मीठा मीठा मौसम

(Mitha Mitha Mausam)

आशुतोष 2018-10-08 Comments

नमस्कार दोस्तो, आप सभी को आशु का नमस्कार!
मीठा मीठा मौसम आ चुका है। यही वो मौसम है जिसमें आप अपने प्यार को प्यार करते हैं। आज मैं आप को ऐसे ही मौसम के दौरान मेरे और सोनू के प्यार की एक कहानी सुनाना चाहता हूँ।

जो हिसार के बारे में जानते हैं, वो अग्रोहा के बारे में भी जानते होंगे। जो नहीं जानते उन्हें मैं थोड़ा सा बता देना चाहता हूँ।
अग्रोहा हमारे हिसार से थोड़ा दूर एक छोटा सा टूरिस्ट स्पॉट है। पास में ही एक पार्क है और कुछ पुराने थेहड़। आमतौर पर वहां कोई आता जाता नहीं है। आप शांति से वहां कुछ देर बैठ कर सनसेट देख सकते हैं और अपने प्यार के साथ एन्जॉय कर सकते हैं।

ऐसे ही एक दिन फुरसत के मूड में मैं और सोनू वहां घूमने गए। उस दिन सोनू एक चुस्त जीन पेंट और टॉप पहन के आई थी। मीठी मीठी ठंड का मौसम था और मेरे पास उस समय बाइक हुआ करता था।
जब से बाइक लिया था मैं सोचा करता था कि कभी तो कोई लड़की मेरे साथ भी मेरी बाइक पे बैठेगी, मुझे कस के पकड़ेगी और मुझे भी कुछ सिंगल लड़कों को जलाने का मौका मिलेगा जैसे तब तक मैं जला करता था!
हा हा हा!

उस दिन सोनू मुझे यह मौका देने के लिए आई थी। मैंने सोनू को हिसार कृषि यूनिवर्सिटी के गेट से पिक किया। वो एक तरफ पैर कर के बैठने लगी तो मैंने कहा- ऐसे नहीं यार..!! अब गर्लफ्रैंड बनी हो तो गर्ल फ्रेंड की तरह बैठो!
सोनू बोली- अच्छा जी … धीरे धीरे जनाब के ख्याल कुछ ज्यादा ही रोमांटिक होते जा रहे हैं?
मैं मुस्कुरा दिया।

सोनू मेरे पीछे क्रॉस लेग कर के बैठ गई। उसने पीछे से मेरे पेट पर हाथ बांध लिए।
दोस्तो, एक बात बोलना चाहूंगा सोनू एकदम बिंदास लड़की थी, उसने कभी भी अपने फेस पे कपड़ा नहीं बांधा।

सोनू चिपक कर मेरे पीछे बैठ गई और हम मस्त, बेपरवाह हवाओं की तरह आजाद घूमने के लिए निकल पड़े। मैं किसी आवारा भंवरे की तरह मस्ती में मचलता हुआ हौले हौले बह रही हवाओं का मजा लेते हुए बाइक चला रहा था।
सोनू ने अपना सर मेरे कंधे पे रख लिया था और वो भी असीम सुकून का एहसास कर रही थी।

दोस्तो, मुझे लगता है कि किसी भी रिश्ते में और खास कर प्रेमी प्रेमिका के रिश्ते में असली मजा तब आता है जब सामने वाला आप पर विश्वास करता है, आप से सुकून पाता है और आप को भी उसी सुकून का एहसास कराता है।

इस वक़्त मैं और सोनू दोनों उन्हीं लम्हों के अहसास का मजा लूट रहे थे। रास्ते भर हम हल्की फुल्की बातें करते रहे। मैं उससे कुछ पूछता या उसे कुछ कहता और सोनू बस ‘हां ना’ में जवाब दे रही थी।
यकीन मानिए दोस्तो, ऐसा इंसान दो ही मौकों पर करता है, या तो वो आपसे बात नहीं करना चाहता या फिर वो बस बात ही नहीं करना चाहता।

खैर लगभग आधे घंटे बाद हम अग्रोहा पहुँच गए, वहां जाकर पहले हमने मंदिर के दर्शन किए। वहां जो गुफाएं बनी हुई है वो देखी। थोड़ी देर वहां बैठने के बाद हम थेहड़ की चल पड़े। ऐसा सोचा तो नहीं था लेकिन वहां जब हम पहुँचे तो पता चला कि थेहड़ के गेट पर लॉक लगा हुआ था।

एक बार के लिए तो मूड खराब से हुआ लेकिन फिर सोचा कि चलो थोड़ी देर शीतला माता मंदिर चलते हैं, वापसी तक क्या पता लॉक खुल जाए।
हम शीतला मंदिर गए तो वहां भी सुनसान पड़ा था। दोपहर का वक़्त होने के कारण सभी पुजारी वगैरा अपने कमरों में आराम कर रहे थे।

