मुसीबत से निजात मिली मज़े के साथ-2
(Musibat Se Nijaat Mili Maje Ke Sath- Part 2)
अंकल से सेक्स कहानी का पिछला भाग: मुसीबत से निजात मिली मज़े के साथ-1
जैसे तैसे दो दिन कटे और वो दिन आ गया जब मुझे मुसीबत से निजात मिलनी थी। मैंने शाज़िया को फ़ोन किया और फिर एक बार प्रोग्राम कन्फर्म किया।
वो बोली- तू घबरा मत, सब ठीक होगा, तू मेरे घर आ जा। मेरा भाई कॉलेज के लिए निकलने वाला है।
“ठीक है, मैं आ रही हूँ!” यह कह कर मैंने कॉल डिसकनेक्ट की और तैयार होकर अपनी सहेली शाज़िया के घर को निकल गयी।
उसके घर पहुंच कर मैंने घंटी बजाई तो उसने आ कर दरवाज़ा खोला, उसके बाल भीगे हुए थे मतलब वो अभी अभी नहाकर निकली थी। मैं उसके साथ उसके कमरे में चली गयी। उसने मुझे बराबर वाला कमरा दिखाया जो उसके भाई का था। दोनों कमरों के बीच में एक दरवाजा था जबकि उसके भाई के कमरे का मुख्य दरवाज़ा बरामदे में खुलता था। बीच वाला दरवाज़ा अक्सर बन्द ही रहता था।
शाज़िया ने वो दरवाज़ा खोलकर मुझे उस कमरे बिठाया और समझाया कि कैसे मुझे दरवाज़े के ऊपर वाले रोशनदान से वीडियो बनानी है।
अगर शाज़िया से सेक्स करने के बाद मेरे चाचा मेरी वीडियो डिलीट कर देते हैं तो ठीक है, हम कुछ नहीं करेंगी, नहीं तो हमारे पास भी चाचा का सेक्स वीडियो होगा उनको डराने के लिए।
बस होशियारी यह करनी थी कि वीडियो में शाज़िया का चेहरा ना आये।
हम दोनों सहेलियां आपस में बात कर ही रही थी कि तभी शाज़िया के मोबाइल पर कॉल आयी चाचा के नम्बर से, वे बोले- बोलो शाज़िया, तुम्हारा इरादा बदला तो नहीं है? अगर तुम तैयार हो तो मैं आ जाऊं?
चाचा ने पूछा तो शाज़िया ने जवाब दिया- आप आ जाओ चाचा, बस यह ध्यान रखना कि कोई देखे ना आपको आते हुए, मैंने दरवाज़ा खुला ही रखा हुआ है, आप जल्दी से अंदर आ जाइये।
शाज़िया उस रूम से निकल गयी, मैंने दरवाज़ा बन्द किया और दरवाज़े के पास मेज़ लगा लिया खड़े होने के लिए। मैं अपना मोबाइल लेकर मेज़ पर खड़ी हो गयी।
चाचा शाज़िया के साथ कमरे में आये, शाज़िया ने दरवाज़ा बन्द कर लिया।
“चाचा, आपको अपना वादा याद है ना, आपको शालू की वीडियो अभी डिलीट करनी होगी!”- शाज़िया ने चाचा को याद दिलाया।
मेरे चाचा बोले- मेरी जान, अपने हाथ से खुद डिलीट कर लेना, बस अब देर मत लगा … जल्दी से कपड़े उतार के नंगी हो जा!
