।
अभी के लिए अलविदा!

कहानी पढ़ने के बहुत बहुत धन्यवाद!
नेबर सेक्स कहानी कैसी लगी, कमेंट्स में जरूर बतायें!
लेखक के आग्रह पर इमेल आईडी नहीं दिया जा रहा है.

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