मैं और सोनू पार्क के एक कोने में जा कर बैठ गए। मैं सोनू की गोदी में सर रख कर लेट गया और सोनू की आंखों में देखने लगा।
सोनू बोली- क्या देख रहे हो?
मैं बोला- देख रहा हूँ कि इन आँखों में अगर में डुबकी लगाऊं तो कहीं डूब तो नहीं जाऊंगा? मुझे तो तैरना भी नहीं आता!
सोनू ने जवाब दिया- चिंता मत करो, आप डूबो … उससे पहले मैं अपनी आंखों का पानी सुखा लूँगी।

मैं उसका जवाब सुन कर खुश हो गया। मैंने उसके सर को झुकाया और उसके सुर्ख गुलाबी होंठों को चूम लिया। करीब दस मिनट तक हम वैसे ही किस करते रहे। सोनू के होंठों की सारी लिपस्टिक मैंने उतार दी थी, अब बचा था तो बस असली सुर्ख लाल रंग जो कुदरत ने उसे दिया था।

मैंने कहा- तुम किसी भी शृंगार के बिना ज्यादा खूबसूरत लगती हो।
सोनू थोड़ा थोड़ा शर्मा गई।
मैंने उठ कर उसे जोर से हग कर लिया।

फिर हम थेहड़ की तरफ चल पड़े। मैंने सोचा सड़क से वापस जाने की बजाए पीछे से चलते है, थोड़ा एडवेंचर से भी हो जाएगा और अगर अब भी लॉक लगा मिला तो वापस भी नहीं आना पड़ेगा।

हम पीछे की तरफ से थेहड़ पर चढ़ गए। सोनू को थोड़ी थोड़ी सांसें फूलने लगी तो उसकी छाती ऊपर नीचे होने लगी। वो बहुत ही सेक्सी लग रही थी।
मैंने उधर ही सोनू को कस के हग किया और उसके गले पर किस करने लगा।
ठंडी ठंडी हवा चल रही थी। हम दोनों गरम हुए जा रहे थे।

दोस्तो, एक बात जो मैं कहना चाहता हूँ, सोनू ने मेरे साथ रहते हुए कभी ये नहीं कहा कि यहां नहीं करते … छोड़ो कोई देख लेगा, कोई आ जायेगा वगैरह वगैरह …
इस बात से मुझे बहुत अच्छा लगता था। इस बात से पता लगता था कि उसने खुद को मुझे सौंप दिया है बस … आगे जो भी हो.

फिर मैंने सोनू को अपनी पीठ पर उठा लिया। वैसे वो आम लड़कियों जितनी हल्की फुल्की तो नहीं थी लेकिन उसका वजन ज्यादा भी नहीं था। लेकिन चढ़ाई होने की वजह से मुझे भी हल्का हल्का जोर आ रहा था।
लेकिन जैसे तैसे हम पहुंच गए।

ऊपर जाकर हम दीवार पर बैठ गए। वो मेरी गोदी में लेट गई और मैं उसके बालों को सहला रहा था। मुझे ऐसा लगा कि जैसे वो मुझ से कुछ कहना चाहती हो, उसकी आंखों में एक शांति सी थी, सुकून का एहसास था।

ऊपर हवा थोड़ी तेज थी और ठंडी भी, मानो हवा भी हमारे आने की खुशी में नाच रही हो।
कुछ देर वहां बैठ कर हम मौसम का मजा लेते रहे।
बीच बीच में मैं उस के पेट पर कभी गालों पर कभी छाती पर गुदगुदी सी कर देता और वो मेरे में सिमट जाती।

ऐसे हल्की फुल्की मस्तियां करते हुए हमें करीब एक घंटा हो गया था। फिर हम दीवार से नीचे अंदर की तरफ आ गए। वहां एकदम शांत और सुनसान था।

मैंने सोनू को हग कर लिया और उसे गले पर किस करने लगा। सोनू तड़पने लगी। वो मुझे कस कर हग किये हुए थी। मैं उसके कान की बालियों को चूम रहा था। ये उसका सबसे कमजोर पॉइंट था; उसकी तड़प बढ़ने लगी थी।

मैं उसकी पीठ पर हाथ फिरा रहा था। मैंने उसके टॉप के ऊपर से ही उसकी ब्रा का हुक खोल दिया था।
अब मैं सोनू के होंठों को चूम रहा था; उसके सॉफ्ट सॉफ्ट होंठों को चूसने का मजा ही कुछ और था। मेरा एक हाथ उसके बूब्स को मसल रहा था।
उसके बूब्स भरे भरे और नर्म नर्म थे, ऐसा लगता था जैसे इम्पोर्टेड कुशन हाथ में हो।