शाज़िया ने अपनी टीशर्ट उतार दी। उसने ब्रा पहनी ही नहीं थी या शायद इसीलिए न पहनी हो कि थोड़ी देर में फिर उतारनी पड़ेगी।
चाचा मंत्रमुग्ध से मेरी सहेली की चूचियों को देख रहे थे, चुचियों की नोक पर भूरा टीका और उन पर छोटे मटर जितने दाने
फिर शाज़िया ने झुक कर अपनी इलास्टिक वाली सलवार या लोअर उसे जो भी कहो, उतार दी। उसने पैंटी भी नहीं पहनी थी।
मेरी सहेली की चूत पर एक भी बाल नहीं या शायद उसने अभी नहाते समय साफ किये थे।
लड़की कितनी भी खुले विचारों वाली हो कितनी भी चुदक्कड़ हो मगर पहली बार किसी मर्द के सामने नंगी होने में जो शर्म, जो लज्जा आती है वो ही शाज़िया को भी आ रही थी, वो अपनी दोनों टांगें भींचकर अपनी चिकनी चूत को छुपाने की कोशिश कर रही थी या शर्माने का ड्रामा कर रही थी।
शाज़िया की चुचियों पर चाचा ने अपने हाथ रख दिये और धीरे धीरे सहलाने लगे। फिर चाचा ने खड़े खड़े ही शाज़िया के होंठों पर अपने होंठ रख दिये और चूसने लगे. शाज़िया बस आंखें बंद करे खड़ी थी।
चाचा ने धीरे से शाज़िया को बेड पर लिटाया और अपनी शर्ट उतार दी और उसके बाद अपनी पैंट भी उतार दी. उनके अंडरवियर के उभार से पता चल रहा था कि उनका लण्ड पूरे जोश में है।
मेरे चाचा मेरी सखी शाज़िया के ऊपर लेट गए और पूरे जोश से उसकी चूची चूसने लगे, एक हाथ से दूसरी चूची के निप्पल को मसल रहे थे। शायद शाज़िया को भी मज़ा आ रहा था, उसके मुंह से आहह … उहह … हहहह … हम्ममम्म… की आवाज़ें निकल रही थी।
इधर मैंने अब तक बस अन्तर्वासना पर कहानियां पढ़ी थीं या दो चार बार पोर्न वीडियो देखी थी। आज मैं पहली बार सेक्स का का लाइव टेलीकास्ट देख रही थी। ना चाहते हुए भी मेरा हाथ अपनी चूची पर चला गया और मैं अपनी चूची को सहलाने लगी.
उधर मेरे चाचा शाज़िया को नोच रहे थे, कभी चूची पर काट लेते कभी निप्पल मसलने लगते।
शाज़िया बोली- चाचा, प्लीज़ काटो मत! निशान पड़ जाएंगे चूचियों पर … आराम से कर लो आप … मैं मना तो नहीं कर रही।
चाचा- क्या करूँ मेरी जान, तू तो मेरी भतीजी शालू से भी हॉट है। वैसे भी आज पहली बार तुम्हारे धर्म की लड़की को चोदूँगा।
“चाचा, चुदाई की बात नहीं हुई थी. आप बस मेरी चूत चाटोगे और मुझे अपने लण्ड का माल पिलाओगे!” शाज़िया ने कहा।
चाचा- हाँ … मगर अब मेरा इरादा बदल गया है, अब मैं तुझे चोदूँगा भी … तभी वीडियो डिलीट करूँगा, वरना नहीं।
उसकी चूची से मुंह हटाकर चाचा उसका पेट चूमते चूमते चूत तक पहुंच गये और उसकी टाँगें फैलाकर चूत को देखने लगे और धीरे से उस पर चूम लिया. शाज़िया का बदन एकदम से सिहर गया। असल में शाज़िया कोई ज्यादा नहीं चुदी थी, बस 4 या 5 बार चुदवा कर भी उसकी चूत ज़्यादा खुली नहीं थी.
शाज़िया का बदन गोरा है तो चाचा ने आराम से दोनों हाथ के अंगूठों से उसकी चूत को खोला और चूत के अंदर का गुलाबी भाग दिखने लगा।
चाचा ने आहिस्ता से अपनी जीभ गुलाबी चूत में घुसा दी। शाज़िया ने कस कर चाचा का सर अपनी चूत पर दबा दिया. जिसका मतलब था कि वो भी पूरा मज़ा ले रही थी चुत चटवाने का।
“आहहह चाचा जी … ज़ोर से चाटो मेरी चूत को … उम्म्ह… अहह… हय… याह… खा जाओ, बहुत आग लगी है मेरी चूत में!
मेरे चाचा एक हाथ से मेरी सहेली की चूची मसल रहे थे और दूसरे हाथ की बड़ी उंगली आहिस्ता आहिस्ता शाज़िया की चूत में घुसा रहे थे। शाज़िया भी मज़े में अपनी गांड उछाल रही थी।
अचानक चाचा ने उसकी चूत से मुंह हटा लिया, शाज़िया ने एकदम आंखें खोल कर चाचा की तरफ सवालिया निगाहों से देखा जैसे पूछ रही हो- रुक क्यों गए? चाटो ना!
चाचा- मेरी जान, अकेले ही मज़ा लोगी? चाचा को मज़ा नहीं दोगी?
जैसे ही चाचा ने अपना अंडरवियर नीचे उतारा, उनका लण्ड एकदम सीधा खड़ा हो गया। बाप रे … 8 इंच लम्बा और लगभग 3 इंच मोटा नाग लग रहा था।
चाचा शाज़िया के सर के पास बैठ गए और लण्ड का सुपारा उसके होंठों पर रगड़ने लगे- चूसो शाज़िया बेगम!
“मगर चाचा … ये मेरे मुंह में नहीं आएगा, बहुत मोटा है आपका!” शाज़िया ने कहा।
चाचा बोले- तुम अपना मुंह तो खोलो!
शाज़िया ने मुंह खोला और चाचा ने झट से लण्ड का सुपारा जबरदस्ती शाज़िया के मुँह में घुसा दिया।
“चल 69 में आज चाचा भतीजी दोनों को मज़ा आएगा!” चाचा ने कहा.
तो शाज़िया चाचा ऊपर आ गयी और उनके मुँह पर चूत रख कर लेट गयी और उनका लण्ड चूसने लगी। शाज़िया की गांड मेरी तरफ थी, भूरे रंग की चुन्नटें पूरी भिंची हुई।
चाचा ने एक उंगली शाज़िया की चूत में डाल रखी थी जिसे अंदर बाहर कर रहे थे।
लगभग दस मिनट की चूत चुसाई के बाद शाज़िया का बदन ऐंठने लगा और वो जोर जोर से अपनी चूत चाचा के मुंह पर दबाने लगी और जोश जोश में चाचा का आधा लण्ड मुंह में ले गयी। अचानक उसकी छोटी सी चूत से पानी का फव्वारा बह निकला जिससे चाचा का सारा चेहरा भीग गया। शाज़िया एक तरफ लुढ़क कर लेट गयी, हांफती हुई लंबी लंबी लंबी सांसें लेने लगी जैसे मैराथन की दौड़ पूरी कर के आयी हो।
अब तक की लाइव चुदाई फ़िल्म देख कर मेरी चूत भी गीली हो गयी थी। मैंने भी रिकॉर्डिंग बन्द कर मोबाइल रख दिया मेरा हाथ भी दुखने लगा था ऊपर से अभी तक ऐसा कुछ भी रिकॉर्ड नहीं हुआ था जिससे हम चाचा पर कोई दबाव बना सके।
अब तक की वीडियो अगर हम दिखाते भी तय था कि शाज़िया की बदनामी होती।
मैंने देखा कि अब चाचा ने शाज़िया को खींच कर अपनी तरफ लिटा लया और उसकी चूचियों से खेलने लगे.
शाज़िया बोली- चाचा, अब तो शालू का वीडियो डिलीट कर दो! आपकी आधी शर्त तो पूरी हो गयी, आधी भी हो जाएगी।
“चाचा जी प्लीज़ आपका लण्ड बहुत मोटा है, मेरी चूत में नहीं जा पायेगा। जबरदस्ती डालोगे तो फट जाएगी। मैं चूस कर आपका माल निकाल दूंगी।” शाज़िया ने मेरे चाचा से कहा.