हम काफी देर तक एक दूसरे को ऐसे ही किस करते रहे और मैं सोनू के बूब्स को मसलता रहा।
सोनू का एक हाथ मेरी पैन्ट के ऊपर से मेरे पप्पू को मसल रहा था। पप्पू धीरे धीरे अंगड़ाई लेने लगा था।

मैंने सोनू के टॉप को ऊपर सरका दिया, वहां हम निकालने का रिस्क नहीं ले सकते थे। ब्रा मैं पहले ही खोल चुका था। मैंने सोनू के निप्पल को मुंह में भर लिया, एक को चूसता दूसरे को हाथ से मसलता।
सोनू जोर जोर से आहें भर रही थी। उसकी सिसकारियां वहां के सन्नाटे को ललकार रही थी। उसकी सांसें जोर जोर से चल रही थी, उसके बूब्स साँसों के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे।

कसम से वो बहुत सेक्सी लग रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई हसीन परी नीचे आई हुई हो और अपनी जन्म जन्म की प्यास बुझाना चाहती हो।
अब उसका एक हाथ मेरी पैन्ट के हुक को खोलने में लगा था।
जल्दी ही उसे सफलता भी मिली, पप्पू महाराज ताव में आ चुके थे, वो अपना सर उठा कर बाहर निकलने को बेताब थे जैसे कोई सांप को टोकरी में बंद किया हुआ हो।

सोनू पप्पू को अंडरवियर के ऊपर से ही मसलने लगी, पप्पू महाराज अंडरवियर के अंदर ही उछलने लगे।
सोनू ने मेरे अंडरवियर में हाथ डाल दिया। वो ऊपर से नीचे तक पप्पू को मसल रही थी जैसे उसका जायजा ले रही हो या जैसे किसी बच्चे को सुलाने के लिए उसे प्यार से सहला रही हो लेकिन यहां उल्टा होता जा रहा था; पप्पू महाराज तो जोश में आते जा रहे थे।

जैसे ही मैंने सोनू के बूब्स को छोड़ा, सोनू एकदम से नीचे बैठ गई और पप्पू को अपने मुंह में भर लिया। कभी वो सुपारे पर जीभ फिराती तो कभी जड़ तक मुंह में ले लेती। कभी गोटियों को अपने मुंह में भर लेती।
मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं हवा में होऊँ।

मैंने वो करीब 5 मिनट तक ऐसे ही करती रही। उसकी सांस जोर जोर से चलने लगी थी। मुझे ऐसा लगा जैसे वो अपने मुंह से ही मुझे फारिग कर देना चाहती हो..
मैंने पूछा क्या इरादा है जानेमन?? आज तो पप्पू पे बड़ा प्यार आ रहा है तुम्हें..
सोनू एक सेकंड के लिए रुकी और बोली- आज मैं अपनी और इसकी (पप्पू) प्यास बुझाना चाहती हूं।

मैं उस का इशारा समझ गया.
एक दो मिनट के बाद पप्पू ने उस के मुंह में पानी छोड़ दिया; वो गट गट कर के सारा पी गई; एक बूंद भी नहीं छोड़ा। फिर भी उस ने पप्पू को छोड़ा नहीं, एक एक बूंद तक चाट गई। उसकी सांस जोर जोर से चल रही थी।
इतनी मेहनत के बाद पप्पू अब थोड़ा आराम के मूड में चला गया था।

मैं सोनू के बूब्स को मसलने और चूसने लगा। धीरे धीरे मैं नीचे उसके पेट पर आ गया, उसकी नाभि को जीभ से गुदगुदाने लगा। वो मस्ती से सिहर रही थी। मैंने उसकी जीन्स का बटन खोल दिया, जीन्स के साथ मैंने उसकी पेंटी भी घुटनों तक नीचे कर दिया।

दिन में उजाले में पिंकी को ऐसे निहारना मेरे लिए एक फैंटेसी पूरी होने जैसा था। उसकी पिंकी पे हल्के हल्के बाल थे। मैंने पिंकी को प्यार से छुआ; सोनू सिहरने लगी थी। मैंने पिंकी को हल्के से चूम लिया। मैं पिंकी को ताबड़तोड़ किस कर रहा था। सोनू मेरे बालों को कस के पकड़े हुए थी।

मैं खड़ा हो गया और सोनू के होंठों को चूमने लगा। पप्पू महाराज दोबारा मेहनत के लिए तैयार हो चुके थे। मैंने सोनू को उसकी एड़ियों पर थोड़ा उठाया, पप्पू को पिंकी से हेलो करवाया।
सोनू ने अपने हाथों से पप्पू को पिंकी के दरवाजे के सामने खड़ा कर दिया; उसके चेहरे पर कसक देखते ही बन रही थी।