“नहीं शाज़िया डार्लिंग … मुझे तुम्हारी चूत चाहिए। आज तक तो किसी की फटी नहीं मेरे लण्ड से … तेरी भी नहीं फटेगी। चल लण्ड को चूस कर गीला कर!” यह कह कर चाचा ने फिर से शाज़िया के मुंह में अपना लण्ड डाल दिया।
मजबूरी में शाज़िया को फिर से मेरे चाचा का लंड चूसना पड़ा।
फिर चाचा ने शाज़िया को सीधा किया और उसकी गांड के नीचे तकिया रख दिया जिससे उसकी चूत ऊपर को आ गयी। चाचा ने शाज़िया की टांगों को दोनों तरफ को फैला दिया और शाज़िया से कहा- दोनों हाथों से अपनी चूत को दोनों तरफ़ को जितना फैला सकती हो फैला लो।
शाज़िया ने ऐसा ही किया।
चाचा ने लण्ड का सुपारा उसकी चूत पर रख दिया, उसकी पूरी चूत ढक गयी। चाचा ने शाज़िया के मुंह पर हाथ रख लिया कि अगर वो चिल्लाये तो आवाज़ बाहर ना जाये।
शाज़िया ने चूत को पूरा फैलाया हुआ था, इधर मेरी हालत भी खराब हो रही थी। मैं चूची को छोड़ अपनी चूत को मसल रही थी.
उधर चाचा ने एक दो बार लण्ड का सुपारा चूत के ऊपर रगड़ा, शाज़िया की डरी डरी सी सिसकारियाँ निकल रही थी।
तभी चाचा ने एक ज़ोर का झटका मारा और उनका सुपारा शाज़िया की चूत में धंस सा गया, शाज़िया की चीख मुंह में घुट कर रह गयी दर्द के मारे आंखें फट गई और वो चाचा को पीछे धकेलने लगी मगर चाचा ने एक हाथ से मुंह बंद कर रखा था और दूसरे हाथ को गर्दन जे नीचे डाल कर दोनों कन्धों को जकड़ा हुआ था।
चाचा ने एक और तगड़ा धक्का मारा और लण्ड आधा मेरी सहेली की चूत में घुस चुका था। शाज़िया का शरीर शिथिल पड़ गया, मुझे लगा वो बेहोश हो गयी है … मगर उसकी आंखें खुली हुई थी शायद उसने दर्द सहने की हद को पार कर लिया था।
मेरे चाचा ने उसके मुंह पर से हाथ हटाया और उसके होंठ चूमने लगे। उसकी चूची सहलाने लगे मगर लण्ड बाहर नहीं निकाला। आहिस्ता आहिस्ता शाज़िया ने हिलना शुरू किया। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे, मुझे बहुत दुख हुआ मेरी वजह से आज शाज़िया के साथ ये सब हो रहा था।
जब चाचा को लगा कि शाज़िया का दर्द कुछ कम हो गया है तो उन्होंने धीरे से लण्ड बाहर निकाला, उफ्फ ऐसा लगा जैसे शाज़िया की चूत बाहर को खिंच आयी है लण्ड के साथ। चाचा आहिस्ता आहिस्ता उतने लण्ड को ही अन्दर बाहर करने लगे। दो तीन धक्कों के बाद एक धक्का थोड़ा तेज़ मारते जिससे लण्ड चूत के और अंदर सरक जाता।
चाचा शाज़िया की चूची मसलते रहे और धक्के मारते रहे, धीरे धीरे चाचा का पूरा लण्ड शाज़िया की छोटी सी चूत में समा गया।
अब चाचा के धक्कों की रफ्तार बढ़ने लगी। शायद शाज़िया को भी अब मज़ा आने लगा था, उसने चाचा के चूतड़ों पर अपने हाथ कस दिए और धीरे धीरे अपनी गाण्ड उठाकर कर खुद भी ऊपर को झटके दे रही थी।
“चाचा और तेज धक्के मारो ना, मज़ा आ रहा है!” शाज़िया बोली।
मुझे उसकी हिम्मत पर हैरानी हो रही थी, ऐसा लग रहा था किसी ने चूत के रास्ते काला डंडा उसके पेट में डाल दिया हो और उसे इस में भी मज़ा रहा था।