मैंने सोनू से धीरे धीरे नीचे होने को कहा। पप्पू धीरे धीरे पिंकी के दरवाजे में घुसने लगा; फिर एक साथ पप्पू पूरा पिंकी के अंदर चला गया। हम उस दिन कंडोम नहीं लेकर आये थे। मैंने सोनू से पूछा- अगर तुम्हें सेफ नहीं लग रहा तो रहने देते हैं।
सोनू ने मुंह से कुछ नहीं बोला लेकिन पप्पू पर पिंकी का दबाव और कसाव दोनों बढ़ा दिए।

फिर हौले हौले मैंने धक्के लगाने शुरू किए। मैं साथ ही उसके होंठों पर और गर्दन पर चूम रहा था। सोनू तड़प रही थी।
मैंने सोनू के बूब्स को मसलना शुरू किया; अपने पेट से उस के पेट को रगड़ रहा था।

कुछ देर बाद मैंने सोनू को दीवार के सहारे डॉगी स्टाइल में झुका दिया और पीछे से पप्पू को पिंकी के घर में घुसा दिया। मैं पप्पू के फारिग होने तक उसे इसी पोज़ में ऐसे ही धक्के देता रहा। फारिग होने के बाद पप्पू बाहर आ गया।

कुछ देर हम दोनों यूँ ही एक दूसरे को हग किये खड़े रहे। फिर मैंने सोनू की पेंटी और जीन्स ऊपर की। उसके बटन बंद किये। तब तक वो अपनी ब्रा बन्द कर चुकी थी। मैंने सोनू का टॉप ठीक किया। फिर मैंने अपनी पेंट ऊपर की और सोनू ने मेरी शर्ट के बटन लगाए। हम एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे, मुझे नहीं पता सोनू कितनी बार फारिग हो चुकी थी लेकिन उसकी सांसें जोर जोर से चल रही थी और उसकी आंखों में नशा और सुकून दिखाई दे रहा था।

फिर हम कुछ देर उसी दीवार पर बैठे।
हम एक दूसरे की आंखों में देख रहे थे। उसी पल एक झोंक हवा का आया और हम एक दूसरे में खो कर किस करने लगे। कुछ मिनट के बाद अलग हुए तो सोनू बोली- अब थोड़ी और देर लगाई तो फिर हो सकता है सारी रात यहीं रुकना पड़े, लेकिन प्यास फिर भी नहीं बुझेगी.

मैंने कहा- यह प्यास बुझानी भी किसे है लेकिन हम हौले हौले इस का मजा लूटेंगे।

अब तक हल्की हल्की फुहारें शुरू हो चुकी थी तो हमने वहां से चलना सही समझा। जिस रास्ते से गए थे, उसी रास्ते से वापस आये और बाइक पर बैठ गए।
सड़क पर आकर सोनू बोली- बाइक मैं चलाऊंगी।

मैं पीछे से सोनू को चिपक कर बैठ गया; कसम से बड़ा मजा आया।

शाम होने को थी, सोनू को मैंने जहाँ से पिक किया था वहीं उतार दिया। फिर मैं भी घर आकर सो गया।

दोस्तो, यह था एक किस्सा मेरी जिंदगी की कहानी का!

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पर मुझे काफी मेल आये और मुझे काफी अच्छा लगा कि सभी ने सराहा। सबसे ज्यादा खुशी है कि किसी भी पाठक ने मुझ से सोनू से जुड़ी कोई जानकारी या फोन नंबर नहीं मांगा। मैं इसके लिये सभी का शुक्रिया अदा करता हूँ।

थोड़ा सा दुख इस बात का भी है कि किसी भी लड़की या महिला का मेल नहीं आया। मुझे ऐसा लगता है कि लड़कों की इमेज ऐसी बना दी गई है कि जैसे उन्हें सिर्फ सेक्स चाहिए होता है और वो लड़कियों को बदनाम कर के खुश होते हैं।

सभी महिला पाठिकाओं से मेरा अनुरोध है कि ऐसा नहीं है। हजार में से कोई एक दो लड़के ऐसे होते होंगे वरना सभी लड़के लड़कियों को सम्मान की नजर से देखते हैं।
बाकी सब नौजवां उम्र की चुहलबाजियाँ होती है बस … दिल से सब साफ होते हैं।

एक बात जो मैं हमेशा कहता हूँ, दोहराना चाहता हूँ..
“नाम रिश्ते का चाहे कुछ भी हो,
तलाश सिर्फ सुकून की होती है…”

अगले किस्से तक के आज्ञा दीजिए दोस्तो!
खुश रहिए, खुश रखिये.

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