मेरा हाथ दुखने लगा तो मैंने दूसरे हाथ में मोबाइल पकड़ लिया। चाचा उसके ऊपर लेटे हुए फुल स्पीड से उसकी चूत का कचूमर बना रहे थे और वो हर धक्के का जवाब पूरे जोश से दे रही थी। चाचा ने कई जगह उसकी चूचियों और गर्दन पर काट कर निशान बना दिये थे, वो भी वो भी मज़े से चाचा के होंठ चूस रही थी।
चाचा के लण्ड के आगे उसकी चूत हार गई, उसका बदन अकड़ने लगा, उसने दोनों हाथ चाचा की गर्दन में डाले और उनसे चिपक कर उसका बदन झटके खाने लगा … शायद वो झड़ गयी थी।
वो एकदम बेजान होकर लेट गयी और चाचा को रुकने का इशारा किया।
चाचा ने धक्के बन्द कर दिए मगर लण्ड चूत से बाहर नहीं निकाला। वो शाज़िया के गाल चूमने लगे, शाज़िया भी उनके चेहरे को चूमने लगी और बोली- चाचा, प्लीज एक बार बाहर तो निकालो जलन हो रही है चूत में।
चाचा ने लण्ड बाहर निकाला और शाज़िया के बराबर में लेट गये। उनका लण्ड अभी भी ऊपर को तना हुआ था। शायद चाचा ने कोई दवाई खाई होगी जो अभी तक नहीं झड़े थे।
शाज़िया- चाचा, आपने तो मेरी चूत का कीमा ही बना दिया आज। मैं ज़रा टॉयलेट होकर आती हूँ आप यहीं रुको।
चाचा- ठीक है … जल्दी आओ अभी मेरा नहीं निकला है और समय भी कम है।
शाज़िया उठी और लंगड़ाती हुई टॉयलेट को चली गयी और चाचा वहीं बैठकर अपने लण्ड को सहलाते रहे। शायद ये सबसे अच्छी वीडियो क्लिप हो सकती थी हमारे लिए क्योंकि इसमें शाज़िया बिल्कुल भी नहीं थी।
शाज़िया लंगड़ाती हुई वापिस आयी और आकर लेट गयी। चाचा एकदम शुरू हो गए और उसकी चूची चूसनी शुरू कर दी, एक हाथ से उसकी दूसरी चूची का निप्पल मसलने लगे और दूसरे हाथ से उसकी चूत सहलाने लगे।
धीरे धीरे शाज़िया भी गर्म होने लगी। मैंने वीडियो बनानी बन्द कर दी क्योंकि शाज़िया उसमें आ रही थी तो वो हमारे किसी काम नहीं आ सकती थी।
शाज़िया- अब जो करना है बाद में करना … पहले वीडियो डिलीट करो।
और चाचा ने बड़ी आसानी से मोबाइल का लॉक खोलकर शाज़िया को दे दिया- लो खुद ही डिलीट कर दो।
शाज़िया ने मोबाइल लेकर वीडियो देखी और डिलीट कर दी।
मुझे यकीन नहीं आया कि चाचा इतनी आसानी से मान गए। खैर हमारा काम हो चुका था। मुझे लगा शाज़िया अब चाचा को लात मार कर भगा देगी। मगर उसने ऐसा कुछ नहीं किया। मुझे बड़ी हैरानी हो रही थी।
चाचा शाज़िया से चिपक रहा था और वो भी चाचा से लिपटी जा रही थी। चाचा उसकी चूत में उंगली कर रहे थे और वो भी मज़े में चाचा का लण्ड सहला रही थी।
मेरे चाचा ने उठकर अपना लण्ड शाज़िया के होंठों से लगा दिया और उसने भी एकदम से मुंह खोलकर लण्ड मुंह में ले लिया और प्यार से चूसने लगी। चाचा आंख बंद करके लण्ड चुसाई का मज़ा ले रहे थे।
कुछ देर बाद चाचा ने शाज़िया को कुछ इशारा किया, शाज़िया लण्ड मुख से निकाल कर डॉगी स्टाइल में झुक गयी, चाचा उसके पीछे आकर फिर से उसकी चुत चाटने लगे।
चाचा- शाज़िया, तुम्हारी गांड बहुत टाइट और प्यारी है, एक बार इसमें डालूँ?
शाज़िया- चाचा पागल हो गए हो क्या? चूत तो चुदी हुई थी फिर भी देखलो आपके मूसल लण्ड ने क्या हाल कर दिया है, गांड तो सच में फट जाएगी। शालू की वीडियो डिलीट होने के बाद मैं आपको मना भी कर सकती थी, मगर आपसे चुदवा कर मुझे दर्द से ज़्यादा मज़ा आया इसीलिए अभी आपके आगे कुतिया बनी हुई हूँ। अब जल्दी से मुझे चोदो वरना भाई के आने का वक़्त हो जाएगा।
यह शाज़िया क्या बकवास कर रही है, मुझे समझ नहीं आया।
तभी चाचा ने लण्ड के टोपे पर अपना थूक लगाया और मेरी सहेली की चूत पर रख कर एक धक्का मारा, आधा लण्ड अंदर चला गया। शाज़िया के मुंह से बड़ी हल्की सी ‘आहहह हहह’ निकली। एक धक्का और मारा चाचा ने और पूरा लण्ड अंदर।
चाचा ने तेज़ तेज़ धक्के लगाने शुरु कर दिए और शाज़िया भी अपनी गांड पीछे करके लण्ड अंदर तक ले रही थी। इधर मैं भी अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से रगड़ रही थी और मज़े मज़े में अपनी बड़ी उंगली चूत में घुसा ली। हल्की से टीस उठी चूत में मगर मज़े के आगे में सब बर्दाश्त कर गयी।
मेरे चाचा पूरी तबियत से मेरी ख़ास सहेली शाज़िया को चोद रहे थे। चाचा- शाज़िया, क्या तुम ये सब बस शालू के लिए कर रही हो या कोई और बात है?
शाज़िया- असल में मुझे चुदवाये हुए बहुत दिन हो गए थे और मुझे लण्ड की ज़रूरत थी. दूसरी बात आज तक मैंने किसी बिना कटे लण्ड से नहीं चुदवाया था, मैं देखना चाहती थी कि बिना कटे लण्ड से चुदवाने में कैसा मज़ा आता है। और आज आपने मुझे ऐसे चोदा कि मैं सारी पिछली चुदाई भूल गयी हूँ। और तेज़ धक्के लगाओ, मैं झड़ने वाली हूँ।
चाचा ने रफ्तार बढ़ा दी और शाज़िया फिर से अकड़ने लगी और गर्रर्र की आवाज़ करते हुए झड़ गयी.
मगर चाचा लगे रहे, शायद उनका समय भी आ गया झड़ने का … अचानक चाचा ने शाज़िया की चूत से लण्ड निकाल कर उसके मुंह में दे दिया और धक्के मारने लगे.
अभी तक शाज़िया ने चाचा आधा लण्ड ही मुँह में लिया था मगर अब चाचा और ज़बरदस्ती लण्ड अंदर कर रहे थे। इधर मेरी उंगली पूरी तेज़ी से चूत के अंदर बाहर हो रही थी उधर चाचा ने ज़ोर से लण्ड उसके मुंह में दबा कर रोक दिया शायद वो उसके मुंह में झड़ रहे थे.
शाज़िया ने चाचा को पीछे धकेलने की कोशिश की मगर चाचा नहीं हटे और तब तक उनके लण्ड से निकले माल की एक एक बूंद को शाज़िया पी नहीं गयी।
इधर मेरी चूत ने भी पानी की नदी बहा दी।
चाचा उसके मुंह से लण्ड निकाल कर वहीं लेट और लण्ड निकलते ही शाज़िया खांसते हुए बाथरूम में भाग गई और अपना मुंह साफ करके वापस आकर चाचा के पास लेट गयी.
शाज़िया- आप बहुत बेरहम हो चाचा, मेरी सांस रुक जाती तो?
चाचा- सॉरी शाज़िया… ये मेरी फैंटेसी थी कि मैं किसी लड़की के मुंह में झड़ूं और उसको अपने लण्ड का पानी पिलाऊँ। मगर जितनी भी लड़की पटा कर चोदी कोई भी इसके लिए नहीं मानी। उस दिन मैंने शालू की वीडियो इसीलिए बनाई थी कि ये फैंटेसी उसके साथ पूरी करता मगर तुम बीच में आ गयी।
शाज़िया- कोई बात नहीं चचाजान, मुझे भी आपसे चुदवा कर बहुत मज़ा आया।
उसके बाद चाचा ने अपने कपड़े पहने और वहां से चले गए।
तो यह थी अंकल से सेक्स की कहानी!
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